देश में होने वाला अगला लोकसभा चुनाव बहुत ही दिलचस्प होने वाला है। इस चुनाव में एक तरफ जहाँ भाजपा और उसकी सहयोगी पार्टियाँ हैं तो दूसरी तरफ है पूरा विपक्ष। हालाँकि सभी राज्यों में भाजपा से मुकाबला करने के लिए विपक्षी एकता नहीं कायम हो पाई है। लेकिन सभी का मकसद एक है कि किसी भी तरफ से इस बार भाजपा सत्ता में न आ पाए। भाजपा को एक बार फिर से सत्ता में आने के लिए उत्तर प्रदेश में पहले जैसा प्रदर्शन करना होगा।
आपको बता दें कि उत्तर प्रदेश में मिली अपार सफलता के बाद ही भाजपा पूर्ण बहुमत की सरकार बनाने में कामयाब रही है. ऐसे में अब उसे एक बार फिर से उत्तर प्रदेश में अपना वही प्रदर्शन दोहराना होगा। लेकिन इस बार की राह पिछली बार की तरह आसान नहीं है। क्योंकि इस बार एक तरफ जहाँ सपा और बसपा ने अपने गिले शिकवे भुलाकर आपस में गठबंधन कर लिया है तो दूसरी तरफ कांग्रेस भी इस बार कुछ कर गुजरने वाली स्थिति में दिखाई दे रही है।
दरअसल कांग्रेस भी सपा और बसपा के गठबंधन में शामिल होना चाहती थी लेकिन ऐसा नहीं हो सका। मायावती और अखिलेश यादव ने उसे जगह नहीं दी। इसके बाद कांग्रेस पार्टी ने राहुल गाँधी के बाद अपने सबसे मशहूर और लोकप्रिय चेहरे प्रियंका गाँधी को काफी लम्बे इंतज़ार के बाद सक्रीय राजनीति में उतारने का फैसला किया। प्रियंका गाँधी को पार्टी का महासचिव बनाया गया और चुनाव के लिए उन्हें पूर्वी उत्तर प्रदेश की ज़िम्मेदारी दी गई।
अब प्रियंका गाँधी ने अपने करिश्मा दिखाना शुरू कर दिया है और एक भाजपा सांसद को अपने पार्टी कांग्रेस में शामिल कर लिया है। आपको बता दें कि भाजपा की बहराइच की सांसद सावित्री बाई फुले ने कांग्रेस का दामन थाम लिया है। इसके अलावा पूर्व सांसद राकेश सचान ने भी कांग्रेस का हाथ थाम लिया है। ऐसे में इसकी वजह से भाजपा को चुनाव में नुकसान हो सकता है और यहाँ पर कांग्रेस ने बढ़त हासिल कर ली है। कांग्रेस कार्यकर्ता भी इस चुनाव को लेकर सक्रीय हो चुके हैं
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