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बलिया में कोरोना नियमों की धज्जियां उड़ाकर 59.25% मतदान

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बलिया। हवाई फायरिंग, पत्थरबाजी व मारपीट के बीच जनपद के 17  ब्लाकों में कुल 1460 मतदान केंद्र अंतर्गत 3919 मतदान स्थलों में शाम छह बजे तक 59.25 प्रतिशत मतदान हुआ। इस दौरान जमकर सोशल डिस्टेंसिंग की धज्जियां उड़ी। ड्यूटी पर तैनात पुलिसकर्मी भी दो गज दूरी के हिसाब से लाइन लगाने में अक्षम दिखे।

मतदान के आगे बौना दिखा कोरोना
जिले में सुबह से ही बूथों पर मतदाताओं की लंबी कतार लग गई। आलम यह रहा कि महिलाओं की लंबी कतारों के चलते तेजी से मतदान होता रहा। शासन के कड़े फरमान के बाद भी कहीं भी सोशल डिस्टेंस नहीं दिखाई दिया। बूथों पर कहीं भी कोरोना का खतरा या दहशत नहीं देखा गया। बूथों पर आये मतदाताओं में कोरोना का खौफ नहीं दिखा। इस दौरान वोट गिरते रहे। बूथों पर सटकर महिलाओं ने मतदान किया।
क्षेत्र में कुछ बूथों को छोड़कर शांतिपूर्ण तरीके मतदान संपन्न हुआ। वहीं  सभी थानों के एसओ अपने क्षेत्रों का भ्रमण करतें रहे। कोरोना गाइडलाइन व शांतिपूर्ण मतदान को लेकर अफसर दिशा-निर्देश देते रहे। लेकिन कहीं भी कोई सुनने को तैयार नहीं था। प्रशासन के उदासीनता के चलते कड़े धूप से बचने के लिए मतदाता बूथों पर एक दूसरे से इस कदर सटकर खड़े हो रहे थे। मानो उन्हें कोरोना का कोई भय ही न हो। उधर बड़े ही उत्सुक हो कर बड़े,बुजुर्गों में अपने मत का अधिकार पेश किया ।

चिलकहर  में प्रधान प्रत्याशी को पीटा, पुलिस ने भांजी लाठियां

चिलकहर ब्लाक के रामपुर असली में हुये विवाद में प्रधान प्रत्याशी को लोगों ने पीट दिया। जानकारी होने पर पहुंची पुलिस ने लाठियां भांज कर लोगों को भगाया। चिलकहर ब्लाक के रामपुर गांव में वोटिंग प्रक्रिया के दौरान दो पक्षों में विवाद। प्रधान प्रत्याशी को जमकर पीटा गया। पहुंची पुलिस ने भांजी लाठियां। कई महिलाएं चोटिल हुई हैं। महिलाओं ने एक भाजपा नेता पर लगाया पुलिस से पिटवाने का आरोप। वहीं मामले में पुलिस ने 4 अराजक तत्वों को हिरासत में लिया ।

गड़वार में एजेंटों में जमकर झड़प 

गड़वार क्षेत्र के नवादा गांव में मतदान केंद्र पर चुनावी रंजिश को लेकर दो प्रत्याशियों के दो एजेंटों में जमकर झड़प व विवाद हुआ। पुलिस एक पक्ष के एजेंट को हिरासत में लेकर थाने चली आयी। मिली जानकारी के अनुसार गड़वार थाना क्षेत्र के नवादा गांव में प्रधान पद प्रत्याशी के एजेंट अजय सिंह दूसरे पक्ष के प्रधान पद के प्रत्याशी के एजेंट आनन्द प्रकाश सिंह को पुराने चुनावी विवाद को लेकर मतदान केंद्र से गाली गलौज देकर भगाने लगे। जिसके बाद दोनों पक्षों में कहासुनी के बाद जमकर झड़प हुआ। देखते ही देखते विवाद काफी बढ़ गया। पुलिस ने किसी तरह से विवाद को शांत कराया और एक पक्ष के एजेंट अजय सिंह को हिरासत में लेकर थाने चली आयी।

मनियर के एलासगढ़ मतदान केंद्र पर हंगामा

मनियर ब्लाक के एलासगढ़ में पक्षों में फर्जी वोटिंग को लेकर ईंट पत्थर चलें जिससे भगदड़ मच गई । उसके बाद मतदान कर्मियों ने मतदान का कार्य ठप कर दिया । घटना 10बजे दिन की है। जिसमें स्थानीय पुलिस द्वारा मौके से दोनो पक्षों के 07 लोगो को गिरफ्तार किया जा चुका है ।

प्रत्याशियों को हिरासत में लेने पर भड़के भाजपा विधायक सुरेंद्र सिंह 

मुरलीछपरा ब्लॉक के ग्राम पंचायत सूर्यभानपुर बूथ संख्या 130 में सहायक पीठासीन अधिकारी पर खुद से मतपत्र पर मोहर मारकर डालने का आरोप लगाते हुए कई प्रत्याशी धरना पर बैठ गए। पुलिस ने बल प्रयोग करते हुए उन्हें उठाकर थाने ले आयी और बक्सा सील कराकर भेज दिया। इसकी खबर मिलते ही

बैरिया विधायक सुरेन्द्र सिंह समर्थकों के साथ दोकटी थाने पहुंच गए और घेराव कर दिया। देर तक बंद कमरे में विधायक की एसडीएम व सीओ से बात होती रही। रात में करीब 9 बजे हिरासत में लिए गए सभी प्रत्याशियों को पुलिस ने रिहा कर दिया।

दिन भर डीएम-एसपी रहे गतिशील

जिला निर्वाचन अधिकारी/जिलाधिकारी अदिति सिंह भी दल-बल के साथ लगातार चक्रमण करतीं रहीं। उनके साथ एसपी डाॅ विपिन ताडा भी थे। उन्होंने दो दर्जन से अधिक बूथों पर भ्रमण कर मतदान का जायजा लेती रहीं। पुलिस प्रशासन की चुस्ती व तत्परता की देन रही कि कहीं भी कोई बड़ा बवाल नहीं हुआ और शांतिपूर्ण ढ़ंग से चुनाव समाप्त हो गया। जिलाधिकारी ने सबसे पहले सोहांव की तरफ रूख किया। फेफना, नरहीं होकर सोहांव गयीं और उधर के कई बूथों का जायजा लिया, जिसमें संवेदनशील व अति संवेदनशील बूथ ज्यादा थे। फिर गड़वार क्षेत्र में उन्होंने भ्रमण किया। इसके बाद बैरिया क्षेत्र में गयीं और उधर के संवेदनशील बूथों पर जाकर शांतिपूर्ण ढंग से हो रहे मतदान को देखा।

बढ़ातीं रहीं मतदान व सुरक्षा कर्मियों का हौसला

अपने भ्रमण के दौरान जिलाधिकारी अदिति सिंह मतदान की स्थिति का जायजा लेने के साथ मतदान कर्मियों व सुरक्षा में लगे जवानों का हौसला बढ़ाती रहीं। सबसे हालचाल लेती रहीं, जिससे मतदान कर्मी व सुरक्षाकर्मी भी काफी उत्साहित दिखे। जिलाधिकारी बूथों पर सबसे यह भी अपील करती रहीं कि शारीरिक दूरी बनाकर ही मतदान प्रक्रिया में भाग लें। मताधिकार का प्रयोग करने के साथ खुद को सुरक्षित रखना भी जरूरी है।

व्हाट्अप के जरिए बनाए रखी पूरे जिले पर नजर, देतीं रहीं निर्देश

पंचायत चुनाव को सकुशल सम्पन्न कराने में जिलाधिकारी अदिति सिंह की तत्परता की अहम भूमिका रहीं। मतदान केंद्रों पर स्वयं भ्रमण तो कीं ही, मोबाइल के जरिए उन्होंने पूरे जिले की व्यवस्था पर नजर बनाए रखीं। जहां भी छिटपुट बवाल आदि की सूचना मिली, तत्काल उस क्षेत्र में लगाए गए पुलिस अधिकारियों को निर्देशित कर भेजतीं रहीं। इसके अलावा मतदान से सम्बन्धित किसी बूथ पर थोड़ी बहुत दिक्कत की सूचना मिलने पर तत्काल सेक्टर व जोनल को व्हाट्अप व फोन के माध्यम से भेजकर ठीक कराती रहीं। इस प्रकार पूरे दिन जिलाधिकारी तत्पर रहीं, जिसका नतीजा रहा कि लाख चुनौती के बावजूद पंचायत निर्वाचन सकुषल सम्पन्न हो गया।

 

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ब्राह्मण बहुल बलिया लोकसभा सीट से सपा ने सनातन पांडेय को दिया टिकट

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लोकसभा चुनाव का मंच सज चुका है. एकाध राउंड का प्रदर्शन (वोटिंग) भी हो चुका है. इस बीच बलिया लोकसभा सीट की गर्माहट भी बढ़ गई है. क्योंकि लंबे इंतज़ार के बाद आख़िरकार समाजवादी पार्टी ने अपने पत्ते खोल दिए हैं. सपा ने ब्राह्मण बहुल बलिया सीट से सनातन पांडेय को लोकसभा उम्मीदवार बनाया है.

भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) ने यहां से पूर्व प्रधानमंत्री चंद्रशेखर के बेटे और राज्यसभा सांसद नीरज शेखर को टिकट दिया है. नीरज शेखर के सामने सनातन पांडेय को मैदान में उतारना ‘नहले पर दहला’ जैसा दांव माना जा रहा है. सनातन पांडेय 2019 में भी बलिया से सपा के उम्मीदवार थे. तब बीजेपी के वीरेंद्र सिंह ‘मस्त’ मैदान में थे. उस चुनाव में वीरेंद्र सिंह के हाथों सनातन पांडेय को शिकस्त मिली थी. लेकिन दोनों के बीच महज 15 हजार 519 वोटों का फासला था.

2024 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी ने अपना प्रत्याशी बदल दिया. उनकी जगह लाए गए नीरज शेखर. ऐसे में सभी की निगाहें इस बात पर टिकी थीं कि सपा बलिया से किसे टिकट देती है. सनातन पांडेय के नाम को लेकर चर्चाएं पहलें से ही तेज़ थीं और अब हुआ भी ऐसा ही है.

ब्राह्मण बहुल बलिया सीट:

सनातन पांडेय और बलिया के चुनावी इतिहास में पर एक नज़र डालेंगे लेकिन पहले बात करते हैं जातीय समीकरण के बारे में. क्योंकि इस बार का खेल इसी समीकरण से सेट होता दिख रहा है. बलिया की कुल आबादी करीब 25 लाख है. मतदाता हैं करीब-करीब 18 लाख. इनमें सबसे ज्यादा वोट ब्राह्मण समुदाय का है. तीन लाख ब्राह्मण वोटर्स हैं. राजपूत, यादव और दलित वोटर लगभग ढाई-ढाई लाख हैं. इसके बाद मुस्लिम मतदाता हैं एक लाख. भूमिहार और राजभर जाति के वोट भी प्रभावी हैं.

यूपी में बीजेपी को लेकर 2017 के बाद से ब्राह्मण विरोधी होने का आरोप लगता रहा है. योगी आदित्यनाथ के मुख्यमंत्री बनने के बाद ये आरोप लगने शुरू हुए हैं. विपक्षी पार्टियां गाहे-बगाहें ब्राह्मणों के ख़फ़ा होने का दावा करती हैं. ऐसे में इस सीट से सपा ने एक ब्राह्मण प्रत्याशी उतारकर पर्सेप्शन की लड़ाई में तो बाज़ी मार ली है.

‘सनातन’ की सियासत:

साल 1996. गन्ना विभाग के इंजीनियर सनातन पांडेय ने नौकरी से इस्तीफा दे दिया. क्योंकि सिर पर सियासत का खुमार सवार हो गया था इस्तीफे के बाद पहली बार 2002 में उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनाव हो रहा था. सनातन पांडेय ने निर्दलीय ताल ठोक दिया. लेकिन उनके हिस्से आई हार. इसके बाद उन्होंने सपा ज्वाइन कर लिया.

साल 2007. उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनाव हो रहे थे. सपा ने चिलकहर सीट से सनातन पांडेय को टिकट दिया. वे चुनाव लड़े और नतीजे उनके पक्ष में रहे. पांच साल बाद 2012 में फिर विधानसभा चुनाव हो रहे थे. तब तक चिलकहर विधानसभा सीट को समाप्त कर दिया गया था. पार्टी ने उन्हें रसड़ा से टिकट दिया. इस बार उन्हें हार का सामना करना पड़ा. इस चुनाव में बहुजन समाज पार्टी (बसपा) के उमाशंकर सिंह की जीत हुई थी.

2012 में यूपी में सपा की सरकार बनी. रसड़ा से हारने के बावजूद सनातन पांडेय को मंत्री पद मिला था. 2017 में भी उन्होंने रसड़ा से चुनावी मैदान में ताल ठोकी थी, लेकिन इस बार वे तीसरे नंबर पर खिसक गए थे.

2007 के बाद से चुनावी सियासत में सूखे का सामना कर रहे सनातन पांडेय के लिए 2024 लोकसभा चुनाव का स्टेज सेट है. इस बार उनके पास एक बड़ा मौका है सियासी ज़मीन पर झमाझम बारिश कराने की. ये बारिश कितनी मूसलाधार होगी और कौन-कितना सराबोर होगा, इसके लिए 4 जून की तारीख़ का इंतज़ार है.

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बलिया बीजेपी में नहीं है ‘सब चंगा सी’ !

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लोकसभा चुनाव-2024 का आगाज हो चुका है. पहले चरण की वोटिंग 19 अप्रैल को हो चुकी है. सबसे आखिरी चरण यानी सातवें चरण में 1 जून को बलिया में भी मतदान होगा. ज़ाहिर है चुनाव को लेकर बलिया की सियासी सरगर्मियां तेज़ हैं. लेकिन सियासी गलियारे में सबसे ज्यादा चर्चा भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) की है.

बलिया में बीजेपी की चर्चा की वजह जीत नहीं, बल्कि भीतरखाने चल रही खींचतान है. टिकट बंटवारे से लेकर लोकल लीडर्स तक की अनदेखी ने जिले के कई बीजेपी नेताओं को नाराज़ और असहज कर दिया है. ऐसे तीन घटनाओं के जरिए इस अंदरूनी कलह की कलई खोली जा सकती है.

‘मस्त’ आउट, नीरज शेखर को टिकट:

2019 में बलिया लोकसभा सीट से बीजेपी के वीरेंद्र सिंह ‘मस्त’ चुनाव जीतकर संसद पहुंचे थे. ‘मस्त’ और उनके समर्थकों को उम्मीद थी कि एक बार फिर पार्टी उन्हें टिकट देगी, लेकिन ऐसा नहीं हुआ. टिकट मिल गया पूर्व प्रधानमंत्री चंद्रशेखर के बेटे और बीजेपी के राज्यसभा सांसद नीरज शेखर को. बताते चलें कि 2007 के उपचुनाव और फिर 2009 के लोकसभा चुनाव में सपा की टिकट पर ही नीरज शेखर सांसद बने थे. 2014 में भी सपा ने उन्हें उम्मीदवार बनाया लेकिन बीजेपी के भरत सिंह से हार गए. 2019 में पार्टी से टिकट नहीं मिलने पर उन्होंने बीजेपी का दामन थाम लिया.

महज पांच साल के भाजपाई और पूर्व समाजवादी नेता को टिकट देने से बलिया बीजेपी के नेता खुश नहीं दिखे. बीजेपी कार्यकर्ताओं ने नीरज को टिकट मिलने पर गर्मजोशी दिखाई. हालांकि औपचारिकता के तौर पर टिकट मिलने के अगले ही दिन वीरेंद्र सिंह ‘मस्त’ से मुलाकात करने जरूर पहुंचे थे.

आनंद स्वरूप शुक्ला का फेसबुक पोस्ट:

17 अप्रैल को बलिया सदर से बीजेपी के पूर्व विधायक आनंद स्वरूप शुक्ला ने फेसबुक पर एक पोस्ट किया. आनंद स्वरूप ने लिखा है, “…2022 के विधानसभा चुनाव में आश्चर्यजनक अज्ञात व ज्ञात कारणों से भारतीय जनता पार्टी नेतृत्व ने मुझे मेरी जन्मभूमि व कर्मभूमि बलिया नगर विधानसभा क्षेत्र से स्थानान्तरित कर आपके बैरिया विधानसभा क्षेत्र से पार्टी का प्रत्याशी घोषित किया.”

इस पोस्ट में आगे वह लिखते हैं कि किन्हीं वजहों से बैरिया से उनकी हार हो गई. आनंद स्वरूप शुक्ला इसके बाद एक ऐलान करते हैं, “चुनाव परिणाम के पश्चात पार्टी नेतृत्व को मैंने अवगत कराया कि अब आगे मैं कभी भी बैरिया विधानसभा क्षेत्र से चुनाव नहीं लड़ूंगा.” यानी कि पूर्व विधायक और यूपी की योगी सरकार के पूर्व मंत्री ने साफ घोषणा कर दी वह कभी भी बैरिया से चुनाव नहीं लड़ेंगे.

इस कलह को समझने के लिए बैरिया का बैकग्राउंड समझने की जरूरत है. आनंद स्वरूप शुक्ला 2017 में बलिया सदर से विधायक बने थे. बैरिया से विधायक बने थे सुरेंद्र सिंह. लेकिन 2022 के यूपी विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने बलिया सदर से दयाशंकर सिंह को टिकट दे दिया. आनंद स्वरूप शुक्ला को ट्रांसफर किया गया बैरिया. और सुरेंद्र सिंह का टिकट काट दिया गया. नतीजा ये हुआ कि सुरेंद्र सिंह बागी हो गए. चुनाव का रिजल्ट आया तो बीजेपी बैरिया सीट गंवा चुकी थी.

सुरेंद्र सिंह एक बार बीजेपी वापसी कर चुके हैं. माना जा रहा है कि इसलिए उन्होंने खुद को हमेशा के लिए बैरिया से दूर कर लिया है. लेकिन विधायकी हारने के कोफ्त से उपजी लड़ाई अब तक जारी है और इसका असर अब लोकसभा चुनाव पर पड़ रहा है. दोनों ही खेमे फिलहाल तो बलिया में पार्टी के प्रचार से दूरी बनाए हुए हैं.

उपेंद्र तिवारी और सपा की बातचीत की ख़बरें:

बलिया में बीजेपी के एक और ब्राह्मण चेहरा हैं उपेंद्र तिवारी. 2017 में फेफना से विधायक थे. योगी सरकार में इनके नाम से भी मंत्री पद नत्थी था. 2022 में चुनाव हार गए. बलिया सीट से उपेंद्र तिवारी भी दावेदारी कर रहे थे. बीजेपी से टिकट मिलने की रेस में वीरेंद्र सिंह ‘मस्त’ और नीरज शेखर के अलावा उपेंद्र तिवारी को भी बताया जा रहा था. जब पार्टी ने यहां से नीरज को टिकट दे दिया तो उपेंद्र तिवारी को लेकर चर्चाएं तेज़ हो गईं.

अख़बारों ने साफ-साफ छापा कि सपा की ओर से बलिया में उपेंद्र तिवारी या अतुल राय को टिकट दिए जाने की उम्मीद है. चौक-चौराहों पर भी चर्चा थी कि उपेंद्र तिवारी सपा के लिए माकूल साबित हो सकते हैं. आख़िर कैसे? चर्चा चली कि घोसी से राजीव राय को टिकट मिलने के बाद बलिया से भी सवर्ण को टिकट देना अखिलेश के जातिगत इंजीनियरिंग में सेट नहीं हो पा रहा था. और ऐसे में उपेंद्र तिवारी को टिकट नहीं मिला.

हालांकि 20 अप्रैल को उपेंद्र तिवारी ने इसी ख़बर की कटिंग और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ अपनी एक तस्वीर फेसबुक पर शेयर की. उन्होंने अपनी फेसबुक पोस्ट में इस ख़बर का खंडन किया. उपेंद्र तिवारी ने भले ही सपा से टिकट मिलने की ख़बरों का खंडन कर दिया हो लेकिन ये चर्चाएं बीजेपी के खिलाफ ही काम कर रही हैं और पार्टी के समर्थन में बट्टा लगा रही हैं.

बलिया के बड़े बीजेपी नेताओं का असंतोष और फिलहाल अपने प्रत्याशी के  साथ ना दिखना लोकसभा चुनाव में पार्टी को नुकसान पहुंचाता दिख रहा है. हालांकि पार्टी से जुड़े जिले के एक नेता बलिया ख़बर से नाम न छापने की शर्त पर कहते हैं, “बड़ी पार्टियों में ये सब होता रहता है. लेकिन बीजेपी बहुत अलग किस्म की पार्टी है. यहां निजी हित को किनारे रखकर पार्टी हित में काम होता है. अपनी-अपनी नाराज़गी की वजहें हो सकती हैं, लेकिन सभी नेता-कार्यकर्ता आलाकमान के फैसले के साथ खड़ा है और नीरज शेखर के लिए लगा है. आने वाले दिनों में आप सभी नेताओं को एक साथ मंच पर देखेंगे.”

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जानें कौन हैं UP बोर्ड 10वीं के बलिया टॉपर, जिन्होंने जिले का नाम किया रोशन!

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उत्तरप्रदेश माध्यमिक शिक्षा परिषद ने 10वीं की बोर्ड परीक्षाओं का परिणाम जारी कर दिया है। इन परिणामों में बेटियों ने एक बार फिर से बाजी मारी है। हाईस्कूल में सीतापुर की प्राची निगम और इंटरमीडिएट में यहीं के शुभम वर्मा ने टॉप किया है। दोनों टॉपर एक ही स्कूल के विद्यार्थी हैं।

बलिया के युवा भी परिणामों में छाए रहे। पूरे जिले में कुल 29 छात्र—छात्राएं टॉप टेन में शामिल हैं और इनमें सबसे ज्यादा 19 छात्राएं है। इस प्रकार बेटियों ने बेटों को पछाड़ते हुए अपना दबदबा कायम किया है।

तिलेश्वरी देवी विद्यालय की एकता वर्मा पूरे जनपद में प्रथम स्थान अर्जित किया है, उन्होंने 97 प्रतिशत अंक हासिल किए हैं। 96.67 प्र​तिशत अंक पाकर रामसिद्ध इंटर कॉलेज की श्रेयांशी उपाध्याय दूसरा स्थान हासिल किया। इसी प्रकार 96.67 अंक पाकर आर्य भट्ट विद्यालय के अरूण कुमार भी दूसरे स्थान पर रहे, जबकि 96.33 प्रतिशत अंक पाकर इसी विद्यालय के विपुल चौहान तीसरा स्थान हासिल किया।

वहीं चौथे स्थान पर अभिजीत कुमार चौहान रहे, उन्होंने 96.17 प्रतिशत अंक हासिल किए हैं। इसी प्रकार आदित्य शर्मा भी 96.17 पाकर चौथा स्थान हासिल किया। वहीं 96 प्रतिशत अंक पाकर शिवानी वर्मा, रंजू कौशल व पियुष मौर्य पांचवें स्थान पर रहे। इसी प्रकार 95.83 अंक पाकर शिखा चौरसिया छठवें स्थान ​हासिल किया। जबकि 95.67 अंक पाकर दिशा राज, वंदना, श्वेता सिंह व लवली आनंद सातवें स्थान पर रही। 95.50 प्रतिशत अंक पाकर साक्षी, सिमरन यादव, गौरी वर्मा, अनामिका चौहान व आकाश यादव आठवें स्थान पर रहे।

जबकि 95.33 प्रतिशत अंक पाकर अदिति प्रजापति, गणेश कुमार, अमित यादव, भव्य तिवारी, मिंटू यादव नौवें स्थान पर रहे। जबकि 95.17 अंक पाकर निधि वर्मा, अभिमान शर्मा, ज्योति, शिवांगी यादव व अंशिका यादव दसवें स्थान हासिल किया।

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