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बलिया- जिस सड़क निर्माण कार्य का मंत्री ने लिया श्रेय, 10 दिन बाद भी शुरू नहीं हुआ

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बलिया डेस्क : बलिया सदर विधायक और योगी आदित्यनाथ सरकार में मंत्री आनंद स्वरूप शुक्ला ने बलिया की जिस सड़क को एक हफ़्ते के भीतर बनवाने का वादा किया था, उस सड़क का निर्माण कार्य लगभग 10 दिन बीत जाने के बाद भी शुरू नहीं हुआ है। इस सड़क पर चलने वाले लोगों को अभी भी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है।

दरअसल, आज से 10 दिन पहले 14 जून को संसदीय कार्य राज्यमंत्री आनंद स्वरूप शुक्ला ने मिड्ढी चौराहे से एनसीसी तिराहे तक चल रहे जर्जर सड़क के निर्माण कार्य का निरीक्षण किया था। इस दौरान उन्होंने वादा किया था कि सड़क का निर्माण कार्य एक हफ़्ते के भीतर पूरा कर लिया जाएगा। इस बाबत उन्होंने मीडिया की मौजूदगी में ठेकेदारों को सख़्त निर्देश भी दिए थे।

आनंद स्वरूप शुक्ला ने इस दौरान अशोका होटल से एनसीसी तिराहे तक पैदल भ्रमण कर सड़क निर्माण में प्रयोग हो रहे मेटेरियल की भी जांच की थी। उन्होंने ठेकेदारों को निर्देश दिया था कि सड़क की गुणवत्ता में कोई कमी नहीं होनी चाहिए। लेकिन मंत्री जी के निर्देश के मुताबिक़, ठेकेदारों ने सड़क को अच्छे से बनाने के बजाए दूसरे दिन से निर्माण कार्य ही रोक दिया।

15 जून से सड़क निर्माण का कार्य बंद पड़ा है। ख़राब सड़क के चलते जिन लोगों को दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है, वो लगातार लोक निर्माण विभाग के चक्कर काट रहे हैं, लेकिन कोई भी अधिकारी उनकी गुहार सुनने को तैयार नहीं है।

आनंद स्वरूप शुक्ला ने जब सड़क निर्माण कार्य का निरीक्षण किया था तो मीडिया से बात करते हुए उन्होंने कहा था कि हरपुर मिड्ढी के लोगों को कई वर्षों से खराब सड़क से गुजरना पड़ रहा था। इसके निर्माण में कुछ दिक्कतें थी जिसको खत्म कराया और तत्काल निर्माण कार्य शुरू कराने का निर्देश लोक निर्माण विभाग के अधिकारियों को दिया।

उन्होंने लोक निर्माण विभाग के अधिकारियों की मौजूदगी में दावा किया था कि एक हफ्ते के भीतर सड़क बन कर तैयार हो जाएगी। लेकिन ऐसा नहीं हुआ। सड़क निर्माण का कार्य अगले दिन से ही रुक गया और 10 दिन बीत जाने के बाद भी शुरू नहीं हुआ। बलिया खबर की टीम ने जब सड़क निर्माण कार्य रोके जाने के बारे में पड़ताल शुरू की तो सूत्रों से पता चला कि ऐसा कानूनी प्रक्रिया पूरी ना किए जाने की वजह से हो रहा है। सूत्र से पता चला कि जल निगम ने सड़क निर्माण को हरी झंडी नहीं दी है।

दरअसल , जिस जगह सड़क बननी है वहां नई सीवर लाइन को बिछाया जाना था, लेकिन ये कार्य अभी तक पूरा नहीं हुआ है। इसी वजह से जल निगम ने इस जगह सड़क निर्माण के लिए एनओसी नहीं दी। अब सवाल ये उठता है कि क्या इस बारे में मंत्री जी को खबर नहीं थी, जो उन्होंने एक हफ्ते के भीतर सड़क तैयार कराने का वादा कर लिया?

हालांकि उनके बयान से पता चलता है कि उन्हें इस बात की बख़ूबी खबर थी। तभी उन्होंने लोक निर्माण विभाग के अधिकारियों की मौजूदगी में ये बात कही थी कि सड़क निर्माण में कुछ दिक्कतें आ रही थीं, जिनका निस्तारण कर लिया गया है। जबकि सूत्रों की मानें तो समस्या का निस्तारण अभी तक नहीं हुआ। ऐसे में क्या ये मान लेना चाहिए कि मंत्री जी ने सड़क नियन कार्य का निरीक्षण सिर्फ सुर्खियां बटोरने के लिए किया था?

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बलिया में भयंकर सड़क हादसा, 4 की मौत 1 गंभीर रूप से घायल

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बलिया में भयंकर सड़क हादसा सामने आया है जहां 4 लोगों की मौत की खबरें सामने आ रही है। वहीं एक गंभीर रूप से घायल बताया जा रहा है। जानकारी के मुताबिक ये हादसा फेफना थाना क्षेत्र के राजू ढाबा के पास बुधवार की रात करीब 10:30 बजे हुआ। खबर के मुताबिक असंतुलित होकर बलिया से चितबड़ागांव की ओर जा रही सफारी कार पलट गई। जिसमें चार लोगों की मौत हो गई। जबकि एक गंभीर रूप से घायल हो गया।

सूचना मिलने पर पर पहुंची पुलिस ने चारों शव को कब्जे में लेकर पोस्टमार्टम के लिए जिला अस्पताल भेज दिया। जबकि गंभीर रूप से घायल को ट्रामा सेंटर में भर्ती कराया। मृतकों की शिनाख्त क्रमशः रितेश गोंड 32 वर्ष निवासी तीखा थाना फेफना, सत्येंद्र यादव 40 वर्ष निवासी जिला गाज़ीपुर, कमलेश यादव 36 वर्ष  थाना चितबड़ागांव, राजू यादव 30 वर्ष थाना चितबड़ागांव बलिया के रूप में की गई। जबकि घायल छोटू यादव 32 वर्ष निवासी बढ़वलिया थाना चितबड़ागांव जनपद बलिया का इलाज जिला अस्पताल स्थित ट्रामा सेंटर में चल रहा है।

बताया जा रहा है कि सफारी  में सवार होकर पांचो लोग बलिया से चितबड़ागांव की ओर जा रहे थे, जैसे ही पिकअप राजू ढाबे के पास पहुँचा कि सड़क हादसा हो गया।

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बलिया में दूल्हे पर एसिड अटैक, पूर्व प्रेमिका ने दिया वारदात को अंजाम

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बलिया के बांसडीह थाना क्षेत्र में एक हैरान कर देने वाले घटना सामने आई हैं। यहां शादी की रस्मों के दौरान एक युवती ने दूल्हे पर तेजाब फेंक दिया, इससे दूल्हा गंभीर रूप से झुलस गया। मौके पर मौजूद महिलाओं ने युवती को पकड़ कर पुलिस के हवाले कर दिया। फिलहाल पुलिस बारीकी से पूरे मामले की जांच कर रही है।

बताया जा रहा है की घटना को अंजाम देने वाली युवती दूल्हे की पूर्व प्रेमिका है। उसका थाना क्षेत्र के गांव डुमरी निवासी राकेश बिंद के साथ बीते कई वर्ष से प्रेम प्रसंग चल रहा था। युवती ने युवक से शादी करने का कई बार दबाव बनाया, लेकिन युवक ने शादी करने से इन्कार कर दिया। इस मामले में कई बार थाना और गांव में पंचायत भी हुई, लेकिन मामला सुलझा नहीं।

इसी बीच राकेश की शादी कहीं ओर तय हो गई। मंगलवार की शाम राकेश की बारात बेल्थरारोड क्षेत्र के एक गांव में जा रही थी। महिलाएं मंगल गीत गाते हुए दूल्हे के साथ परिछावन करने के लिए गांव के शिव मंदिर पर पहुंचीं। तभी घूंघट में एक युवती पहुंची और दूल्हे पर तेजाब फेंक दिया। इस घटना से दूल्हे के पास में खड़ा 14 वर्षीय राज बिंद भी घायल हो गया। दूल्हे के चीखने चिल्लाने से मौके पर हड़कंप मच गया। आनन फानन में दूल्हे को अस्पताल ले जाया गया, जहां उसका इलाज किया जा रहा है।

मौके पर पहुंची पुलिस युवती को थाने ले गई और दूल्हे को जिला अस्पताल भेज दिया। थानाध्यक्ष अखिलेश चंद्र पांडेय ने कहा कि तहरीर मिलने पर कार्रवाई की जाएगी।

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कौन थे ‘शेर-ए-पूर्वांचल’ जिन्हें आज उनकी पुण्यतिथि पर बलिया के लोग कर रहे याद !

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‘शेर-ए-पूर्वांचल’ के नाम से मश्हूर दिग्गज कांग्रेस नेता बच्चा पाठक की आज 7 वी पुण्यतिथि हैं. उनकी पुण्यतिथि पर जिले के सभी पक्ष-विपक्ष समेत तमाम बड़े नेताओं और इलाके के लोग नम आंखों से उन्हें श्रद्धांजलि दे रहे हैं.  1977 में जनता पार्टी की लहर के बावजूद बच्चा पाठक ने जीत दर्ज की जिसके बाद से ही वो ‘शेर-ए-बलिया’ के नाम से जाने जाने लगे. प्रदेश सरकार के पूर्व मंत्री बच्चा पाठक लगभग 50 सालों तक पूर्वांचल की राजनीति के केन्द्र में रहे.
रेवती ब्लाक के खानपुर गांव के रहने वाले बच्चा पाठक ने राजनीति की शुरूआत डुमरिया न्याय पंचायत के संरपच के रूप में साल 1956 में की. 1962 में वे रेवती के ब्लाक प्रमुख चुने गये और 1967 में बच्चा पाठक ने बांसडीह विधानसभा से पहली बार विधायक का चुनाव लड़ा लेकिन उन्हें बैजनाथ सिंह से हार का सामना करना पड़ा. दो साल बाद 1969 में फिर चुनाव हुआ और कांग्रेस प्रत्याशी के रूप में बच्चा पाठक ने विजय बहादुर सिंह को हराकर विधानसभा का रुख़ किया. यहां से बच्चा पाठक ने जो राजनीतिक जीवन की शुरुआत की तो फिर कभी पलटकर नहीं देखा.
बच्चा पाठक की राजनीतिक पैठ 1974 के बाद बनी जब उन्होंने जिले के कद्दावर नेता ठाकुर शिवमंगल सिंह को शिकस्त दी. यही नहीं जब 1977 में कांग्रेस के खिलाफ पूरे देश में लहर थी तब भी बच्चा पाठक ने पूरे पूर्वांचल में एकमात्र अपनी सीट जीतकर सबको अपनी लोकप्रियता का लोहा मनवा दिया था. तब उन्हें ‘शेर-ए-पूर्वांचल का खिताब उनके चाहने वालों ने दे दिया.  1980 में बच्चा पाठक चुनाव जीतने के बाद पहली बार मंत्री बने. कुछ दिनों तक पीडब्लूडी मंत्री और फिर सहकारिता मंत्री बनाये गये.
बच्चा पाठक ने राजनीतिक जीवन में हार का सामना भी किया लेकिन उन्होंने कभी जनता से मुंह नहीं मोड़ा. वो सबके दुख सुख में हमेशा शामिल रहे. क्षेत्र के विकास कार्यों के प्रति हमेशा समर्पित रहने वाले बच्चा पाठक  कार्यकर्ताओं या कमजोरों के उत्पीड़न पर अपने बागी तेवर के लिए मशहूर थे. इलाके में उनकी लोकप्रियता और पैठ का अंदाज़ा इसी बात से लगाया जा सकता है कि वे सात बार बांसडीह विधानसभा से विधायक व दो बार प्रदेश सरकार में मंत्री बने. साल 1985 व 1989 में चुनाव हारने के बावजूद उन्होंने अपना राजनीतिक कार्य जारी रखा. जिसके बाद वो  1991, 1993, 1996 में फिर विधायक चुनकर आये. 1996 में वे पर्यावरण व वैकल्पिक उर्जा मंत्री बनाये गये.
राजनीति के साथ बच्चा पाठक शिक्षा के क्षेत्र में सक्रिय रहे. इलाके की शिक्षा व्यवस्था सुधारने के लिए बच्चा पाठक ने लगातार कोशिश की. उन्होंने कई विद्यालयों की स्थापना के साथ ही उनके प्रबंधक रहकर काम भी किया.
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