बलिया स्पेशल
सपा में शामिल होने के बाद बलिया पहुचे अनिल राय, उमड़ा जनसैलाब !
बलिया डेस्क : पिछले दिनों समाजवादी पार्टी ज्वाइन करने के बाद बलिया में प्रथम आगमन पर अनिल राय का सपा के कार्यकर्ताओं और नेताओं ने गर्मजोशी से जोरदार स्वागत किया।
स्वागत से अभिभूत अनिल राय ने कहा कि पूरा प्रदेश आज समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव के तरफ देख रहा है और उनके द्वार कराए गए विकास कार्यो को याद कर रहा है।वर्तमान परिस्थितियों में समाजवादी पार्टी और इसके नेता मा. अखिलेश यादव प्रदेश को विकास की दिशा में ले कर जा सकते है।वर्तमान में प्रदेश में विकास ठप पड़ा हुआ है।
और समाज का हर वर्ग वर्तमान सरकार केनीतियों से त्रस्त है इसे समाजवादी पार्टी ही ठीक कर सकती है क्योकि समाजवादी सोच से ही विकसित उत्तर प्रदेश बन सकता हैअखिलेश यादव जी युवा है उनमें भविष्य की सम्भावनाये है युवा वर्ग आशा भारी निगाहों से उनके तरफ देख रहा है और मैं भी एक युवा हू।
बलिया का विकास मेरा सपना है यही कारण है कि मैंने समाजवादी पार्टी की सदस्यता ग्रहण किया।आज आप लोगो ने जो स्नेह और प्यार दिखाया उसके लिए मैं आजीवन आप सबका ऋणी रहूंगा।आज के बाद मेरा सिर्फ एक ही लक्ष्य होगा और वह लक्ष्य है 2022 में उत्तर प्रदेश में अखिलेश यादव के नेतृत्व में समाजवादी पार्टी की पूर्ण बहुमत की सरकार बने इसके लिए मैं रात दिन एक करूँगा और आप सभी से भी उसमें कामयाबी के लिए आशीर्वादऔर सहयोग की अपेक्षा रखूंगा।
सपा कार्यालय पर उपस्तित सपा नेताओं ने कहा कि अनिल राय के पार्टी से जुड़ने से जनपद में पार्टी की ताकत बढ़ेगी खास कर युवा वर्ग में जिससे 2022 के मिशन में पार्टी की ताकत बढ़ेगी और सफलता भी मिलेगा।इसके पूर्व श्री राय के जनपद की सीमा (कोटवा नरायन पुर)में प्रवेश करते ही सपा कार्यकर्ताओं ने उन्हें फूल माला से लाद दिया सैकड़ो की संख्या में दो पहिया वाहनों एव सैकड़ो चार पहिया वाहनों के काफिले के साथ वहा से उनका काफिला बलिया के तरफ बढ़ा पूरे रास्ते मे लोग गर्मजोशी से उनका स्वागत किये स्वागत में उमड़ी भीड़ देख यह महशूस हो रहा था मानो समाजवादी पिछले विधानसभा चुनाव का हिसाब आगामी विधानसभा चुनाव में चुकता करने के दिशा में बढ़ गए है।
इस अवसर पर सर्वश्री सनातन पाण्डेय,जय प्रकाश अंचल,राजमंगल यादव,यशपाल सिंह,संजय उपाध्याय,लक्षमण गुप्ता,चंद्रशेखर सिंह,राजेन्द्र राजभर,साथी रामजी गुप्ता,संजय यादव,जय प्रकाश यादव मुन्ना,अजीत मिश्र,शशिकान्त चतुर्वेदी,अकमल नईम खा,प्रभुनाथ यादव,रंजीत चौधरी,बंशीधर यादव,हीरालाल वर्मा,जमाल अलाम राजन कनौजिया, शिवजी त्यागी,काशी नाथ यादव,रामेश्वर पासवान,रविन्द्र नाथ यादव,अजय यादव,सुभाष यादव,महावीर चौधरी
अरुण यादव,विश्वनाथ चौधरी,आशुतोष ओझा,सुनील कुमार पिंटू,मिथिलेश सिंह,निशु श्रीवास्तव,अरविंद बाल्मीकि,हरेन्द्र गोड़,राकेश यादव,अजीत यादव,मिंटू खा,विजय बहादुर यादव, राजेन्द्र यादव,राहुल राय, दिलीप भाई,शैलेन्द्र यादव,देवेंद्र यादव,श्रीकांत गिरी,मुन्नी लाल यादव,शकील लोहिया,राघवेंद्र खरवार,परवेज रौशन,अनिल तिवारी,जे.डी.,सत्यदेव बिन्द,राभरोशे यादव,सैयद सलाहुद्दीन,विजय यादव,गणेश यादव,धनजी यादव आदि रहे।
रिपोर्ट:- विक्की कुमार गुप्ता
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बलिया में भयंकर सड़क हादसा, 4 की मौत 1 गंभीर रूप से घायल
बलिया में भयंकर सड़क हादसा सामने आया है जहां 4 लोगों की मौत की खबरें सामने आ रही है। वहीं एक गंभीर रूप से घायल बताया जा रहा है। जानकारी के मुताबिक ये हादसा फेफना थाना क्षेत्र के राजू ढाबा के पास बुधवार की रात करीब 10:30 बजे हुआ। खबर के मुताबिक असंतुलित होकर बलिया से चितबड़ागांव की ओर जा रही सफारी कार पलट गई। जिसमें चार लोगों की मौत हो गई। जबकि एक गंभीर रूप से घायल हो गया।
सूचना मिलने पर पर पहुंची पुलिस ने चारों शव को कब्जे में लेकर पोस्टमार्टम के लिए जिला अस्पताल भेज दिया। जबकि गंभीर रूप से घायल को ट्रामा सेंटर में भर्ती कराया। मृतकों की शिनाख्त क्रमशः रितेश गोंड 32 वर्ष निवासी तीखा थाना फेफना, सत्येंद्र यादव 40 वर्ष निवासी जिला गाज़ीपुर, कमलेश यादव 36 वर्ष थाना चितबड़ागांव, राजू यादव 30 वर्ष थाना चितबड़ागांव बलिया के रूप में की गई। जबकि घायल छोटू यादव 32 वर्ष निवासी बढ़वलिया थाना चितबड़ागांव जनपद बलिया का इलाज जिला अस्पताल स्थित ट्रामा सेंटर में चल रहा है।
बताया जा रहा है कि सफारी में सवार होकर पांचो लोग बलिया से चितबड़ागांव की ओर जा रहे थे, जैसे ही पिकअप राजू ढाबे के पास पहुँचा कि सड़क हादसा हो गया।
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कौन थे ‘शेर-ए-पूर्वांचल’ जिन्हें आज उनकी पुण्यतिथि पर बलिया के लोग कर रहे याद !
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बलिया के चंद्रशेखर : वो प्रधानमंत्री जिसकी सियासत पर हमेशा हावी रही बगावत
आज चन्द्रशेखर का 97वा जन्मदिन है….पूर्वांचल के ऐतिहासिक जिले बलिया के इब्राहिमपट्टी गांव में जन्म लेने वाले चंद्रशेखर ने प्रधानमंत्री बनने से पहले किसी राज्य या केंद्र में मंत्री पद नहीं संभाला था, लेकिन संसद से लेकर सड़क तक उनकी आवाज गूंजती थी. युवा तुर्क के नाम से मशहूर चंद्रशेखर की सियासत में आखिर तक बगावत की झलक मिलती रही.
बलिया के किसान परिवार में जन्मे पूर्व प्रधानमंत्री चंद्रशेखर ‘क्रांतिकारी जोश’ और ‘युवा तुर्क’ के नाम से मशहूर रहे हैं चन्द्रशेखर का आज 97वा जन्मदिन है. पूर्वांचल के ऐतिहासिक जिला बलिया के इब्राहिमपट्टी गांव में जन्म लेने वाले चंद्रशेखर ने प्रधानमंत्री बनने से पहले किसी राज्य या केंद्र में मंत्री पद नहीं संभाला था, लेकिन संसद से लेकर सड़क तक उनकी आवाज गूंजती थी. चंद्रशेखर भले ही महज आठ महीने प्रधानमंत्री पद पर रहे, लेकिन उससे कहीं ज्यादा लंबा उनका राजनीतिक सफर रहा है.
चंद्रशेखर ने सियासत की राह में तमाम ऊंचे-नीचे व ऊबड़-खाबड़ रास्तों से गुजरने के बाद भी समाजवादी विचारधारा को नहीं छोड़ा.चंद्रशेकर अपने तीखे तेवरों और खुलकर बात करने वाले नेता के तौर पर जाने जाते थे. युवा तुर्क के नाम से मशहूर चंद्रशेखर की सियासत में आखिर तक बगावत की झलक मिलती रही. बलिया के इब्राहिमपट्टी गांव में 17 अप्रैल 1927 को जन्मे चंद्रशेखर कॉलेज टाइम से ही सामाजिक आंदोलन में शामिल होते थे और बाद में 1951 में सोशलिस्ट पार्टी के फुल टाइम वर्कर बन गए. सोशलिस्ट पार्टी में टूट पड़ी तो चंद्रशेखर कांग्रेस में चले गए,
लेकिन 1977 में इमरजेंसी के समय उन्होंने कांग्रेस छोड़ दी. इसके बाद इंदिरा गांधी के ‘मुखर विरोधी’ के तौर पर उनकी पहचान बनी. राजनीति में उनकी पारी सोशलिस्ट पार्टी से शुरू हुई और संयुक्त सोशलिस्ट पार्टी व प्रजा सोशलिस्ट पार्टी के रास्ते कांग्रेस, जनता पार्टी, जनता दल, समाजवादी जनता दल और समाजवादी जनता पार्टी तक पहुंची. चंद्रशेखर के संसदीय जीवन का आरंभ 1962 में उत्तर प्रदेश से राज्यसभा के लिए चुने जाने से हुआ. इसके बाद 1984 से 1989 तक की पांच सालों की अवधि छोड़कर वे अपनी आखिरी सांस तक लोकसभा के सदस्य रहे.
1989 के लोकसभा चुनाव में वे अपने गृहक्षेत्र बलिया के अलावा बिहार के महाराजगंज लोकसभा क्षेत्र से भी चुने गए थे. अलबत्ता, बाद में उन्होंने महाराजगंज सीट से इस्तीफा दे दिया था. 1967 में कांग्रेस संसदीय दल के महासचिव बनने के बाद उन्होंने तेज सामाजिक बदलाव लाने वाली नीतियों पर जोर दिया और सामंत के बढ़ते एकाधिकार के खिलाफ आवाज उठाई. फिर तो उन्हें ऐसे ‘युवा तुर्क’ की संज्ञा दी जाने लगी, जिसने दृढ़ता, साहस एवं ईमानदारी के साथ निहित स्वार्थों के खिलाफ लड़ाई लड़ी. संसद से लेकर सड़क तक उनकी आवाज गूंजती थी.
‘युवा तुर्क’ के ही रूप में चंद्रशेखर ने 1971 में तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के विरोध के बावजूद कांग्रेस की राष्ट्रीय कार्यसमिति का चुनाव लड़ा और जीते. 1974 में भी उन्होंने इंदिरा गांधी की ‘अधीनता’ अस्वीकार करके लोकनायक जयप्रकाश नारायण के आंदोलन का समर्थन किया. 1975 में कांग्रेस में रहते हुए उन्होंने इमरजेंसी के विरोध में आवाज उठाई और अनेक उत्पीड़न सहे. 1977 के लोकसभा चुनाव में हुए जनता पार्टी के प्रयोग की विफलता के बाद इंदिरा गांधी फिर से सत्ता में लौटीं और उन्होंने स्वर्ण मंदिर पर सैनिक कार्रवाई की तो चंद्रशेखर उन गिने-चुने नेताओं में से एक थे,
जिन्होंने उसका पुरजोर विरोध किया. 1990 में विश्वनाथ प्रताप सिंह की जनता दल सरकार के पतन के बाद अत्यंत विषम राजनीतिक परिस्थितियों में वे कांग्रेस के समर्थन से प्रधानमंत्री बने थे. पिछड़े गांव की पगडंडी से होते हुए देश के प्रधानमंत्री की कुर्सी तक पहुंचने वाले चंद्रशेखर के बारे में कहा जाता है कि प्रधानमंत्री रहते हुए भी दिल्ली के प्रधानमंत्री आवास यानी 7 रेस कोर्स में कभी रुके ही नहीं. वह रात तक सब काम निपटाकर भोड़सी आश्रम चले जाते थे या फिर 3 साउथ एवेन्यू में ठहरते थे. उनके कुछ सहयोगियों ने कई बार उनसे इस बारे में जिक्र किया तो उनका जवाब था कि
सरकार कब चली जाएगी, कोई ठिकाना नहीं है. वह कहते थे कि 7 रेसकोर्स में रुकने का क्या मतलब है? प्रधानमंत्री के रूप में उन्हें बहुत कम समय मिला, क्योंकि कांग्रेस ने उनका कम से कम एक साल तक समर्थन करने का राष्ट्रपति को दिया अपना वचन नहीं निभाया और अकस्मात, लगभग अकारण, समर्थन वापस ले लिया. चंद्रशेखर ने एक बार इस्तीफा दे देने के बाद राजीव गांधी से उसे वापस लेने का अनौपचारिक आग्रह स्वीकार करना ठीक नहीं समझा. इस तरह से उन्होंने पीएम बनने के तकरीबन 8 महीने के बाद ही इस्तीफा देकर पीएम की कुर्सी छोड़ दी.
(लेखक इंडिया टुडे ग्रुप के पत्रकार हैं)
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