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नरहीं सीएचसी पर लापरवाही का आलम, बंद रहा पर्ची काउंटर, भटकते रहे मरीज

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बलिया के नरहीं सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में अव्यवस्थाओं का अंबार लगा हुआ है। न तो यहां समय पर डॉक्टर आते, न मरीजों का ठीक से उपचार किया जाता है। बुधवार दोपहर फिर लापरवाही का आलम नजर आया।
दोपहर 2 बजे तक अस्पताल का पर्ची काउंटर खुला, मरीज इलाज के लिए इधर-उधर भटकते रहे। यहां तक कि ओपीडी में तक डॉक्टर मौजूद नहीं थे। आधा दिन निकलने के बाद भी फार्मासिस्ट गायब थे। ऐसे में मरीज दिन भर परेशान होते रहे।
बता दें कि करोड़ों की लागत से 30 बेड वाले अस्पताल को निर्माण किया गया था लेकिन इसके बनने से लोगों को नाममात्र का भी फायदा नहीं हुआ। इस अस्पताल में आधा दर्जन डॉक्टरों की तैनाती है लेकिन उनमें से अधिकतर डॉक्टर अस्पताल से गायब मिलते हैं। अस्पताल आने का समय सुबह 10 बजे हैं लेकिन बुधवार को 2 बजे तक भी डॉक्टर नहीं आए।
पर्चा काउंटर भी बंद था, फार्मासिस्ट नदारद मिले। इस दौरान कई लोग अस्पताल पहुंचे लेकिन अव्यवस्था के चलते उन्हें बिना इलाज ही लौटना पड़ा। इस संबंध में सीएचसी अधीक्षक डॉ वेंकेटेश ने बताया कि अस्पताल पर सभी कर्मचारी तैनात हैं। हो सकता है कि थोड़ी देर के लिए भोजन करने चले गए हों।
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बलिया – कार एक्सीडेंट में SSB जवान की मौत, छुट्टियों में अपने घर आए थे संतोष सिंह

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बलिया में शनिवार को सड़क हादसे में एसएसबी जवान की मौत हो गई। जहां रानीगंज बाजार से अपने घर रामनगर लौटते समय सोनबरसा-दलनछपरा मार्ग पर एसएसबी जवान की कार पेड़ से टकरा गई। हादसे के बाद भारी संख्या में लोग मौके पर पहुंचे और पुलिस को सूचना दी। पुलिस ने जवान का शव कर से बाहर निकाला।

बताया जा रहा कि एसएसबी जवान संतोष कुमार सिंह छुट्टी पर अपने घर आये थे। शनिवार को वे अपने पालतू कुत्ते को कार में बैठाकर बाजार आये थे। बाजार में खरीदारी कर वापस लौटते समय उनकी कार बेकाबू होकर भगवानपुर गांव के पास सड़क किनारे पेड़ से टकरा गई। टक्कर इतनी जोरदार थी कि कार के परखच्चे उड़ गए। जिससे संतोष सिंह और उनके पालतू कुत्ते की मौके पर मौत हो गई थी।

वहीं मौके पर पहुंची दोकटी पुलिस ने जेसीबी बुलाकर गाड़ी को पेड़ से अलग कराया। फिर कटर से काटकर संतोष सिंह और कुत्ते का शव बाहर निकाला। संतोष सिंह अपने मां बाप की इकलौते थे। संतोष सिंह की तैनाती एसएसबी गोरखपुर में थी। संतोष सिंह की मौत से परिवार में कोहराम मच गया। थानाध्यक्ष मदन पटेल ने बताया कि शव को पोस्टमॉर्टम के लिए भेजा गया है।

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बलिया में बनाया जाएगा नाइट वेंडिंग जोन, कवायद में जुटा प्रशासन

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बलिया में अब नाइट वेंडिंग जोन बनाया जाएगा। चंद्रशेखर उद्यान के सामने के इनाके को नाइट वेंडिंग जोन की तर्ज पर विकसित किया जाएगा। प्रशासनिक अमला इस जोन को बनाने की कवायद में जुट गया है।

यहां चार जोन बनाएं जाएंगे। एक को फूड, दूसरे को फ्रूट, तीसरे को वेजीटेबल और चौथे को साइकिल जोन के तौर पर विकसित किया जाएगा। पहले और दूसरे जोन में जहां खाने-पीने के चीजों की दुकाने लगेंगी तो वहीं तीसरे जोन में लोगों को हरी व ताजी सब्जियां मुहैया कराई जाएंगी। जबकि चौथे जोन में आगंतुकों के वाहनों को खड़ा करने के लिए स्टैंड की सुविधा उपलब्ध कराई जाएगी।

बता दें कि नगर में फिलहाल इस प्रकार का कोई पार्क नहीं है, जहां लोग परिवार के साथ मस्ती के साथ-साथ खाने-पीने की चीजों का लुत्फ उठा सकें। जिसके चलते लोग बच्चों के साथ कहीं भी मनोरंजन करने नहीं जा पाते है। ऐसे में अब जिले में नाइट वेंडिंग जोन बनाया जाएगा।यहां बच्चों के लिए मस्ती के अलावा फुटपाथ पर खाने-पीने की चीजों की दुकानें लगेगी। जहां लोग परिवार के साथ मौज-मस्ती कर सकेंगे। चंद्रशेखर उद्यान में बच्चों के खेलने कूदने का पूरा इंतजाम किया जाएगा। इतना ही नहीं, पार्क में म्यूजिक सिस्टम भी लगाया जाएगा। आकर्षक लाइटों से पार्क को सजाया- संवारा जाएगा। जिला प्रशासन के साथ-साथ नगर पालिका प्रशासन योजना को मूर्तरूप देने की कवायद में जुटा हैं।

बलिया नगर पालिका परिषद इओ प्रकाश सिंह का कहना है कि शहर में नाइट वेंडिंग जोने बनाने के लिए शासन से पहले से ही निर्देश प्राप्त है। इसे मूर्त रूप देने की कवायद तेजी से चल रही है।

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निर्माण के 6 साल बाद शुरू होगा बलिया का ट्रामा सेंटर

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बलिया में 6 साल पहले बनकर तैयार हुए ट्रामा सेंटर को जल्द करने की कवायद तेज हो गई है। इस ट्रामा सेंटर में अब जल्द ही गंभीर मरीजों का इलाज होगा। इससे जिले के रहवासियों को काफी ज्यादा सुविधा मिलेगा।

बता दें कि शासन ने बलिया सहित 10 जिलों में बने ट्रामा सेंटरों को शुरू करने का फैसला किया है। इस फैसले के अनुसार काम भी शुरू कर दिया गया है। जिला अस्पताल परिसर में साल 2016 में बनकर तैयार ट्रामा सेंटर में हड्डी, सर्जन और फिजिशियन, मनोरोग चिकित्सक की ओपीडी चल रही है।इस ट्रामा सेंटर में आधुनिक उपकरण हैं, लेकिन आईसीयू वार्ड और अन्य चिकित्सकीय सुविधाएं नहीं है। इधर पूरे जिलेभर में डॉक्टरों की भारी कमी है। लिहाजा अस्पताल प्रशासन विशेषज्ञ चिकित्सकों और कर्मचारियों की कमी का रोना रो रहा है।

इस परेशानी को देखते हुए अब ग्रामीण क्षेत्रों के सीएचसी व पीएचसी पर तैनात एनेस्थीसिया (बेहोशी), सर्जन व हड्डी रोग चिकित्सक, नर्स व अन्य कर्मचारियों की तैनाती ट्रामा सेन्टर पर की जाएगी। कुछ माह पूर्व शासन द्वारा ट्रामा सेंटर के लिए हड्डी रोग विशेषज्ञ डा. गौरव राय व डा. मल्ल व एक ईएमओ डा. पंकज कुमार सहित चार चार डॉक्टर मिले हैं।

सीएमओ स्तर से 13 स्टाप नर्स, 10 वार्ड ब्वाय, एक डीआरए, दो एक्स-रे टेक्निशियन को जिला अस्पताल को दिया गया हैं। अन्य व्यवस्था मिलते ही ट्रामा सेंटर शुरू हो जाएगा। अस्पताल प्रशासन ने ट्रामा सेन्टर में 24 घंटे गम्भीर मरीजों के इलाज की सुविधा शुरू करने के लिए आईसीयू वार्ड, विशेषज्ञ चिकित्सक, एनेस्थीसिया व अन्य स्टाप की मांग शासन को भेजा है।इस ट्रामा सेंटर के शुरू हो जाने से सड़क दुर्घटना और अन्य गंभीर मरीजों को इलाज के लिए वाराणसी व अन्य महानगरों में जाने से छुटकारा मिलेगा। जिला मुख्य चिकित्साधिकारी डॉक्टर जयंत कुमार का कहना है कि ट्रामा सेंटर शुरू करने के लिए अस्पताल प्रशासन के पास प्रर्याप्त चिकित्सक व स्टाफ मौजूद है। अगर और चिकित्सक व कर्मचारियों की कमी है तो मांग करें, उन्हें उपलब्ध कराया जाएगा।

जिला अस्पताल सीएमएस डॉक्टर दिवाकर सिंह का कहना है कि ट्रामा सेंटर को आंशिक रूप से संचालित किया जा रहा हैं। शासन से आईसीयू व अन्य संसाधन व कर्मचारी बढ़ाने की मांग की गई है। मिलते ही सभी चिकित्सकीय सुविधाएं मिलने लगेगी।

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