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आजादी की लड़ाई में शहीद बलिया के इस रणबांकुर को आज तक नहीं मिला सम्मान…..शौर्य स्थल उपेक्षा का शिकार

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रेवती(बलिया). देश भक्ति, क्रांति और आजादी की लड़ाई में बलिया जनपद के रेवती ब्लाक का लम्बा इतिहास रहा हैं. इन्हीं ऐतिहासिक कारनामों में प्रमुख रुप से शामिल कुशहर ग्राम सभा का मुड़िकटवा ताल जहां 22 अप्रैल 1858 में बिहार प्रांत के जगदीशपुर के जमींदार वीरवर बाबू कुंवर सिंह के पीछे लगी ब्रिटिश हुकुमत के 106 सैनिकों के सर कलम कर रचा गया वीरता की शौर्यगाधा शामिल है. यह दीगर बात है कि अगर हमारे जन प्रतिनिधियों की नजरे-ए-इनायत इस स्थल पर हुई होती तो आज मुड़िकटवा का शौर्य स्थल काफी विकसित होता.
नगर के सटे पश्चिम कुशहर ग्राम सभा स्थित मुड़िकटवा में वीरवर बाबू कुंवर सिंह के शौर्य स्थल पर आज तक न ही पर्यटन मंत्रालय और न ही किसी जनप्रतिनिधि की नजरें इनायत हुयी. 1857 में पीर अली को अंग्रेजों द्वारा फांसी दिये जाने एवं ब्रिटिश सरकार की हड़प नीतियों से खफा जगदीश पुर (बिहार )के जमींदार बाबू कुंवर सिंह अपनी सेना लेकर ब्रिटिश सरकार के विरुद्ध विद्रोह का डंका बजाते हुए अपनी हवेली से निकल पड़े. अस्सी वर्ष की उम्र के कुंवर सिंह को घेरने के लिए अंग्रेजी सेना उनके पीछे पड़ गई. विभिन्न अंग्रेज कैप्टनों के नेतृत्व में अंग्रेज सैनिकों के साथ कुंवर सिंह की लडाई आरा, दुल्लौर, अतरौलिया,आजमगढ़ आदि में हुई. वीरवर बाबू कुंवर सिंह अंग्रेज सैनिकों से लोहा लेते हुए मनियर के रास्ते इस क्षेत्र में प्रवेश किए कुंवर सिंह के पीछे कप्तान डगलस की सेना लगी हुई थी. आगे-आगे कुंवर सिंह अपनी अल्प सैन्य टोली के साथ निकल रहे थे. उनके पीछे लगातार अंग्रेज सैनिक लगे हुए थे. जैसे ही इसकी भनक यहां के स्थानीय आजादी के दीवानों को लगी तो वे तुरंत बाबू कुंवर सिंह के मदद की योजना तैयार करने में लग गए. देश की आजादी के लिए संघर्ष कर रहे रेवती, गायघाट, त्रिकालपुर तथा क्षेत्र के अन्य गांवों के लोगों ने 21 अप्रैल को मिडिल स्कूल प्रांगण में मीटिंग के बाद गायघाट में रात्रि में परंम्परात हथियारों के साथ ही बांस के नुकीले खप्चार तैयार किए तथा जिस रास्ते पर कुंवर सिंह आ रहे थे, उस रास्ते के अगल- बगल वे लोग हथियारों के साथ कुश के झुरमुटों तथा अरहर के खेतों में छिप गए. कुंवर बाबू की सैन्य टोली आगे बढ़ गयी. जैसे ही अंग्रेज सैनिक आए स्थानीय वीर जवानों ने छापेमार योद्धाओं की तरह उन पर टूट पड़े तथा एक-एक कर 106 अंग्रेज सैनिकों को प्राणहीन कर दिया तथा उनका शव तथा शस्त्र वहीं एक कुंए में डाल दिया. आज उस कुंए का अस्तित्व धरातल पर नहीं है. उधर बाबू कुंवर सिंह अपनी सैन्य टोली के साथ आगे निकल गये. जन श्रुति के अनुसार आज जहां मां पचरुखा देवी का मन्दिर था, वह उस समय भयानक जंगल था. इसी जंगल में कुंवर सिंह विश्राम करने लगे. शीतल पवन के झोकों की वजह से उनको नींद आ गयी. इसी बीच उन्हें एक दिव्य ज्योति पुंज का दर्शन हुआ।उस ज्योति पुंज ने वीरवर बाबू को आगाह किया कि अंग्रेज सैनिक उनके निकट पहुंच चुके हैं. तब कुंवर सिंह तुरन्त वहां से सहतवार स्थित अपने ननिहाल राजा दशवन्त सिंह के यहां निकल गये. तबसे इस स्थान विशेष का नाम मुड़िकटवा पड़ गया. मुड़िकटवा में यदा कदा लोगों को 1958 के युद्धावशेष के रूप में कभी तलवार का टुकड़ा तो कभी कवच, भुजंग आदि मिलता रहा, लेकिन लोग इसके इतिहास की जानकारी के अभाव में युद्धावशेष को कबाड़ वालों को विक्रय कर दिया. हालांकि उक्त स्थल के घटनाक्रम का बलिया गजेटियर में उल्लेख है. बावजूद इसके शौर्य स्थल का विकास न होना पूर्ववर्ती सरकारों सहित वर्तमान सरकार की कार्यशैली पर प्रश्न चिन्ह खड़ा करता है.

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बलिया के शिवपुर घाट पर गंगा नदी में डूबा किशोर, नहाने के दौरान हुआ हादसा

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बलिया के दोकटी थाना के शिवपुर घाट पर शनिवार सुबह गंगा नदी के गहरे पानी में एक 15 वर्षीय बालक डूब गया। पुलिस ने गोताखोरों को बुलाकर किशोर को ढूंढने का प्रयास शुरू किया है लेकिन अभी तक किशोर नहीं मिल पाया है।

जानकारी के मुताबिक, दोकटी थाना क्षेत्र के रामपुर गांव निवासी 15 वर्षीय रणवीर गुप्ता पुत्र रामनारायण गुप्ता अपने परिवार व रिश्तेदार के साथ शनिवार सुबह करीब आठ बजे गंगा स्नान करने शिवपुर घाट आया था। नदी के अंदर नहाने के लिए रणवीर और रौनक पुत्र राजेश गुप्ता एक साथ गए। नहाते-नहाते तीनों गहरे पानी में चले गए और डूबने लगे।

इस दौरान शोर सुनकर नाविक पहुंचे और अनिकेत और रौनक को बचा लिया, लेकिन रणवीर को नहीं बचाया जा सका और वह डूब गया। सूचना पर चौकी इंचार्ज लालगंज जय प्रकाश सिपाहियों के साथ घाट पर पहुंच गए। पुलिस की मौजूदगी की सर्च ऑपरेशन शुरू किया गया लेकिन अभी तक डूबे युवक को बाहर नहीं निकाला जा सका है।

 

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बलिया में कूड़े के ढेर में लगी भयानक आग, पुलिस की सूझबूझ से टला बड़ा हादसा

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बलिया के बिल्थरारोड में कूड़े के ढेर में अचानक आग लग गई। इस घटना के बाद इलाके में अफरा तफरी मच गई। आग की लपटें इतनी तेज़ थी कि इन पर काबू पाना मुश्किल होता जा रहा था। इसी बीच सीयर पुलिस चौकी प्रभारी देवेंद्र कुमार और सिपाहियों ने तेज़ी दिखाई और आग पर काबू पाया।

जानकारी के मुताबिक, नगर के चौधरी चरण सिंह तिराहे के समीप कूड़े का ढेर पड़ा हुआ था। कूड़े में अज्ञात कारणों से आग लग गई। तेज पछुआ हवा के चलते देखते ही देखते आग ने विकराल रूप ले लिया। रात को कूड़े की ढेर से आग की लपटें निकलते देख लोग सहम गए और वहां अफरा तफरी मच गई।

शोर सुनकर सीयर पुलिस चौकी प्रभारी देवेंद्र कुमार अपने सिपाहियों को लेकर वहां पहुंच गए। इसके बाद पुलिस ने लोगों की मदद से आग पर काबू करने का प्रयास शुरू कर दिया। आसपास के घरों के लोगों ने भी बाल्टी में पानी लाकर आग बुझाने में पुलिस की भरपूर मदद की। अंततः पुलिस और पब्लिक की मदद से लगभग 45 मिनट के अथक प्रयास के बाद आग पर काबू पाया।

समय रहते आग आग पर काबू पाए जाने से धन-जन का नुकसान होने से बच गया। मुहल्ले वालों ने मदद के लिए सीयर पुलिस चौकी को शुक्रिया कहा। आग लगी के कारणों का पता नहीं चल सका है।

 

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बलिया में बक्से में मिली वृद्धा की लाश के मामले में पुलिस ने आरोपी बेटी को किया गिरफ्तार

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बलिया के नरहीं थाना क्षेत्र के उजियार में तीन महीने पहले बक्से में मिली वृद्धा की लाश के मामले में पुलिस ने बड़ा खुलासा किया है। पुलिस ने इस मामले में हत्यारिन बेटी और साथी को गिरफ्तार किया है। पुलिस ने आरोपियों के पास से घटना में प्रयुक्त हैंडपम्प का हैंडल भी बरामद हुआ है।

जानकारी के मुताबिक, बक्सर जिले के औद्योगिक थाना क्षेत्र के बड़की सारिमपुर निवासी 60 वर्षीया खैरुनिशा 12 जनवरी की सुबह उजियार गांव स्थित अपने घर गई थी। उसने यहां मकान बनाकर किराए पर दे रखा था। देर शाम तक वापस नहीं गयी तो बक्सर से परिजन ढूंढते हुए उजियार स्थित घर पर पहुंच गए। बाहर से घर की कुंडी बंद थी। पीछे की दीवार फांदकर परिजन अंदर गए तो फर्श पर खून देख सन्न रह गए थे।

इस घटना के बाद परिजनों ने पुलिस को सूचना दी। पुलिस ने मामले की गंभीरता से जांच शुरू की। जांच के बाद पुलिस ने सारिमपुर को ही सबा खातून और फैयाज खां की गिरफ्तार किया। सबा मृत महिला के दूसरे पति की बेटी है। पुलिस की पूछताछ में सबा खातून ने बताया कि मां खैरुनिशा पूरी संपति पहले पति के बेटे के नाम कर रही थी। जबकि उक्त सभी संपत्ति मेरे पिता स्व. मुजिबुल ने कमाई थी। घटना के दिन संपत्ति को लेकर विवाद हो गया। उसी दौरान फैयाज खां के साथ मिलकर हैंडपंप के हैंडल से हमला कर दिया। लाश कमरे में रखे बक्से में रख दिया। रात में शव को फेंकने की योजना थी।

बेटी के अनुसार उसकी मां पूरी सम्पत्ति बेटे के नाम से करना चाहती थी। इसके चलते ही बेटी शादी के बाद भी ससुराल की बजाय सारिमपुर स्थित अपने मां के घर के बगल में ही रहती थी। वहीं उसकी फैयाज से जान पहचान हुई और यह प्रगाढ़ हो गया। पुलिस के अनुसार फैयाज के साथ मिलकर ही उसने मां की हत्या को अंजाम दिया। फिलहाल पुलिस ने आरोपियों को कोर्ट में पेश करने की तैयारी शुरू कर दी है।

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