भारत में भ्रष्टाचार की जड़े इतनी गहरी हैं कि हर एक विभाग भ्रष्टाचार का अड्डा बनता जा रहा है। हालात यह है कि देश में हर जगह भ्रष्टाचार है और सबसे ज्यादा गरीब लाचार है। सरकारें जनता के हित में, क्षेत्र के विकास के लिए करोड़ों रुपए का फंड देती है लेकिन सरकार के नुमाइंदे इन योजनाओं को पलीता लगाने से पीछे नहीं हटते। हर एक निर्माण में भ्रष्टाचार की नई इबारत लिखी जा रही है। ताजा मामला चिलकहर विकासखंड से सामने आया जहां एक गांव में विकास कार्यों की जांच में सात लाख का फर्जीवाड़ा सामने आया है।
चिलकहर विकासखंड के वीरा भाटी गांव में कृषि उपनिदेशक इंद्राज शौचालयों की जांच करने पहुंचे लेकिन इस निरीक्षण के दौरान सात लाख के फर्जी भुगतान का खुलासा हुआ। जांच के दौरान पता चला कि 40 लाभार्थियों के खातों में पैसा भेजने के बाद भी मौके पर शौचालय बने ही नहीं। लाभार्थियों से पूछताछ हुई तो उन्होंने प्रधान पर आरोप लगाते हुए कहा कि हमें केवल 2000 रुपए दिए गए हैं। बाकी पैसे ग्राम प्रधान ने रख लिए। पूरे मामले में इतने बड़े घोटाले का खुलासा होने के बाद कृषि उपनिदेशक ने सचिव से खातों का स्टेटमेंट के साथ तलब किया है।
इसारी गांव में उप कृषि निदेशक 18 बिंदुओं पर जांच करने पहुंचे लेकिन केवल 6 ही बिंदुओं पर जांच हो पाई। सचिव की ओर से शेष कागजात नहीं दिए गए। छह बिंदुओं पर जांच में सात लाख से अधिक का फर्जी भुगतान का मामला प्रकाश में आया है। इसकी रिपोर्ट जिलाधिकारी को भेजी गई है। जांच के बाद गांव में हड़कंप की स्थिति बनी हुई है।
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