उत्तर प्रदेश का बलिया जिला राजनीतिक रूप से बेहद सक्रिय माना जाता है। बलिया की ऐतिहासिक पृष्ठभूमि भी काफी धनाढ़ रही है। स्वतंत्रता सेनानी से लेकर नेता और संत तक इस माटी से जन्म ले चुके हैं। लेकिन बलिया की दशा अब बिगड़ चुकी है। बलिया के नौजवानों के पास गर्व करने के लिए तो बहुत कुछ है लेकिन कमाने के लिए कोई साधन नहीं है। जिले के युवकों को रोजी-रोटी चलाने के लिए पलायन करना पड़ता है। क्योंकि बलिया में कोई उद्दोग-धंधा नहीं है।
बलिया में भले ही कोई कल-कारखाना न हो। रोजगार के अन्य साधन भी चरमराए हुए हैं। लेकिन बलिया में पर्यटन के क्षेत्र में अपार संभावनाएं हैं। बलिया जिले में बड़ी संख्या में धार्मिक स्थल, ऐतिहासिक स्थल और आकर्षक जल स्थल हैं। इन्हें पर्यटन के दृष्टिकोण से विकसित किया जा सकता है। पर्यटन स्थलों का विकास जिले में बड़े स्तर पर रोजगार के अवसर खुल जाएंगे। पर्यटन को बढ़ावा मिलने पर व्यवसाय को भी बढ़ावा मिलेगा। सरकार के आत्मनिर्भर भारत अभियान के लिहाज से भी यह योजना व्यापक स्तर पर फायदा पहुंचा सकती है।
संत भृगु ऋषि का जन्म बलिया जिले में ही हुआ था। जिले में भृगु ऋषि का मंदिर भी है। इस मंदिर को पर्यटन के नजरिए से विकसित करने पर रोजगार को भी बढ़ावा मिलेगा। इसके अलावा बलिया में सोनाडीहा मंदिर, परशुराम मंदिर, बालेश्वर मंदिर, जल्पा-कल्पा का मंदिर, खरीद की देवी का मंदिर समेत दर्जनों छोटे-बड़े मंदिर मौजूद हैं। हालांकि इन मंदिरों को इस हिसाब से विकसित नहीं किया गया है कि दूर-दराज से शैलानी घूमने आएं। ये मंदिर महज आसपास के लोगों के आस्था के ही केंद्र हैं। जिसके चलते मंदिर क्षेत्र में कोई खास व्यवसाय नहीं है।
बलिया जिले से तीन नदियां गुजरती हैं। गंगा नदी, सरयू नदी और तमसा नदी। तीनों नदियों की वजह से जिले में कई ताल बन चुके हैं। इनमें सबसे ज्यादा प्रचलित है सुरहाताल। ताल के नजारे अपने आप में एक आकर्षण पैदा करते हैं। हालांकि सुरहाताल बारिश के दिनों में जिले के लोगों के लिए आफत बन जाता है। ताल का पानी आसपास के इलाकों में घुस जाता है। लेकिन इन तालों को भी पर्यटन के लिए विकसित कर पर्यटकों को आकर्षित किया जा सकता है।
उत्तर प्रदेश का विधानसभा चुनाव काफी नजदीक आ चुका है। सभी राजनीतिक दल प्रदेश की जनता को लुभाने के लिए वादें कर रही हैं। बलिया में कुल सात विधानसभा सीटें हैं। सात में से पांच विधानसभा सीटों पर सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी के विधायक हैं। जबकि एक-एक सीट समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी के पास है। बलिया में सबसे बड़ा चुनावी मुद्दा रोजगार ही है। बेरोजगारी और पलायन से जिले के लोग आजिज आ चुके हैं। अब देखने वाली बात होगी कि क्या भाजपा या अन्य राजनीतिक दल बलिया में पर्यटन के जरिेए रोजगार सृजन की बात करते हैं या नहीं?
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