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बलिया स्पेशल

यूपी में 64 आईपीएस अफसरों का तबादला, बलिया के नए पुलिस कप्तान बनें देवेंद्र नाथ

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यूपी सरकार ने लोकसभा चुनाव की आहट के साथ ही सोमवार को एडीजी, आईजी, डीआईजी व एसपी स्तर के 64 आईपीएस अफसरों का तबादला कर दिया। बलिया की वर्तमान एसपी श्रीपर्णा गांगुली को डीआईजी कारागार प्रशासन लखनऊ भेजा गया है।  वहीँ श्रीपर्णा गांगुली की जगह बलिया के नए कप्तान चंदौली से एएसपी प्रोन्नति देवेंद्र नाथ को  पुलिस अधीक्षक बलिया बनाया गया है ।

इसमें 8 जिलों में नए पुलिस कप्तान भी तैनात किए गए हैं। हाल ही में एसपी से डीआईजी पद पर प्रोन्नत हुए 6 आईपीएस अफसरों को उन्हीं जिलों में डीआईजी / एसपी के पद पर बनाए रखा गया है।

            कहां थे                                  कहां गए 

वैभव कृष्ण       एसपी पीएचक्यू प्रयागराज एसएसपी गौतमबुद्धनगर

डा. अजय पाल     एसएसपी नोएडा एसपी कार्मिक प्रयागराज

बबलू कुमार    एसएसपी मथुरा  एसपी आजमगढ़

रविशंकर छवि      आजमगढ़      सेनानायक 24वीं पीएसी मुरादाबाद

आकाश कुलहरि    सेनानायक 24वीं पीएमसी मुरादाबाद    एसएसपी अलीगढ़

सत्यार्थ अनिरुद्ध पंकज   एसपी कार्मिक प्रयागराज  एसएसपी मथुरा

अजय कुमार साहनी        एसएसपी अलीगढ़        सेनानायक 35वीं पीएसी लखनऊ

संजीव त्यागी      सेनानायक 9वीं पीएसी मुरादाबाद  एसपी बिजनौर

सिद्धार्थ शंकर मीना एसपी डीजीपी मुख्यालय एसपी हाथरस

जय प्रकाश  एसपी हाथरस  एसपी सीबीसीआईडी लखनऊ

मनोज कुमार सोनकर  एसपी अपराध आगरा एसपी पीलीभीत

बालेद्रू भूषण सिंह एसपी पीलीभीत  एसपी प्रशिक्षण एवं सुरक्षा

देवेंद्र नाथ  एएसपी चंदौली से प्रोन्नति के बाद पुलिस अधीक्षक बलिया

शलभ माथुर       डीजीपी मुख्यालय लखनऊ सेनानायक 26वीं पीएसी गोरखपुर

विकास कुमार वैद्य सेनानायक 26वीं गोरखपुर सेनानायक 8वीं पीएसी बरेली

भारती सिंह          एसपी सतर्कता अधिष्ठान मेरठ  सेनानायक 41वीं पीएसी गाजियाबाद

डीआईजी

मंजिल सैनी डीजीपी मुख्यालय डीआईजी कानून-व्यवस्था

रामकृष्ण भारद्वाज एसपी प्रशासन डीआईजी प्रशासन

उपेन्द्र कुमार अग्रवाल एसएसपी गाजियाबाद डीआईजी/एसएसपी गाजियाबाद

जे. रविन्दर गौड़ एसएसपी मुरादाबाद डीआईजी/एसएसपी मुरादाबाद

अखिलेश कुमार एसएसपी मेरठ डीआईजी/एसएसपी मेरठ

दिनेश पाल सिंह एसपी जौनपुर डीआईजी/एसपी जौनपुर

हरीश कुमार एसपी उन्नाव डीआईजी/एसपी उन्नाव

दिलीप कुमार एसपी बस्ती डीआईजी/एसपी बस्ती

दीपक कुमार सेनानायक 41वीं पीएसी गाजियाबाद डीआईजी पीएसी सेक्टर मेरठ

सुभाष चंद्र दुबे एसपी रेलवे मुरादाबाद डीआईजी/एसपी मुरादाबाद

विनय कुमार यादव एसपी सीबीसीआईडी लखनऊ डीआईजी अभियोजन लखनऊ

हीरालाल एसपी क्षेत्रीय अभिसूचना कानपुर डीआईजी क्षेत्रीय अभिसूचना कानपुर

संजय कुमार एसपी अभिसूचना लखनऊ डीआईजी पीटीएस मेरठ

अरविन्द सेन एसपी सीबीसीआईडी लखनऊ डीआईजी पीएसी आगरा अनुभाग

शिव शंकर सिंह एसपी पीटीसी मुरादाबाद डीआईजी पीटीसी मुरादाबाद

डॉ. राकेश सिंह सेनानायक 35वीं पीएसी लखनऊ डीआईजी देवीपाटन रेंज गोण्डा

वीरेन्द्र प्रताप श्रीवास्तव एसपी ईओडब्ल्यू लखनऊ डीआईजी रेलवे प्रयागराज

उमेश कुमार सिंह एसपी बिजनौर डीआईजी एसीओ लखनऊ

राजेन्द्र प्रसाद पांडेय एसपी क्षेत्रीय अभिसूचना मेरठ डीआईजी क्षेत्रीय अभिसूचना मेरठ

विशम्भर दयाल शुक्ला एसपी एसआईटी लखनऊ डीआईजी ईओडब्ल्यू लखनऊ

श्रीपर्णा गांगुली एसपी बलिया डीआईजी कारागार प्रशासन लखनऊ

बलिकरन सिंह यादव सेनानायक 36वीं पीएसी वाराणसी डीआईजी पीएसी वाराणसी अनुभाग

पूनम श्रीवास्तव एसपी पुलिस अकादमी मुरादाबाद डीआईजी पुलिस अकादमी मुरादाबाद

राललाल वर्मा सेनानायक चतुर्थ पीएसी प्रयागराज डीआईजी पीएसी कानपुर अनुभाग

अनिल कुमार सेनानायक विशेष सुरक्षा लखनऊ डीआईजी पीएसी अयोध्या सेक्टर

हरि नारायण सिंह सेनानायक 23वीं पीएसी मुरादाबाद डीआईजी पीएसी मुरादाबाद अनुभाग

ललित कुमार सिंह एसपी फायर सर्विस लखनऊ डीआईजी फायर सर्विस लखनऊ

कृष्ण बहादुर सिंह संबद्ध डीजीपी मुख्यालय डीआईजी डीजीपी मुख्यालय

धर्मवीर डीआईजी पीएसी कानपुर अनुभाग डीआईजी सीबीसीआईडी लखनऊ

डॉ. मनोज तिवारी डीआईजी चित्रकूट रेंज बांदा डीआईजी कारागार प्रशासन लखनऊ

अनिल कुमार राय डीआईजी देवीपाटन रेंज गोण्डा डीआईजी चित्रकूट रेंज बांदा

राजेश कुमार पांडेय एसपी प्रशिक्षण एवं सुरक्षा डीआईजी बरेली रेंज

अपर पुलिस महानिदेशक

विनोद कुमार सिंह आईजी रेंज मुरादाबाद  एडीजी पीएसी लखनऊ

राजा श्रीवास्तव  आईजी लोकशिकायत लखनऊ     एडीजी पीटीसी सीतापुर

ध्रुवकांत ठाकुर        आईजी बरेली रेंज एडीजी यूपी-100

सुजीत पाण्डेय          आईजी लखनऊ रेंज एडीजी दूरसंचार लखनऊ

आदित्य मिश्र एडीजी यूपी -100 लखनऊ  एडीजी सीबीसीआईडी लखनऊ

तनुजा श्रीवास्तव     एडीजी पुलिस भर्ती एवं प्रोन्नति बोर्ड  एडीजी लोकशिकायत लखनऊ

रेणुका मिश्रा  एडीजी पुलिस मुख्यालय लखनऊ     एडीजी पुलिस भर्ती बोर्ड लखनऊ

सत्येंद्र कुमार कौल    एडीजी सीबीसीआईडी लखनऊ       एडीजी विशेष जांच लखनऊ

प्रवीण कुमार            डीआईजी कानून-व्यवस्था डीजीपी मुख्यालय में आईजी  बने रहेंगे।

आशुतोष कुमार    डीआईजी बस्ती रेंज आईजी बस्ती रेंज

ओंकार सिंह  डीआईजी अयोध्या रेंज आईजी अयोध्या रेंज

शरद सचान  डीआईजी सहारनपुर रेंज  आईजी सहारनपुर

ज्ञानेश्वर तिवारी डीआईजी पीटीसी सीतापुर आईजी पीएसी पूर्वी जोन प्रयागराज

एसके भगत  आईजी अपराध यूपी लखनऊ  आईजी लखनऊ रेंज लखनऊ

एलवी एंटोनी देव कुमार   आईजी पीटीसी मुरादाबाद       आईजी पीटीएस मुरादाबाद

रमित शर्मा             आईजी एसआईटी लखनऊ आईजी मुरादाबाद रेंज

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बलिया में भयंकर सड़क हादसा, 4 की मौत 1 गंभीर रूप से घायल

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बलिया में भयंकर सड़क हादसा सामने आया है जहां 4 लोगों की मौत की खबरें सामने आ रही है। वहीं एक गंभीर रूप से घायल बताया जा रहा है। जानकारी के मुताबिक ये हादसा फेफना थाना क्षेत्र के राजू ढाबा के पास बुधवार की रात करीब 10:30 बजे हुआ। खबर के मुताबिक असंतुलित होकर बलिया से चितबड़ागांव की ओर जा रही सफारी कार पलट गई। जिसमें चार लोगों की मौत हो गई। जबकि एक गंभीर रूप से घायल हो गया।

सूचना मिलने पर पर पहुंची पुलिस ने चारों शव को कब्जे में लेकर पोस्टमार्टम के लिए जिला अस्पताल भेज दिया। जबकि गंभीर रूप से घायल को ट्रामा सेंटर में भर्ती कराया। मृतकों की शिनाख्त क्रमशः रितेश गोंड 32 वर्ष निवासी तीखा थाना फेफना, सत्येंद्र यादव 40 वर्ष निवासी जिला गाज़ीपुर, कमलेश यादव 36 वर्ष  थाना चितबड़ागांव, राजू यादव 30 वर्ष थाना चितबड़ागांव बलिया के रूप में की गई। जबकि घायल छोटू यादव 32 वर्ष निवासी बढ़वलिया थाना चितबड़ागांव जनपद बलिया का इलाज जिला अस्पताल स्थित ट्रामा सेंटर में चल रहा है।

बताया जा रहा है कि सफारी  में सवार होकर पांचो लोग बलिया से चितबड़ागांव की ओर जा रहे थे, जैसे ही पिकअप राजू ढाबे के पास पहुँचा कि सड़क हादसा हो गया।

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कौन थे ‘शेर-ए-पूर्वांचल’ जिन्हें आज उनकी पुण्यतिथि पर बलिया के लोग कर रहे याद !

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‘शेर-ए-पूर्वांचल’ के नाम से मश्हूर दिग्गज कांग्रेस नेता बच्चा पाठक की आज 7 वी पुण्यतिथि हैं. उनकी पुण्यतिथि पर जिले के सभी पक्ष-विपक्ष समेत तमाम बड़े नेताओं और इलाके के लोग नम आंखों से उन्हें श्रद्धांजलि दे रहे हैं.  1977 में जनता पार्टी की लहर के बावजूद बच्चा पाठक ने जीत दर्ज की जिसके बाद से ही वो ‘शेर-ए-बलिया’ के नाम से जाने जाने लगे. प्रदेश सरकार के पूर्व मंत्री बच्चा पाठक लगभग 50 सालों तक पूर्वांचल की राजनीति के केन्द्र में रहे.
रेवती ब्लाक के खानपुर गांव के रहने वाले बच्चा पाठक ने राजनीति की शुरूआत डुमरिया न्याय पंचायत के संरपच के रूप में साल 1956 में की. 1962 में वे रेवती के ब्लाक प्रमुख चुने गये और 1967 में बच्चा पाठक ने बांसडीह विधानसभा से पहली बार विधायक का चुनाव लड़ा लेकिन उन्हें बैजनाथ सिंह से हार का सामना करना पड़ा. दो साल बाद 1969 में फिर चुनाव हुआ और कांग्रेस प्रत्याशी के रूप में बच्चा पाठक ने विजय बहादुर सिंह को हराकर विधानसभा का रुख़ किया. यहां से बच्चा पाठक ने जो राजनीतिक जीवन की शुरुआत की तो फिर कभी पलटकर नहीं देखा.
बच्चा पाठक की राजनीतिक पैठ 1974 के बाद बनी जब उन्होंने जिले के कद्दावर नेता ठाकुर शिवमंगल सिंह को शिकस्त दी. यही नहीं जब 1977 में कांग्रेस के खिलाफ पूरे देश में लहर थी तब भी बच्चा पाठक ने पूरे पूर्वांचल में एकमात्र अपनी सीट जीतकर सबको अपनी लोकप्रियता का लोहा मनवा दिया था. तब उन्हें ‘शेर-ए-पूर्वांचल का खिताब उनके चाहने वालों ने दे दिया.  1980 में बच्चा पाठक चुनाव जीतने के बाद पहली बार मंत्री बने. कुछ दिनों तक पीडब्लूडी मंत्री और फिर सहकारिता मंत्री बनाये गये.
बच्चा पाठक ने राजनीतिक जीवन में हार का सामना भी किया लेकिन उन्होंने कभी जनता से मुंह नहीं मोड़ा. वो सबके दुख सुख में हमेशा शामिल रहे. क्षेत्र के विकास कार्यों के प्रति हमेशा समर्पित रहने वाले बच्चा पाठक  कार्यकर्ताओं या कमजोरों के उत्पीड़न पर अपने बागी तेवर के लिए मशहूर थे. इलाके में उनकी लोकप्रियता और पैठ का अंदाज़ा इसी बात से लगाया जा सकता है कि वे सात बार बांसडीह विधानसभा से विधायक व दो बार प्रदेश सरकार में मंत्री बने. साल 1985 व 1989 में चुनाव हारने के बावजूद उन्होंने अपना राजनीतिक कार्य जारी रखा. जिसके बाद वो  1991, 1993, 1996 में फिर विधायक चुनकर आये. 1996 में वे पर्यावरण व वैकल्पिक उर्जा मंत्री बनाये गये.
राजनीति के साथ बच्चा पाठक शिक्षा के क्षेत्र में सक्रिय रहे. इलाके की शिक्षा व्यवस्था सुधारने के लिए बच्चा पाठक ने लगातार कोशिश की. उन्होंने कई विद्यालयों की स्थापना के साथ ही उनके प्रबंधक रहकर काम भी किया.
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बलिया के चंद्रशेखर : वो प्रधानमंत्री जिसकी सियासत पर हमेशा हावी रही बगावत

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आज चन्द्रशेखर का 97वा जन्मदिन है….पूर्वांचल के ऐतिहासिक जिले बलिया के इब्राहिमपट्टी गांव में जन्म लेने वाले चंद्रशेखर ने प्रधानमंत्री बनने से पहले किसी राज्य या केंद्र में मंत्री पद नहीं संभाला था, लेकिन संसद से लेकर सड़क तक उनकी आवाज गूंजती थी. युवा तुर्क के नाम से मशहूर चंद्रशेखर की सियासत में आखिर तक बगावत की झलक मिलती रही.

बलिया के किसान परिवार में जन्मे पूर्व प्रधानमंत्री चंद्रशेखर ‘क्रांतिकारी जोश’ और ‘युवा तुर्क’ के नाम से मशहूर रहे हैं चन्द्रशेखर का आज 97वा जन्मदिन है. पूर्वांचल के ऐतिहासिक जिला बलिया के इब्राहिमपट्टी गांव में जन्म लेने वाले चंद्रशेखर ने प्रधानमंत्री बनने से पहले किसी राज्य या केंद्र में मंत्री पद नहीं संभाला था, लेकिन संसद से लेकर सड़क तक उनकी आवाज गूंजती थी. चंद्रशेखर भले ही महज आठ महीने प्रधानमंत्री पद पर रहे, लेकिन उससे कहीं ज्यादा लंबा उनका राजनीतिक सफर रहा है.

चंद्रशेखर ने सियासत की राह में तमाम ऊंचे-नीचे व ऊबड़-खाबड़ रास्तों से गुजरने के बाद भी समाजवादी विचारधारा को नहीं छोड़ा.चंद्रशेकर अपने तीखे तेवरों और खुलकर बात करने वाले नेता के तौर पर जाने जाते थे. युवा तुर्क के नाम से मशहूर चंद्रशेखर की सियासत में आखिर तक बगावत की झलक मिलती रही. बलिया के इब्राहिमपट्टी गांव में 17 अप्रैल 1927 को जन्मे चंद्रशेखर कॉलेज टाइम से ही सामाजिक आंदोलन में शामिल होते थे और बाद में 1951 में सोशलिस्ट पार्टी के फुल टाइम वर्कर बन गए. सोशलिस्ट पार्टी में टूट पड़ी तो चंद्रशेखर कांग्रेस में चले गए,

लेकिन 1977 में इमरजेंसी के समय उन्होंने कांग्रेस छोड़ दी. इसके बाद इंदिरा गांधी के ‘मुखर विरोधी’ के तौर पर उनकी पहचान बनी. राजनीति में उनकी पारी सोशलिस्ट पार्टी से शुरू हुई और संयुक्त सोशलिस्ट पार्टी व प्रजा सोशलिस्ट पार्टी के रास्ते कांग्रेस, जनता पार्टी, जनता दल, समाजवादी जनता दल और समाजवादी जनता पार्टी तक पहुंची. चंद्रशेखर के संसदीय जीवन का आरंभ 1962 में उत्तर प्रदेश से राज्यसभा के लिए चुने जाने से हुआ. इसके बाद 1984 से 1989 तक की पांच सालों की अवधि छोड़कर वे अपनी आखिरी सांस तक लोकसभा के सदस्य रहे.

1989 के लोकसभा चुनाव में वे अपने गृहक्षेत्र बलिया के अलावा बिहार के महाराजगंज लोकसभा क्षेत्र से भी चुने गए थे. अलबत्ता, बाद में उन्होंने महाराजगंज सीट से इस्तीफा दे दिया था. 1967 में कांग्रेस संसदीय दल के महासचिव बनने के बाद उन्होंने तेज सामाजिक बदलाव लाने वाली नीतियों पर जोर दिया और सामंत के बढ़ते एकाधिकार के खिलाफ आवाज उठाई. फिर तो उन्हें ऐसे ‘युवा तुर्क’ की संज्ञा दी जाने लगी, जिसने दृढ़ता, साहस एवं ईमानदारी के साथ निहित स्वार्थों के खिलाफ लड़ाई लड़ी. संसद से लेकर सड़क तक उनकी आवाज गूंजती थी.

‘युवा तुर्क’ के ही रूप में चंद्रशेखर ने 1971 में तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के विरोध के बावजूद कांग्रेस की राष्ट्रीय कार्यसमिति का चुनाव लड़ा और जीते. 1974 में भी उन्होंने इंदिरा गांधी की ‘अधीनता’ अस्वीकार करके लोकनायक जयप्रकाश नारायण के आंदोलन का समर्थन किया. 1975 में कांग्रेस में रहते हुए उन्होंने इमरजेंसी के विरोध में आवाज उठाई और अनेक उत्पीड़न सहे. 1977 के लोकसभा चुनाव में हुए जनता पार्टी के प्रयोग की विफलता के बाद इंदिरा गांधी फिर से सत्ता में लौटीं और उन्होंने स्वर्ण मंदिर पर सैनिक कार्रवाई की तो चंद्रशेखर उन गिने-चुने नेताओं में से एक थे,

जिन्होंने उसका पुरजोर विरोध किया. 1990 में विश्वनाथ प्रताप सिंह की जनता दल सरकार के पतन के बाद अत्यंत विषम राजनीतिक परिस्थितियों में वे कांग्रेस के समर्थन से प्रधानमंत्री बने थे. पिछड़े गांव की पगडंडी से होते हुए देश के प्रधानमंत्री की कुर्सी तक पहुंचने वाले चंद्रशेखर के बारे में कहा जाता है कि प्रधानमंत्री रहते हुए भी दिल्ली के प्रधानमंत्री आवास यानी 7 रेस कोर्स में कभी रुके ही नहीं. वह रात तक सब काम निपटाकर भोड़सी आश्रम चले जाते थे या फिर 3 साउथ एवेन्यू में ठहरते थे. उनके कुछ सहयोगियों ने कई बार उनसे इस बारे में जिक्र किया तो उनका जवाब था कि

सरकार कब चली जाएगी, कोई ठिकाना नहीं है. वह कहते थे कि 7 रेसकोर्स में रुकने का क्या मतलब है? प्रधानमंत्री के रूप में उन्हें बहुत कम समय मिला, क्योंकि कांग्रेस ने उनका कम से कम एक साल तक समर्थन करने का राष्ट्रपति को दिया अपना वचन नहीं निभाया और अकस्मात, लगभग अकारण, समर्थन वापस ले लिया. चंद्रशेखर ने एक बार इस्तीफा दे देने के बाद राजीव गांधी से उसे वापस लेने का अनौपचारिक आग्रह स्वीकार करना ठीक नहीं समझा. इस तरह से उन्होंने पीएम बनने के तकरीबन 8 महीने के बाद ही इस्तीफा देकर पीएम की कुर्सी छोड़ दी.

(लेखक इंडिया टुडे ग्रुप के पत्रकार हैं)

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