Connect with us

featured

बलिया में नगर पंचायत चुनाव के समीकरण क्या हैं ?

Published

on

किसी भी खेल में फाइनल मुकाबले से तय होता है कि ताज किसके सिर पर सजेगा। लेकिन उससे पहले सेमीफाइनल खेलना होता है ताकि ताज की अंतिम लड़ाई में हिस्सा लिया जा सके। खेलों के जानकार ये भी मानते हैं कि फाइनल का आधा निर्णय तो सेमीफाइनल में ही हो जाता है। सियासत के खेल में भी नियम यही लागू होते हैं। 2024 का लोकसभा चुनाव अपनी डोली सजा चुका है। लेकिन उससे पहले देश के सबसे बड़े सूबे उत्तर प्रदेश में होने हैं नगर पंचायत के चुनाव। जिसे सेमीफाइनल के तौर पर देखा जा रहा है। तो नगर पंचायत चुनावों पर यहां बात होगी बलिया ज़िले के लिहाज़ से।

बलिया में कुल 10 नगर पंचायतें हैं। पहले ये संख्या 8 थी। लेकिन इस बार रतसर और नगरा को भी नगर पंचायत बनाया गया है। नगरा नगर पंचायत 3 ग्राम पंचायत नगरा, चचयां और भंडारी को मिलाकर अस्तित्व में आई है। तो वहीं रतसर कलां के साथ रतसर खुर्द, छतवां, जिगनहरा, सुहवां, सरभारी खुर्द, टड़वा और किरत पट्टी गांव को मिलाकर रतसर कलां नगर पंचायत बनाई गई। इस बार के नगर पंचायत चुनाव में पहली बार नगरा और रतसर का चुनाव होगा।

नगर पंचायत और अध्यक्ष:

चितबड़ागांव, नगर पंचायत अध्यक्ष है केशरी नंद। सिकंदरपुर से अध्यक्ष हैं रविंद्र प्रसाद। बेल्थरा रोड से दिनेश हैं। शांति देवी हैं बैरिया की नगर पंचायत अध्यक्ष। बांसडीह से रेनू हैं। मनियर से हैं भीम। जयश्री रेवती की नगर पंचायत अध्यक्ष हैं। सरिता सहतवार से नगर पंचायत अध्यक्ष हैं।

8 में से 5 नगर पंचायतों में भारतीय जनता पार्टी यानी भाजपा काबिज है। बेल्थरा रोड, मनियर, बैरिया, बांसडीह और सिकंदरपुर। ये वो सीटें हैं जहां पिछले चुनाव में भाजपा के प्रत्याशियों की जीत हुई थी। हालांकि बांसडीह से नगर पंचायत अध्यक्ष रेनू ने चुनाव समाजवादी पार्टी यानी सपा से जीता था। लेकिन बाद में उन्होंने भाजपा का दामन थाम लिया। बहुजन समाज पार्टी यानी बसपा के पास चितबड़ागांव है। सपा-प्रसपा गठबंधन की उम्मीदवार सरिता ने सहतवार से जीत हासिल की थी। लेकिन अब सपा और शिवपाल यादव की पार्टी प्रसपा का गठबंधन टूट चुका है। रेवती की नगर पंचायत अध्यक्ष जयश्री ने बतौर निर्दलीय प्रत्याशी जीत हासिल की थी।

नगर पंचायत के समीकरण:

पिछले चुनाव में भाजपा ने सभी दलों को क्लीन स्वीप किया था। लेकिन अब बलिया के समीकरण पूरी तरह बदल चुके हैं। बलिया में भाजपा के कई बड़े चेहरे अलग हो चुके हैं। इसी साल हुए विधानसभा चुनावों में भाजपा को 7 में से सिर्फ 2 सीटों पर जीत मिली। बलिया नगर और बांसडीह रोड के अलावा सभी 5 सीटों पर भाजपा को करारी शिकस्त मिली थी। 2017 के विधानसभा चुनाव में भाजपा ने बलिया की 5 सीटों पर जीत का परचम लहराया था। लेकिन 2022 में भाजपा 5 सीटें हार गई। यहां तक कि योगी सरकार में मंत्री रहे उपेंद्र यादव और आनंद स्वरूप शुक्ला भी अपनी सीटें बचा नहीं पाए।

2022 विधानसभा चुनाव में जरूर भाजपा को पूर्ण बहुमत मिला। उत्तर प्रदेश में भाजपा गठबंधन की सरकार बनी। लेकिन बलिया का नतीजा कुछ अलग ही कहानी बयां कर रहा है। सियासी जानकार कहते हैं कि बलिया में स्थानीय मुद्दे और भाजपा का कमजोर होना, इन दोनों ने मिलकर चुनावी परिणाम को पकाया। हालांकि नगर पंचायत चुनाव इस बार काफी गहगहमी भरी होगी। 2024 से पहले एक टेस्ट की तरह लिया जाएगा इसे। हर पार्टी अपनी पूरी ताकत लगाएगी। लेकिन चुनाव नगर पंचायत का है। तो एक बार फिर स्थानीय मुद्दे हावी रहेंगे। तो देखने वाली बात होगी कि क्या ये स्थानीय मुद्दे विधानसभा चुनाव की तरह ही नगर पंचायतों का भी समीकरण पलट देंगे?

पाठकों ज़रा ध्यान दें: बलिया ख़बर ज़िले की हर सियासी घटनाक्रम को पुख्ता तरीके से कवर करता है। आप खुद इस बात पर मुहर लगा चुके हैं। नगर पंचायत चुनाव को लेकर भी हम पूरी गंभीरता से रिपोर्टिंग करने जा रहे हैं। आपके पास कोई चुनावी किस्सा हो, मुद्दा हो या कोई खास बात हो तो हमें बताएं। उसे बलिया ख़बर पर प्रमुखता से जगह दी जाएगी। सबसे जरूरी बात कोई सुझाव हो तो हमें बताना बिल्कुल ना भूलें।

featured

बलिया में दूल्हे पर एसिड अटैक, पूर्व प्रेमिका ने दिया वारदात को अंजाम

Published

on

बलिया के बांसडीह थाना क्षेत्र में एक हैरान कर देने वाले घटना सामने आई हैं। यहां शादी की रस्मों के दौरान एक युवती ने दूल्हे पर तेजाब फेंक दिया, इससे दूल्हा गंभीर रूप से झुलस गया। मौके पर मौजूद महिलाओं ने युवती को पकड़ कर पुलिस के हवाले कर दिया। फिलहाल पुलिस बारीकी से पूरे मामले की जांच कर रही है।

बताया जा रहा है की घटना को अंजाम देने वाली युवती दूल्हे की पूर्व प्रेमिका है। उसका थाना क्षेत्र के गांव डुमरी निवासी राकेश बिंद के साथ बीते कई वर्ष से प्रेम प्रसंग चल रहा था। युवती ने युवक से शादी करने का कई बार दबाव बनाया, लेकिन युवक ने शादी करने से इन्कार कर दिया। इस मामले में कई बार थाना और गांव में पंचायत भी हुई, लेकिन मामला सुलझा नहीं।

इसी बीच राकेश की शादी कहीं ओर तय हो गई। मंगलवार की शाम राकेश की बारात बेल्थरारोड क्षेत्र के एक गांव में जा रही थी। महिलाएं मंगल गीत गाते हुए दूल्हे के साथ परिछावन करने के लिए गांव के शिव मंदिर पर पहुंचीं। तभी घूंघट में एक युवती पहुंची और दूल्हे पर तेजाब फेंक दिया। इस घटना से दूल्हे के पास में खड़ा 14 वर्षीय राज बिंद भी घायल हो गया। दूल्हे के चीखने चिल्लाने से मौके पर हड़कंप मच गया। आनन फानन में दूल्हे को अस्पताल ले जाया गया, जहां उसका इलाज किया जा रहा है।

मौके पर पहुंची पुलिस युवती को थाने ले गई और दूल्हे को जिला अस्पताल भेज दिया। थानाध्यक्ष अखिलेश चंद्र पांडेय ने कहा कि तहरीर मिलने पर कार्रवाई की जाएगी।

Continue Reading

featured

कौन थे ‘शेर-ए-पूर्वांचल’ जिन्हें आज उनकी पुण्यतिथि पर बलिया के लोग कर रहे याद !

Published

on

‘शेर-ए-पूर्वांचल’ के नाम से मश्हूर दिग्गज कांग्रेस नेता बच्चा पाठक की आज 7 वी पुण्यतिथि हैं. उनकी पुण्यतिथि पर जिले के सभी पक्ष-विपक्ष समेत तमाम बड़े नेताओं और इलाके के लोग नम आंखों से उन्हें श्रद्धांजलि दे रहे हैं.  1977 में जनता पार्टी की लहर के बावजूद बच्चा पाठक ने जीत दर्ज की जिसके बाद से ही वो ‘शेर-ए-बलिया’ के नाम से जाने जाने लगे. प्रदेश सरकार के पूर्व मंत्री बच्चा पाठक लगभग 50 सालों तक पूर्वांचल की राजनीति के केन्द्र में रहे.
रेवती ब्लाक के खानपुर गांव के रहने वाले बच्चा पाठक ने राजनीति की शुरूआत डुमरिया न्याय पंचायत के संरपच के रूप में साल 1956 में की. 1962 में वे रेवती के ब्लाक प्रमुख चुने गये और 1967 में बच्चा पाठक ने बांसडीह विधानसभा से पहली बार विधायक का चुनाव लड़ा लेकिन उन्हें बैजनाथ सिंह से हार का सामना करना पड़ा. दो साल बाद 1969 में फिर चुनाव हुआ और कांग्रेस प्रत्याशी के रूप में बच्चा पाठक ने विजय बहादुर सिंह को हराकर विधानसभा का रुख़ किया. यहां से बच्चा पाठक ने जो राजनीतिक जीवन की शुरुआत की तो फिर कभी पलटकर नहीं देखा.
बच्चा पाठक की राजनीतिक पैठ 1974 के बाद बनी जब उन्होंने जिले के कद्दावर नेता ठाकुर शिवमंगल सिंह को शिकस्त दी. यही नहीं जब 1977 में कांग्रेस के खिलाफ पूरे देश में लहर थी तब भी बच्चा पाठक ने पूरे पूर्वांचल में एकमात्र अपनी सीट जीतकर सबको अपनी लोकप्रियता का लोहा मनवा दिया था. तब उन्हें ‘शेर-ए-पूर्वांचल का खिताब उनके चाहने वालों ने दे दिया.  1980 में बच्चा पाठक चुनाव जीतने के बाद पहली बार मंत्री बने. कुछ दिनों तक पीडब्लूडी मंत्री और फिर सहकारिता मंत्री बनाये गये.
बच्चा पाठक ने राजनीतिक जीवन में हार का सामना भी किया लेकिन उन्होंने कभी जनता से मुंह नहीं मोड़ा. वो सबके दुख सुख में हमेशा शामिल रहे. क्षेत्र के विकास कार्यों के प्रति हमेशा समर्पित रहने वाले बच्चा पाठक  कार्यकर्ताओं या कमजोरों के उत्पीड़न पर अपने बागी तेवर के लिए मशहूर थे. इलाके में उनकी लोकप्रियता और पैठ का अंदाज़ा इसी बात से लगाया जा सकता है कि वे सात बार बांसडीह विधानसभा से विधायक व दो बार प्रदेश सरकार में मंत्री बने. साल 1985 व 1989 में चुनाव हारने के बावजूद उन्होंने अपना राजनीतिक कार्य जारी रखा. जिसके बाद वो  1991, 1993, 1996 में फिर विधायक चुनकर आये. 1996 में वे पर्यावरण व वैकल्पिक उर्जा मंत्री बनाये गये.
राजनीति के साथ बच्चा पाठक शिक्षा के क्षेत्र में सक्रिय रहे. इलाके की शिक्षा व्यवस्था सुधारने के लिए बच्चा पाठक ने लगातार कोशिश की. उन्होंने कई विद्यालयों की स्थापना के साथ ही उनके प्रबंधक रहकर काम भी किया.
Continue Reading

featured

ब्राह्मण बहुल बलिया लोकसभा सीट से सपा ने सनातन पांडेय को दिया टिकट

Published

on

लोकसभा चुनाव का मंच सज चुका है. एकाध राउंड का प्रदर्शन (वोटिंग) भी हो चुका है. इस बीच बलिया लोकसभा सीट की गर्माहट भी बढ़ गई है. क्योंकि लंबे इंतज़ार के बाद आख़िरकार समाजवादी पार्टी ने अपने पत्ते खोल दिए हैं. सपा ने ब्राह्मण बहुल बलिया सीट से सनातन पांडेय को लोकसभा उम्मीदवार बनाया है.

भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) ने यहां से पूर्व प्रधानमंत्री चंद्रशेखर के बेटे और राज्यसभा सांसद नीरज शेखर को टिकट दिया है. नीरज शेखर के सामने सनातन पांडेय को मैदान में उतारना ‘नहले पर दहला’ जैसा दांव माना जा रहा है. सनातन पांडेय 2019 में भी बलिया से सपा के उम्मीदवार थे. तब बीजेपी के वीरेंद्र सिंह ‘मस्त’ मैदान में थे. उस चुनाव में वीरेंद्र सिंह के हाथों सनातन पांडेय को शिकस्त मिली थी. लेकिन दोनों के बीच महज 15 हजार 519 वोटों का फासला था.

2024 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी ने अपना प्रत्याशी बदल दिया. उनकी जगह लाए गए नीरज शेखर. ऐसे में सभी की निगाहें इस बात पर टिकी थीं कि सपा बलिया से किसे टिकट देती है. सनातन पांडेय के नाम को लेकर चर्चाएं पहलें से ही तेज़ थीं और अब हुआ भी ऐसा ही है.

ब्राह्मण बहुल बलिया सीट:

सनातन पांडेय और बलिया के चुनावी इतिहास में पर एक नज़र डालेंगे लेकिन पहले बात करते हैं जातीय समीकरण के बारे में. क्योंकि इस बार का खेल इसी समीकरण से सेट होता दिख रहा है. बलिया की कुल आबादी करीब 25 लाख है. मतदाता हैं करीब-करीब 18 लाख. इनमें सबसे ज्यादा वोट ब्राह्मण समुदाय का है. तीन लाख ब्राह्मण वोटर्स हैं. राजपूत, यादव और दलित वोटर लगभग ढाई-ढाई लाख हैं. इसके बाद मुस्लिम मतदाता हैं एक लाख. भूमिहार और राजभर जाति के वोट भी प्रभावी हैं.

यूपी में बीजेपी को लेकर 2017 के बाद से ब्राह्मण विरोधी होने का आरोप लगता रहा है. योगी आदित्यनाथ के मुख्यमंत्री बनने के बाद ये आरोप लगने शुरू हुए हैं. विपक्षी पार्टियां गाहे-बगाहें ब्राह्मणों के ख़फ़ा होने का दावा करती हैं. ऐसे में इस सीट से सपा ने एक ब्राह्मण प्रत्याशी उतारकर पर्सेप्शन की लड़ाई में तो बाज़ी मार ली है.

‘सनातन’ की सियासत:

साल 1996. गन्ना विभाग के इंजीनियर सनातन पांडेय ने नौकरी से इस्तीफा दे दिया. क्योंकि सिर पर सियासत का खुमार सवार हो गया था इस्तीफे के बाद पहली बार 2002 में उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनाव हो रहा था. सनातन पांडेय ने निर्दलीय ताल ठोक दिया. लेकिन उनके हिस्से आई हार. इसके बाद उन्होंने सपा ज्वाइन कर लिया.

साल 2007. उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनाव हो रहे थे. सपा ने चिलकहर सीट से सनातन पांडेय को टिकट दिया. वे चुनाव लड़े और नतीजे उनके पक्ष में रहे. पांच साल बाद 2012 में फिर विधानसभा चुनाव हो रहे थे. तब तक चिलकहर विधानसभा सीट को समाप्त कर दिया गया था. पार्टी ने उन्हें रसड़ा से टिकट दिया. इस बार उन्हें हार का सामना करना पड़ा. इस चुनाव में बहुजन समाज पार्टी (बसपा) के उमाशंकर सिंह की जीत हुई थी.

2012 में यूपी में सपा की सरकार बनी. रसड़ा से हारने के बावजूद सनातन पांडेय को मंत्री पद मिला था. 2017 में भी उन्होंने रसड़ा से चुनावी मैदान में ताल ठोकी थी, लेकिन इस बार वे तीसरे नंबर पर खिसक गए थे.

2007 के बाद से चुनावी सियासत में सूखे का सामना कर रहे सनातन पांडेय के लिए 2024 लोकसभा चुनाव का स्टेज सेट है. इस बार उनके पास एक बड़ा मौका है सियासी ज़मीन पर झमाझम बारिश कराने की. ये बारिश कितनी मूसलाधार होगी और कौन-कितना सराबोर होगा, इसके लिए 4 जून की तारीख़ का इंतज़ार है.

Continue Reading

TRENDING STORIES

error: Content is protected !!