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पंचायत चुनाव- बलिया में सुभासपा सबसे बड़ी पार्टी, भाजपा-सपा के लिए कितना खतरा ?

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बलिया । पंचायत चुनाव के परिणाम आने के बाद यह समय राजनीतिक दलों के लिए आत्ममंथन का है। जिले की 58 सीटों पर हुए जिला पंचायत सदस्यों के चुनाव में सपा, बसपा, भाजपा, कांग्रेस और सुभासपा सहित कई अन्य दलों ने भी भाग लिया था। सपा 12 सीटें जीत कर अपनी स्थिति मजबूत मानने की तैयारी में है तो सत्ताधीश भाजपा की सात सीटों की जीत भी विचार करने योग्य है।

इस बार बसपा ने 05 और कांग्रेस ने कुल 02 सीटों पर जीत दर्ज की है। लेकिन उल्लेखनीय प्रदर्शन रहा है सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी का। राजभर बिरादरी के नाम पर राजनीति करने वाले इस संगठन ने कुल 10 सीटों पर जीत दर्ज की है। जिले में भागीदारी संकल्प मोर्चा से अलग अकेले दम पर सुभासपा ने विधानसभा चुनावों में अपनी उपस्थिति को मजबूत करने की लड़ाई में एक कदम और आगे बढ़ा है।

सुभासपा की वर्तमान स्थिति
मौजूदा विधानसभा में चार विधायक के साथ मौजूद सुभासपा ने 2017 विधानसभा चुनाव में भाजपा के साथ गठबंधन किया था। आठ सीटों पर चुनाव लड़े और चार पर जीते। लगभग दो साल चले इस गठबंधन के बाद सुभासपा ने खुद को भाजपा से अलग कर लिया और बीते बरस दिसंबर 2020 में असदुद्दीन ओवैसी के राजनीतिक दल एआईएमआईएम और अन्य क्षेत्रीय दलों के साथ गठबंधन किया। नाम पड़ा- भागीदारी संकल्प मोर्चा। वर्तमान जिला पंचायत चुनाव में सुभासपा ने अपने नेतृत्व में उपरोक्त मोर्चे से चुनाव लड़ कर सीटें जीती हैं।

पार्टी के मुताबिक सुभासपा ने जिला पंचायत सदस्य के लिए 265 प्रत्याशी उतारे थे। इनमें से 117 सीटों पर पार्टी को जीत मिली है। पार्टी के मुताबिक वह लगभग 65 जगहों पर जीत रहे थे और स्थानीय प्रशासन ने उनके प्रत्याशियों को हरा दिया। बलिया के लिए गौरतलब यह है कि सुभासपा से बलिया में सबसे अधिक 12 प्रत्याशी चुनाव जीते हैं। वहीं यहां से सपा के 11 और भाजपा के सात प्रत्याशी ही जीत सके हैं। जिले में 18 निर्दलीय चुनाव जीते हैं, और इनकी भूमिका जिला पंचायत अध्यक्ष चुनने में अहम है।

बलिया के लिए सुभासपा की जीत के क्या मायने हैं
भाजपा के हाथों दो सांसद और पांच विधायक दे देने वाली बलिया की जनता ने सुभासपा को 12 सीटें देकर अपनी राजनीतिक सुगबुगाहट का अंदाजा दे दिया है। संघ से जुड़े, भाजपा के कद्दावर नेता और वार्ड नं. 10 से प्रत्याशी देवेंद्र यादव की हार भाजपा और जिले में चर्चा का विषय रही है।कहा जा रहा था कि देवेंद्र यादव जिला पंचायत अध्यक्ष पद के उम्मीदवार होंगे। सपा के भी कई संभावित जिला पंचायत अध्यक्ष पद के उम्मीदवार चुनाव हार चुके हैं।

इसके बाद अब छोटे राजनीतिक दलों के संगठनों में राजभर समुदाय के इस दल की जीत ने इस तबके की राजनीति करने वालों के मन में एक उम्मीद भर दी है। हालांकि चुनाव के ठीक पहले सुभासपा के कई नेताओं ने सामुहिक तौर पर इस्तीफा देकर भीतरखाने की सुगबुगाहट को सार्वजनिक कर दिया था।

अब चुनाव में मिली यह जीत अगले विधानसभा में सुभासपा के लिए और अधिक स्पेस के साथ सामने आती है या जिला पंचायत अध्यक्ष के लिए ‘खरीद-फरोख्त’ में सब मटियामेट हो जाएगा यह देखने वाली बात होगी।
फिलहाल सुभासपा हाईकमान पूर्वांचल और खासकर बलिया की इस जीत पर काफी आशान्वित है।

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बलिया में भयंकर सड़क हादसा, 4 की मौत 1 गंभीर रूप से घायल

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बलिया में भयंकर सड़क हादसा सामने आया है जहां 4 लोगों की मौत की खबरें सामने आ रही है। वहीं एक गंभीर रूप से घायल बताया जा रहा है। जानकारी के मुताबिक ये हादसा फेफना थाना क्षेत्र के राजू ढाबा के पास बुधवार की रात करीब 10:30 बजे हुआ। खबर के मुताबिक असंतुलित होकर बलिया से चितबड़ागांव की ओर जा रही सफारी कार पलट गई। जिसमें चार लोगों की मौत हो गई। जबकि एक गंभीर रूप से घायल हो गया।

सूचना मिलने पर पर पहुंची पुलिस ने चारों शव को कब्जे में लेकर पोस्टमार्टम के लिए जिला अस्पताल भेज दिया। जबकि गंभीर रूप से घायल को ट्रामा सेंटर में भर्ती कराया। मृतकों की शिनाख्त क्रमशः रितेश गोंड 32 वर्ष निवासी तीखा थाना फेफना, सत्येंद्र यादव 40 वर्ष निवासी जिला गाज़ीपुर, कमलेश यादव 36 वर्ष  थाना चितबड़ागांव, राजू यादव 30 वर्ष थाना चितबड़ागांव बलिया के रूप में की गई। जबकि घायल छोटू यादव 32 वर्ष निवासी बढ़वलिया थाना चितबड़ागांव जनपद बलिया का इलाज जिला अस्पताल स्थित ट्रामा सेंटर में चल रहा है।

बताया जा रहा है कि सफारी  में सवार होकर पांचो लोग बलिया से चितबड़ागांव की ओर जा रहे थे, जैसे ही पिकअप राजू ढाबे के पास पहुँचा कि सड़क हादसा हो गया।

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बलिया में दूल्हे पर एसिड अटैक, पूर्व प्रेमिका ने दिया वारदात को अंजाम

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बलिया के बांसडीह थाना क्षेत्र में एक हैरान कर देने वाले घटना सामने आई हैं। यहां शादी की रस्मों के दौरान एक युवती ने दूल्हे पर तेजाब फेंक दिया, इससे दूल्हा गंभीर रूप से झुलस गया। मौके पर मौजूद महिलाओं ने युवती को पकड़ कर पुलिस के हवाले कर दिया। फिलहाल पुलिस बारीकी से पूरे मामले की जांच कर रही है।

बताया जा रहा है की घटना को अंजाम देने वाली युवती दूल्हे की पूर्व प्रेमिका है। उसका थाना क्षेत्र के गांव डुमरी निवासी राकेश बिंद के साथ बीते कई वर्ष से प्रेम प्रसंग चल रहा था। युवती ने युवक से शादी करने का कई बार दबाव बनाया, लेकिन युवक ने शादी करने से इन्कार कर दिया। इस मामले में कई बार थाना और गांव में पंचायत भी हुई, लेकिन मामला सुलझा नहीं।

इसी बीच राकेश की शादी कहीं ओर तय हो गई। मंगलवार की शाम राकेश की बारात बेल्थरारोड क्षेत्र के एक गांव में जा रही थी। महिलाएं मंगल गीत गाते हुए दूल्हे के साथ परिछावन करने के लिए गांव के शिव मंदिर पर पहुंचीं। तभी घूंघट में एक युवती पहुंची और दूल्हे पर तेजाब फेंक दिया। इस घटना से दूल्हे के पास में खड़ा 14 वर्षीय राज बिंद भी घायल हो गया। दूल्हे के चीखने चिल्लाने से मौके पर हड़कंप मच गया। आनन फानन में दूल्हे को अस्पताल ले जाया गया, जहां उसका इलाज किया जा रहा है।

मौके पर पहुंची पुलिस युवती को थाने ले गई और दूल्हे को जिला अस्पताल भेज दिया। थानाध्यक्ष अखिलेश चंद्र पांडेय ने कहा कि तहरीर मिलने पर कार्रवाई की जाएगी।

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कौन थे ‘शेर-ए-पूर्वांचल’ जिन्हें आज उनकी पुण्यतिथि पर बलिया के लोग कर रहे याद !

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‘शेर-ए-पूर्वांचल’ के नाम से मश्हूर दिग्गज कांग्रेस नेता बच्चा पाठक की आज 7 वी पुण्यतिथि हैं. उनकी पुण्यतिथि पर जिले के सभी पक्ष-विपक्ष समेत तमाम बड़े नेताओं और इलाके के लोग नम आंखों से उन्हें श्रद्धांजलि दे रहे हैं.  1977 में जनता पार्टी की लहर के बावजूद बच्चा पाठक ने जीत दर्ज की जिसके बाद से ही वो ‘शेर-ए-बलिया’ के नाम से जाने जाने लगे. प्रदेश सरकार के पूर्व मंत्री बच्चा पाठक लगभग 50 सालों तक पूर्वांचल की राजनीति के केन्द्र में रहे.
रेवती ब्लाक के खानपुर गांव के रहने वाले बच्चा पाठक ने राजनीति की शुरूआत डुमरिया न्याय पंचायत के संरपच के रूप में साल 1956 में की. 1962 में वे रेवती के ब्लाक प्रमुख चुने गये और 1967 में बच्चा पाठक ने बांसडीह विधानसभा से पहली बार विधायक का चुनाव लड़ा लेकिन उन्हें बैजनाथ सिंह से हार का सामना करना पड़ा. दो साल बाद 1969 में फिर चुनाव हुआ और कांग्रेस प्रत्याशी के रूप में बच्चा पाठक ने विजय बहादुर सिंह को हराकर विधानसभा का रुख़ किया. यहां से बच्चा पाठक ने जो राजनीतिक जीवन की शुरुआत की तो फिर कभी पलटकर नहीं देखा.
बच्चा पाठक की राजनीतिक पैठ 1974 के बाद बनी जब उन्होंने जिले के कद्दावर नेता ठाकुर शिवमंगल सिंह को शिकस्त दी. यही नहीं जब 1977 में कांग्रेस के खिलाफ पूरे देश में लहर थी तब भी बच्चा पाठक ने पूरे पूर्वांचल में एकमात्र अपनी सीट जीतकर सबको अपनी लोकप्रियता का लोहा मनवा दिया था. तब उन्हें ‘शेर-ए-पूर्वांचल का खिताब उनके चाहने वालों ने दे दिया.  1980 में बच्चा पाठक चुनाव जीतने के बाद पहली बार मंत्री बने. कुछ दिनों तक पीडब्लूडी मंत्री और फिर सहकारिता मंत्री बनाये गये.
बच्चा पाठक ने राजनीतिक जीवन में हार का सामना भी किया लेकिन उन्होंने कभी जनता से मुंह नहीं मोड़ा. वो सबके दुख सुख में हमेशा शामिल रहे. क्षेत्र के विकास कार्यों के प्रति हमेशा समर्पित रहने वाले बच्चा पाठक  कार्यकर्ताओं या कमजोरों के उत्पीड़न पर अपने बागी तेवर के लिए मशहूर थे. इलाके में उनकी लोकप्रियता और पैठ का अंदाज़ा इसी बात से लगाया जा सकता है कि वे सात बार बांसडीह विधानसभा से विधायक व दो बार प्रदेश सरकार में मंत्री बने. साल 1985 व 1989 में चुनाव हारने के बावजूद उन्होंने अपना राजनीतिक कार्य जारी रखा. जिसके बाद वो  1991, 1993, 1996 में फिर विधायक चुनकर आये. 1996 में वे पर्यावरण व वैकल्पिक उर्जा मंत्री बनाये गये.
राजनीति के साथ बच्चा पाठक शिक्षा के क्षेत्र में सक्रिय रहे. इलाके की शिक्षा व्यवस्था सुधारने के लिए बच्चा पाठक ने लगातार कोशिश की. उन्होंने कई विद्यालयों की स्थापना के साथ ही उनके प्रबंधक रहकर काम भी किया.
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