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जिला प्रशासन के गांव-गांव कोरोना टेस्टिंग और सेनिटाइजेशन के दावे की सच्चाई क्या है?
कोरोना के कम हो रहे मामलों के बीच जिला प्रशासन लगातार गांव-गांव में टेस्टिंग कराये जाने का दावा कर रहा है। बीते 25 मई को जिला प्रशासन ने प्रेस नोट जारी करके बताया कि उनकी गठित निगरानी समितियों ने 728 गांवों का दौरा कर लिया गया है। लगभग 950 गांवों के जिले में यह बताते हुए जिला प्रशासन ने स्पष्ट तौर पर कुछ बातें नहीं बतायी हैं। ‘प्रतिदिन मीडिया ब्रीफींग हेतु’ के शीर्षक से जारी किए गए प्रेस नोट में यह नहीं बताया गया है कि यह निगरानी समितियां कितने दिनों में इन गांवों में पहुंची हैं। ऐसे में ‘प्रतिदिन मीडिया ब्रीफींग’ में दी गई सूचना क्या एक दिन के गांवों के दौरे की है या अब तक के, यह स्पष्ट नहीं हो सका है। प्रेस नोट में यह भी स्पष्ट किया गया है कि गांवों और शहरी क्षेत्रो में नियमित तौर पर सेनिटाइजेशन कराया जा रहा है।
गांवों में टेस्टिंग के लिये ये प्रक्रिया अपनाई जा रही है
जिला प्रशासन ने ब्लॉक स्तर पर टीमें गठित की हैं। इन्हें निर्देश है कि गांवों में जाकर टेस्टिंग की जाए। मनियर ब्लॉक के नोडल अधिकारी और बीडीओ राकेश यादव ने बलिया खबर से बताया कि टीमें गांव में जाती हैं और टेस्टिंग करती हैं। उन्होंने कहा, ‘ये टीमें ग्राम प्रधान और आशा बहूओं को पूर्व सूचित करके जाती हैं। पंचायत भवन या प्राथमिक विद्यालय पर टीम जाती हैं। वहां टेस्टिंग होती है। अगर गांव में लोग पॉजिटिव आते हैं तो गांव को सेनिटाइज किया जाता है। गांवों में कोई पॉजिटिव नहीं है तो अनावाश्यक धूल में सेनिटाइजेशन कराने का क्या मतलब है’
घर-घर हो रही टेस्टिंग या गांव में एक जगह बैठकर ?
टेस्टिंग को लेकर लगातार प्रदेश सरकार और जिला प्रशासन का दावा है कि गांव-गांव में टीमें जा रही हैं। लेकिन यह टीमें गांव में पहुंच कर के किसी सार्वजनिक भवन आदि पर बैठती हैं। मनियर के ब्लॉक कमेटी प्रॉसेस मैनेजर अशोक चौबे ने बताया, ‘अगर गांव में पहले से किसी के संक्रमित होने की सूचना नहीं है तो टेस्टिंग एक गांव में किसी एक जगह ही होती है। हमारे पास ऐसी कोई गाइडलाईन नहीं के टीम लोगों के घर जाकर टेस्टिंग करें।’
गांवों में लोग कोविड की टेस्टिंग से घबरा रहे हैं। सामान्यत: लोग कोरोना की जांच नहीं कराना चाहते हैं। इसके बाद भी जिला प्रशासन के निर्देश में लोगों को जागरूक करने अथवा टीमों के घर-घर जाने का कोई साफ जिक्र नहीं है। ब्लॉक स्तर से गांव में किसी के घर पर टीम तब भेजी जा रही है जब संबंधित गांव में कोई संक्रमित मिल रहा है। अब सवाल यह है कि जब लोग टीम पहुंचने के बाद भी टेस्टिंग से घबरा रहे हैं तो किसी घर से कोविड के लक्षणों वाला अथवा संक्रमित व्यक्ति पंचायत भवन या प्राथमिक विद्यालय पर टेस्टिंग कराने के लिए भी कैसे तैयार होगा?
बलिया में कॉन्टेक्ट ट्रैसिंग के लिए भी ब्लॉक स्तर की टीम बनाई जा रही है। बलिया सीएमओ ने बलिया खबर से बातचीत में बताया, ‘बलिया में ब्लॉक स्तर पर कुल 290 RRT(रैपिड रिस्पांस टीम) बनाई गईं हैं । पॉजिटिव केस आने के बाद संबंधित ब्लॉक को सूचित कर दिया जाता है। उसके बाद टीम संक्रमित व्यक्ति के घरों में जाती है और संपर्क में आए लोगों की सैंपलिंग की जाती है।’
सेनिटाइजेशन की क्या प्रक्रिया है
गांवों में सेनिटाइजेशन के लिए भी ब्लॉक स्तर पर टीम बनाई गई है। नोडल अधिकारी के देखरेख में सेनिटाइजेशन की प्रक्रिया जारी है। जिला प्रशासन ने प्रेस नोट में यह भी स्पष्ट किया गया है कि गांवों और शहरी क्षेत्रो में नियमित तौर पर सेनिटाइजेशन कराया जा रहा है। हमारी बात विकास खंड रेवती के बीडीओ ओम प्रकाश गुप्त से हुई। उन्होंने बताया, ‘जिस गांव में पॉजिटिव केसेज़ आ रहे हैं वहां के संबधित व्यक्ति के घर के आसपास सेनिटाइजेशन होता है। इसके अतिरिक्त गांवों में मच्छरों वगैरह से बचाव के लिए भी सेनिटाइजेशन हो रहा है’
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बलिया में दूल्हे पर एसिड अटैक, पूर्व प्रेमिका ने दिया वारदात को अंजाम
बलिया के बांसडीह थाना क्षेत्र में एक हैरान कर देने वाले घटना सामने आई हैं। यहां शादी की रस्मों के दौरान एक युवती ने दूल्हे पर तेजाब फेंक दिया, इससे दूल्हा गंभीर रूप से झुलस गया। मौके पर मौजूद महिलाओं ने युवती को पकड़ कर पुलिस के हवाले कर दिया। फिलहाल पुलिस बारीकी से पूरे मामले की जांच कर रही है।
बताया जा रहा है की घटना को अंजाम देने वाली युवती दूल्हे की पूर्व प्रेमिका है। उसका थाना क्षेत्र के गांव डुमरी निवासी राकेश बिंद के साथ बीते कई वर्ष से प्रेम प्रसंग चल रहा था। युवती ने युवक से शादी करने का कई बार दबाव बनाया, लेकिन युवक ने शादी करने से इन्कार कर दिया। इस मामले में कई बार थाना और गांव में पंचायत भी हुई, लेकिन मामला सुलझा नहीं।
इसी बीच राकेश की शादी कहीं ओर तय हो गई। मंगलवार की शाम राकेश की बारात बेल्थरारोड क्षेत्र के एक गांव में जा रही थी। महिलाएं मंगल गीत गाते हुए दूल्हे के साथ परिछावन करने के लिए गांव के शिव मंदिर पर पहुंचीं। तभी घूंघट में एक युवती पहुंची और दूल्हे पर तेजाब फेंक दिया। इस घटना से दूल्हे के पास में खड़ा 14 वर्षीय राज बिंद भी घायल हो गया। दूल्हे के चीखने चिल्लाने से मौके पर हड़कंप मच गया। आनन फानन में दूल्हे को अस्पताल ले जाया गया, जहां उसका इलाज किया जा रहा है।
मौके पर पहुंची पुलिस युवती को थाने ले गई और दूल्हे को जिला अस्पताल भेज दिया। थानाध्यक्ष अखिलेश चंद्र पांडेय ने कहा कि तहरीर मिलने पर कार्रवाई की जाएगी।
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ब्राह्मण बहुल बलिया लोकसभा सीट से सपा ने सनातन पांडेय को दिया टिकट
लोकसभा चुनाव का मंच सज चुका है. एकाध राउंड का प्रदर्शन (वोटिंग) भी हो चुका है. इस बीच बलिया लोकसभा सीट की गर्माहट भी बढ़ गई है. क्योंकि लंबे इंतज़ार के बाद आख़िरकार समाजवादी पार्टी ने अपने पत्ते खोल दिए हैं. सपा ने ब्राह्मण बहुल बलिया सीट से सनातन पांडेय को लोकसभा उम्मीदवार बनाया है.
भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) ने यहां से पूर्व प्रधानमंत्री चंद्रशेखर के बेटे और राज्यसभा सांसद नीरज शेखर को टिकट दिया है. नीरज शेखर के सामने सनातन पांडेय को मैदान में उतारना ‘नहले पर दहला’ जैसा दांव माना जा रहा है. सनातन पांडेय 2019 में भी बलिया से सपा के उम्मीदवार थे. तब बीजेपी के वीरेंद्र सिंह ‘मस्त’ मैदान में थे. उस चुनाव में वीरेंद्र सिंह के हाथों सनातन पांडेय को शिकस्त मिली थी. लेकिन दोनों के बीच महज 15 हजार 519 वोटों का फासला था.
2024 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी ने अपना प्रत्याशी बदल दिया. उनकी जगह लाए गए नीरज शेखर. ऐसे में सभी की निगाहें इस बात पर टिकी थीं कि सपा बलिया से किसे टिकट देती है. सनातन पांडेय के नाम को लेकर चर्चाएं पहलें से ही तेज़ थीं और अब हुआ भी ऐसा ही है.
ब्राह्मण बहुल बलिया सीट:
सनातन पांडेय और बलिया के चुनावी इतिहास में पर एक नज़र डालेंगे लेकिन पहले बात करते हैं जातीय समीकरण के बारे में. क्योंकि इस बार का खेल इसी समीकरण से सेट होता दिख रहा है. बलिया की कुल आबादी करीब 25 लाख है. मतदाता हैं करीब-करीब 18 लाख. इनमें सबसे ज्यादा वोट ब्राह्मण समुदाय का है. तीन लाख ब्राह्मण वोटर्स हैं. राजपूत, यादव और दलित वोटर लगभग ढाई-ढाई लाख हैं. इसके बाद मुस्लिम मतदाता हैं एक लाख. भूमिहार और राजभर जाति के वोट भी प्रभावी हैं.
यूपी में बीजेपी को लेकर 2017 के बाद से ब्राह्मण विरोधी होने का आरोप लगता रहा है. योगी आदित्यनाथ के मुख्यमंत्री बनने के बाद ये आरोप लगने शुरू हुए हैं. विपक्षी पार्टियां गाहे-बगाहें ब्राह्मणों के ख़फ़ा होने का दावा करती हैं. ऐसे में इस सीट से सपा ने एक ब्राह्मण प्रत्याशी उतारकर पर्सेप्शन की लड़ाई में तो बाज़ी मार ली है.
‘सनातन’ की सियासत:
साल 1996. गन्ना विभाग के इंजीनियर सनातन पांडेय ने नौकरी से इस्तीफा दे दिया. क्योंकि सिर पर सियासत का खुमार सवार हो गया था इस्तीफे के बाद पहली बार 2002 में उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनाव हो रहा था. सनातन पांडेय ने निर्दलीय ताल ठोक दिया. लेकिन उनके हिस्से आई हार. इसके बाद उन्होंने सपा ज्वाइन कर लिया.
साल 2007. उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनाव हो रहे थे. सपा ने चिलकहर सीट से सनातन पांडेय को टिकट दिया. वे चुनाव लड़े और नतीजे उनके पक्ष में रहे. पांच साल बाद 2012 में फिर विधानसभा चुनाव हो रहे थे. तब तक चिलकहर विधानसभा सीट को समाप्त कर दिया गया था. पार्टी ने उन्हें रसड़ा से टिकट दिया. इस बार उन्हें हार का सामना करना पड़ा. इस चुनाव में बहुजन समाज पार्टी (बसपा) के उमाशंकर सिंह की जीत हुई थी.
2012 में यूपी में सपा की सरकार बनी. रसड़ा से हारने के बावजूद सनातन पांडेय को मंत्री पद मिला था. 2017 में भी उन्होंने रसड़ा से चुनावी मैदान में ताल ठोकी थी, लेकिन इस बार वे तीसरे नंबर पर खिसक गए थे.
2007 के बाद से चुनावी सियासत में सूखे का सामना कर रहे सनातन पांडेय के लिए 2024 लोकसभा चुनाव का स्टेज सेट है. इस बार उनके पास एक बड़ा मौका है सियासी ज़मीन पर झमाझम बारिश कराने की. ये बारिश कितनी मूसलाधार होगी और कौन-कितना सराबोर होगा, इसके लिए 4 जून की तारीख़ का इंतज़ार है.
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