उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) में रोज़गार सृजन की स्थिति कितनी बदतर है, इसका ख़ुलासा एक आरटीआई (RTI) के ज़रिए हुआ है।
आरटीआई से पता चला है कि बलिया (Ballia) जिले में पिछले पांच सालों में सरकारी योजना के तहत किसी भी नौजवान को रोज़गार (Rozgar) नहीं मिला है।
दरअसल, बलिया ख़बर (Ballia Khabar) ने सेवायोजन अधिकारी से एक आरटीआई के ज़रिए ज़िले में रोज़गार सृजन से संबंधी जानकारी मांगी थी।
सेवायोजन अधिकारी ने इस आरटीआई के जवाब में बताया कि पिछले पांच सालों में कुल 64797 अभ्यर्थियों ने ऑनलाइन द्वारा पंजीयन कराया है। इन अभ्यर्थियों की फेहरिस्त को http://sewayojan.up.nic.in/ पर भी देखा जा सकता है।
सेवायोजन अधिकारी ने बताया कि पिछले पांच सालों में सरकारी कोई भी नौकरी बलिया रोज़गार कार्यालय द्वारा नहीं दी गई है। हालांकि उन्होंने यह भी बताया कि कुछ नौकरियां प्राइवेट कंपनियों द्वारा मुहैया कराई गई हैं।
वहीं सेवायोजन अधिकारी आरटीआई में किए गए उस सवाल से बचते नज़र आए, जिसमें सरकारी कार्यालयों में रिक्त पदों के बारे में पूछा गया था।
उन्होंने कहा, “रिक्त पदों की जानकारी कार्यालय के माध्यम से नहीं कराई जा सकती है। इसके लिए कार्मिक (रिक्त) विभाग से सूचना प्राप्त कर सकते हैं”।
इन तथ्यों के सामने आने के बाद अब सवाल यह उठता है कि आख़िर सरकार रोज़गार सृजन किस दिशा में क्या काम कर रही है?
क्या सूबे के सरकारी दफ्तरों में कोई भी रिक्त स्थान नहीं है, जहां लोगों की भर्ती की जा सके? अगर सूबे के सरकारी विभागों पर नज़र डालें तो पता चलता है कि लगभग सभी विभागों में लोगों की आवश्यक्ता है।
लेकिन इसके बावजूद काबिल नौजवान बेरोज़गार हैं। क्या सूबे के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की ये ज़िम्मेदारी नहीं है कि वह इन नौजवानों को रोज़गार मुहैया कराएं? आख़िर सीएम योगी नौजवानों के भविष्य के बारे में कब सोचेंगे?
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