बेल्थरा रोड डेस्क : सबके दिलों पर राज करने वाले ‘शेरे-ए-पूर्वांचल’ के नाम से मश्हूर दिग्गज समाजवादी नेता शारदानंद अंचल की 73 वी जयंती पर पूरा प्रदेश उनको याद कर रहा है. 1985 में पहली बार सियर विधानसभा (अब बेल्थरा रोड) से एमएलए चुने गए प्रदेश सरकार के पूर्व मंत्री शारदानंद अंचल लगभग कई सालों तक पूर्वांचल की राजनीति के केन्द्र में रहे. सियर ब्लाक के एक गरीब किसान परिवार में 19 जुलाई 1947 को जन्मे शारदानंद अंचल ने राजनीति की शुरूआत सियर विधानसभा से पहली बार विधायक का चुनाव लड़ा और विधायक चुने गए . यहां से शारदानंद अंचल ने जो राजनीतिक जीवन की शुरुआत की तो फिर कभी पलटकर नहीं देखा.
बलिया की राजनीति में शारदानंद अंचल का पूर्व प्रधानमंत्री चंद्रशेखर से हमेशा छत्तीस का आकड़ा रहा है. चंद्रशेखर बलिया में यदि किसी से राजनीतिक रूप से असहज रहा करते थे तो वह केवल शारदानंद अंचल ही थे. अंचल सदैव मुलायम सिंह यादव के अत्यंत प्रिय रहे हैं मगर यह भी एक कड़वा सच है कि मुलायम ने हमेशा चंद्रशेखर से अपने संबंध सामान्य रखने के लिए शारदानंद अंचल को बलिया में महत्वहीन ही बनाए रखा.
उन्हें मंत्रिमंडल में लिया तो केवल राज्यमंत्री बनाया और अगली बार अपनी सरकार में किसी तरह से राज्यमंत्री स्वतंत्र प्रभार के रूप में ही शामिल किया जबकि शारदानंद अंचल अपने और अपने क्षेत्र के महत्व को देखते हुए हमेशा कैबिनेट मंत्री पद के दावेदार रहे हैं. अंचल कहा करते थे कि उनके नेता केवल मुलायम सिंह यादव हैं और वे उनके लिए कोई भी त्याग कर सकते हैं. यह नेताजी को सोचना है कि अंचल उनके लिए क्या है. अंचल अक्सर अनौपचारिक बात-चीत में अपना दर्द भी बयान कर देते थे लेकिन उसे कभी सार्वजनिक नहीं करते थे.
उन्हें कई बार मुलायम सिंह यादव का साथ छोड़ने के लिए प्रेरित किया गया लेकिन अंचल टस से मस नहीं हुए. बलिया में उनके और भी बहुत से प्रतिद्वंदी थे लेकिन अंचल जैसी लोकप्रियता किसी के पास नहीं थी. यकीन नहीं होगा लेकिन यह सच है कि लखनऊ में डालीबाग में अपने मकान की छत बनवाते हुए वे मजदूरों के साथ सहयोग कर रहे थे. इस पर उनका कहना था कि अतीत से जुड़े रहना अच्छा लगता है.
वहीँ शारदानंद अंचल को याद करते हुए बलिया समाजवादी पार्टी के पूर्व अध्यक्ष अद्याशंकर यादव ने कहा कि ” स्वर्गीय अंचल जी हमारे नेता रहे हैं उन्होंने लोकदल से लेकर समाजवादी पार्टी तक लम्बी सियासत की. आज उनकी 73वी जयंती हैं. उनकी जयंती पर हम समाजवादी लोग लॉक डाउन एव सामाजिक दूरी का पालन करते हुए अपने -अपने घरों पर रह कर ही गरीबो और बंचितो के नेता स्व. शारदा नन्द अंचल जी को याद कर रहे हैं.
चुकी अब वो नहीं रहे अब सिर्फ उनका व्यक्तित्व ही रह गया है, वो शोषित पीड़ित दलित पिछड़ों के आवाज़ थे वो सामजिक न्याय के महानायक थे उनकी कमी आज भी हम समाजवादियों को महसूस होती है, वो खुद में संगठन थे रास्ता चलते संगठन बना लेते थे रास्ता चलते आन्दोलन खड़ा कर देते थे. भेदभाव और असमानता के सवाल पर वो हमेशा लड़ा करते थे.
बलिया खबर ने स्व. शारदा नन्द अंचल की 73वी जयंती पर उनके बेटे एवं पूर्व बैरिया विधायक जय प्रकाश अंचल से भी बात करने की कोशिश की लेकिन उनसे सम्पर्क नहीं हो सका .
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