बलिया डेस्क: जिलाधिकारी के आदेश को ताक पर रख 22 लाख गबन के मामले में गठित जांच टीम मानिकपुर गांव के प्रधान और सचिव पर कुछ ज्यादा ही मेहरबानी दिखा रहे हैं। आलम यह है कि एक सप्ताह के अंदर जिलाधिकारी द्वारा जांच आख्या मांगें जाने के बावजूद 17 सितंबर 2019 को गठित जांच टीम आज 51 दिन बाद भी गांव में जांच करने नहीं पहुंची है। ऐसे में इस रवय्ये से एक तरफ जहां लोगों में काफी नाराज़गी है,
वहीं दूसरी तरफ जिला प्रशासन की कार्यशैली पर भी सवालिया निशान लग रहे हैं। गौरतलब है कि अमर उजाला ने दिनांक 16 सितंबर 2019 के अंक में ‘प्रधान और सचिव ने मिलकर ‘डकारा’ सरकारी धन’ शीर्षक प्रकाशित किया था, जिसके बाद हरक्कत में आए जिला प्रशासन ने आनन-फानन में अगले ही दिन यानी 17 सितंबर 2019 को तीन सदस्यीय जांच टीम गठित की। जांच टीम का अध्यक्ष उप कृषि निदेशक को बनाया गया।
जबकि लघु सिंचाई के सहायक अभियंता, सहायक अभियंता ग्रामीण अभियंत्रण विभाग को सदस्य नामित किया गया था। जांच टीम को जिलाधिकारी द्वारा निर्देश दिया गया था कि गबन के मामले की जांच कर एक सप्ताह के अंदर जांच आख्या प्रस्तुत करें। लेकिन आज 08 अक्टूबर बीत गया. यानी की पूरे 51 दिन बाद भी जांच टीम गांव में जांच करने नहीं पहुंची। बता दें कि मानिकपुर गांव के प्रधान और सचिव द्वारा इंटरलाकिंग, खड़ंजा मरम्मत, ढक्कन सहित नाली
निर्माण कार्य बिना कराए ही 22 लाख रुपये उतार लिया गया था और इस बात की पुष्टि एडीओ पंचायतने विगत 14 सितंबर 2019 को अपनी जांच रिपोर्ट में किया था। इसके बाद से अमर उजाला में खबर प्रकाशित के ठीक अगले ही दिन यानी 17 नवंबर को जांच टीम गठित हुई और एक सप्ताह के अंदर जांच आख्या मांगी गई थी। लेकिन अभी भी जांच न होने को लेकर कई तरह के सवाल उठ रहे हैं।
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