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आखिर बलिया की कताई मिल पर राजनीति क्यों नहीं हो रही है?
उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव 2022 आधा सफर तय कर चुका है। आधा शेष है। इसी बचे हुए आधे चुनाव में बलिया में भी मतदान होने वाला है। बलिया और सियासत। इससे रोमांचक कॉकटेल तो शायद ही कुछ होता होगा। खैर, बात मुद्दे की करते हैं। चुनाव का मौसम है तो मुद्दों की बहस चल रही है। जनता को अपने पक्ष में झुकाने के लिए वादे और दावे किए जा रहे हैं। लेकिन इन दावों और वादों में कितना दम है ये बड़ा सवाल है। सवाल ये भी है कि क्या जिन मुद्दों पर बहस हो रही है उनमें वो मुद्दा शामिल है जो दशकों से मुंह ताक रहा है? बलिया में ऐसे दो बड़े मुद्दे हैं। दोनों रसड़ा विधानसभा क्षेत्र के ही हैं। पहला चीनी मिल दूसरा कताई मिल।
इससे पहले हम रसड़ा के चीनी मिल की बात कर चुके हैं। तो यहां रसड़ा के ही कताई मिल की बात होगी। कताई मिल है भले ही रसड़ा में लेकिन इस मिल से जिले भर के हजारों परिवारों की जिंदगी के तार जुड़े हुए हैं। रसड़ा में एक नागपुर नाम का गांव है। कताई मिल इसी नागपुर गांव में है। पिछले 23 सालों से इस मिल पर ताला जड़ा हुआ है। अब कताई मिल राह देख रही है कि कब कोई फरिश्ता इस पर लगे ताले को खोल पाता है। क्योंकि नेताओं और सरकारों ने तो पिछले दो दशकों में इसे निराश ही किया है।
मिल का इतिहास, एक नजर में:
रसड़ा की कताई मिल 90 एकड़ में फैली हुई है। 10 अगस्त, 1986 को इस मिल की स्थापना हुई थी। महज 13 साल की उम्र में ही इस मिल का गला घोंट दिया गया। मिल बंद करने की वजह वही बताई गई जो हमेशा से किसी कंपनी या फैक्ट्री के बंद होने पर बताई जाती है। कहा गया कि कताई मिल आर्थिक घाटे में चल रही थी इसलिए इसे बंद करना पड़ा।
1999 का साल था जब रसड़ा की कताई मिल को बंद किया गया। महीना देश की आजादी यानी अगस्त का था। तारीख आजादी की तारीख से पांच दिन पहले की थी यानी 10 अगस्त। 10 अगस्त, 1999 को कताई मिल पर आधिकारिक रूप से अनिश्चित काल के लिए ताला लगा दिया गया। मीडिया रपटों के मुताबिक मिल जब बंद हुई तो इसमें करीब 1500 लोग काम कर रहे थे। मिल बंद होने के साथ ही इन 1500 लोगों की जिंदगी में एक आर्थिक ब्रेक लग गया।
मिल में काम करने वाले 1500 कर्मचारियों का दाना-पानी रुक गया। दैनिक जागरण की एक खबर के अनुसार महज 300 मजदूरों को मिल बंद होने पर मुआवजा देकर सेवा से मुक्त कर दिया गया था। इसके अलावा उन्हें एक पैसा नहीं दिया गया। मजदूरों ने मिल प्रबंधन पर फंड हजम कर जाने का आरोप भी लगाया। घोटाले की जांच की मांग भी हुई। लेकिन परिणाम यही है कि ये मांग अब भी होती रहती है। अब तक कोई ठोस कार्रवाई इस मामले में नहीं हो सकी है।
क्या बोले रसड़ा के उम्मीदवार:
विधानसभा चुनाव में चीनी मिल और कताई मिल पर कोई बातचीत नहीं हो रही थी। लेकिन पिछले दिनों बलिया ख़बर ने रसड़ा चीनी मिल को लेकर एक रिपोर्ट किया। तब यह मुद्दा एक बार फिर बलिया की सियासी फिज़ा में लौटकर आया। अब मिलों के बंद होने और दोबारा इन्हें शुरू करने को लेकर बहस हो रही है। हालांकि अब भी ये बहस पर्याप्त नहीं है।
कताई मिल पर रसड़ा विधानसभा सीट से भारतीय जनता पार्टी यानी भाजपा के उम्मीदवार बब्बन राजभर ने बलिया ख़बर से बातचीत की। बब्बन राजभर ने कहा कि “अगर दोबारा हमारी सरकार बनती है और रसड़ा की जनता मुझे विधायक चुनती है तो जरूर कताई मिल को लेकर पहल करेंगे।” बब्बन राजभर ने कहा कि “मैं एक महीने में मिल चालू कराने की बात तो नहीं कह सकता हूं। लेकिन कताई मिल और चीनी मिल को चालू कराना हमारी प्राथमिकता होगी।”
समाजवादी पार्टी गठबंधन में रसड़ा की सीट सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी के हिस्से में गई है। सुभासपा ने इस सीट से महेंद्र चौहान को टिकट दिया है। महेंद्र चौहान ने बलिया ख़बर से बातचीत में कहा कि “अगर प्रदेश में सपा गठबंधन की सरकार बनती है तो पहले बजट में ही कताई मिल के लिए फंड पास कराएंगे। हम हर हाल में कताई मिल को शुरू करवाएंगे।”
रसड़ा सीट से विधायक और एक बार फिर बहुजन समाज पार्टी यानी बसपा से उम्मीदवार उमा शंकर सिंह से भी हमने बात करने की कोशिश की। लेकिन उमा शंकर सिंह से हमारी बातचीत नहीं हो सकी।
दशकों से हो रहे हैं प्रदर्शन:
रसड़ा की चीनी मिल हो या कताई मिल दोनों के लिए ही लगातार प्रदर्शन होते रहे हैं। मिल बंद होने के बाद से ही प्रदर्शनों का दौर चलता रहा है। बीतते वक्त के साथ मजदूरों की हिम्मत भी टूटती चली गई। कामगारों के धरना-प्रदर्शनों को सरकारों ने लगातार अनदेखा किया। गौर करने वाली बात है कि कताई मिल 1999 में बंद हुई थी। इसके बाद उत्तर प्रदेश में भाजपा, सपा और बसपा तीनों ही पार्टियों की सरकार रह चुकी है। लेकिन किसी भी सरकार ने हजारों परिवारों को रोटी देने वाले इन मिलों को चालू करने के बारे में नहीं सोचा।
पूरे बलिया में एक भी बड़ी फैक्ट्री नहीं है। बलिया में नौकरी के लिए पलायन एक बड़ा मुद्दा है। ये और बात है कि जिले के सियासी स्पेक्ट्रम में ये मुद्दा कभी बढ़चढ़ कर शामिल नहीं हो सका है। इस मुद्दे पर चुनाव का निर्णय कभी नहीं हो सका है। खैर, जब बेरोजगारी को लेकर इतनी बहस हो रही है। तो इस पर भी बात होनी चाहिए कि अगर रसड़ा में चीनी मिल और कताई मिल चालू किए जाते हैं तो कितने लोगों को इससे सीधे और अप्रत्यक्ष रूप से रोजगार मिल सकता है?
बड़ा सवाल है कि आखिर क्यों इतने सालों से मजदूरों के प्रदर्शन को अनदेखा किया गया? अभी भी श्रमिक दिवस के मौके पर जिले के मजदूर एकजुट होकर अधिकारियों को ज्ञापन सौंपते हैं और मिल चालू करने की मांग करते हैं। दावा हर दल के नेता की ओर से किया जा रहा है। लेकिन चुनाव के बाद क्या ये वादा राजनीतिक दलों और उनके नेताओं को याद रहेगा? सबसे दिलचस्प बात ये है कि जितनी मुखरता से रसड़ा या फिर पूरे बलिया के नेता सड़क को लेकर वादे करते हैं या किसी और मुद्दे पर जनता के सामने दावे करते हैं उतनी प्रमुखता से मिल के मुद्दे पर नहीं बोलते हैं। हर नेता की कोशिश है कि इस मुद्दे पर जहां तक संभव हो चुप्पी ही बरकरार रखी जाए।
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बलिया में युवक ने सरेआम महिला को मारी गोली, आरोपी गिरफ्तार
बलिया के कोतवाली क्षेत्र में खौफनाक घटनाक्रम सामने आया है। यहां एक युवक ने दिन दहाड़े महिला को गोली मार दी। इस घटना से पूरे इलाके में सनसनी फैल गई। मौके पर पहुंची पुलिस और लोगों ने घायल महिला को अस्पताल में भर्ती कराया है। जहां उसका उपचार जारी है। पुलिस ने आरोपी युवक को गिरफ्तार किया है, उसके पास से एक पिस्टल भी बरामद कर ली गई है।
मिली जानकारी के अनुसार शहर कोतवाली क्षेत्र के संतनी सराय चौकी अंतर्गत 32 वर्षीय सिंधु देवी को घनश्याम सिंह ने गोली मार दिया, गोली महिला के बाएं कंधे पर जा लगी, इससे महिला घायल हो गई। बताया जा रहा है कि घायल महिला का पति सुदामा यादव आइटीबीपी में नौकरी करता है। जबकि घर पर उसकी पत्नी सिंधु देवी और उसके दो छोटे बच्चे और उसकी मां रहती है।
आरोपी घनश्याम सिंह ने मामूली विवाद में महिला को गोली मार दी, जो महिला के बाएं कंधे पर जा लगी। सिंधु देवी के बड़े पुत्र ने बताया कि घनश्याम इसके पहले मेरे दादी से झगड़ा कर चुका है, लेकिन दादी ने कुछ नहीं बोला था।
इस मामले में क्षेत्राधिकारी गौरव कुमार का कहना है कि क्षेत्र के एक गांव में सुबह एक महिला पर गोली चलने की सूचना मिली थी। इस सूचना पर तत्काल थाना स्थानीय द्वारा मौके पर पहुंचकर महिला को इलाज हेतु जिला अस्पताल भेजा गया, जहां से महिला को उच्च इलाज के लिए वाराणसी रेफर किया गया है। महिला की स्थिति डॉक्टर्स ने खतरे से बाहर बताई है, किंतु एहतिहात के लिए BHU रिफर किया गया है। मौके पर कानून व्यवस्था सम्बन्धित कोई समस्या नही है।
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बलिया: खाताधारकों के खाते से अचानक गायब हो गए 16 लाख, सब पोस्ट मास्टर सस्पेंड
बलिया के सोहांव गांव में हैरान कर देने वाला मामला सामने आया है। यहां खाताधारकों के बचत खाते से 16 लाख रुपए गायब हो गए। इस मामले में सब पोस्ट मास्टर को सस्पेंड कर दिया गया है। विभागीय अधिकारियों का कहना है कि सभी खाताधारकों को रकम वापस मिलेगी।
सोहांव गांव निवासी एक व्यक्ति के पोस्ट ऑफिस में 3 लाख रुपए जमा थे, वो पैसा लेने के लिए डाकघर पहुंचे तो देखा कि खाते से पैसे गायब थे। इसी क्षेत्र में रहने वाले एक अन्य व्यक्ति की लड़की की शादी अप्रैल में है। 16 मार्च को अपने खाते से पांच लाख रुपये लेने पहुंचे, तो पता चला कि उनके खाते में 56 हजार 50 रुपये ही थे। अब वह अपनी बेटी की शादी को लेकर चिंतित हैं।
इसी गांव के अन्य व्यक्तियों के खाते से भी पैसे गायब हैं। सभी अपने पैसों को लेकर परेशान हैं। इसकी लिखित शिकायत विभाग के अधिकारियों से की गई है। इसकी जानकारी विभागीय अधिकारियों को हुई तो सब पोस्ट मास्टर राजेश सिंह को सस्पेंड कर दिया गया।
सहायक अधीक्षक रसड़ा एससी मिश्रा ने बताया कि जैसे ही गड़बड़ी की जानकारी हुई सब पोस्ट मास्टर राजेश सिंह को सस्पेंड कर दिया गया है। सभी खाताधारकों को पत्र देकर अपने खाते को चेक कराने को कहा गया है। सभी का पैसा मिलेगा।
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बलिया के अरुण केंपस कोचिंग के छात्र-छात्राओं ने सैनिक स्कूल प्रवेश परीक्षा में लहराया अपना परचम।
बलिया जनपद के बलिया गढ़वाल रोड मुख्य मार्ग पर कट्टर नाले के पास वरुण केंपस कोचिंग की है। जहां कोचिंग के छात्र आयुष सिंह पुत्र गुप्तेश्वर सिंह ग्राम गोपाल नगर सिवारन के मठिया ने ऑल इंडिया रैंक में 433 वा रैंक लाकर अपने कोचिंग सहित अपने माता-पिता का नाम रोशन किया।
वही वरुण केंपस कोचिंग के तीन छात्र-छात्राओं ने सैनिक स्कूल में प्रवेश परीक्षा पास किया है जिसमें से अभिमन्यु गुप्ता पुत्र प्रद्युम्न गुप्ता ग्राम सोनाड़ीह बेल्थरा रोड व छात्रा में नंदिनी पुत्री हरिद्वार प्रजापति ग्राम जेपी नगर गढ़वार रोड ने सैनिक स्कूल परीक्षा में अपना परचम लहराया है, छात्र-छात्राओं सहित जब अभिभावकों से भी बात किया गया तो अभिभावको का खुशी का ठिकाना नहीं रहा।
वहीं छात्र छात्राओं ने ऐसे कोचिंग में पढ़ने का सभी बच्चों को आवाहन भी किया। वही बताएं कि इस कोचिंग में टीचर बहुत ही अच्छे से पढ़ते हैं जैसा लगता है कि जादू हो रहा है। वही बच्चों ने अरुण सर का काफी तारीफ किया। वहीं अभिभावकों का कहना कि ऐसा कोचिंग रहेगा तो कोई भी बच्चा अपने लक्ष्य तक पहुंच सकता है।
वही हम बात करें अरुण केंपस लाइब्रेरी का तो लाइब्रेरी में भी पढ़कर एक छात्र ITI भी पास कर लिया है। जिसका नाम कृपाशंकर पुत्र राम आशीष राम ग्राम इंदौर ब्लॉक चिलीकहर ने आईआईटी में भी अपना परचम लहरा दिया है।
उस छात्र ने बताया कि हमने बहुत लाइब्रेरिय में पढ़ा है लेकिन इतना शांत और इतना स्वच्छ लाइब्रेरी नहीं मिलती है। अगर किसी छात्र-छात्राओं को शांत वातावरण में पढ़ाई करनी हो तो अरुण केंपस लाइब्रेरी को ही चुने ।आई सुनते हैं वहां पर उपस्थित छात्रों व अभिभावक सहित अध्यापकों का क्या कहना है
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