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बलिया में हैरान करने वाले आंकड़े, जिले में अनुसूचित जनजाति वर्ग का एक भी शख्स नहीं !

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उत्तरप्रदेश के बलिया जिले में हैरान करने वाली खबर सामने आई है। जहां पिछले 11 सालों में अनुसूचित जनजाति वर्ग के एक लाख 73 हजार 778 लोग गायब हो गए हैं। जिनका सरकारी दस्तावेज में कोई रिकॉर्ड नहीं है। जबकि साल 2011 की जनगणना के मुताबिक अनुसूचित जनजाति की आबादी एक लाख 73 हजार 778 थी। जो अब शून्य बताई जा रही है। तहसील मुख्यालयों से भेजी गई रिपोर्ट में यह बात सामने आई है। आखिर अनुसूचित जाति वर्ग के लोग कहां गए यह बताने वाला कोई नहीं है। तहसीलों की रिपोर्ट में खुलासा- दरअसल शासन के निर्देश पर जिला पंचायत राज अधिकारी ने सभी तहसील मुख्यालयों को पत्र भेजकर साल 2011 की जनगणना के हिसाब से जिले में अनुसूचित जनजाति की वर्तमान रिपोर्ट भेजने का निर्देश दिया था। सभी तहसील मुख्यालयों की ओर से डीपीआरओ को रिपोर्ट भेजी गई।

रिपोर्ट के अनुसार जिले में अनुसूचित जनजाति का एक भी परिवार या सदस्य नहीं है। जिससे बिरादरी के लोगों को लंबे समय से अनुसूचित जनजाति का प्रमाणपत्र लेने के लिए सड़क पर संघर्ष करना पड़ा है। इतना ही नहीं बीते पंचायत चुनाव में जाति प्रमाण पत्र के अभाव में बिरादरी के लोगों को चुनाव लड़ने से महरुम होना पड़ा। 2011 की जनगणना- 2011 में अनुसूचित जनजाति के कुल 1 लाख 73 हजार 778 लोग थे। इनमें गोंड जाति के कुल 1 लाख 38 हजार 942 और खरवार जाति के 34 हजार 836 लोग शामिल थे।

इनमें गोंड जाति के 39 हजार 576 पुरुष, 38 हजार 498 महिला और 60 हजार 868 बच्चे शामिल थे। इसी प्रकार खरवार जाति के 9 हजार 499 पुरुष, 9 हजार 587 महिला और 15 हजार 750 बच्चे थे। बलिया सदर तहतसीलदार सदानंद सरोज के मुताबिक साल 2011 की जनगणना को अब अनुसूचित जनजाति की श्रेणी में नहीं माना जा रहा है। क्योंकि ये जाति प्रमाणपत्र के लिए शासन के निर्देशों के अनुसार नहीं है। शासन की गाइडलाइन के मुताबिक अनुसूचित जनजाति का प्रमाणपत्र देने के लिए 1950 से पहले राष्ट्रपति की ओर से जारी शासनादेश होना चाहिए, जिसमें जाति के कॉलम में जाति लिखी हो या 1356 और 1356 फसली के साथ टीसी और शैक्षणिक प्रमाणपत्र, जिसमें जाति लिखी होनी चाहिए।

सियासत में उलझे जाति प्रमाण पत्र- गोगपा के प्रदेश प्रभारी अरविंद गोडवाना ने बताया कि 2017 से पहले जिले में गोंड और खरवार बिरादरी के लोगों को सुगमता से अनुसूचित जनजाति का प्रमाण पत्र जारी होता था, लेकिन सत्ता में भाजपा के आते ही रोक लगा दी गई और तमाम तरह के दस्तावेज मांगे जाने लगे। जबकि 2011 में सरकार ने ही जनगणना कराई गई थी, जिसमें जिले करीब पौने दो लाख लोग चिह्नित हुए थे। अब सरकारी नुमाइंदें ही सरकार के फैसले को गलत ठहरा रहे है। तभी तो जाति प्रमाण पत्र जारी करने में हीलाहवाली की जा रही है। जनप्रतिनिधियों ने शासन पर मड़ा दोष- भाजपा के अनुसूचित जनजाति प्रकोष्ठ जिला अध्यक्ष तारकेश्वर गोंड का कहन है कि योगी सरकार ने

गोंड और खरवार बिरादरी के वास्तविक लोगों को अनुसूचित जनजाति का जाति प्रमाण जारी करने के लिए समय-समय पर आदेश किए। लेकिन जिला प्रशासन ने इसमें बाधा उत्पन्न की, जिससे लोगों को जाति प्रमाण पत्र मिलने में दिक्कत हुई है। हालांकि अब शासन के निर्देश पर जिले की विभिन्न तहसीलों में जाति प्रमाण पत्र जारी किया जा रहा है।

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बलिया के शिवपुर घाट पर गंगा नदी में डूबा किशोर, नहाने के दौरान हुआ हादसा

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बलिया के दोकटी थाना के शिवपुर घाट पर शनिवार सुबह गंगा नदी के गहरे पानी में एक 15 वर्षीय बालक डूब गया। पुलिस ने गोताखोरों को बुलाकर किशोर को ढूंढने का प्रयास शुरू किया है लेकिन अभी तक किशोर नहीं मिल पाया है।

जानकारी के मुताबिक, दोकटी थाना क्षेत्र के रामपुर गांव निवासी 15 वर्षीय रणवीर गुप्ता पुत्र रामनारायण गुप्ता अपने परिवार व रिश्तेदार के साथ शनिवार सुबह करीब आठ बजे गंगा स्नान करने शिवपुर घाट आया था। नदी के अंदर नहाने के लिए रणवीर और रौनक पुत्र राजेश गुप्ता एक साथ गए। नहाते-नहाते तीनों गहरे पानी में चले गए और डूबने लगे।

इस दौरान शोर सुनकर नाविक पहुंचे और अनिकेत और रौनक को बचा लिया, लेकिन रणवीर को नहीं बचाया जा सका और वह डूब गया। सूचना पर चौकी इंचार्ज लालगंज जय प्रकाश सिपाहियों के साथ घाट पर पहुंच गए। पुलिस की मौजूदगी की सर्च ऑपरेशन शुरू किया गया लेकिन अभी तक डूबे युवक को बाहर नहीं निकाला जा सका है।

 

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बलिया में कूड़े के ढेर में लगी भयानक आग, पुलिस की सूझबूझ से टला बड़ा हादसा

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बलिया के बिल्थरारोड में कूड़े के ढेर में अचानक आग लग गई। इस घटना के बाद इलाके में अफरा तफरी मच गई। आग की लपटें इतनी तेज़ थी कि इन पर काबू पाना मुश्किल होता जा रहा था। इसी बीच सीयर पुलिस चौकी प्रभारी देवेंद्र कुमार और सिपाहियों ने तेज़ी दिखाई और आग पर काबू पाया।

जानकारी के मुताबिक, नगर के चौधरी चरण सिंह तिराहे के समीप कूड़े का ढेर पड़ा हुआ था। कूड़े में अज्ञात कारणों से आग लग गई। तेज पछुआ हवा के चलते देखते ही देखते आग ने विकराल रूप ले लिया। रात को कूड़े की ढेर से आग की लपटें निकलते देख लोग सहम गए और वहां अफरा तफरी मच गई।

शोर सुनकर सीयर पुलिस चौकी प्रभारी देवेंद्र कुमार अपने सिपाहियों को लेकर वहां पहुंच गए। इसके बाद पुलिस ने लोगों की मदद से आग पर काबू करने का प्रयास शुरू कर दिया। आसपास के घरों के लोगों ने भी बाल्टी में पानी लाकर आग बुझाने में पुलिस की भरपूर मदद की। अंततः पुलिस और पब्लिक की मदद से लगभग 45 मिनट के अथक प्रयास के बाद आग पर काबू पाया।

समय रहते आग आग पर काबू पाए जाने से धन-जन का नुकसान होने से बच गया। मुहल्ले वालों ने मदद के लिए सीयर पुलिस चौकी को शुक्रिया कहा। आग लगी के कारणों का पता नहीं चल सका है।

 

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बलिया में बक्से में मिली वृद्धा की लाश के मामले में पुलिस ने आरोपी बेटी को किया गिरफ्तार

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बलिया के नरहीं थाना क्षेत्र के उजियार में तीन महीने पहले बक्से में मिली वृद्धा की लाश के मामले में पुलिस ने बड़ा खुलासा किया है। पुलिस ने इस मामले में हत्यारिन बेटी और साथी को गिरफ्तार किया है। पुलिस ने आरोपियों के पास से घटना में प्रयुक्त हैंडपम्प का हैंडल भी बरामद हुआ है।

जानकारी के मुताबिक, बक्सर जिले के औद्योगिक थाना क्षेत्र के बड़की सारिमपुर निवासी 60 वर्षीया खैरुनिशा 12 जनवरी की सुबह उजियार गांव स्थित अपने घर गई थी। उसने यहां मकान बनाकर किराए पर दे रखा था। देर शाम तक वापस नहीं गयी तो बक्सर से परिजन ढूंढते हुए उजियार स्थित घर पर पहुंच गए। बाहर से घर की कुंडी बंद थी। पीछे की दीवार फांदकर परिजन अंदर गए तो फर्श पर खून देख सन्न रह गए थे।

इस घटना के बाद परिजनों ने पुलिस को सूचना दी। पुलिस ने मामले की गंभीरता से जांच शुरू की। जांच के बाद पुलिस ने सारिमपुर को ही सबा खातून और फैयाज खां की गिरफ्तार किया। सबा मृत महिला के दूसरे पति की बेटी है। पुलिस की पूछताछ में सबा खातून ने बताया कि मां खैरुनिशा पूरी संपति पहले पति के बेटे के नाम कर रही थी। जबकि उक्त सभी संपत्ति मेरे पिता स्व. मुजिबुल ने कमाई थी। घटना के दिन संपत्ति को लेकर विवाद हो गया। उसी दौरान फैयाज खां के साथ मिलकर हैंडपंप के हैंडल से हमला कर दिया। लाश कमरे में रखे बक्से में रख दिया। रात में शव को फेंकने की योजना थी।

बेटी के अनुसार उसकी मां पूरी सम्पत्ति बेटे के नाम से करना चाहती थी। इसके चलते ही बेटी शादी के बाद भी ससुराल की बजाय सारिमपुर स्थित अपने मां के घर के बगल में ही रहती थी। वहीं उसकी फैयाज से जान पहचान हुई और यह प्रगाढ़ हो गया। पुलिस के अनुसार फैयाज के साथ मिलकर ही उसने मां की हत्या को अंजाम दिया। फिलहाल पुलिस ने आरोपियों को कोर्ट में पेश करने की तैयारी शुरू कर दी है।

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