बसपा प्रमुख मायावती ने पार्टी के संविधान में बड़े बदलाव किए हैं जिसकी उन्होंने शनिवार को घोषणा की. अब बसपा में जो भी राष्ट्रीय अध्यक्ष होगा उसका कोई भी रिश्तेदार किसी विशेष पद पर नहीं रहेगा, वह साधारण कार्यकर्ता के तौर पर पार्टी की सेवा करेगा.
पार्टी संविधान में बदलाव की घोषणा करते हुए मायावती ने कहा, ‘अभी मैं अगले लगभग 20-22 वर्षों तक खुद ही आगे और सक्रिय रहकर पार्टी की गतिविधियों को आगे बढ़ाती रहूंगी. अब ऐसे में अगले लगभग 20-22 वर्षों तक पार्टी में किसी को भी पार्टी का मुखिया बनने का सपना नहीं देखना चाहिए और न ही किसी को अभी मेरा उत्तराधिकारी बनने का भी सपना देखना चाहिए.’
मायावती ने अपने भाई आनंद कुमार को बसपा के उपाध्यक्ष पद से हटा दिया है. उन्होंने इसकी वजह बताते हुए कहा, ‘लोकसभा चुनाव के बाद पार्टी के कामकाज को देखने के लिए आनंद कुमार को उपाध्यक्ष बनाया था, लेकिन हमारी पार्टी के भीतर भी कांग्रेस की तरह परिवारवाद की चर्चा शुरू हो गई थी. लोगों ने आनंद कुमार की तर्ज पर अपने नाते रिश्तेदारों को रखने की सिफारिश शुरू कर दी थी. कई सिफारिश तो सीधे मेरे तक पहुंचने लगी. ऐसे में पार्टी को मूवमेंट से डिगता देख आनंद कुमार ने खुद ही पद छोड़ने की इच्छा जताई जिसे मैंने स्वीकार कर लिया और अब वह राष्ट्रीय उपाध्यक्ष नहीं रहेंगे.’
पार्टी में नहीं चलेगा परिवारवाद
मायावती ने बताया, ‘मुझे खुद को भी मिलाकर तथा मेरे बाद अब आगे भी बसपा का जो भी ‘राष्ट्रीय अध्यक्ष’ बनाया जायेगा तो फिर उसके जीते-जी व ना रहने के बाद भी उसके परिवार के किसी भी नजदीकी सदस्य को पार्टी संगठन में किसी भी स्तर के पद पर नहीं रखा जाएगा, यानी उनके परिवार के सदस्य बिना किसी पद पर बने रहकर और एक साधारण कार्यकर्ता के रूप में ही केवल अपनी निःस्वार्थ भावना के साथ ही पार्टी में कार्य कर सकते है.’
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