दुनिया
क्या है निकाह हलाला, क्यों होगी कोर्ट में सुनवाई?
दो शादियां, तीन बच्चे और दो तलाक़, ये कहानी शमीना बेग़म की है. पहली शादी से दो बच्चे होने के बाद शमीना बेग़म के शौहर ने उन्हें छोड़ दिया था.
तलाक़ के बाद वे मां-बाप के रहमोकरम पर रहीं और 2012 में पहले से शादीशुदा और बाल बच्चेदार एक शख़्स से उनकी दूसरी शादी हुई.
तीसरे बच्चे के बाद शमीना के दूसरे शौहर ने भी उन्हें तलाक़ दे दिया. ऐसी ज़िंदगी जीने वाली शमीना अकेली मुसलमान औरत नहीं हैं. उनके जैसे और भी हैं.
तीन तलाक़ पर फैसला देने के बाद अब सुप्रीम कोर्ट निकाह हलाला, बहुविवाह, निकाह मुता और निकाह मिस्यार पर सुनवाई करने जा रहा है.
सुप्रीम कोर्ट की संवैधानिक पीठ इस मामले पर सुनवाई करेगी. चार याचिकाकर्ताओं ने इन मामलों में अलग-अलग याचिकाएं सुप्रीम कोर्ट में दायर की थीं.
याचिकाकर्ताओं में अश्विनी उपाध्याय, शमीना बेगम, नफीसा ख़ान और हैदराबाद से मोअल्लिम मोहसिन हैं.
याचिकाकर्ता अश्विनी उपाध्याय ने बीबीसी से कहा, “हमारा ये मानना है कि ये प्रथाएं जेंडर जस्टिस और समानता के ख़िलाफ़ हैं. ये महिलाओं के सम्मान से जीने के अधिकार को छीनता है. इनमें भारतीय संविधान के अनुच्छेद 14, 15, 21 और 44 का उल्लंघन हो रहा है.”
सुप्रीम कोर्ट
अदालत ने इस मामले में भारत सरकार के तीन मंत्रालयों और राष्ट्रीय महिला आयोग को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है. ये तीन मंत्रालय हैं- महिला एवं बाल विकास, क़ानून और अल्पसंख्यक मामलों का मंत्रालय.
सात महीने पहले ही सुप्रीम कोर्ट ने तीन तलाक की प्रथा को असंवैधानिक क़रार दिया था जिसके बाद केंद्र सरकार ने लोकसभा में बिल लाकर इसे अपराध की श्रेणी में रख दिया था. हालांकि अभी राज्यसभा से ये बिल पारित नहीं हुआ है.
पांच जजों की संवैधानिक बेंच ने तीन तलाक को असंवैधानिक घोषित करते हुए निकाह हलाला और बहुविवाह के मुद्दे को आगे बहस के लिए खुला रखा था. याचिकाकर्ताओं ने इस बात को आधार बनाया है.
क्या है निकाह हलाला
मुसलमानों में एक बार तलाक हो जाए तो पत्नी को दोबारा पाने के लिए यही एक तरीका बचता है.
पत्नी को दोबारा हासिल करने के लिए और उससे निकाह करने के लिए उसकी पत्नी को किसी दूसरे मर्द से शादी करनी होती है और शारीरिक संबंध बनाने होते हैं और फिर यदि वो ‘खुला’ या तलाक़ के ज़रिए अलग हो जाते हैं तो वो अपने पहले पति से दोबारा शादी कर सकती है. इसे हलाला कहते हैं.
ख़ुला वो प्रक्रिया है जिसमें पत्नी पति से तलाक मांगती है. लेकिन इस्लामी क़ानून के जानकार मानते हैं कि हलाला के नाम पर ग़लत प्रथा को भारत में लागू किया जाता है.
जाने-माने क़ानूनविद प्रोफ़ेसर ताहिर महमूद कहते हैं कि अगर मुसलमान मर्द अपनी पत्नी को तलाक़ दे देता है और वो महिला दूसरी शादी कर लेती है और अगर महिला के दूसरे पति की मौत हो जाती है या उन दोनों में भी तलाक़ हो जाए तो वो महिला अपने पहले पति से शादी कर सकती है. अगर महिला और उनके पहले पति आपसी रज़ामंदी से शादी करना चाहें तो इस्लाम इसकी इजाज़त देता है.
प्रोफ़ेसर ताहिर महमूद के अनुसार इसी इजाज़त को भारत में कुछ उलेमा ने हलाला का नाम देकर ग़लत प्रथा क़ायम कर दी है.
बहुविवाह प्रथा
इस्लाम में बहुविवाह का चलन है. इसके तहत एक पुरुष को चार शादियां तक करने की इजाजत है.
इसके पीछे कारण बताया जाता है कि इससे किसी विधवा या बेसहारा औरत को सहारा दिया जा सकता है.
लेकिन, याचिकाकर्ताओं का कहना है कि इस नियम का कई बार ग़लत फ़ायदा उठाया जाता है.
निकाह मुता
निकाह मुता वो तरीका है जिसमें लड़का-लड़की तय समय के लिए शादी करते हैं. इसमें मेहर की रकम भी होती है.
समय की मियाद पूरी होने पर शादी खत्म मान ली जाती है लेकिन इसे आपसी सहमति से आगे भी बढ़ाया जा सकता है. ये एक तरीके का कॉन्ट्रैक्ट मैरेज होता है.
हालांकि, इसका चलन अब कम हो गया है. इसका चलन शिया मुसलमानों में है.
निकाह मिस्यार
सुन्नी मुसलमानों में होने वाले निकाह मुता को निकाह मिस्यार कहा जाता है.
कानून का उल्लंघन
अश्विनी उपाध्याय ने बताया कि किस तरह चारों प्रथाएं भारत के संविधान के अलग अलग अनुच्छेदों का उल्लंघन करती हैं.
उनके मुताबिक अनुच्छेद 14 कहता है कि भारत के सभी नागरिकों को बराबरी का अधिकार है, उनका बराबर दर्जा प्राप्त है. लेकिन, इसका उल्लंघन इस तरह हो रहा है कि पुरुष चार शादी कर सकता है लेकिन महिलाएं नहीं कर सकतीं.
अनुच्छेद 15 कहता है भारत में लिंग, धर्म और भाषा के आधार पर किसी के साथ भेदभाव नहीं किया जा सकता. लेकिन इन प्रथाओं की वजह से हिंदू और मुस्लिम महिला के अलग-अलग अधिकार हैं. साथ ही पुरुष और महिलाओं के अधिकार में भी अंतर है.
अनुच्छेद 21 कहता है कि सबको सम्मानजनक जीवन जीने का अधिकार है. लेकिन अश्विनी के मुताबिक, “चार शादी करेंगे तो पुरुष का प्यार बंट जाएगा. आप किसी का ज्यादा सम्मान करेंगे तो किसी का कम. इसलिए यह प्रथा नहीं कुप्रथा है.”
अनुच्छेद 44 सभी नागरिकों के लिए यूनिफॉर्म सिविल कोड की बात करता है, लेकिन यह आज तक लागू नहीं हुआ है.
इसी को अधिकार बना कर याचिकार्ताओं ने अदालत का दरवाजा खटखटाया था. फिलहाल मामले की सुनवाई की तारीख तय नहीं है.
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बलिया के श्याम यादव को UAE ने दिया गोल्डन वीज़ा, ऐसी है संघर्ष से सफलता तक की कहानी
नई दिल्ली डेस्क : रिलायंस गल्फ (Reliance Gulf) अबू धाबी के चीफ एक्सक्यूटिव ऑफिसर और मैनेजिंग डायरेक्टर (CEO&MD) श्याम नारायण यादव को संयुक्त अरब अमीरात (UAE) ने गोल्डन वीजा (Golden Visa ) से नवाजा है जो बलियावासियों के लिए एक गर्व की बात है। संयुक्त अरब अमीरात (UAE) का गोल्डन वीजा हाल के ही दिनों में सोनू निगम, संजय दत्त, अभिनेत्री उर्वशी राउतेला और गायिका नेहा कक्कड़ जैसे सेलिब्रिटिज को मिला है। जिसके बाद अब इस कटेगरी में बलिया के लाल श्याम नारायण यादव का नाम भी शामिल हो गया है। श्याम नारायण यादव यूएई में रिलायंस गल्फ जनरल कॉन्ट्रेक्टिंग नाम की कंस्ट्रक्शन कंपनी चलाते हैं। रिलायंस गल्फ कंपनी उद्दोग और इंफ्रास्ट्रक्चर, एनर्जी क्षेत्र में यूएई और ओमान में काम करती है।
कौन हैं श्याम नारायण यादव :
श्याम नारायण यादव साल 2000 में 16 फरवरी को यूएई पहुंचे। यूएई में उन्होंने लगातार बारह साल यानी 2011 तक बहुराष्ट्रीय जर्मन कंपनी में निचले स्तर से लेकर उच्च स्थान तक काम किया। 2011 में उन्होंने अपने कंपनी की शुरूआत की। जिसका नाम रखा रिलायंस गल्फ (मतलब भरोसा, निर्भरता, उम्मीद, आत्मविश्वास)। पिछले दस सालों से लगातार रिलायंस गल्फ कंपनी कंस्ट्रक्शन के क्षेत्र में अलग-अलग तरह के काम कर रही है। रिलायंस गल्फ कंपनी गैस सेप्रेशन और प्रोसेसिंग, एलएनजी प्लांट्स, पेट्रोकेमिकल्स, पावर प्लांट्स का काम करती आ रही है।
रिलायंस गल्फ की इस सफलता के पीछे श्याम नारायण यादव की मेहनत है। आज से 21 साल पहले श्याम नारायण यादव अपने गांव से संयुक्त अरब अमीरात अपनी रोजमर्रा की जरूरतों को पूरा करने के लिए नौकरी करने गए थे। उन्होंने कहा कि “सपने में भी नहीं सोचा था मैं इतने लोगों की जरूरतों को पूरा कर पाउंगा। आज यह सब मुझे और मेरे टीम को गौरवान्वित करता है कि मैं अपने साथ-साथ कुछ लोगों के रोजी-रोटी का जरिया बना। श्याम नारायण यादव का बलिया के बेल्थरा रोड तहसील के चंदायर कलां मे यूनीक पैलेस है जिसे लोग श्याम पैलेस के नाम से जानते है।
श्याम नारायण यादव तीन बच्चों के पिता हैं। इनका बड़ा बेटा ब्रिटेन यूके के साउथैंपटन यूनिवर्सिटी (University of Southampton) में मैकेनिकल इंजीनियरिंग की पढ़ाई करता है। इसके साथ-साथ क्रिकेट भी खेलता है। हाल ही में उसे साउथैंपटन यूनिवर्सिटी की मुख्य टीम में प्रवेश मिला है। जबकि बाकि दो बेटे उनके साथ ही अबू धाबी में पढ़ाई के साथ-साथ अबू धाबी क्रिकेट क्लब से खेलते हैं।
जाहिर है श्याम नारायण यादव ने यह सफर काफी मेहनत-मशक्कत से तय किया है। एक मध्यम वर्गीय परिवार से निकलकर ग्यारह साल बहुराष्ट्रीय कंपनी में काम करना और फिर उसी यूएई में अपनी कंपनी शुरू करने तक की यात्रा श्याम नारायण यादव के लिए आसान नहीं रही है।
क्यों है गोल्डन वीज़ा खास
गोल्डन वीज़ा किसी भी देश के आम वीज़ा से अलग और खास है। यह वीज़ा हर व्यक्ति को नहीं मिलता है। अक्सर किसी फिल्मी सितारे को गोल्डन वीज़ा मिलने की खबर आती है। हाल के ही दिनों में यूएई की गोल्डन वीज़ा अभिनेत्री उर्वशी राउतेला को मिला हुआ है। मशहूर गायिका नेहा कक्कड़ और उनके पति रोहनप्रीत सिंह को भी यह गोल्डन वीज़ा मिली थी।
श्याम नारायण यादव यूएई में रहने वाले एक निवेशक हैं जिनको अबु धाबी फेडरल अथॉरिटी ऑफ आइडेंटिटी एंड सिटीजेन विभाग ने 10 साल का स्पेशल निवेशक वीज़ा दिया। जिसके मिलने से इनको सेल्फ स्पॉन्सरशिप ऑथराइजेशन मिल गया। अब बगैर किसी रुकावट के खुद के लिए और फैमिली के लिए वीज़ा और एडिशनल मैनेजर अपॉइंटमेंट कर सकते हैं।
इस उपलब्धि पर बात करते हुए श्याम नारायण यादव ने कहा कि “मैंने अपने जीवन में कुछ किया ऐसा पता नहीं लेकिन इतना है कि आवश्यकता आविष्कार की जननी होती है। मैंने मेरी जरूरतों के लिए मेहनत और ईमानदारी से परिणाम की अपेक्षा के बगैर काम किया। मुझे आजतक जो भी मिला है मैंने कभी सपने में भी नहीं सोचा था। ऊपर वाले की दुआ से बच्चे भी हमारे प्रयास में शामिल हैं और उम्मीद है कुछ बेहतर करेगे।”
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बलिया मूल के मॉरिशस के पूर्व पीएम अनिरुद्ध जगन्नाथ का निधन
मॉरीशस के पूर्व प्रधानमंत्री अनिरुद्ध जगन्नाथ का 91 साल की उम्र में 3 जून, 2021 को निधन गया है। अनिरुद्ध जगन्नाथ मॉरिशस के प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति दोनों ही पदों पर कार्य कर चुके हैं। जगन्नाथ के निधन पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और विदेश मंत्री एस जयशंकर ने दुख जताया है।
बलिया से मॉरिशस पहुंचे उनके पिता ने अपने साथी मजदूरों के साथ मिलकर ऐसे राष्ट्र का निर्माण किया, जो हमेशा हिन्दुस्तान और हिन्दुस्तानियों के दिलों में धड़कता रहा है। उनके असमय जाने से बलिया ही नहीं समूचे हिन्दुस्तानियों को आघात पहुंचा है।
मॉरीशस के पूर्व राष्ट्रपति अनिरुद्ध जगन्नाथ के पूर्वज उत्तर प्रदेश में बलिया जिले के मूल निवासी थे। बलिया जिले के रसड़ा थाना क्षेत्र का अठिलपुरा गांव उनके पुरखों का निवास स्थान रहा है। गांव वालों के अनुसार उनके पिता विदेशी यादव और चाचा झुलई यादव को अंग्रेजों ने वर्ष 1873 में गिरमिटिया मजदूर के रूप में जहाज से गन्ने की खेती के लिए मारीशस भेजा था। गिरमिटिया मजदूर से लेकर सत्ता के शीर्ष तक का सफर तय करने वाला परिवार आज मॉरीशस का सबसे बड़ा राजनीतिक परिवार भी माना जाता है।
जानकारी के मुताबिक, प्रधानमंत्री प्रविंद अपने पुरखों की भूमि बलिया तो नहीं जा सके लेकिन वाराणसी में जनवरी 2019 में आठ दिवसीय दौरे पर भारत आए तो आयोजन के बाद भी वह काशी में ठहरे और विभिन्न मंदिरों में जाकर पूजा अर्चना इस भाव से किया कि कभी इन्हीं मंदिरों में उनके पुरखों ने आने वाली पीढ़ियों के लिए तमाम मन्नतें मांगी होंगी।
अभिलेखों में दर्ज दस्तावेजों के अनुसार 2 नवंबर, 1834 को भारतीय मजदूरों का पहला जत्था गन्ने की खेती के लिए कलकत्ता से एमवी एटलस जहाज पर सवार होकर मारीशस पहुंचा था। आज भी वहां हर साल दो नवंबर को ‘आप्रवासी दिवस’ के रूप में मनाया जाता है। जिस स्थान पर भारतीयों का यह जत्था उतरा था वहां आज भी आप्रवासी घाट की वह सीढ़ियां स्मृति स्थल के तौर पर मौजूद हैं।
दुनिया
कोरोना को लेकर जानें क्या चेतावनी दे रहे वैज्ञानिक, सुनकर खिसक जाएगी पैरों तले जमीन
कोरोना वायरस को लेकर इस समय जहां पूरी दुनिया में सहमे हुए हैं, वहीं सरकारें भी अपने-अपने देश को बचाने को लेकर खासे चिंतित है. चूंकि कोरोना का अब तक कोई सटिक उपचार ईजाद नहीं हुआ, लिहाजा अब इसे लेकर वैज्ञानिक भी चेतावनी जारी किए हैं. आइए जानतें है कि कोरोना को लेकर दुनिया के वैज्ञानिक क्या कह रहे है.
– हार्वर्ड यूनिवर्सिटी में महामारी विशेषज्ञ और स्टडी के लेखक मार्क लिपसिच ने कहा, संक्रमण दो चीजें होने पर फैलता है- एक संक्रमित व्यक्ति और दूसरा कमजोर इम्यून वाले लोग. जब तक कि दुनिया की ज्यादातर आबादी में वायरस के खिलाफ प्रतिरोधक क्षमता विकसित नहीं हो जाती है, तब तक बड़ी आबादी के इसके चपेट में आने की आशंका बनी रहेगी. वैक्सीन या इलाज ना खोजे जा पाने की स्थिति में 2025 में कोरोना वायरस फिर से पूरी दुनिया को अपनी जद में ले सकता है. महामारी विशेषज्ञ मार्क का कहना है कि वर्तमान में कोरोना वायरस से संक्रमण की स्थिति को देखते हुए 2020 की गर्मी तक महामारी के अंत की भविष्यवाणी करना सही नहीं है.
– यूके सरकार की वैज्ञानिक सलाहकार समिति ने सुझाव दिया था कि अस्पतालों पर मरीजों का बोझ बढ़ने से रोकने के लिए लंबे वक्त तक फिजिकल डिस्टेंसिंग बनाए रखने की जरूरत है. समिति ने कहा कि देश में करीब एक साल तक सरकार को कभी सख्ती तो कभी थोड़ी ढील के साथ सोशल डिस्टेंसिंग के नियम जारी रखने चाहिए. शोध के मुताबिक, नए इलाज, वैक्सीन के आने और स्वास्थ्य सुविधाएं बेहतर होने की स्थिति में फिजिकल डिस्टेंसिंग अनिवार्य नहीं रह जाएगा लेकिन इनकी गैर-मौजूदगी में देशों को 2022 तक सर्विलांस और फिजिकल डिस्टेंसिंग लागू करनी पड़ सकती है. शोधकर्ताओं ने कहा कि कोरोना वायरस संक्रमण को लेकर अभी कई रहस्य सुलझे नहीं हैं, ऐसे में बहुत लंबे वक्त के लिए इसकी सटीक भविष्यवाणी कर पाना मुश्किल है. अगर लोगों की रोग प्रतिरोधक क्षमता स्थायी हो जाती है तो कोरोना वायरस पांच सालों या उससे ज्यादा लंबे समय के लिए गायब हो जाएगा. अगर लोगों की इम्युनिटी सिर्फ एक साल तक कायम रहती है तो बाकी कोरोना वायरसों की तरह सालाना तौर पर इस महामारी की वापसी हो सकती है.
– शोधकर्ता लिपसिच ने कहा, इस बात की ज्यादा संभावनाएं हैं कि दुनिया को करीब एक साल के लिए आंशिक सुरक्षा हासिल हो जाए. जबकि वायरस के खिलाफ पूरी तरह सुरक्षा हासिल करने के लिए कई साल लग सकते हैं. फिलहाल, हम सिर्फ कयास ही लगा सकते हैं. सभी परिस्थितियों में ये बात तय है कि एक बार का लॉकडाउन कोरोना को खत्म करने के लिए काफी नहीं होगा. पाबंदियां हटते ही कोरोना वायरस का संक्रमण फिर से पैर पसार लेगा.
– यूनिवर्सिटी ऑफ रीडिंग में सेल्युलर माइक्रोबायोलॉजी के प्रोफेसर डॉ. सिमन क्लार्क ने द इंडिपेंडेट से बातचीत में कहा कि कोरोना वायरस के एंडगेम की तारीख बताना असंभव बात है. उन्होंने कहा, अगर कोई आपको कोरोना वायरस के अंत की तारीख बता रहा है तो इसका मतलब है कि वे क्रिस्टल बॉल देखकर भविष्यवाणी कर रहे हैं. सच्चाई तो यह है कि कोरोना वायरस फैल चुका है और अब यह हमारे साथ हमेशा के लिए रहने वाला है.
– साउथहैम्पटन यूनिवर्सिटी में ग्लोबल हेल्थ के शोधकर्ता माइकल हेड का कहना है कि कोरोना वायरस के बारे में कोई भी अंदाजा लगाना मुश्किल है. ये बिल्कुल नया वायरस है और दुनिया भर में महामारी का रूप धारण कर चुका है. उन्होंने कहा कि आने वाले कुछ महीनों में कोरोना वायरस संक्रमण के मामलों में गिरावट देखने को मिल सकती है. हालांकि, सर्दी के आते ही कोरोना वायरस के मामले फिर से बढ़ सकते हैं क्योंकि उस वक्त फ्लू भी दस्तक दे देगा.
– इंपीरियल कॉलेज लंदन के प्रोफेसर नील फार्ग्युसन के मुताबिक, सोशल डिस्टेंसिंग जैसे कदम संक्रमण की धीमी रफ्तार के लिए बहुत जरूरी हैं.जब तक वैक्सीन नहीं आ जाती, तब तक बड़े पैमाने पर सोशल डिस्टेंसिंग की जरूरत बनी रहेगी. कॉलेज की ही एक रिपोर्ट में अनुमान लगाया गया है कि कोरोना वायरस की वैक्सीन बनने में करीब 18 महीनों का वक्त लग सकता है.
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