बलिया के जिला अस्पताल में स्वास्थ्य विभाग में लचर व्यवस्था किसी से छुपी नहीं है। बुधवार को स्ट्रेचर के अभाव में एक महिला अपने देवर को गोद में उठाकर वार्ड में पहुंची तो एक झटके में ही सरकार के सभी दावे तार-तार होते नजर आने लगे।
दुबहड़ थाना क्षेत्र के ओझवलिया गांव निवासी 27 वर्षीय सनोज की तबियत बुधवार की दोपहर खराब हो गयी। पेट दर्द से कराहते युवक को अस्पताल ले जाने के लिये परिजनों ने 108 नम्बर के एम्बुलेंस को फोन किया।
उनके मुताबिक काफी इंतजार के बाद भी जब एम्बुलेंस नहीं मिली तो सनोज की भाभी रानी व बहन संगीता दोपहर में टेम्पो से उसे लेकर जिला अस्पताल पहुंच गयी। इमरजेंसी में तैनात चिकित्सक ने जांच के बाद युवक को भर्ती कर दिया। दवा आदि देने के बाद कर्मचारियों ने मरीज को इमरजेंसी के प्रथम तल पर स्थित मेडिकल वार्ड के बेड संख्या तीन पर ले जाने को कहा।
बीमारी के चलते चलने-फिरने में असमर्थ सनोज को वार्ड तक ले जाने के लिये रानी व संगीता ने कर्मचारियों से गुहार लगायी लेकिन कोई भी इसके लिये तैयार नहीं हो सका।
इसके बाद उन्होंने स्ट्रेचर मांगा ताकि आसानी से बेड तक ले जा सके, परन्तु अस्पतालकर्मियों ने स्ट्रेचर भी मुहैया नहीं करा सके। तब रानी ने देवर को गोद में उठा लिया तथा नंगे पांव अस्पताल के रैम्प (सीढ़ी) से लेकर मेडिकल वार्ड में पहुंच गयी। युवक को गोद में उठाकर गुजर रही महिला को देख लोगों ने अस्पताल की व्यवस्था पर सवालिया निशान लगाया साथ ही रानी के हौसले को सलाम किया।
वही इस जिला अस्पताल के प्रभारी वीपी सिंह ने इस प्रकार के किसी मामले की जानकारी नहीं है। भर्ती होने वाले मरीज को वार्ड तक पहुंचाने के लिये इमरजेंसी में कर्मचारियों की ड्यूटी लगती है। स्ट्रेचर नहीं देना अथवा रोगी को वार्ड में नहीं पहुंचाना गलत है। इस मामले की जांच कर कार्रवाई की जायेगी।
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