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बलिया में राकेश टिकैत पर जमकर बरसे योगी सरकार के मंत्री, कर डाली नार्को टेस्ट की मांग

बलिया। भारतीय किसान यूनियन के नेता राकेश टिकैत के उस बयान से खलबली मच गई है जिसमें उन्होंने चुनाव के पहले किसी बडे हिंदू नेता की हत्या की आशंका जताई थी। उनके इस विवादित बयान पर राजनीति गरमा गई है। अब यूपी सरकार के मंत्री आनंद स्वरुप शुक्ला ने राकेश टिकैत पर जमकर हमला बोला।
बलिया की धरती से मंत्री शुक्ला राकेश टिकैत पर जमकर बरसे और कहा कि राकेश टिकैत का नार्को टेस्ट होना चाहिए, किस आधार पर वो इस प्रकार का बयान दे रहे हैं। तालिबान, पाकिस्तान और आईएसआई (ISI) के साथ उनका क्या कनेक्शन है, इसकी जांच होनी चाहिए। किस आधार पर वो हिन्दू नेताओं की हत्या होने की धमकी दे रहे हैं। टिकैत देश विरोधी ताकतों के साथ मिले हैं।मंत्री यहीं नहीं रुके, उन्होंने राकेश टिकैत पर जमकर हमला बोलते हुए कहा कि वो कोशिश कर रहे हैं कि जाट समुदाय उनके साथ नमाज पढ़े। मंत्री ने कहा हम उनके इस बयान की निंदा करते है। योगी राज में आम आदमी और साधु-संत सभी सुरक्षित हैं। मंत्री यहीं नहीं रुके, उन्होंने राकेश टिकैत को सलाह देते हुए यहां तक कह दिया कि ”राकेश टिकैत को कहना चाहता हूं कि ‘अल्लाह हु अकबर’ बोलने से पहले खतना कराना पड़ता है, उस बारे में भी विचार करिए और यदि खतना कराने की आवश्यकता हो तो अभी कराइए।”
उन्होंने कहा कि राकेश टिकैत की जांच होनी चाहिए। ये धमकी है या चेतावनी निश्चित रूप से उनको इस बारे में स्पष्ट करना चाहिए। मंत्री ने कहा कि सस्ती लोकप्रियता और प्रचार पाने के लिए वो इस प्रकार की बयानबाजी कर रहे हैं। राकेश टिकैत बौखलाहट में हैं। उन्होंने ‘अल्लाह हु अकबर’ का नारा लगाया है, उनके समाज के लोग उनको बहिष्कृत करने का निर्णय लेने जा रहे हैं। इसलिए वो बौखलाहट में इस प्रकार का बयान दे रहे हैं। गौरतलब है कि राकेश टिकैत के बयान के बाद राजनैतिक गलियारों में हलचलें तेज हो गई हैं।



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बलिया- जिस चोरी बुलेट को खोज ना सके उसी से तिरंगा जुलूस में निकले थानाध्यक्ष, जांच के आदेश

बलिया में एक बेहद ही चौकाने वाला मामला सामने आया है। जहाँ एक चोर नहीं बल्कि नरहीं थानाध्यक्ष को चोरी की बुलेट पर घुमते देखा गया। मीडिया में वीडियो आने के बाद से हड़कंप मचा है। बताया जा रहा है कि ये वही बुलेट है जो 18 महीने पहले चोरी हो गई थी जिसे खोजने में पुलिस को सफलता भी नहीं मिली। पुलिस ने बुलेट चोरी की फ़ाइल भी बंद कर दी थी। अब इन तस्वीरों के सामने आने से कई सवाल उठ रहे हैं।
बता दें नगरा में पालचंद्रहा के ओमप्रकाश यादव की बुलेट यूपी 60 एएफ 7103 21 जनवरी 2021 को चोरी हो गई थी। काफी कोशिश के बाद नगरा पुलिस ने 27 जनवरी 2021 को मुकदमा पंजीकृत किया। जांच कर कुछ दिनों बाद फाइल बंद दी। पीड़ित ने उच्चाधिकारियों से गुहार लगाकर भी उम्मीद छोड़ दी। तभी नरहीं क्षेत्र में 14 अगस्त को पुलिस ने तिरंगा जुलूस निकाला था। चोरी वाली बुलेट पर नरही थानाध्यक्ष मदन पटेल सवार थे। यात्रा की फोटो और वीडियो इंटरनेट पर वायरल हुई तो बुलेट मालिक ने उसकी पहचान कर ली।
पुलिस को जब मामले की जानकारी लगी तो आनन फानन में बुलेट को थाने में मंगा लिया। हालांकि उक्त वाहन का नंबर गायब था। वाहन की पहचान होने के बाद जब बुलेट मालिक ओमप्रकाश यादव थाने में जाकर संबंधित से संपर्क किए तो उन्हें बताया गया कि उक्त वाहन के कागजात नहीं हैं। अब यह मामला उच्च अधिकारियों के संज्ञान में भी आ
गया है। इससे संबंधित की परेशानी और भी बढ़ गई है।
वहीं अपर पुलिस अधीक्षक दुर्गा प्रसाद तिवारी का कहना है कि बुलेट से थानाध्यक्ष के घूमने और इंटरनेट मीडिया में प्रसारित इस प्रकरण की गहनता से जांच होगी। दोषियों पर कार्रवाई की जाएगी। जांच के आदेश दे दिए गए हैं।
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जिस जगह हुई थी बलिया के आजादी की घोषणा वहां लगा गंदगी का अंबार, अधिकारी बेख़बर

बलिया। पूरे देश ने बड़ी धूमधाम से आजादी का अमृत महोत्सव मनाया। 19 अगस्त को बलिया बलिदान दिवस है। पूरा प्रशासनिक अमला बड़े आयोजन की तैयारी में जुटा है। इस दिन सूबे के मुख्यमंत्री भी बलिदान दिवस के कार्यक्रम में मुख्य अतिथि होंगे। लेकिन साल 1942 में जिस स्थान पर बलिया की आजादी की घोषणा हुई, उस जगह का हाल विचलित कर देने वाला है।
जिले के क्रांति मैदान बापू भवन के बाहर गंदगी का अंबार लगा हुआ है। नगर पालिका का इस ओर ध्यान नहीं है। एक तरफ आजादी का जश्न मनाया जा रहा है वहीं दूसरी तरफ जिस जगह आजादी की घोषणा हुई, वहां गंदगी पसरी है। आजादी के अमृत महोत्सव में बलिया से सामने आई यह तस्वीर कई सवाल खड़े कर रही है।
Pic Credit- Roshan
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1947 से 5 साल पहले, आज ही के दिन बांसडीह तहसील को मिली थी आज़ादी!

बलिया डेस्क : आज 17 अगस्त है, बलियावासियों के लिए गौरव का दिन। आज ही के दिन बलिया की एक तहसील आज़ादी से पांच साल पहले अंग्रेज़ों की ग़ुलामी से आज़ाद हो गई थी। हम बात बांसडीह तहसील की कर रहे हैं, जिसे 17 अगस्त 1942 को गजाधर शर्मा के नेतृत्व में तकरीबन 20 हज़ार किसानों-नौजवानों की टीम ने अंग्रेज़ी हुकूमत से आज़ाद करा लिया था।
वीर सेनानियों की इस टीम में सकरपुरा के वृंदा सिंह, चांदपुर के रामसेवक सिंह और सहतवार के श्रीपति कुंअर भी शामिल थे। बताया जाता है कि सेनानियों की टीम ने तहसील पर कब्ज़े की तैयारी इतनी खामोशी के साथ की थी कि इसकी भनक अंग्रेज़ी हुकूसत को भी नहीं लग सकी थी। 17 अगस्त की सुबह होते ही तकरीबन 8 बजे सेनानियों की एक टोली ने तहसील और थाने को चारों तरफ़ से घेर लिया। सेनानियों की तादाद और उनके देश प्रेम के जज़्बे को देखकर तहसीलदार और थानाध्यक्ष ने सरेंडर कर दिया।
जिसके बाद सेनानियों का तहसील और थाने पर कब्ज़ा हो गया। बलिया ख़बर से बातचीत में कॉमरेड प्रणेश सिंह एक किताब का हवाला देते हुए बताते हैं कि तहसील और थाने पर कब्ज़े के बाद सेनानियों ने वहां के ख़ज़ाने को अपने कब्ज़े में ले लिया और उसी खज़ाने से कर्मचारियों को एक महीने का वेतन देकर उन्हें 24 घंटे के भीतर बलिया छोड़ने को कहा।
तहसील पर कब्ज़े के बाद तत्कालीन कांग्रेस अध्यक्ष गजाधर शर्मा को तहसीलदार बना दिया गया और इसी के साथ सेनानियों ने स्वदेशी सरकार की स्थापना भी कर दी। प्रणेश बताते हैं कि तहसीलदार बनने के बाद गजाधर शर्मा ने दो बड़े केस पर पंचायती राज के तहत फैसला सुनाया था। जिसमें कोरल क्षेत्र का एक खानदानी मुकदमा था और एक नरतिकी से लूट का केस था।
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