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गठबंधन में दरार! – बलिया में एक ही उम्मीदवार को दो पार्टियों ने दिया टिकट

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बलिया। बिहार के बाद अब बंगाल विधानसभा चुनाव में अपनी जड़े जमा रहे एआईएमआईएम प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी अब पूर्वी उत्तर प्रदेश में पंचायत चुनाव के जरिए अपनी जड़े मजबूत करेंगे। पार्टी के लोगों का दावा था कि पंचायत चुनाव में 10 दलों को जोड़कर बने भागीदारी संकल्प मोर्चा पूरे दमखम के साथ नजर आएगा। लेकिन असल में तस्वीर इसके बिलकुल उलट है।

खासतौर पर पूर्वांचल के बलिया में जहाँ भागीदारी संकल्प मोर्चा बिखर गया है। यहाँ मोर्चा के घटक दलों के बीच सीटों के बंटवारे का फार्मूला तय करने में ओमप्रकाश राजभर की सुभासपा, असदुद्दीन ओवैसी की एआईएमआईएम नाकाम रहीं।

दोनों दलों ने जारी की प्रत्याशियों की सूची

जिले में पंचायत चुनाव के लिए 31 मार्च को असदुद्दीन ओवैसी की आल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन ने आठ प्रत्याशियों की सूची जारी की थी। पार्टी ने वार्ड नंबर, 13, 17, 24, 25, 26, 29, 46, तथा 51 से प्रत्याशियों के नामों का एलान किया था। वहीँ 8 अप्रैल को अब सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी ने भी अपने जिला पंचायत सदस्य के लिए बलिया के प्रत्याशियों की सूची जारी करके हड़कंप मचा दिया है। जिस वार्ड से AIMIM  ने उम्मीदवार उतारे थे अब उसी वार्ड से सुभासपा ने भी  अपने उम्मीदवार उतार सबको चौका दिया है। जिसके बाद अब दोनों पार्टियों पर सवाल खड़े हो गए हैं।

एक प्रत्याशी टिकट दो

AIMIM  की तरफ से जारी लिस्ट के मुताबिक सियर ब्लाक के वार्ड नंबर 24 से जिस प्रत्याशी को टिकट दिया है सुभासपा ने भी उसी प्रत्याशी को अपना उम्मीदवार घोषित किया है। जिसपर दोनों तरफ के कार्यकर्ताओं ने अपना विरोध दर्ज कराया है।

क्या बोले AIMIM के नेता 

इस मामले पर बलिया खबर के सतीश कुमार ने जब AIMIM के जिलाध्यक्ष अमानुल हक़ अब्बासी से इस मामले पर उनका पक्ष जानने की कोशिश कि, जिस पर अब्बासी ने बताया कि मुझे इसके बारे में कोई जानकारी ही नहीं हैं। वहीँ बलिया खबर के सतीश ने उनको whatsapp पर दोनों पार्टियों की सूची अब्बासी को भेजी , जिसको देखने के बाद जिला अध्यक्ष अब्बासी ने सतीश का फ़ोन उठाना बंद कर दिया। इसके बाद बलिया खबर ने पूर्वांचल प्रभारी शमीम खान से भी इस मामले पर बात की तो उन्होंने  अध्यक्ष से जानकारी लेता हूँ कह कर अपना पल्ला झाड़ गए।

क्या बोले सुभासपा के प्रवक्ता

इस पुरे मामले पर सुभासपा पार्टी के प्रवक्ता सुनील सिंह ने कहा कि हम दोनों पार्टियों की बात नहीं बन पाई , जिसकी वजह से हमने अपने-अपने कैंडिडेट उतारे हैं। सुनील सिंह ने कहा की हमारी सिटिंग सीट पर भी AIMIM पार्टी ने पहले ही अपने उम्मीदवार घोषित कर दिए थे जिसके बाद पार्टी ने फैसला किया की हम लोग अकेले ही चुनाव लड़ेंगे।

 

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बलिया में भयंकर सड़क हादसा, 4 की मौत 1 गंभीर रूप से घायल

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बलिया में भयंकर सड़क हादसा सामने आया है जहां 4 लोगों की मौत की खबरें सामने आ रही है। वहीं एक गंभीर रूप से घायल बताया जा रहा है। जानकारी के मुताबिक ये हादसा फेफना थाना क्षेत्र के राजू ढाबा के पास बुधवार की रात करीब 10:30 बजे हुआ। खबर के मुताबिक असंतुलित होकर बलिया से चितबड़ागांव की ओर जा रही सफारी कार पलट गई। जिसमें चार लोगों की मौत हो गई। जबकि एक गंभीर रूप से घायल हो गया।

सूचना मिलने पर पर पहुंची पुलिस ने चारों शव को कब्जे में लेकर पोस्टमार्टम के लिए जिला अस्पताल भेज दिया। जबकि गंभीर रूप से घायल को ट्रामा सेंटर में भर्ती कराया। मृतकों की शिनाख्त क्रमशः रितेश गोंड 32 वर्ष निवासी तीखा थाना फेफना, सत्येंद्र यादव 40 वर्ष निवासी जिला गाज़ीपुर, कमलेश यादव 36 वर्ष  थाना चितबड़ागांव, राजू यादव 30 वर्ष थाना चितबड़ागांव बलिया के रूप में की गई। जबकि घायल छोटू यादव 32 वर्ष निवासी बढ़वलिया थाना चितबड़ागांव जनपद बलिया का इलाज जिला अस्पताल स्थित ट्रामा सेंटर में चल रहा है।

बताया जा रहा है कि सफारी  में सवार होकर पांचो लोग बलिया से चितबड़ागांव की ओर जा रहे थे, जैसे ही पिकअप राजू ढाबे के पास पहुँचा कि सड़क हादसा हो गया।

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बलिया में दूल्हे पर एसिड अटैक, पूर्व प्रेमिका ने दिया वारदात को अंजाम

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बलिया के बांसडीह थाना क्षेत्र में एक हैरान कर देने वाले घटना सामने आई हैं। यहां शादी की रस्मों के दौरान एक युवती ने दूल्हे पर तेजाब फेंक दिया, इससे दूल्हा गंभीर रूप से झुलस गया। मौके पर मौजूद महिलाओं ने युवती को पकड़ कर पुलिस के हवाले कर दिया। फिलहाल पुलिस बारीकी से पूरे मामले की जांच कर रही है।

बताया जा रहा है की घटना को अंजाम देने वाली युवती दूल्हे की पूर्व प्रेमिका है। उसका थाना क्षेत्र के गांव डुमरी निवासी राकेश बिंद के साथ बीते कई वर्ष से प्रेम प्रसंग चल रहा था। युवती ने युवक से शादी करने का कई बार दबाव बनाया, लेकिन युवक ने शादी करने से इन्कार कर दिया। इस मामले में कई बार थाना और गांव में पंचायत भी हुई, लेकिन मामला सुलझा नहीं।

इसी बीच राकेश की शादी कहीं ओर तय हो गई। मंगलवार की शाम राकेश की बारात बेल्थरारोड क्षेत्र के एक गांव में जा रही थी। महिलाएं मंगल गीत गाते हुए दूल्हे के साथ परिछावन करने के लिए गांव के शिव मंदिर पर पहुंचीं। तभी घूंघट में एक युवती पहुंची और दूल्हे पर तेजाब फेंक दिया। इस घटना से दूल्हे के पास में खड़ा 14 वर्षीय राज बिंद भी घायल हो गया। दूल्हे के चीखने चिल्लाने से मौके पर हड़कंप मच गया। आनन फानन में दूल्हे को अस्पताल ले जाया गया, जहां उसका इलाज किया जा रहा है।

मौके पर पहुंची पुलिस युवती को थाने ले गई और दूल्हे को जिला अस्पताल भेज दिया। थानाध्यक्ष अखिलेश चंद्र पांडेय ने कहा कि तहरीर मिलने पर कार्रवाई की जाएगी।

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कौन थे ‘शेर-ए-पूर्वांचल’ जिन्हें आज उनकी पुण्यतिथि पर बलिया के लोग कर रहे याद !

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‘शेर-ए-पूर्वांचल’ के नाम से मश्हूर दिग्गज कांग्रेस नेता बच्चा पाठक की आज 7 वी पुण्यतिथि हैं. उनकी पुण्यतिथि पर जिले के सभी पक्ष-विपक्ष समेत तमाम बड़े नेताओं और इलाके के लोग नम आंखों से उन्हें श्रद्धांजलि दे रहे हैं.  1977 में जनता पार्टी की लहर के बावजूद बच्चा पाठक ने जीत दर्ज की जिसके बाद से ही वो ‘शेर-ए-बलिया’ के नाम से जाने जाने लगे. प्रदेश सरकार के पूर्व मंत्री बच्चा पाठक लगभग 50 सालों तक पूर्वांचल की राजनीति के केन्द्र में रहे.
रेवती ब्लाक के खानपुर गांव के रहने वाले बच्चा पाठक ने राजनीति की शुरूआत डुमरिया न्याय पंचायत के संरपच के रूप में साल 1956 में की. 1962 में वे रेवती के ब्लाक प्रमुख चुने गये और 1967 में बच्चा पाठक ने बांसडीह विधानसभा से पहली बार विधायक का चुनाव लड़ा लेकिन उन्हें बैजनाथ सिंह से हार का सामना करना पड़ा. दो साल बाद 1969 में फिर चुनाव हुआ और कांग्रेस प्रत्याशी के रूप में बच्चा पाठक ने विजय बहादुर सिंह को हराकर विधानसभा का रुख़ किया. यहां से बच्चा पाठक ने जो राजनीतिक जीवन की शुरुआत की तो फिर कभी पलटकर नहीं देखा.
बच्चा पाठक की राजनीतिक पैठ 1974 के बाद बनी जब उन्होंने जिले के कद्दावर नेता ठाकुर शिवमंगल सिंह को शिकस्त दी. यही नहीं जब 1977 में कांग्रेस के खिलाफ पूरे देश में लहर थी तब भी बच्चा पाठक ने पूरे पूर्वांचल में एकमात्र अपनी सीट जीतकर सबको अपनी लोकप्रियता का लोहा मनवा दिया था. तब उन्हें ‘शेर-ए-पूर्वांचल का खिताब उनके चाहने वालों ने दे दिया.  1980 में बच्चा पाठक चुनाव जीतने के बाद पहली बार मंत्री बने. कुछ दिनों तक पीडब्लूडी मंत्री और फिर सहकारिता मंत्री बनाये गये.
बच्चा पाठक ने राजनीतिक जीवन में हार का सामना भी किया लेकिन उन्होंने कभी जनता से मुंह नहीं मोड़ा. वो सबके दुख सुख में हमेशा शामिल रहे. क्षेत्र के विकास कार्यों के प्रति हमेशा समर्पित रहने वाले बच्चा पाठक  कार्यकर्ताओं या कमजोरों के उत्पीड़न पर अपने बागी तेवर के लिए मशहूर थे. इलाके में उनकी लोकप्रियता और पैठ का अंदाज़ा इसी बात से लगाया जा सकता है कि वे सात बार बांसडीह विधानसभा से विधायक व दो बार प्रदेश सरकार में मंत्री बने. साल 1985 व 1989 में चुनाव हारने के बावजूद उन्होंने अपना राजनीतिक कार्य जारी रखा. जिसके बाद वो  1991, 1993, 1996 में फिर विधायक चुनकर आये. 1996 में वे पर्यावरण व वैकल्पिक उर्जा मंत्री बनाये गये.
राजनीति के साथ बच्चा पाठक शिक्षा के क्षेत्र में सक्रिय रहे. इलाके की शिक्षा व्यवस्था सुधारने के लिए बच्चा पाठक ने लगातार कोशिश की. उन्होंने कई विद्यालयों की स्थापना के साथ ही उनके प्रबंधक रहकर काम भी किया.
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