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बलिया स्पेशल

अब बीएससी, कामर्स की पढ़ाई के लिए नहीं जाना पड़ेगा जिला मुख्यालय…..

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बैरिया. द्वाबा के मालवीय स्व.मैनेजर सिंह के शिष्य बैरिया विधायक सुरेंद्र नाथ सिंह भी अपने गुरु के पद चिह्न पर चलते हुए वैश्विक महामारी में भी विकास की आधारशिला रखकर अपने विधानसभा के विकास के लिए तत्पर रह रहे हैं. इस दौरान विधायक सुरेंद्र सिंह ने बताया कि बैरिया विधान सभा का सर्वांगीण विकास व यहां के आम लोगों के चेहरे पर खुशहाली ही मेरे राजनैतिक जीवन का उद्देश्य है. इसके लिए पिछले तीन सालों से लगातार प्रयास कर रहा हूं. ईश्वर की कृपा और आप सभी के सहयोग व समर्थन के चलते मुझे लगातार सफलता भी मिल रही है. इसी का सार्थक परिणाम है कि लगभग आठ करोड़ रुपये की लागत से राजकीय महाविद्यालय का निर्माण कार्य पूर्व सांसद स्व.राधा मोहन सिंह व स्व. डॉ.बलदेव उपाध्याय की धरती पर होने जा रहा है. यह हम सभी के लिए गर्व की बात है. आज का दिन इन लोगों के लिए ऐसे कार्यों को कराकर इनके प्रति सच्ची श्रद्धांजलि होगी. निर्माण कार्य पूर्ण होने के उपरांत इस महाविद्यालय में बीएससी की पढ़ाई होगी. उसके बाद आने वाले दिनों में कामर्स व कला वर्ग की पढ़ाई के लिये इस क्षेत्र के बच्चों को जिला मुख्यालय नहीं जाना पड़ेगा.
उक्त बातें अपने संक्षिप्त संबोधन में विधायक सुरेंद्र सिंह रविवार को सोनबरसा में अवस्थित जीजीआईसी के बगल में राजकीय महाविद्यालय के भूमि पूजन के उपरांत के बाद आयोजित कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा. उन्होंने कहा कि साइकिल पर चलने वाले इस अध्यापक को बैरिया की जनता ने उस समय विधायक बनाया, जब विरोधी पार्टी के बाहुबली व धनबलि चुनाव मैदान में थे. बैरिया विधान सभा का इस ऋण को चुकाने के लिए दिनरात प्रयास में लगा हूं. विधायक ने कहा कि दुबारा मैं विधायक बनूं या न बनू यह मेरे लिए महत्वपूर्ण नहीं है, महत्वपूर्ण हैं यहां की जनता की सेवा और इसके लिए लगातार भ्रष्टाचारियों, बेईमानों व अत्याचारियों के खिलाफ लड़ाई लड़ता रहूंगा. उन्होंने बैरिया के एसडीएम पर कई गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि लॉकडाउन के उपरांत इस संदंर्भ में मैं विधिवत विचार विमर्श कर आगे की रणनीति बनाई जाएगी. श्री सिंह ने कहा कि गंगा की धारा मोड़ने के लिए मुख्यमंत्री जी ने 100 करोड़ रुपये मंजूर किए हैं.इसकी सूचना सिंचाई मंत्री धर्मपाल सिंह ने मेरे मोबाइल फोन पर दी है.अब गंगापुर,सुघरछरा,दुबेछपरा सहित द्वाबा में गंगा से हो रहे कटान से स्थाई निदान मिल जाने की उम्मीद है.
जल्द बनेगा पालिटेक्निक कालेज
विधायक सुरेन्द्र सिंह ने कहा कि जल्द ही दयाछपरा में पालिटेक्निक कालेज व नौरंगा में राजकीय इंटर कालेज के लिए भूमि पूजन किया जाएगा. इसके लिए भी धन स्वीकृत हो चुका है. क्षेत्र की 80 प्रतिशत सड़कों को मैंने गड्ढामुक्त करा दिया है.शेष इस साल हो जाएगा.भाजपा के जिलाध्यक्ष जयप्रकाश साहू ने इस कार्य के लिए विधायक के प्रयास को सराहा.वहीं मुख्यमंत्री के प्रति आभार व्यक्त किया.कार्यक्रम को पूर्व जिलाध्यक्ष विजय बहादुर सिंह,मंटू बिंद जिला उपाध्यक्ष विजय बहादर सिंह, वीरेंद्र शर्मा,तारकेश्वर गोड़,परशुराम सिंह,वीरेद्र यादव,राजेन्द्र सिंह,अमित सिंह,राधेश्याम पांडेय,डब्लू सिंह सहित अन्य लोगों ने संबोधित किया.कार्यक्रम का संचालन हरिकंचन सिंह व अध्यक्षता मंडल अध्यक्ष रत्नेश सिंह ने किया.
इनसेट….
18 महीने में बनकर तैयार हो जाएगा महाविद्यालय
कार्यक्रम में मौजूद निर्माण निगम के परियोजना प्रबंधक राजीव सिंह ने बताया कि यह राजकीय महाविद्यालय 18 महीनों में बनकर तैयार हो जाएगा. कार्यक्रम में सहायक अभियंता ललन यादव, अवर अभियंता विनोद यादव, बीएस राय, व गोविंद कुमार भी मौजूद थे.जिन्होंने बताया कि यह महाविद्यालय चार मंजिला होगा,जिसमें 25 कमरे होंगे.क्लास रूम के अलावा प्रयोगशालाएं, शौचालय, संग्रहालय आदि भी महाविद्यालय में बनेंगे.
इनसेट….
सांसद का न रहना बना चर्चा का विषय
इस कार्यक्रम में सासंद विरेन्द्र सिंह मस्त का अपने क्षेत्र में रहने के बावजूद नहीं आना क्षेत्र में चर्चा का विषय बना हुआ हैं और स्थानीय लोगों ने भाजपा की आपसी विवाद व वर्चस्व की लड़ाई का मुख्य कारण पर चर्चा कर रहे थे.

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बलिया के चंद्रशेखर : वो प्रधानमंत्री जिसकी सियासत पर हमेशा हावी रही बगावत

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आज चन्द्रशेखर का 97वा जन्मदिन है….पूर्वांचल के ऐतिहासिक जिले बलिया के इब्राहिमपट्टी गांव में जन्म लेने वाले चंद्रशेखर ने प्रधानमंत्री बनने से पहले किसी राज्य या केंद्र में मंत्री पद नहीं संभाला था, लेकिन संसद से लेकर सड़क तक उनकी आवाज गूंजती थी. युवा तुर्क के नाम से मशहूर चंद्रशेखर की सियासत में आखिर तक बगावत की झलक मिलती रही.

बलिया के किसान परिवार में जन्मे पूर्व प्रधानमंत्री चंद्रशेखर ‘क्रांतिकारी जोश’ और ‘युवा तुर्क’ के नाम से मशहूर रहे हैं चन्द्रशेखर का आज 97वा जन्मदिन है. पूर्वांचल के ऐतिहासिक जिला बलिया के इब्राहिमपट्टी गांव में जन्म लेने वाले चंद्रशेखर ने प्रधानमंत्री बनने से पहले किसी राज्य या केंद्र में मंत्री पद नहीं संभाला था, लेकिन संसद से लेकर सड़क तक उनकी आवाज गूंजती थी. चंद्रशेखर भले ही महज आठ महीने प्रधानमंत्री पद पर रहे, लेकिन उससे कहीं ज्यादा लंबा उनका राजनीतिक सफर रहा है.

चंद्रशेखर ने सियासत की राह में तमाम ऊंचे-नीचे व ऊबड़-खाबड़ रास्तों से गुजरने के बाद भी समाजवादी विचारधारा को नहीं छोड़ा.चंद्रशेकर अपने तीखे तेवरों और खुलकर बात करने वाले नेता के तौर पर जाने जाते थे. युवा तुर्क के नाम से मशहूर चंद्रशेखर की सियासत में आखिर तक बगावत की झलक मिलती रही. बलिया के इब्राहिमपट्टी गांव में 17 अप्रैल 1927 को जन्मे चंद्रशेखर कॉलेज टाइम से ही सामाजिक आंदोलन में शामिल होते थे और बाद में 1951 में सोशलिस्ट पार्टी के फुल टाइम वर्कर बन गए. सोशलिस्ट पार्टी में टूट पड़ी तो चंद्रशेखर कांग्रेस में चले गए,

लेकिन 1977 में इमरजेंसी के समय उन्होंने कांग्रेस छोड़ दी. इसके बाद इंदिरा गांधी के ‘मुखर विरोधी’ के तौर पर उनकी पहचान बनी. राजनीति में उनकी पारी सोशलिस्ट पार्टी से शुरू हुई और संयुक्त सोशलिस्ट पार्टी व प्रजा सोशलिस्ट पार्टी के रास्ते कांग्रेस, जनता पार्टी, जनता दल, समाजवादी जनता दल और समाजवादी जनता पार्टी तक पहुंची. चंद्रशेखर के संसदीय जीवन का आरंभ 1962 में उत्तर प्रदेश से राज्यसभा के लिए चुने जाने से हुआ. इसके बाद 1984 से 1989 तक की पांच सालों की अवधि छोड़कर वे अपनी आखिरी सांस तक लोकसभा के सदस्य रहे.

1989 के लोकसभा चुनाव में वे अपने गृहक्षेत्र बलिया के अलावा बिहार के महाराजगंज लोकसभा क्षेत्र से भी चुने गए थे. अलबत्ता, बाद में उन्होंने महाराजगंज सीट से इस्तीफा दे दिया था. 1967 में कांग्रेस संसदीय दल के महासचिव बनने के बाद उन्होंने तेज सामाजिक बदलाव लाने वाली नीतियों पर जोर दिया और सामंत के बढ़ते एकाधिकार के खिलाफ आवाज उठाई. फिर तो उन्हें ऐसे ‘युवा तुर्क’ की संज्ञा दी जाने लगी, जिसने दृढ़ता, साहस एवं ईमानदारी के साथ निहित स्वार्थों के खिलाफ लड़ाई लड़ी. संसद से लेकर सड़क तक उनकी आवाज गूंजती थी.

‘युवा तुर्क’ के ही रूप में चंद्रशेखर ने 1971 में तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के विरोध के बावजूद कांग्रेस की राष्ट्रीय कार्यसमिति का चुनाव लड़ा और जीते. 1974 में भी उन्होंने इंदिरा गांधी की ‘अधीनता’ अस्वीकार करके लोकनायक जयप्रकाश नारायण के आंदोलन का समर्थन किया. 1975 में कांग्रेस में रहते हुए उन्होंने इमरजेंसी के विरोध में आवाज उठाई और अनेक उत्पीड़न सहे. 1977 के लोकसभा चुनाव में हुए जनता पार्टी के प्रयोग की विफलता के बाद इंदिरा गांधी फिर से सत्ता में लौटीं और उन्होंने स्वर्ण मंदिर पर सैनिक कार्रवाई की तो चंद्रशेखर उन गिने-चुने नेताओं में से एक थे,

जिन्होंने उसका पुरजोर विरोध किया. 1990 में विश्वनाथ प्रताप सिंह की जनता दल सरकार के पतन के बाद अत्यंत विषम राजनीतिक परिस्थितियों में वे कांग्रेस के समर्थन से प्रधानमंत्री बने थे. पिछड़े गांव की पगडंडी से होते हुए देश के प्रधानमंत्री की कुर्सी तक पहुंचने वाले चंद्रशेखर के बारे में कहा जाता है कि प्रधानमंत्री रहते हुए भी दिल्ली के प्रधानमंत्री आवास यानी 7 रेस कोर्स में कभी रुके ही नहीं. वह रात तक सब काम निपटाकर भोड़सी आश्रम चले जाते थे या फिर 3 साउथ एवेन्यू में ठहरते थे. उनके कुछ सहयोगियों ने कई बार उनसे इस बारे में जिक्र किया तो उनका जवाब था कि

सरकार कब चली जाएगी, कोई ठिकाना नहीं है. वह कहते थे कि 7 रेसकोर्स में रुकने का क्या मतलब है? प्रधानमंत्री के रूप में उन्हें बहुत कम समय मिला, क्योंकि कांग्रेस ने उनका कम से कम एक साल तक समर्थन करने का राष्ट्रपति को दिया अपना वचन नहीं निभाया और अकस्मात, लगभग अकारण, समर्थन वापस ले लिया. चंद्रशेखर ने एक बार इस्तीफा दे देने के बाद राजीव गांधी से उसे वापस लेने का अनौपचारिक आग्रह स्वीकार करना ठीक नहीं समझा. इस तरह से उन्होंने पीएम बनने के तकरीबन 8 महीने के बाद ही इस्तीफा देकर पीएम की कुर्सी छोड़ दी.

(लेखक इंडिया टुडे ग्रुप के पत्रकार हैं)

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बलिया में नक्सलियों के 11 ठिकानों पर NIA ने मारा छापा

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बलिया में एनआईए ने नक्सलियों के 11 ठिकानों पर शनिवार को छापा मारा, जहां से तमाम इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस और नक्सली साहित्य बरामद किया गया है। एनआईए ने यह कार्रवाई पिछले साल यूपी एटीएस द्वारा बलिया में पकड़े गए पांच नक्सलियों पर दर्ज केस को टेकओवर करने के बाद की है।

बता दें कि यूपीएटीएस ने 15 अगस्त, 2023 को बलिया से नक्सली संगठनों में नई भर्तियां करने में जुटी तारा देवी के साथ लल्लू राम, सत्य प्रकाश वर्मा, राम मूरत राजभर व विनोद साहनी को गिरफ्तार किया था। आरोपितों के कब्जे से नाइन एमएम पिस्टल भी बरामद हुई थी। जांच में सामने आया है कि तारा देवी को बिहार से बलिया भेजा गया था। वह वर्ष 2005 में नक्सलियों से जुड़ी थी और बिहार में हुई बहुचर्चित मधुबन बैंक डकैती में भी शामिल थी।

इसके अलावा लल्लू राम उर्फ अरुन राम, सत्य प्रकाश वर्मा, राममूरत तथा विनोद साहनी की गिरफ्तारी हुई थी। ये सभी बिहार के बड़े नक्सली कमांडरों के संपर्क में थे।

एनआईए की अब तक की जांच के अनुसार, प्रतिबंधित संगठन उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, दिल्ली, पंजाब, हरियाणा और हिमाचल प्रदेश समेत उत्तरी क्षेत्र अपनी उपस्थिति बढ़ाने के लिए सक्रिय प्रयास कर रहा है। जांच एजेंसी के प्रवक्ता ने कहा कि भाकपा (माओवादी) के नेता, कार्यकर्ताओं और इससे सहानुभूति रखने वाले, ओवर ग्राउंड वर्कर (ओजीडब्ल्यू) इस क्षेत्र में संगठन की स्थिति मजबूत करने की कोशिश कर रहे हैं।

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बलिया स्पेशल

बीजेपी प्रत्याशी की जन आशीर्वाद यात्रा में उमड़ी भीड़, रवीन्द्र कुशवाहा बोले- तीसरी बार मोदी बनेंगे पीएम

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बलिया। सलेमपुर लोकसभा से भाजपा के सांसद और वर्तमान प्रत्याशी रवीन्द्र कुशवाहा को फिर से टिकट मिलने के बाद बीजेपी कार्यकर्ता जगह- जगह स्वागत कर रहे हैं। इसी कड़ी में बृहस्पतिवार को स्वागत और जन आशीर्वाद यात्रा मनियर से प्रारंभ होकर बांसडीह पहुंची। बांसडीह स्थित सप्तऋऋषि चौराहे पर भव्य स्वागत किया गया।

स्वागत में उमड़े जनसैलाब ने सांसद रवीन्द्र कुशवाहा को फूल माला पहनाकर भव्य स्वागत किया। साथ ही सांसद के ऊपर पुष्प वर्षा किया। तत्पश्चात सांसद रवीन्द्र कुशवाहा ने कचहरी स्थित मां दुर्गा के दरबार में पहुंच कर पूजा अर्चना किया। जन आशीर्वाद यात्रा लेकर पहुंचे सांसद रवीन्द्र कुशवाहा का विधायक केतकी सिंह के नेतृत्व में बांसडीह चौराहे पर कार्यकर्ताओं ने स्वागत

किया। इस दौरान सांसद रवीन्द्र कुशवाहा ने अपने पांच वर्षों की उपलब्धियों को साझा करते हुए कहा कि पूरा देश प्रधानमत्री नरेंद्र मोदी पर गर्व कर रहा है। देश को विकसित राष्ट्र बनाने के लिये प्रधानमंत्री अग्रसर है। अबकी बार 400 से ऊपर सीटे जीतकर तीसरी बार नरेंद्र मोदी देश के प्रधानमंत्री बनेंगे। विधायक केतकी सिंह ने कहा कि सलेमपुर क्षेत्र से पुनः रवीन्द्र कुशवाहा तीसरी बार भारी मतों से विजयी होंगे। भाजपा बांसडीह मंडल अध्यक्ष प्रतुल कुमार ओझा ने सांसद रवीन्द्र कुशवाहा को अभिनंदन पत्र और अंगवस्त्रम देकर सम्मानित किया।

 

इस मौके पर बैरिया चेयरमैन प्रतिनिधि शिवकुमार वर्मा मंटन,  पूर्व चेयरमैन संजय कुमार सिंह मुन्ना, चंद्रबली वर्मा, राजू गुप्ता, रमेश कान्त, डब्लू गुप्ता, व्यापार मंडल अध्यक्ष अभिषेक मिश्र, चंद्रमा गिरी, तेज बहादुर रावत, सिंपी सिंह, शिवम गुप्ता, अजय यादव, अरुण पांडेय, अमित यादव, बिट्टूतिवारी, अभिजीत तिवारी, इरफान अहमद, विवेक उपाध्याय, बलिराम साहनी, राकेश वर्मा, गोपाल जी आदि उपस्थित रहे।

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