गठबंधन में सीटें आधी होने के बाद उम्मीदवारों को लेकर समाजवादी पार्टी (एसपी) में मंथन और गहरा गया है। यही वजह है कि अपने कोटे की सात सीटों पर अब तक पार्टी प्रत्याशी नहीं तलाश पाई है। इसमें लखनऊ और वाराणसी जैसी वीआईपी सीटें भी शामिल हैं। एसपी के कोटे में गठबंधन में 37 सीटें आई हैं। इसमें एक राष्ट्रीय लोकदल (आरएलडी) को देने के बाद उनके पास 36 सीटें बची थीं।
इनमें 29 पर प्रत्याशी घोषित किए जा चुके हैं लेकिन सात सीटों पर चेहरे तय नहीं हो पा रहे हैं। इसमें लखनऊ, फूलपुर, इलाहाबाद, बलिया, चंदौली, महाराजगंज और वाराणसी शामिल है।
समाजवाद का गढ़ मानी जाने वाली बलिया सीट एक्सचेंज की चर्चाओं के बीच फंसी हुई। ऐसी चर्चा है कि समाजवादी पार्टी बीएसपी के कोटे में गई जौनपुर सीट अपने पास लेकर बदले में बलिया या महाराजगंज दे सकती है। हालांकि, बलिया से एसपी के संभावित दावेदारों में पूर्व पीएम चंद्रशेखर के बेटे नीरज शेखर अखिलेश यादव के करीबियों में गिने जाते हैं। अखिलेश नीरज के सियासी भविष्य पर ग्रहण नहीं लगाना चाहेंगे। जौनपुर अगर एसपी के खाते में आती है तो वहां से मुलायम सिंह यादव के पोते तेज प्रताप यादव के भी लड़ने की चर्चा है।
हालांकि, पूर्व मंत्री व सांसद पारसनाथ यादव वहां के कद्दावर नेता और टिकट के दावेदार हैं। ऐसे में तेज प्रताप की उम्मीदवारी कम मुश्किल भरी नहीं है। वैसे एसपी के अंदरखाने यह भी चर्चा है कि इन सीटों पर नामांकन शुरू होने में दस दिन भी नहीं बचे हें इसलिए मौजूदा सीटों के हिसाब से ही चेहरे तय कर दिए जाएं। चंदौली से पूर्व मंत्री ओम प्रकाश सिंह के नाम पर भी चर्चा है।
उपचुनाव में जिस फूलपुर सीट पर एसपी ने बीजेपी को हराकर शानदार जीत हासिल की थी उस पर भी वह उम्मीदवार तय नहीं कर पा रही है। कभी कांग्रेस की परंपरागत सीट रही फूलपुर 1996, 1998, 1999 और 2004 में एसपी जीत चुकी है। इस समय नागेंद्र पटेल मौजूदा सांसद है। हालांकि, एक चैनल के स्टिंग में चुनाव के दौरान काले धन के कथित इस्तेमाल में उनका नाम आने के बाद पार्टी असमंजस में है।
इसके बगल की प्रतिष्ठापरक इलाहाबाद सीट पर भी एसपी चेहरा नहीं तलाश पा रही है। इस सीट से एसपी से कुंवर रेवती रमण सिंह 2004 और 2009 में सांसद रह चुके हैं। 2014 में भी एसपी ही दूसरे नंबर पर थी। बीजेपी ने कैबिनेट मंत्री रीता बहुगुणा जोशी को अपना उम्मीदवार बनाया है। कांग्रेस ने अभी तक प्रत्याशी घोषित नहीं किया है। सूत्रों का कहना है कि एसपी अपना नाम तय करने से पहले कांग्रेस का चेहरा परखना चाहती हैं। हालांकि, रेवती रमण सिंह के बेटे विधायक उज्जवल रमण सिंह को भी उम्मीदवार बनाया जा सकता है।
यूपी की राजधानी लखनऊ की लोकसभा सीट के लिए तो नामांकन शुरू हुए तीन दिन हो गए लेकिन एसपी अपना उम्मीदवार नहीं तलाश पाई। बीच में बीजेपी छोड़कर कांग्रेसी हुए फिल्म स्टार शत्रुघ्न सिन्हा की पत्नी पूनम सिन्हा की दावेदारी की चर्चा तेज चली थी। अब वह भी ठंडे बस्ते में है। गृहमंत्री राजनाथ सिंह के खिलाफ अब कोई स्थानीय चेहरा ही उतारा जा सकता है।
इसी तरह पीएम नरेंद्र मोदी की संसदीय सीट वाराणसी में भी विपक्ष अब तक खाली हाथ है। मजबूत टक्कर देने के लिए एसपी कोई कद्दावर चेहरा तलाश रही है लेकिन उसे अब तक कामयाबी नहीं मिल पा रही है। हालांकि, एसपी प्रदेश अध्यक्ष नरेश उत्तम का कहना है कि बची सीटों पर जल्द प्रत्याशी घोषित कर दिए जाएंगे।
बलिया समाजवादी पार्टी के युवा नेता प्रिंस सिंह ने शनिवार को बीजेपी सदस्यता ग्रहण की।…
बलिया में आए दिन आगजनी की घटनाएं सामने आ रही है। इन घटनाओं में आर्थिक…
लोकसभा चुनाव नजदीक आ गए हैं और सभी पार्टियां प्रचार में जुटी हुई हैं। अलग…
बलिया में भीषण गर्मी और हीट वेव से हालत काफी ज्यादा खराब है। गर्मी के…
लोकसभा चुनाव चुनाव के लिए रवींद्र कुशवाहा को इस बार भी बीजेपी ने सलेमपुर सीट…
बलिया के बांसडीह में आगजनी की गंभीर घटना सामने आई है। यहां खेवसर गांव के…