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बलिया- बदहाली में जी रहे मनरेगा मजदूर, रोजगार के अभाव में तंगहाली के शिकार

बलिया
केन्द्र सरकार की महत्वाकांक्षी योजना मनरेगा वर्तमान समय में निरर्थक साबित हो रही है सरकार ने जिन उद्देश्यों को लेकर इस योजना की शुरूआत की थी। उन उद्देश्यों पर पानी फिरता नजर आ रहा है।

सरकार ने अकुशल मजदूरों को रोजगार उपलब्ध कराने के उद्देश्य से इस योजना का शुभारम्भ किया था। लेकिन आज न तो मनरेगा मजदूरों को न तो काम मिल रहा है और ना ही उनकी मजदूरी में वाजिब बढ़ोत्तरी की जा रही है। इस योजना में निहित प्राविधान के अनुरूप मनरेगा मजदूरों को एक साल में एक सौ दिन रोजगार मिलना चाहिए। लेकिन हो रहा है ठीक इसके विपरित।

यानी मनरेगा मजदूरों को न तो काम दिया जा रहा है और ना ही शासन-प्रशासन द्वारा उनकी सुधि ली जा रही है। नतीजा यह है कि मनरेगा मजदूर रोजगार के अभाव में आर्थिक तंगहाली का शिकार हो रहे है।

जानकारी हो कि ग्राम पंचायत, क्षेत्र पंचायत एवं जिला पंचायत के माध्यम से कराये जाने वाले विकास कार्य मनरेगा मजदूरों से कराये जाने का प्रावधान मनरेगा में निहित हैं। लेकिन उक्त तीनों संस्थाओं द्वारा मनरेगा मजदूरों की अनदेखी कर ट्रैक्टर, जे.सी.बी. आदि के माध्यम से कराया जा रहा है और मस्टर रोल पर फर्जीतरीके से मनरेगा मजदूरों के नाम अंकित कर उनके नाम पर आहरित मजदूरी की धनराशि को संस्था प्रमुख एवं सम्बन्धित अधिकारी मिली भगत कर हड़प जाते है।

वैसे विगत कुछ वर्षों से सरकार द्वारा मनरेगा मजदूरों की मजदूरी की धनराशि उनके खातों में भेजने का प्रावधान जरूर कर दिया गया है। इसके वावजूद संस्था प्रमुख एवं अधिकारी अधिकॉश मनरेगा मजदूरों के जाब कार्ड एवं बैंक खाता पासबुक किसी न किसी जाँच के बहाने अपने कब्जे में ले रखे हैं तथा समय-समय पर मनरेगा मजदूरों को प्रलोभन देकर उन्हें अपनी गिरफ्त में लेकर सम्बन्धित बैंक से उनके खाते में आयी मजदूरी की धनराशि की निकासी करवाकर उसे हड़प लेते है तथा इसके बदले में उन्हें चन्द रूपये देकर उनका मुँह बन्द कर देते है। बेचारे मनरेगा मजदूर सब कुछ जानते हुए संस्था प्रमुख अथवा अधिकारियों के खिलाफ मुँह नहीं खोल पाते।

जनपद में सैकड़ों ग्राम प्रधान ऐसे हैं जो मनरेगा मजदूरों के जाब कार्ड व बैंक खाता पास बुक अपने कब्जे में रखे हुए है। आज स्थिति यह है कि गाँवों में बनने वाली सड़कों पर मिट्टी भराई का कार्य मनरेगा मजदूरों के माध्यम से कराने के वजाय ट्रैक्टर टाली व जे.सी.बी0 से कराया जा रहा है, लेकिन सरकारी अभिलेखों में उन सड़कों का निर्माण कार्य मनरेगा मजदूरों के माध्यम से कराया जाना दर्शाया जा रहा है। यही कारण है कि मनरेगा गड़बड़ झाले का शिकार होकर निरर्थक साबित हो रही है और रोजी रोटी से वंचित हो रहे हैं बेचारे मनरेगा मजदूर।

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