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‘शेर-ए-बलिया’ चित्तू पांडेय को सम्मान, उनकी स्मृति में जारी किया गया डाक टिकट

बलिया। ‘शेर-ए-बलिया’ चित्तू पांडेय, के नाम पर उनकी स्मृति में डाक टिकट जारी किया गया है। डाक विभाग के अधिकारियों ने स्वतंत्रता संग्राम सेनानी चित्तू पांडेय के पैतृक निवास पहुंचकर परिजनों के सामने ही डाक टिकट जारी किया। यह बलिया के लिए एक गर्व की बात है। वहीँ चितू पांडेय के पौत्र जैनेंद्र पांडेय ने भी इस मौके पर खुशी जाहिर करते हुए कहा कि “सरकार की ये अच्छी पहल है। हालांकि उनका यह भी कहना था कि सरकार को इसको बहुत पहले ही कर देना चाहिए था।”कौन थे चित्तू पांडेय- बलिया के रट्टूचक गांव में 10 मई 1865 को जन्मे चित्तू पांडेय ने 1942 के ब्रिटिश विरोधी आंदोलन में स्थानीय लोगों की फौज बना कर अंग्रेजों को खदेड दिया था। चित्तू पांडेय के नेतृत्व में बलिया भारत में सबसे पहले आजाद हुआ था। 23 मई 1984 को बलिया में चित्तू पांडेय की प्रतिमा का अनावरण करते हुए प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने कहा था कि सारा देश बलिया को चित्तू पांडे के कारण जानता है। स्वतंत्रता संग्राम के दौरान जवाहर लाल नेहरू ने जेल से छूटने के बाद कहा था कि ‘मैं पहले बलिया की स्वाधीन धरती पर जाऊंगा और चित्तू पांडे से मिलूंगा।’
कैसे पड़ा शेर-ए-बलिया नाम – साल था 1942, अगस्त के बारिश वाले इस महीने में उस साल देश भीग नहीं रहा था, बल्कि सुलग रहा था। 8 अगस्त 1942 को मुंबई से अंग्रेजों भारत छोड़ो का नारा दिया गया जो देखते ही देखते देशभर में गूंज गया। 9 अगस्त को देशभर में बड़ी संख्या में गिरफ्तारियां हो रही थीं, लेकिन इस घमासान के बीच उत्तर प्रदेश का बलिया जिला अपनी अलग ही तैयारी कर रहा था। अंग्रेजों ने कई क्रांतिकारी नेताओं को गिरफ्तार कर लिया। गांधी-नेहरू समेत कांग्रेस कार्य समिति के सभी सदस्य गिरफ्तार थे। इसके विरोध में बलिया भी उठा, और ऐसा उठा कि इतिहास में बलिया को अपना जग प्रसिद्ध नाम मिला बागी बलिया। जिस शख्सियत ने बलिया को यह पहचान दिलाई, उन्हें आदर सहित चित्तू पांडेय कहते हैं।
हुआ यूं कि आजादी की लड़ाई के दौरान चित्तू पांडेय अपने साथियों जगन्नाथ सिंह और परमात्मानंद सिंह के साथ गिरफ्तार कर लिए गये थे। इससे बलिया की जनता में क्षोभ से भर गई। इसके बाद 9 अगस्त 1942 को महात्मा गांधी और पं. नेहरू के साथ-साथ कांग्रेस कार्य समिति के सभी सदस्य भी गिरफ्तार कर अज्ञात जगह भेज दिए गए। इससे जनता में और भी रोष पनप गया। चित्तू पांडेय की जागरूक की हुई जनता ने जब अपना हक पहचान लिया तो शहर को ही अपना बनाने निकल पड़ी। बलिया जिले के हर प्रमुख स्थान पर प्रदर्शन और हड़तालें शुरू हो गईं। तार काटने, रेल लाइन उखाड़ने, पुल तोड़ने, सड़क काटने, थानों और सरकारी दफ्तरों पर हमला करके उन पर राष्ट्रीय झंडा फहराने के काम में जनता जुट गई थीं।5 दिनों तक पूरे बलिया में यह सिलसिला जारी रहा। इतने में देशभर में आंदोलन हो रहे थे जो कि उग्र हो चले थे। छात्रों ने कॉलेज छोड़ दिए और सड़कों पर उतर आए। 4 अगस्त को वाराणसी कैंट से विश्व विद्यालय के छात्रों की एक ट्रेन जिसे आजाद ट्रेन का नाम दिया गया था, वह बलिया पहुंची। ट्रेन में भरे छात्रों के पहुंचने का नतीजा यह हुआ कि बलिया की जनता दोगुने जोश से उग्र आंदोलन करने लगी। अब जनता अपना हक लेने पर आमादा थी। अगले दिन 15 अगस्त को पांडेय पुर गांव में एक गुप्त मंत्रणा हुई। उसमें यह तय हुआ कि 17 और 18 अगस्त तक तहसीलों और जिले के प्रमुख स्थानों पर कब्जा कर 19 अगस्त को बलिया पर हमला किया जाएगा।
कई थानों पर क्रांतिकारियों का अधिकार- तय योजना के अनुसार, 17 अगस्त की सुबह रसड़ा बैरिया, गड़वार, सिकंदरपुर, हलधरपुर, नगरा, उभांव आदि जगहों पर आंदोलनकारियों ने धावा बोल दिया। सब कुछ भीड़ के मनमुताबिक हो रहा था। लेकिन यहां एक धोखा हो गया। बैरिया थाने पर जनता ने जब राष्ट्रीय झंडा फहराने की मांग की तो थानेदार राम सुंदर सिंह तुरंत तैयार हो गया। थानेदार ने ऐसा दिखावा किया कि जैसे वह खुद क्रांतिकारियों में शामिल है।लोगों ने इसके बाद उससे हथियार मांगे तो उसने अगले दिन देने की बात पर उलझा लिया।
थानेदार बना धोखेबाज, बरसा दीं गोलियां- अगले दिन जब क्रांतिकारी एक जुट होकर थाने से हथियार लेने पहुंचे तो नेदार ने धोखा देकर करीब 19 स्वतंत्रता सेनानियों को मार डाला। गोली-बारूद खत्म हो जाने के बाद थानेदार ने अपने सिपाहियों के साथ आत्मसमर्पण कर दिया। बैरिया जैसा ही नृशंस कांड रसड़ा में गुलाब चंद के अहाते में भी हुआ। पुलिसिया जुल्म में बीस लोगों की जानें गईं. इस तरह आंदोलनकारियों ने 18 अगस्त तक 15 थानों पर हमला करके आठ थानों को पूरी तरह जला दिया।
19 अगस्त को जनता जिला मुख्यालय बलिया पहुंची। यहां भारी भीड़ को आता देखकर, कलेक्टर घबरा गया। कलेक्टर ने चित्तू पांडेय और जगन्नाथ सिंह सहित 150 सत्याग्रहियों को रिहा कर दिया। 19 अगस्त को जिले में राष्ट्रीय सरकार का विधिवत गठन किया गया जिसके प्रधान चित्तू पांडेय बनाए गए। जिले के सारे सरकारी संस्थानों पर राष्ट्रीय सरकार का पहरा बैठा दिया गया। सारे सरकारी कर्मचारी पुलिस लाइन में बंद कर दिए गए। हनुमान गंज कोठी में राष्ट्रीय सरकार का मुख्यालय कायम किया गया। लोगों ने नई सरकार को खुले हाथों से दान किया, ताकि नई सरकार स्थापित होकर चल सके। चित्तू पांडेय अब नगर को नए सिरे से चलाने की योजनाएं बनाने लगे।लेकिन अंग्रेज चुप नहीं बैठे थे। एक अंग्रेज ऑफिसर नीदर सोल 22 अगस्त को ढाई बजे रात में रेल गाड़ी से सेना की एक टुकड़ी लेकर बलिया पहुंचा। नीदर सोल ने मिस्टर वॉकर को नया जिलाधिकारी बनाया और 23 अगस्त को नदी के रास्ते सेना की और टुकड़ियां भी पहुंच गईं। इसके बाद अंग्रेजों ने अपनी दुर्दांत दमन नीति अपनाकर लोगों को बुरे से बुरे कष्ट के साथ मौत के घाट उतारा।
12 बजे दिन में नदी के रास्ते सेना की दूसरी टुकड़ी पटना से बलिया पहुंची। इसके बाद अंग्रेजों ने लोगों पर खूब कहर ढाये। चित्तू पांडेय को गिरफ्तार करने पहुंची पुलिस उन्हें तो नहीं पा सकी, लेकिन गांव-गांव उनके होने के शक में जला दिए गए। और फिर वीर रणबांकुरे चित्तू पांडेय 1946 को आजादी से एक साल पहले विदा हो गए।




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बलियाः माल्देपुर से कदम चौराहा तक फोरलेन के डिवाइडर पर लगेंगे स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों के नाम

माल्देपुर से कदम चौराहा तक जल्द ही फोरलेन रोड बनी नजर आएगी। इस सड़क का निर्माण कार्य तेजी से चल रहा है।कार्यदायी संस्था पीडब्ल्यूडी के इंजीनियरों की मौजूदगी में ठेकेदारों द्वारा दाएं लेन के लिए जेसीबी से गिट्टी खोदाई के बाद गिट्टी भरने का काम शुरू हो गया है।
जिले के महापुरुषों, स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों और ऐतिहासिक स्थलों के चित्र वाली LED तस्वीरें भी सड़कों पर लगेगी और बीच-बीच में स्ट्रीट लाइटें लगेंगी। इससे रात में भी पूरी सड़क के साथ आसपास का इलाका भी जगमग होगा। शहर की सुंदरता बढ़ेगी।
इसके लिए करीब दो करोड़ का प्रस्ताव कार्यदायी संस्था लोक निर्माण विभाग ने शासन को भेजा है। एनएच 31 पर सड़क की लंबाई 4.455 किलोमीटर है। 48.95 करोड़ रुपये से यह परियोजना पूरी होगी। बरसात के कारण नाला निर्माण कार्य धीमा चल रहा है, लेकिन बहेरी तक सड़क के दोनों तरफ सीमेंटेड ढक्कन वाली नाली का निर्माण हो चुका है।
बता दें कि शहर के बीचो-बीच से होकर गुजर रहे एनएच पर ट्रैफिक बढ़ने के चलते ज्यादातर समय लोगों को जाम का सामना करना पड़ता था। ऐसे में सड़क को चौड़ा करने की मांग लंबे समय से हो रही थी। इस समस्या से निजात के लिए सांसद वीरेंद्र सिंह मस्त ने भूतल परिवहन मंत्री नितिन गडकरी से आग्रह किया था। इसके बाद राष्ट्रीय राजमार्ग मंत्रालय ने माल्देपुर से कदम चौराहा तक सड़क को चौड़ा करने की मंजूरी दी। अब सड़क का निर्माण कार्य तेजी से हो रहा है। सड़क का निर्माण होते ही लोगों को जाम से मुक्ति मिलेगी।
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बलिया में धारा 144 लागू, इतने महीने तक जारी रहेगा प्रतिबंध!

बलिया में धारा 144 लागू कर दी गई है । बलिया जिलाधिकारी ने ये आदेश गणेश उत्सव एवं आगामी त्यौहार ईद-ए-मिलाद/बारावफात, दशहरा, दीपावली, गोवर्द्धन पूजा व चित्रगुप्त जयन्ती को दृष्टिगत रखते हुए शान्ति व्यवस्था बनाए रखने के लिए जारी किया है
सुचना विभाग द्वारा जारी विज्ञप्ति में बताया है कि जनपद सीमा के भीतर निवास करने वाले तथा आने जाने वाले समस्त व्यक्तियों के लिए 19 सितंबर से 15 नवंबर तक की अवधि के लिए धारा 144 लागू किया गया है।
जिला मजिस्ट्रेट रवींद्र कुमार ने बताया है कि जनपद सीमा के अन्तर्गत किसी भी सार्वजनिक स्थानों पर पांच या पांच से
अधिक व्यक्ति एक समूह के रूप में एक साथ एकत्रित नहीं होगे और न ही कोई जुलूस निकालेगें और न ही कोई धरना प्रदर्शन करेगा और न ही कोई ऐसी अफवाह फैलायेगें जिससे शान्ति व्यवस्था पर प्रतिकूल प्रभाव पड़े। विशेष परिस्थितियों में जुलूस आदि के लिए सक्षम अधिकारी से पूर्व अनुमति प्राप्त किया जाना अनिवार्य होगा। यह प्रतिबन्ध परम्परागत, सामाजिक या धार्मिक संस्कारों एवं रीति-रिवाज तथा जुमे की नमाज पर लागू नहीं होगा। कोई भी व्यक्ति किसी भी प्रकार का अस्त्र-शस्त्र जैसे लाठी, डण्डा, चाकू, भाला, फरसा, बन्दूक, राइफल, रिवाल्वर, पिस्टल आदि आग्नेयास्त्र या अन्य धारदार हथियार एवं किसी- प्रकार के विस्फोटक पदार्थ को लेकर नहीं चलेगा। यह प्रतिबन्ध सिक्खों द्वारा परम्परागत रूप से धारण होने वाले कृपाण तथा ड्यूटी पर तैनात अधिकारियों/कर्मचारियों पर लागू नहीं होगा।
बूढे, बीमार, विकलांग, अपंग तथा अन्य व्यक्ति सहारे के लिए लाठी, डण्डे अथवा छड़ी का प्रयोग कर सकते है। कोई भी व्यक्ति किसी सार्वजनिक स्थान, मन्दिर, मस्जिद,गुरुद्वारा, चर्च, सड़क मकान के अन्दर अथवा छत पर ईट, पत्थर, शीशा, बोतल व काँच के टुकड़े तथा विस्फोटक आदि एकत्र नहीं करेगें। कोई भी व्यक्ति साम्प्रदायिकता भड़काने वाले पोस्टर, बैनर, कटआउट आदि न तो लगायेगा। कोई भी व्यक्ति ऐसी अफवाह अथवा ऐसा नारा नहीं लगायेगा और न ही ऐसा पर्चा छापेगा और न बटवायेगा जिससे किसी वर्ग विशेष की भावना को ठेस पहुचे। कोई भी व्यक्ति किसी भी प्रकार के सार्वजनिक संचार साधन तथा मार्ग पर अवरोध उत्पन्न नहीं करेगा।
कोई भी व्यक्ति सड़क, जल मार्ग, रेलमार्ग, कार्यालय, पेट्रोल पम्प आदि का घेराव नहीं करेगा, न ही यातायात के आवागमन में अथवा किसी प्रकार के सार्वजनिक संचार आदि व्यवस्था में अवरोध उत्पन्न करेगा। कोई भी व्यक्ति मार्केट, दुकान प्रतिष्ठान, कार्यालय, पेट्रोल पंप आदि को ना बंद कराएगा नहीं किसी सरकारी संपत्ति की क्षति तोड़फोड़ आदि करेगा ना ही किसी प्रकार का पुतला जाएगा। कोई भी व्यक्ति ऐसा भाषण या नारा नहीं लगाएगा नहीं इस प्रकार का प्रचार प्रसार करेगा। कोई भी व्यक्ति नई परंपरा अथवा गैर परंपरागत कार्य कार्यक्रम नहीं करेगा। कोई भी व्यक्ति किसी प्रकार के अग्नेयास्त्र को किसी प्रकार के आयोजित होने वाले समारोह में उपयोग नहीं करेगा। कोई भी व्यक्ति ध्वनि विस्तारक यंत्रों द्वारा ऐसा प्रचार नहीं करेगा और ना ही ऐसा भाषण देगा और ना ही ऐसा कैसेट बजाएगा। उक्त आदेश का उल्लंघन भारतीय दंड विधान की धारा 188 के अंतर्गत दंडनीय अपराध होगा।
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बलिया में डेढ़ दर्जन वारदातों को अंजाम देने वाला चोर गिरफ्तार, आरोपी के पास से 15 लाख रुपये के आभूषण बरामद

बलिया में कई चोरियों को अंजाम देने वाले शातिर चोर को पुलिस ने पकड़ लिया है। इस चोर ने क्षेत्र में करीब डेढ़ दर्ज से अधिक वारदातों को अंजाम दिया है। पुलिस ने आरोपी को गिरफ्तार कर न्यायालय में पेश किया।
कोतवाली पुलिस के उप निरीक्षक ज्ञानचंद शुक्ल की टीम ने ये सफलता हासिल की है। अपर पुलिस अधीक्षक दुर्गा प्रसाद तिवारी ने बताया कि बुधवार के दिन मुखबिर की सूचना पर ये कार्रवाई हुई। जहां ज्ञानचंद शुल्क की टीम ने महुआ मोड़ ओवरब्रिज क्षेत्र की घेराबंदी कर रेलवे ओवर ब्रिज के पास से अभियुक्त अशोक गुप्ता पुत्र ओम प्रकाश गुप्ता निवासी ग्राम बेदुआ थाना कोतवाली जनपद बलिया को गिरफ्तार कर लिया।
आरोपी चोर के पास से करीब 15 लाख रुपए के आभूषण, नगदी सहित चोरी करने में प्रयोग किया जाने वाला अन्य सामान बरामद किया है। पुलिस ने युवक के पास से दो सोने का ब्रेसलेट, एक नथिया, दो चूड़ी पीली, एक सीताहार, एक हार, दो कंगन, दो झुमका, दो अंगुठी, एक मांगटीका, दो चांदी का पायल, दो चांदी का सिक्का कुल 261.430 ग्राम आभूषण पीली और सफेद धातु कीमती लगभग 15 लाख रुपए और दो लोहे का रम्मा, 83 सौ रुपए नगद सहित अन्य समान बरामद हुआ।
अभियुक्त अब तक कई घटनाओं को अंजाम दे चुका है। इसका कोई गिरोह नहीं है। आरोपी अकेले ही सभी वारदातों को अंजाम देता है। ये बंद घरों की रेकी कर वारदातों को अंजाम देता था। आरोपी ने गिरफ्तार होने के बाद कई चोरियों की बात स्वीकार की है।
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