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दो करोड़ के ऐलान के बाद भी टेक्निशियन के लिए तरस रहे बलिया के दर्जनों वेंटिलेटर, रोज़ मर रहे हैं लोग

बलिया। बलिया सदर के विधायक और मंत्री आनंद स्वरूप शुक्ल ने सप्ताह भर के भीतर दो ऐलान किये। 27 अप्रैल को पहला कि 24 घंटे के भीतर 30 ऑक्सीजन सिलेंडर बलिया पहुंच जाएगा। 28 अप्रैल को दूसरा कि विधायक निधि से एक करोड़ रुपये दिये जा रहे हैं। एक करोड़ की धनराशि देने का ऐलान फेफना विधायक और मंत्री उपेंद्र तिवारी ने भी किया है। यह सबकुछ तब किया गया है जब जिले में सरकारी आकंड़ों के मुताबिक कुल 3734 एक्टिव केस हैं।
28 अप्रैल का ही जिले में कुल 681 नए संक्रमित पाए गए और 7 कोरोना मरीजों की जान गई। प्रशासन ने बताया है कि कुल 3 लोग ठीक होकर घर लौटे। सवाल यह है कि एक दिन में हुई यह सात मौतें क्या कम हो सकती थीं जब जिले में टेक्निशियन की कमी के कारण बंद पड़े वेंटिलेटर चल रहे होते? साथ ही सवाल यह भी है कि क्या आगे इन वेंटिलेटरों को शुरु कराने का कोई प्लान जिले के आला अधिकारियों या विधायक/मंत्री के पास है? जिले में ऑक्सीजन की आपूर्ति और वेंटिलेटरों की हालत समझने के लिए हमने सीएमओ और सीएमएस से बातचीत की।
बलिया जिला अस्पताल में ऑक्सीजन सिलेंडर का हाल
जिला चिकित्सालय के सीएमएस बी.पी सिंह ने बलिया खबर से बातचीत में कहा कि बलिया में कुल 82 ऑक्सीजन सिलेंडर हैं। रिफिलिंग के लिए सिलेंडर मऊ जाते हैं। इस प्रक्रिया में 8 से 10 घंटे लगते हैं। उन्होंने बताया कि जिला अस्पताल में पहले 52 सिलेंडर मौजूद थे। फिर जरुरत को देखते हुए दो दिन पूर्व ही लखनऊ से 30 सिलेंडर मंगाए गए हैं। यह सिलेंडर 4 या 6 लीटर के हैं और 10-11 घंटे चलते हैं। हमसे बातचीत में उन्होंने कहा कि जिला अस्पताल प्रशासन ने यह सिलेंडर जरुरत को देखते हुए लखनऊ से मंगाया है।
संभवत: नए जुड़े 30 वही सिलेंडर हैं जिनका जिक्र सदर विधायक फेसबुक पर किए गए उपरोक्त घोषणा में कर रहे हैं। हमने विधायक आनंद स्वरूप शुक्ल से बात करने की कोशिश की लेकिन उनका फोन नहीं लग सका। हालांकि सीएमएस ने बातचीत में कहा कि जिला अस्पताल प्रशासन ने सदर विधायक श्री शुक्ल को 30 ऑक्सीजन कंस्ट्रेटर और 50 ऑक्सीजन सिलेंडर के लिए भी लिखा है। फिलहाल इन नए सिलेंडर और ऑक्सीजन कंस्ट्रेटरों का इंतज़ार ऑक्सीजन की कमी से जूझ रहे जिला प्रशासन और जिले की आम जनता को बेसब्री है।
बलिया जिला अस्पताल में वेंटिलेटर का हाल
हमसे बातचीत में सीएमएस ने बताया कि बलिया में नए बने ट्रामा सेंटर में कुल 11 वेंटिलेटर हैं। ट्रामा सेंटर अभी चालू नही है इसलिए ये वेंटिलेटर भी बंद हैं। उन्होंने बताया कि अलग से मैन पॉवर जब आयेगा तो ट्रामा सेंटर चलेगा। इसके लिए भी हमने लिखा है। सीएमएस ने बताया कि कोविड अस्पतालों मे कितने वेंटिलेटर हैं इसकी जानकारी सीएमओ ही दे पाएंगे। सीएमएस ने यह भी बताया कि यूपी के जिला चिकित्सालय नॉन कोविड अस्पताल ही रहेंगे।
ऐसे में सवाल यह है कि ‘मैन पॉवर’ की कमी के कारण 11 बंद पड़े वेंटिलेटर क्या इस वक्त जिले में जीवन-मौत से जूझ रहे लोगों की जान बचाने के काम नहीं आ सकते थे? क्या ये वेंटिलेटर कोविड अस्पताल के मरीजों की जान बचाने के लिए भी उपयोग में नहीं लाए जा सकते हैं? इसके बाद कोविड अस्पताल में वेंटिलेटर को लेकर हमारी बात सीएमओ से भी हुई।
कोविड अस्पताल में वेंटिलेटरों का हाल
बलिया खबर से बातचीत में सीएमओ डॉ. राजेंद्र प्रसाद ने बताया कि कुल 18 वेंटिलेटर हैं सभी वेंटिलेटर चालू हालत में हैं लेकिन टेक्निशियन नहीं हैं। सीएमओ ने तो यह भी कहा कि वेंटिलेटर लायक मरीज नहीं है जबकि सिर्फ 28 अप्रैल को ही कोविड से 3 मौते हुई हैं। बलिया में बीते दो दिनों से 500 से अधिक केसेज़ आ रहे हैं। सरकारी आंकड़े में भी तीन-चार जान जा रही है। इसके बाद भी वेंटिलेटर को लेकर टेक्निशियन की कमी का हवाला जिले की वास्तविक हालत को बताने के लिए पर्याप्त है।
बीते तीन दिनों के भीतर जिले के दो विधायक/मंत्री क्रमश: आनंद स्वरूप शुक्ल और उपेंद्र तिवारी ने एक-एक करोड़ की धनराशी के आवंटन की घोषणा फेसबुक पर कर दी है। सीएमएस का कहना है कि उन्होंने ऑक्सीजन सिलेंडर और मैन पॉवर बढ़ाने के लिए विधायक को चिट्ठी भी लिखी है। बाकी वर्तमान हालत यह है कि जिले के वेंटिलेटर और मरीज़ एक ही स्थिति में पड़े हैं।
फिलहाल दोनों की सुधि लेने वाला कोई नहीं है। वरना कोविड से सैकड़ों मौतों के बाद भी प्रशासन इलाकेवार अधिकारियों के नंबर सार्वजनिक तो कर सकता है, विधायक करोड़ों की राशि की घोषणा का ऐलान कर सकते हैं लेकिन वेंटिलेटर और अन्य मूलभूत सुविधाओं के लिए एक कदम बढ़ाता नज़र नहीं आ रहा।
बहुत संभव है कि समय रहते जिला अस्पताल में उद्घाटन और टेक्निशियन की बाट जोह रहे वेंटिलेटरों की हालत पर विचार कर लिया जाए तो अभी भी सैकड़ों जाने बचाईं जा सकती हैं।



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बलिया- जिस चोरी बुलेट को खोज ना सके उसी से तिरंगा जुलूस में निकले थानाध्यक्ष, जांच के आदेश

बलिया में एक बेहद ही चौकाने वाला मामला सामने आया है। जहाँ एक चोर नहीं बल्कि नरहीं थानाध्यक्ष को चोरी की बुलेट पर घुमते देखा गया। मीडिया में वीडियो आने के बाद से हड़कंप मचा है। बताया जा रहा है कि ये वही बुलेट है जो 18 महीने पहले चोरी हो गई थी जिसे खोजने में पुलिस को सफलता भी नहीं मिली। पुलिस ने बुलेट चोरी की फ़ाइल भी बंद कर दी थी। अब इन तस्वीरों के सामने आने से कई सवाल उठ रहे हैं।
बता दें नगरा में पालचंद्रहा के ओमप्रकाश यादव की बुलेट यूपी 60 एएफ 7103 21 जनवरी 2021 को चोरी हो गई थी। काफी कोशिश के बाद नगरा पुलिस ने 27 जनवरी 2021 को मुकदमा पंजीकृत किया। जांच कर कुछ दिनों बाद फाइल बंद दी। पीड़ित ने उच्चाधिकारियों से गुहार लगाकर भी उम्मीद छोड़ दी। तभी नरहीं क्षेत्र में 14 अगस्त को पुलिस ने तिरंगा जुलूस निकाला था। चोरी वाली बुलेट पर नरही थानाध्यक्ष मदन पटेल सवार थे। यात्रा की फोटो और वीडियो इंटरनेट पर वायरल हुई तो बुलेट मालिक ने उसकी पहचान कर ली।
पुलिस को जब मामले की जानकारी लगी तो आनन फानन में बुलेट को थाने में मंगा लिया। हालांकि उक्त वाहन का नंबर गायब था। वाहन की पहचान होने के बाद जब बुलेट मालिक ओमप्रकाश यादव थाने में जाकर संबंधित से संपर्क किए तो उन्हें बताया गया कि उक्त वाहन के कागजात नहीं हैं। अब यह मामला उच्च अधिकारियों के संज्ञान में भी आ
गया है। इससे संबंधित की परेशानी और भी बढ़ गई है।
वहीं अपर पुलिस अधीक्षक दुर्गा प्रसाद तिवारी का कहना है कि बुलेट से थानाध्यक्ष के घूमने और इंटरनेट मीडिया में प्रसारित इस प्रकरण की गहनता से जांच होगी। दोषियों पर कार्रवाई की जाएगी। जांच के आदेश दे दिए गए हैं।
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जिस जगह हुई थी बलिया के आजादी की घोषणा वहां लगा गंदगी का अंबार, अधिकारी बेख़बर

बलिया। पूरे देश ने बड़ी धूमधाम से आजादी का अमृत महोत्सव मनाया। 19 अगस्त को बलिया बलिदान दिवस है। पूरा प्रशासनिक अमला बड़े आयोजन की तैयारी में जुटा है। इस दिन सूबे के मुख्यमंत्री भी बलिदान दिवस के कार्यक्रम में मुख्य अतिथि होंगे। लेकिन साल 1942 में जिस स्थान पर बलिया की आजादी की घोषणा हुई, उस जगह का हाल विचलित कर देने वाला है।
जिले के क्रांति मैदान बापू भवन के बाहर गंदगी का अंबार लगा हुआ है। नगर पालिका का इस ओर ध्यान नहीं है। एक तरफ आजादी का जश्न मनाया जा रहा है वहीं दूसरी तरफ जिस जगह आजादी की घोषणा हुई, वहां गंदगी पसरी है। आजादी के अमृत महोत्सव में बलिया से सामने आई यह तस्वीर कई सवाल खड़े कर रही है।
Pic Credit- Roshan
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1947 से 5 साल पहले, आज ही के दिन बांसडीह तहसील को मिली थी आज़ादी!

बलिया डेस्क : आज 17 अगस्त है, बलियावासियों के लिए गौरव का दिन। आज ही के दिन बलिया की एक तहसील आज़ादी से पांच साल पहले अंग्रेज़ों की ग़ुलामी से आज़ाद हो गई थी। हम बात बांसडीह तहसील की कर रहे हैं, जिसे 17 अगस्त 1942 को गजाधर शर्मा के नेतृत्व में तकरीबन 20 हज़ार किसानों-नौजवानों की टीम ने अंग्रेज़ी हुकूमत से आज़ाद करा लिया था।
वीर सेनानियों की इस टीम में सकरपुरा के वृंदा सिंह, चांदपुर के रामसेवक सिंह और सहतवार के श्रीपति कुंअर भी शामिल थे। बताया जाता है कि सेनानियों की टीम ने तहसील पर कब्ज़े की तैयारी इतनी खामोशी के साथ की थी कि इसकी भनक अंग्रेज़ी हुकूसत को भी नहीं लग सकी थी। 17 अगस्त की सुबह होते ही तकरीबन 8 बजे सेनानियों की एक टोली ने तहसील और थाने को चारों तरफ़ से घेर लिया। सेनानियों की तादाद और उनके देश प्रेम के जज़्बे को देखकर तहसीलदार और थानाध्यक्ष ने सरेंडर कर दिया।
जिसके बाद सेनानियों का तहसील और थाने पर कब्ज़ा हो गया। बलिया ख़बर से बातचीत में कॉमरेड प्रणेश सिंह एक किताब का हवाला देते हुए बताते हैं कि तहसील और थाने पर कब्ज़े के बाद सेनानियों ने वहां के ख़ज़ाने को अपने कब्ज़े में ले लिया और उसी खज़ाने से कर्मचारियों को एक महीने का वेतन देकर उन्हें 24 घंटे के भीतर बलिया छोड़ने को कहा।
तहसील पर कब्ज़े के बाद तत्कालीन कांग्रेस अध्यक्ष गजाधर शर्मा को तहसीलदार बना दिया गया और इसी के साथ सेनानियों ने स्वदेशी सरकार की स्थापना भी कर दी। प्रणेश बताते हैं कि तहसीलदार बनने के बाद गजाधर शर्मा ने दो बड़े केस पर पंचायती राज के तहत फैसला सुनाया था। जिसमें कोरल क्षेत्र का एक खानदानी मुकदमा था और एक नरतिकी से लूट का केस था।
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