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बलिया: कोरोनाकाल में ज़मीन को लेकर आमने-सामने आए भाजपा विधायक-सांसद

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रिपोर्ट- अनूप कुमार हेमकर 

बलिया डेस्क : भाजपा किसान मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष व सांसद वीरेंद्र सिंह मस्त तथा भाजपा विधायक सुरेंद्र सिंह रविवार को आमने सामने आ गये । भाजपा विधायक ने सुदिष्ट बाबा की भूमि पर कब्जा करने के बहाने सांसद के भांजे पर गम्भीर आरोप लगाया है । उन्होंने चेतावनी दिया है कि वह इस मसले की लड़ाई हर स्तर पर लड़ेंगे ।

उधर सांसद मस्त ने इस पूरे मामले से पल्ला झाड़ लिया है तो उनके भांजे ने विधायक के आरोप को सिरे से खारिज कर दिया है । भाजपा के बैरिया क्षेत्र के विधायक सुरेंद्र सिंह ने आज अपने ही दल के बलिया से सांसद वीरेन्द्र सिंह मस्त पर जमकर हमला किया है । विधायक सुरेंद्र सिंह ने अपने आवास पर आज प्रेस कॉन्फ्रेंस कर बलिया लोकसभा के सांसद वीरेंद्र सिंह मस्त के भांजे विनय सिंह के बहाने सांसद मस्त पर गंभीर आरोप लगाये हैं ।

सुदिष्ट बाबा के पशु मेला की जमीन का फर्जी तरीके से रजिस्ट्री कराया

उन्होंने आरोप लगाया है कि सांसद वीरेंद्र सिंह मस्त के भांजे दलकी निवासी विनय सिंह ने अन्य लोगों से मिलीभगत कर 25 बीघा में लगने वाले सुदिष्ट बाबा के पशु मेला की जमीन का फर्जी तरीके से रजिस्ट्री करा लिया है । उन्होंने कहा कि दो दशक पहले तक यह भूमि ग्राम समाज की रही है । ग्राम समाज की भूमि होने के कारण ही इस भूमि पर आई टी आई , फायर बिग्रेड व पालीटेक्निक के निर्माण का मार्ग प्रशस्त हुआ । उन्होंने कहा कि यह घिनौना कार्य जानबूझकर किया गया है । उन्होंने सांसद मस्त का नाम लिये बगैर कहा कि राजनीति में इससे गिरा हुआ कोई अन्य कार्य नही हो सकता ।

उन्होंने कहा कि सुदिष्ट बाबा के सांस्कृतिक स्वरूप की रक्षा की लड़ाई वह ग्राम पंचायत से लेकर विधानसभा तथा उप जिलाधिकारी से लेकर मुख्यमंत्री तक लड़ेंगे । उन्होंने सांसद मस्त को नसीहत देते हुए कहा कि ऐसे घृणित कार्य करने वालों को दंड अवश्य मिलेगा तथा प्रकृति स्वयं दण्ड देगी । उन्होंने प्रेस कांफ्रेंस में रजिस्ट्री के कागज को दिखाते हुए आरोप लगाया कि इस पशु मेला की जमीन की रजिस्ट्री में गवाह सांसद मस्त के सगे भाई कन्हैया सिंह हैं ।

भाजपा सांसद मस्त ने इस पूरे मसले से पल्ला झाड़ लिया

उधर भाजपा सांसद मस्त ने इस पूरे मसले से पल्ला झाड़ लिया है । रिपोर्टर ने जब सम्पर्क किया तो भाजपा सांसद तो सामने नही आये , लेकिन उनके निजी सचिव अमन ने कहा कि इस पूरे मामले से भाजपा सांसद का कोई लेना देना नही है ।

भाजपा सांसद मस्त के भांजे विनय सिंह ने प्रेस विज्ञप्ति जारी कर भाजपा विधायक पर पलटवार किया है । उन्होंने भाजपा विधायक सुरेंद्र सिंह पर गम्भीर आरोप लगाते हुए कहा है कि सांसद का रिश्तेदार अथवा परिवार का होना कोई अपराध नही है । उन्हें परिवार का होने पर गर्व है । उन्होंने विधायक के आरोप पर सफाई देते हुए दावा किया है कि उनकी कम्पनी वर्ष 2013 से कार्यरत है । उन्होंने स्पष्ट किया कि कम्पनी के कार्यो से भाजपा सांसद मस्त का कोई जुड़ाव व सरोकार नही है । उनकी कम्पनी ने खतौनी में दर्ज किसानों से जमीन क्रय किया है तथा इसके लिए सरकार को बकायदा रेवेन्यू अदा किया है ।

उन्होंने भाजपा विधायक पर निशाना साधते हुए कहा कि फर्जी व गलत काम करने वाले क्यों व्याकुल हैं , इसकी जानकारी सभी को है । उन्होंने भाजपा विधायक के आरोप पर यह कहते हुए सफाई भी दी कि जमीन का मालिकाना हक निर्धारित करने का काम राजस्व विभाग व न्यायालय का है , इसे कोई व्यक्ति तय नही कर सकता । भाजपा विधायक के आरोप के बाद जिले की सियासत गरमा गई है । भाजपा सांसद मस्त व भाजपा विधायक सुरेंद्र सिंह दोनों बैरिया क्षेत्र के ही रहने वाले हैं ।

 

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बलिया में नए सिरे से होगी गंगा पुल निर्माण में हुए करोड़ों के घोटाले की जांच, नई टीम गठित

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बलिया में गंगा पुल के निर्माण में हुए घोटाले के मामले से जुड़ी बड़ी अपडेट सामने आई है। अब निर्माण में हुए करोड़ों के घपले की जांच के लिए नई समिति गठित की जाएगी। समिति नए सिरे से पूरे मामले की जांच करेगी। बता दें कि विधानसभा में प्रकरण उठने के बाद पुनः जांच समिति गठित करने के आदेश दे दिए गए हैं। साथ ही कहा गया है कि ड्राइंग के मद में 16.71 करोड़ रुपये का प्रावधान शामिल था या नहीं, यह शासन ही स्पष्ट कर सकता है।

जानकारी के मुताबिक, बलिया में श्रीरामपुर घाट पर गंगा पर करीब 2.5 किमी लंबे पुल का निर्माण कराया गया है। यह काम वर्ष 2014 में मंजूर हुआ था। साल 2016 में संशोधित एस्टीमेट और 2019 में पुनः संशोधित एस्टीमेट मंजूर किया गया। कुल 442 करोड़ रूप का एस्टीमेट रखा गया, जबकि ये नियमानुसार 424 करोड़ रूपये होना चाहिए था। दोबारा संशोधित स्वीकृति में बिल ऑफ क्वांटिटी में 16.7 करोड़ का डिजाइन चार्ज के मद में अतिरिक्त प्रावधान किए जाने से निगम और शासन को यह नुकसान हुआ। जीएसटी लगाकर यह राशि करीब 18 करोड़ रुपये बनती है।

जब इस मामले में जांच हुई तो पता चला कि डिजाइन चार्ज से संबंधित दस्तावेज आजमगढ़ में मुख्य परियोजना प्रबंधक के कार्यालय से उपलब्ध नहीं कराए गए हैं और न ही कोई दस्तावेज सेतु निगम मुख्यालय में उपलब्ध हैं। ऐसे में इस मामले में अब गहराई से जांच की जायेगी।

बता दें कि सेतु निगम की ओर से भेजी गई रिपोर्ट में कहा गया है कि व्यय वित्त समिति को प्रस्तुत किए जाने से पूर्व किसी भी परियोजना की लागत दरों का मूल्यांकन, परियोजना मूल्यांकन प्रभाग करता है। इसलिए इस संबंध में वास्तविक स्थिति प्रभाग ही स्पष्ट कर सकता है। यह भी बताया गया है कि पुनः जांच समिति की जांच प्रक्रियाधीन है।

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बलिया के चंद्रशेखर : वो प्रधानमंत्री जिसकी सियासत पर हमेशा हावी रही बगावत

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आज चन्द्रशेखर का 97वा जन्मदिन है….पूर्वांचल के ऐतिहासिक जिले बलिया के इब्राहिमपट्टी गांव में जन्म लेने वाले चंद्रशेखर ने प्रधानमंत्री बनने से पहले किसी राज्य या केंद्र में मंत्री पद नहीं संभाला था, लेकिन संसद से लेकर सड़क तक उनकी आवाज गूंजती थी. युवा तुर्क के नाम से मशहूर चंद्रशेखर की सियासत में आखिर तक बगावत की झलक मिलती रही.

बलिया के किसान परिवार में जन्मे पूर्व प्रधानमंत्री चंद्रशेखर ‘क्रांतिकारी जोश’ और ‘युवा तुर्क’ के नाम से मशहूर रहे हैं चन्द्रशेखर का आज 97वा जन्मदिन है. पूर्वांचल के ऐतिहासिक जिला बलिया के इब्राहिमपट्टी गांव में जन्म लेने वाले चंद्रशेखर ने प्रधानमंत्री बनने से पहले किसी राज्य या केंद्र में मंत्री पद नहीं संभाला था, लेकिन संसद से लेकर सड़क तक उनकी आवाज गूंजती थी. चंद्रशेखर भले ही महज आठ महीने प्रधानमंत्री पद पर रहे, लेकिन उससे कहीं ज्यादा लंबा उनका राजनीतिक सफर रहा है.

चंद्रशेखर ने सियासत की राह में तमाम ऊंचे-नीचे व ऊबड़-खाबड़ रास्तों से गुजरने के बाद भी समाजवादी विचारधारा को नहीं छोड़ा.चंद्रशेकर अपने तीखे तेवरों और खुलकर बात करने वाले नेता के तौर पर जाने जाते थे. युवा तुर्क के नाम से मशहूर चंद्रशेखर की सियासत में आखिर तक बगावत की झलक मिलती रही. बलिया के इब्राहिमपट्टी गांव में 17 अप्रैल 1927 को जन्मे चंद्रशेखर कॉलेज टाइम से ही सामाजिक आंदोलन में शामिल होते थे और बाद में 1951 में सोशलिस्ट पार्टी के फुल टाइम वर्कर बन गए. सोशलिस्ट पार्टी में टूट पड़ी तो चंद्रशेखर कांग्रेस में चले गए,

लेकिन 1977 में इमरजेंसी के समय उन्होंने कांग्रेस छोड़ दी. इसके बाद इंदिरा गांधी के ‘मुखर विरोधी’ के तौर पर उनकी पहचान बनी. राजनीति में उनकी पारी सोशलिस्ट पार्टी से शुरू हुई और संयुक्त सोशलिस्ट पार्टी व प्रजा सोशलिस्ट पार्टी के रास्ते कांग्रेस, जनता पार्टी, जनता दल, समाजवादी जनता दल और समाजवादी जनता पार्टी तक पहुंची. चंद्रशेखर के संसदीय जीवन का आरंभ 1962 में उत्तर प्रदेश से राज्यसभा के लिए चुने जाने से हुआ. इसके बाद 1984 से 1989 तक की पांच सालों की अवधि छोड़कर वे अपनी आखिरी सांस तक लोकसभा के सदस्य रहे.

1989 के लोकसभा चुनाव में वे अपने गृहक्षेत्र बलिया के अलावा बिहार के महाराजगंज लोकसभा क्षेत्र से भी चुने गए थे. अलबत्ता, बाद में उन्होंने महाराजगंज सीट से इस्तीफा दे दिया था. 1967 में कांग्रेस संसदीय दल के महासचिव बनने के बाद उन्होंने तेज सामाजिक बदलाव लाने वाली नीतियों पर जोर दिया और सामंत के बढ़ते एकाधिकार के खिलाफ आवाज उठाई. फिर तो उन्हें ऐसे ‘युवा तुर्क’ की संज्ञा दी जाने लगी, जिसने दृढ़ता, साहस एवं ईमानदारी के साथ निहित स्वार्थों के खिलाफ लड़ाई लड़ी. संसद से लेकर सड़क तक उनकी आवाज गूंजती थी.

‘युवा तुर्क’ के ही रूप में चंद्रशेखर ने 1971 में तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के विरोध के बावजूद कांग्रेस की राष्ट्रीय कार्यसमिति का चुनाव लड़ा और जीते. 1974 में भी उन्होंने इंदिरा गांधी की ‘अधीनता’ अस्वीकार करके लोकनायक जयप्रकाश नारायण के आंदोलन का समर्थन किया. 1975 में कांग्रेस में रहते हुए उन्होंने इमरजेंसी के विरोध में आवाज उठाई और अनेक उत्पीड़न सहे. 1977 के लोकसभा चुनाव में हुए जनता पार्टी के प्रयोग की विफलता के बाद इंदिरा गांधी फिर से सत्ता में लौटीं और उन्होंने स्वर्ण मंदिर पर सैनिक कार्रवाई की तो चंद्रशेखर उन गिने-चुने नेताओं में से एक थे,

जिन्होंने उसका पुरजोर विरोध किया. 1990 में विश्वनाथ प्रताप सिंह की जनता दल सरकार के पतन के बाद अत्यंत विषम राजनीतिक परिस्थितियों में वे कांग्रेस के समर्थन से प्रधानमंत्री बने थे. पिछड़े गांव की पगडंडी से होते हुए देश के प्रधानमंत्री की कुर्सी तक पहुंचने वाले चंद्रशेखर के बारे में कहा जाता है कि प्रधानमंत्री रहते हुए भी दिल्ली के प्रधानमंत्री आवास यानी 7 रेस कोर्स में कभी रुके ही नहीं. वह रात तक सब काम निपटाकर भोड़सी आश्रम चले जाते थे या फिर 3 साउथ एवेन्यू में ठहरते थे. उनके कुछ सहयोगियों ने कई बार उनसे इस बारे में जिक्र किया तो उनका जवाब था कि

सरकार कब चली जाएगी, कोई ठिकाना नहीं है. वह कहते थे कि 7 रेसकोर्स में रुकने का क्या मतलब है? प्रधानमंत्री के रूप में उन्हें बहुत कम समय मिला, क्योंकि कांग्रेस ने उनका कम से कम एक साल तक समर्थन करने का राष्ट्रपति को दिया अपना वचन नहीं निभाया और अकस्मात, लगभग अकारण, समर्थन वापस ले लिया. चंद्रशेखर ने एक बार इस्तीफा दे देने के बाद राजीव गांधी से उसे वापस लेने का अनौपचारिक आग्रह स्वीकार करना ठीक नहीं समझा. इस तरह से उन्होंने पीएम बनने के तकरीबन 8 महीने के बाद ही इस्तीफा देकर पीएम की कुर्सी छोड़ दी.

(लेखक इंडिया टुडे ग्रुप के पत्रकार हैं)

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बलिया में सोशल मीडिया पर अश्लील फोटो वायरल करने वाले युवक पर मुकदमा दर्ज

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बलिया के बांसडीहरोड थाना क्षेत्र में सोशल मीडिया पर अश्लील फोटो और वीडियो वायरल करने के मामले में पुलिस ने एक युवक पर नामजद मुकदमा दर्ज किया है। बताया जा रहा है कि युवक ने एक युवती के अश्लील वीडियो बना रखे हैं और बार बार उन्हें वायरल करके किशोरी को बदनाम कर रहा है। इस मामले में पीड़ित पक्ष ने आरोपी युवक के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई है।

जानकारी के मुताबिक, इलाके के एक गांव की रहने वाली युवती को टकरसन निवासी पवन वर्मा कई दिनों से परेशान कर रहा है। युवती का आरोप है कि कुछ दिनों पहले आरोपी ने सोशल मिडिया प्लेटफार्म इंस्टाग्राम पर अश्लील फोटो और वीडियो डालकर बदनाम करने की कोशिश की है। पीड़िता का कहना है कि अब तक तीन बार विवाह तय हो चुका है, लेकिन पवन के चलते हर बार वह ससुराल पक्ष के लोगों के व्हाट्सएप पर अश्लील फोटो व वीडियो भेजकर शादी तुड़वा चुका है।

तीन बार युवती का रिश्ता टूट चुका है। युवती का कहना है कि आरोपी युवक किसी भी तरह से मेरी शादी नहीं होने दे रहा है। इस सम्बंध में एसओ अखिलेश चंद्र पांडेय का कहना है कि तहरीर के आधार पर आईटी एक्ट व अन्य धाराओं में मुकदमा दर्ज कर जांच की जा रही है। इधर युवती के परिवारवालों ने आरोपी को कड़ी सजा देने की मांग की है।

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