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बलिया

ऊर्जा मंत्री के आश्वासन के बाद बिजली कर्मचारियों ने खत्म किया धरना

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बलिया, लखनऊ समेत यूपी के कई शहरों में चल रहा बिजली कर्मचारियों का धरना प्रदर्शन स्थगित हो गया है। ऊर्जा मंत्री एके शर्मा से बातचीत के बाद लखनऊ में विभाग के इंजीनियरों ने धरना समाप्त कर दिया।

ऊर्जा मंत्री ने चेयरमैन को हटाने का आश्वासन दिया है। जिसके बाद धरना स्थगित करना का निर्णय लिया गया है। वहीं प्रदर्शनकारियों ने कहा कि अगर जल्द मांगों को पूरा नहीं किया गया तो फिर से कार्य बहिष्कार करेंगे।

बता दें कि उत्तरप्रदेश के वाराणसी, बरेली, अयोध्या, बलिया, आगरा, गोरखपुर समेत अन्य शहरों में बिजली विभाग के 25 हजार से ज्यादा कर्मचारी धरना प्रदर्शन कर रहे थे। कर्मचारियों ने काम बंद कर दिया था। इससे प्रदेश के तीन करोड़ बिजली उपभोक्ता परेशान थे।

बता दें कि प्रदर्शन कर रहे बिजली कर्मचारियों की प्रमुख मांगे हैं, जिनमें 9 वर्ष, कुल 14 वर्ष एवं कुल 19 वर्ष की सेवा के बाद तीन प्रमोशन वेतनमान देने, निर्धारित चयन प्रक्रिया के अन्तर्गत चेयरमैन, प्रबन्ध निदेशकों व निदेशकों के पदों पर चयन करने की मांग है। इसके अलावा सभी बिजली कर्मियों को कैशलेस इलाज की सुविधा, ट्रांसफार्मर वर्कशॉप के निजीकरण के आदेश वापस लेने, 765/400/220 केवी विद्युत उपकेन्द्रों को आउटसोर्सिंग के माध्यम से चलाने का निर्णय रद्द करने और पारेषण में जारी निजीकरण प्रक्रिया निरस्त करने की मांग उठा रहे हैं।

इसके साथ ही कर्मचारियों की मांग है कि आगरा फ्रेंचाईजी व ग्रेटर नोएडा का निजीकरण रद्द किया जाए। ऊर्जा कर्मियों की सुरक्षा के लिए पावर सेक्टर इम्प्लॉइज प्रोटेक्शन एक्ट लागू किया जाए। पंजाब, दिल्ली व उड़ीसा सरकार के आदेश की भांति ऊर्जा निगमों के समस्त संविदा कर्मियों को नियमित किया जाए। बिजली कर्मियों को कई वर्षों से लम्बित बोनस का भुगतान किया जाए। भ्रष्टाचार एवं फिजूलखर्ची रोकने हेतु लगभग 25 हजार करोड़ के मीटर खरीद के आदेश रद्द किए जाए व कर्मचारियों की वेतन विसंगतियां दूर की जाए।

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बलिया

बलिया में गंगा नदी में नहाते समय डूबा युवक, मौत

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बलिया में गंगा नदी में नहाते समय युवक हादसे का शिकार हो गया। युवक गंगा नदी में नहाने गया था, इसी दौरान उसका पैर फिसला और वो नदी में डूब गया। गहरे पानी में डूबने से युवक की मौत हो गई।

जानकारी के मुताबिक, पूरा मामला जिले में हल्दी थाना के चैनछपरा गंगा घाट का है। जहां सोमवार की सुबह ओझवलिया निवासी गोलू पासवान अपने बड़े भाई अर्जुन पासवान के दो पुत्र बलवीर और कान्हा का मुण्डन संस्कार में शामिल होने के लिए गंगाघाट पर गया था।

स्नान करने के बाद गोलू पूजा करने के लिए लोटे में गंगा जल लाने दोबारा नदी में गया। इस दौरान नदी में उतरते ही उसका पैर फिसल गया और वह गहरे पानी में चला गया। जिसके कारण गंगा में डूबने से उसकी मौत हो गई। इस घटना के बाद घाट पर अफरा तफरी मच गई। मृतक के परिवार जनों का रो रो कर बुरा हाल है।

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बलिया

बलिया भाजपा युवा मोर्चा के मंडल अध्यक्ष ने पत्र लिखकर लगाई न्याय की गुहार, ये है मामला

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बलिया के बेलथरा रोड के भारतीय जनता पार्टी के नेता और युवा मोर्चा के मंडल अध्यक्ष अभिजीत सिंह रमन ने कथित रूप से पिटाई की घटना के बाद पुलिस अधीक्षक को पत्र लिखकर न्याय की गुहार लगाई है। भाजपा नेता की पिटाई का वीडियो भी सोशल मीडिया पर वायरल हुआ था । इस मामले पुलिस ने 4 लोगों के खिलाफ़ नामजद FIR दर्ज कर पूरे मामले की जांच शुरू कर दी है।

भारतीय जनता पार्टी के नेता एवं युवा मोर्चा के मंडल अध्यक्ष अभिजीत सिंह रमन ने पत्र के जरिए आरोप लगाए हैं कि कुछ लोगों ने उनके साथ बुरी तरह मारपीट की। पहले उन्हें घर से बुलाया गया और फिर जमकर पीटा। इस मामले की शिकायत उन्होंने पत्र लिखकर पुलिस से की है।

बीजेपी नेता ने पत्र में लिखा कि 13 अप्रैल को रात में उनके मोबाइल पर एक फोन आया। घटना स्थल पर पहुंचने के बाद एक साथ कई लोग मिलकर आए और किसी बात को लेकर बहस करने लगे, फिर बिना कोई कारण बताए मारना-पीटना शुरू कर दिया।  भाजपा नेता ने पत्र पर लिखा कि आरोपियों ने मेरी सोने की चैन गले से छीन ली और मेरी गाड़ी के पीछे का शीशा तोड़ दिया और मेरी गाड़ी की चाबी भी ले गए। भाजपा नेता ने आरोप लगाया कि आरोपी पहले से पीटने और छिनैती की नियत से प्लानिंग कर मेरे साथ धोखा किए हैं। जिसका मुकदमा उसी रात उपरोक्त दर्ज है। भाजपा नेता ने पुलिस पर भी लापरवाही बरतने के आरोप लगाए हैं।

बताया जा रहा है कि भाजपा युवा मोर्चा के मंडल अध्यक्ष अभिजीत सिंह रमन की कुछ लोगों से चुनावी रंजिश चल रही है। आरोप है कि उन लोगों ने अभिजीत सिंह रमन के साथ पहले भी बदसलूकी की थी।

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ब्राह्मण बहुल बलिया लोकसभा सीट से सपा ने सनातन पांडेय को दिया टिकट

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लोकसभा चुनाव का मंच सज चुका है. एकाध राउंड का प्रदर्शन (वोटिंग) भी हो चुका है. इस बीच बलिया लोकसभा सीट की गर्माहट भी बढ़ गई है. क्योंकि लंबे इंतज़ार के बाद आख़िरकार समाजवादी पार्टी ने अपने पत्ते खोल दिए हैं. सपा ने ब्राह्मण बहुल बलिया सीट से सनातन पांडेय को लोकसभा उम्मीदवार बनाया है.

भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) ने यहां से पूर्व प्रधानमंत्री चंद्रशेखर के बेटे और राज्यसभा सांसद नीरज शेखर को टिकट दिया है. नीरज शेखर के सामने सनातन पांडेय को मैदान में उतारना ‘नहले पर दहला’ जैसा दांव माना जा रहा है. सनातन पांडेय 2019 में भी बलिया से सपा के उम्मीदवार थे. तब बीजेपी के वीरेंद्र सिंह ‘मस्त’ मैदान में थे. उस चुनाव में वीरेंद्र सिंह के हाथों सनातन पांडेय को शिकस्त मिली थी. लेकिन दोनों के बीच महज 15 हजार 519 वोटों का फासला था.

2024 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी ने अपना प्रत्याशी बदल दिया. उनकी जगह लाए गए नीरज शेखर. ऐसे में सभी की निगाहें इस बात पर टिकी थीं कि सपा बलिया से किसे टिकट देती है. सनातन पांडेय के नाम को लेकर चर्चाएं पहलें से ही तेज़ थीं और अब हुआ भी ऐसा ही है.

ब्राह्मण बहुल बलिया सीट:

सनातन पांडेय और बलिया के चुनावी इतिहास में पर एक नज़र डालेंगे लेकिन पहले बात करते हैं जातीय समीकरण के बारे में. क्योंकि इस बार का खेल इसी समीकरण से सेट होता दिख रहा है. बलिया की कुल आबादी करीब 25 लाख है. मतदाता हैं करीब-करीब 18 लाख. इनमें सबसे ज्यादा वोट ब्राह्मण समुदाय का है. तीन लाख ब्राह्मण वोटर्स हैं. राजपूत, यादव और दलित वोटर लगभग ढाई-ढाई लाख हैं. इसके बाद मुस्लिम मतदाता हैं एक लाख. भूमिहार और राजभर जाति के वोट भी प्रभावी हैं.

यूपी में बीजेपी को लेकर 2017 के बाद से ब्राह्मण विरोधी होने का आरोप लगता रहा है. योगी आदित्यनाथ के मुख्यमंत्री बनने के बाद ये आरोप लगने शुरू हुए हैं. विपक्षी पार्टियां गाहे-बगाहें ब्राह्मणों के ख़फ़ा होने का दावा करती हैं. ऐसे में इस सीट से सपा ने एक ब्राह्मण प्रत्याशी उतारकर पर्सेप्शन की लड़ाई में तो बाज़ी मार ली है.

‘सनातन’ की सियासत:

साल 1996. गन्ना विभाग के इंजीनियर सनातन पांडेय ने नौकरी से इस्तीफा दे दिया. क्योंकि सिर पर सियासत का खुमार सवार हो गया था इस्तीफे के बाद पहली बार 2002 में उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनाव हो रहा था. सनातन पांडेय ने निर्दलीय ताल ठोक दिया. लेकिन उनके हिस्से आई हार. इसके बाद उन्होंने सपा ज्वाइन कर लिया.

साल 2007. उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनाव हो रहे थे. सपा ने चिलकहर सीट से सनातन पांडेय को टिकट दिया. वे चुनाव लड़े और नतीजे उनके पक्ष में रहे. पांच साल बाद 2012 में फिर विधानसभा चुनाव हो रहे थे. तब तक चिलकहर विधानसभा सीट को समाप्त कर दिया गया था. पार्टी ने उन्हें रसड़ा से टिकट दिया. इस बार उन्हें हार का सामना करना पड़ा. इस चुनाव में बहुजन समाज पार्टी (बसपा) के उमाशंकर सिंह की जीत हुई थी.

2012 में यूपी में सपा की सरकार बनी. रसड़ा से हारने के बावजूद सनातन पांडेय को मंत्री पद मिला था. 2017 में भी उन्होंने रसड़ा से चुनावी मैदान में ताल ठोकी थी, लेकिन इस बार वे तीसरे नंबर पर खिसक गए थे.

2007 के बाद से चुनावी सियासत में सूखे का सामना कर रहे सनातन पांडेय के लिए 2024 लोकसभा चुनाव का स्टेज सेट है. इस बार उनके पास एक बड़ा मौका है सियासी ज़मीन पर झमाझम बारिश कराने की. ये बारिश कितनी मूसलाधार होगी और कौन-कितना सराबोर होगा, इसके लिए 4 जून की तारीख़ का इंतज़ार है.

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