Connect with us

बलिया स्पेशल

Ballia – गड़वार ब्लाक : यहाँ देखें किस गावं में कौन बना प्रधान !

Published

on

बलिया : त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव के परिणाम आने लगे है। ग्राम प्रधान चुनाव में इस बार कई ब्लॉकाें में कांटे की टक्कर देखने को मिली। कहीं दो वोट तो किसी ने जीत हासिल की तो कहीं तीन वोट से।

गड़वार विकासखंड से जीते उम्मीदवारों के नाम

6 – गडवार 1 – सवरूपुर अन्य पिछड़ा वर्ग राम प्रताप गिरिजा अन्य पिछडा बर्ग स्नातक पुरुष 180 20.16 65.8 सविरोध
6 – गडवार 5 – नवादा अन्य पिछड़ा वर्ग सत्येंद्र पंचू अन्य पिछडा बर्ग इंटर पुरुष 207 22.19 65.9 सविरोध
6 – गडवार 7 – जनऊपुर अनुसूचित जाति जीतेन्द्र कुमार राम संतोस कुमार राम अनुसूचित जाति हाईस्कूल पुरुष 428 47.66 62.28 सविरोध
6 – गडवार 10 – तपनी अनारक्षित फजले रहमान अब्दुल खालिक अन्य पिछडा बर्ग प्राईमरी पुरुष 277 23.72 68.85 सविरोध
6 – गडवार 12 – सिकटौटी अनुसूचित जनजाति परमात्मा नन्द बासदेव अनुसूचित जनजाति इंटर पुरुष 271 26.41 67.13 सविरोध
6 – गडवार 14 – नारायनपुर अनुसूचित जाति महिला भागीरथी अरुण अनुसूचित जाति प्राईमरी महिला 371 40.64 65.75 सविरोध
6 – गडवार 16 – एकौनी अनुसूचित जाति राहुल सुग्रीव अनुसूचित जाति जूनियर हाईस्कूल पुरुष 467 33.43 63.48 सविरोध
6 – गडवार 18 – परीवा अनारक्षित चन्द्रदीप इन्द्रदेव अन्य पिछडा बर्ग प्राईमरी पुरुष 361 27.02 71.48 सविरोध
6 – गडवार 20 – चाँदपुर महिला कनक अमित अनारक्षित परास्नातक महिला 243 26.05 72.48 सविरोध
6 – गडवार 22 – मनियर अनुसूचित जाति शिवबसंत विकर्मा अनुसूचित जाति हाईस्कूल पुरुष 246 33.06 71.43 सविरोध
6 – गडवार 29 – बलेजी अनारक्षित प्रेमचन्द नन्दकिशोर अन्य पिछडा बर्ग हाईस्कूल पुरुष 567 41.85 72.06 सविरोध
6 – गडवार 31 – भीखमपुर अन्य पिछड़ा वर्ग राजनाथ राजभर श्रीभगवान राजभर अन्य पिछडा बर्ग प्राईमरी पुरुष 336 31.28 69.19 सविरोध
6 – गडवार 32 – एकवारी अनुसूचित जाति गुड्डू प्रसाद मानिक चंद राम अनुसूचित जाति स्नातक पुरुष 562 25.48 62.5 सविरोध
6 – गडवार 37 – नारायणापाली महिला आशा यादव अनिल यादव अन्य पिछडा बर्ग इंटर महिला 542 55.48 74.14 सविरोध
6 – गडवार 38 – खडीचा अनारक्षित गोल्डन ओमप्रकाश अनारक्षित परास्नातक महिला 524 60.58 61.47 सविरोध
6 – गडवार 39 – भलुही अन्य पिछड़ा वर्ग सुमरावती स्व रामचंद्र अन्य पिछडा बर्ग निरक्षर महिला 733 63.14 61.4 सविरोध
6 – गडवार 40 – खरहाटार अन्य पिछड़ा वर्ग प्रभुनाथ स्व सुदामा अन्य पिछडा बर्ग परास्नातक पुरुष 441 28.34 68.93 सविरोध
6 – गडवार 41 – घोसवती अनुसूचित जाति सुरेश राम कृपाल पासवान अनुसूचित जाति हाईस्कूल पुरुष 493 40.24 74.37 सविरोध
6 – गडवार 44 – कोपवाँ अनारक्षित राजेश कुमार सिंह स्व सुरेन्द्र सिंह अनारक्षित इंटर पुरुष 269 27.88 67.54 सविरोध
6 – गडवार 45 – पकका कोट अन्य पिछड़ा वर्ग महिला रुकमिनी सुरेन्द यादव अन्य पिछडा बर्ग निरक्षर महिला 377 38.63 70.3 सविरोध
6 – गडवार 46 – शाहपुर महिला रूबी राधवेन्द्र अनारक्षित स्नातक महिला 681 59.79 69.86 सविरोध
6 – गडवार 47 – कोटवाँ अन्य पिछड़ा वर्ग महिला मालती ओमप्रकाश अन्य पिछडा बर्ग प्राईमरी महिला 281 34.86 75.25 सविरोध
6 – गडवार 48 – दामोदरपुर महिला जोहरा मोबिन अन्य पिछडा बर्ग प्राईमरी महिला 454 50.17 69.63 सविरोध
6 – गडवार 50 – कोडरा अनारक्षित चन्दुबाला बिनोद अन्य पिछडा बर्ग जूनियर हाईस्कूल महिला 317 36.56 66.91 सविरोध
6 – गडवार 53 – कचबचिया कला महिला माना देवी राजनारायण प्रसाद अन्य पिछडा बर्ग प्राईमरी महिला 530 52.37 65.88 सविरोध
6 – गडवार 54 – शेरवा कला अनारक्षित उधव रामबालक रामबालक अन्य पिछडा बर्ग हाईस्कूल पुरुष 697 67.41 73.39 सविरोध
6 – गडवार 55 – प्रानपुर महिला ललिता सूर्यनाथ अन्य पिछडा बर्ग प्राईमरी महिला 522 46.73 75.69 सविरोध
6 – गडवार 56 – अराजी मुतक्खीपुर अनारक्षित अंजनी कुमार विश्वनाथ अन्य पिछडा बर्ग जूनियर हाईस्कूल पुरुष 529 53.98 70.17 सविरोध
6 – गडवार 57 – पड़वार अनारक्षित राजकमल यादव दिलराज यादव अन्य पिछडा बर्ग परास्नातक पुरुष 317 30.16 75.48 सविरोध
6 – गडवार 58 – दहलूपुर अनारक्षित प्रियंका यादव हरेराम अन्य पिछडा बर्ग स्नातक महिला 404 58.89 73.62 सविरोध
6 – गडवार 59 – कनैला अन्य पिछड़ा वर्ग अवधेश चन्द्रिका अन्य पिछडा बर्ग हाईस्कूल पुरुष 269 22.01 70.07 सविरोध
6 – गडवार 60 – अभईपुर अनारक्षित प्रमोद कुमार चौहान रामाशंकर अन्य पिछडा बर्ग हाईस्कूल पुरुष 336 47.12 77.29 सविरोध
6 – गडवार 61 – हरिपुर महिला सिवांगी सिंह सुमित सिंह अनारक्षित निरक्षर महिला 252 28.67 73.54 सविरोध
6 – गडवार 62 – रामपुर भोज अनारक्षित नरेन्द्र सिंह जगरनाथ अन्य पिछडा बर्ग हाईस्कूल पुरुष 232 35.69 62.94 सविरोध
6 – गडवार 63 – नदौली अनुसूचित जनजाति महिला प्रियंका जितेन्द्र अनुसूचित जनजाति स्नातक महिला 462 54.67 70.14 सविरोध

 

Advertisement
Click to comment

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

featured

बलिया में भयंकर सड़क हादसा, 4 की मौत 1 गंभीर रूप से घायल

Published

on

बलिया में भयंकर सड़क हादसा सामने आया है जहां 4 लोगों की मौत की खबरें सामने आ रही है। वहीं एक गंभीर रूप से घायल बताया जा रहा है। जानकारी के मुताबिक ये हादसा फेफना थाना क्षेत्र के राजू ढाबा के पास बुधवार की रात करीब 10:30 बजे हुआ। खबर के मुताबिक असंतुलित होकर बलिया से चितबड़ागांव की ओर जा रही सफारी कार पलट गई। जिसमें चार लोगों की मौत हो गई। जबकि एक गंभीर रूप से घायल हो गया।

सूचना मिलने पर पर पहुंची पुलिस ने चारों शव को कब्जे में लेकर पोस्टमार्टम के लिए जिला अस्पताल भेज दिया। जबकि गंभीर रूप से घायल को ट्रामा सेंटर में भर्ती कराया। मृतकों की शिनाख्त क्रमशः रितेश गोंड 32 वर्ष निवासी तीखा थाना फेफना, सत्येंद्र यादव 40 वर्ष निवासी जिला गाज़ीपुर, कमलेश यादव 36 वर्ष  थाना चितबड़ागांव, राजू यादव 30 वर्ष थाना चितबड़ागांव बलिया के रूप में की गई। जबकि घायल छोटू यादव 32 वर्ष निवासी बढ़वलिया थाना चितबड़ागांव जनपद बलिया का इलाज जिला अस्पताल स्थित ट्रामा सेंटर में चल रहा है।

बताया जा रहा है कि सफारी  में सवार होकर पांचो लोग बलिया से चितबड़ागांव की ओर जा रहे थे, जैसे ही पिकअप राजू ढाबे के पास पहुँचा कि सड़क हादसा हो गया।

Continue Reading

featured

कौन थे ‘शेर-ए-पूर्वांचल’ जिन्हें आज उनकी पुण्यतिथि पर बलिया के लोग कर रहे याद !

Published

on

‘शेर-ए-पूर्वांचल’ के नाम से मश्हूर दिग्गज कांग्रेस नेता बच्चा पाठक की आज 7 वी पुण्यतिथि हैं. उनकी पुण्यतिथि पर जिले के सभी पक्ष-विपक्ष समेत तमाम बड़े नेताओं और इलाके के लोग नम आंखों से उन्हें श्रद्धांजलि दे रहे हैं.  1977 में जनता पार्टी की लहर के बावजूद बच्चा पाठक ने जीत दर्ज की जिसके बाद से ही वो ‘शेर-ए-बलिया’ के नाम से जाने जाने लगे. प्रदेश सरकार के पूर्व मंत्री बच्चा पाठक लगभग 50 सालों तक पूर्वांचल की राजनीति के केन्द्र में रहे.
रेवती ब्लाक के खानपुर गांव के रहने वाले बच्चा पाठक ने राजनीति की शुरूआत डुमरिया न्याय पंचायत के संरपच के रूप में साल 1956 में की. 1962 में वे रेवती के ब्लाक प्रमुख चुने गये और 1967 में बच्चा पाठक ने बांसडीह विधानसभा से पहली बार विधायक का चुनाव लड़ा लेकिन उन्हें बैजनाथ सिंह से हार का सामना करना पड़ा. दो साल बाद 1969 में फिर चुनाव हुआ और कांग्रेस प्रत्याशी के रूप में बच्चा पाठक ने विजय बहादुर सिंह को हराकर विधानसभा का रुख़ किया. यहां से बच्चा पाठक ने जो राजनीतिक जीवन की शुरुआत की तो फिर कभी पलटकर नहीं देखा.
बच्चा पाठक की राजनीतिक पैठ 1974 के बाद बनी जब उन्होंने जिले के कद्दावर नेता ठाकुर शिवमंगल सिंह को शिकस्त दी. यही नहीं जब 1977 में कांग्रेस के खिलाफ पूरे देश में लहर थी तब भी बच्चा पाठक ने पूरे पूर्वांचल में एकमात्र अपनी सीट जीतकर सबको अपनी लोकप्रियता का लोहा मनवा दिया था. तब उन्हें ‘शेर-ए-पूर्वांचल का खिताब उनके चाहने वालों ने दे दिया.  1980 में बच्चा पाठक चुनाव जीतने के बाद पहली बार मंत्री बने. कुछ दिनों तक पीडब्लूडी मंत्री और फिर सहकारिता मंत्री बनाये गये.
बच्चा पाठक ने राजनीतिक जीवन में हार का सामना भी किया लेकिन उन्होंने कभी जनता से मुंह नहीं मोड़ा. वो सबके दुख सुख में हमेशा शामिल रहे. क्षेत्र के विकास कार्यों के प्रति हमेशा समर्पित रहने वाले बच्चा पाठक  कार्यकर्ताओं या कमजोरों के उत्पीड़न पर अपने बागी तेवर के लिए मशहूर थे. इलाके में उनकी लोकप्रियता और पैठ का अंदाज़ा इसी बात से लगाया जा सकता है कि वे सात बार बांसडीह विधानसभा से विधायक व दो बार प्रदेश सरकार में मंत्री बने. साल 1985 व 1989 में चुनाव हारने के बावजूद उन्होंने अपना राजनीतिक कार्य जारी रखा. जिसके बाद वो  1991, 1993, 1996 में फिर विधायक चुनकर आये. 1996 में वे पर्यावरण व वैकल्पिक उर्जा मंत्री बनाये गये.
राजनीति के साथ बच्चा पाठक शिक्षा के क्षेत्र में सक्रिय रहे. इलाके की शिक्षा व्यवस्था सुधारने के लिए बच्चा पाठक ने लगातार कोशिश की. उन्होंने कई विद्यालयों की स्थापना के साथ ही उनके प्रबंधक रहकर काम भी किया.
Continue Reading

featured

बलिया के चंद्रशेखर : वो प्रधानमंत्री जिसकी सियासत पर हमेशा हावी रही बगावत

Published

on

आज चन्द्रशेखर का 97वा जन्मदिन है….पूर्वांचल के ऐतिहासिक जिले बलिया के इब्राहिमपट्टी गांव में जन्म लेने वाले चंद्रशेखर ने प्रधानमंत्री बनने से पहले किसी राज्य या केंद्र में मंत्री पद नहीं संभाला था, लेकिन संसद से लेकर सड़क तक उनकी आवाज गूंजती थी. युवा तुर्क के नाम से मशहूर चंद्रशेखर की सियासत में आखिर तक बगावत की झलक मिलती रही.

बलिया के किसान परिवार में जन्मे पूर्व प्रधानमंत्री चंद्रशेखर ‘क्रांतिकारी जोश’ और ‘युवा तुर्क’ के नाम से मशहूर रहे हैं चन्द्रशेखर का आज 97वा जन्मदिन है. पूर्वांचल के ऐतिहासिक जिला बलिया के इब्राहिमपट्टी गांव में जन्म लेने वाले चंद्रशेखर ने प्रधानमंत्री बनने से पहले किसी राज्य या केंद्र में मंत्री पद नहीं संभाला था, लेकिन संसद से लेकर सड़क तक उनकी आवाज गूंजती थी. चंद्रशेखर भले ही महज आठ महीने प्रधानमंत्री पद पर रहे, लेकिन उससे कहीं ज्यादा लंबा उनका राजनीतिक सफर रहा है.

चंद्रशेखर ने सियासत की राह में तमाम ऊंचे-नीचे व ऊबड़-खाबड़ रास्तों से गुजरने के बाद भी समाजवादी विचारधारा को नहीं छोड़ा.चंद्रशेकर अपने तीखे तेवरों और खुलकर बात करने वाले नेता के तौर पर जाने जाते थे. युवा तुर्क के नाम से मशहूर चंद्रशेखर की सियासत में आखिर तक बगावत की झलक मिलती रही. बलिया के इब्राहिमपट्टी गांव में 17 अप्रैल 1927 को जन्मे चंद्रशेखर कॉलेज टाइम से ही सामाजिक आंदोलन में शामिल होते थे और बाद में 1951 में सोशलिस्ट पार्टी के फुल टाइम वर्कर बन गए. सोशलिस्ट पार्टी में टूट पड़ी तो चंद्रशेखर कांग्रेस में चले गए,

लेकिन 1977 में इमरजेंसी के समय उन्होंने कांग्रेस छोड़ दी. इसके बाद इंदिरा गांधी के ‘मुखर विरोधी’ के तौर पर उनकी पहचान बनी. राजनीति में उनकी पारी सोशलिस्ट पार्टी से शुरू हुई और संयुक्त सोशलिस्ट पार्टी व प्रजा सोशलिस्ट पार्टी के रास्ते कांग्रेस, जनता पार्टी, जनता दल, समाजवादी जनता दल और समाजवादी जनता पार्टी तक पहुंची. चंद्रशेखर के संसदीय जीवन का आरंभ 1962 में उत्तर प्रदेश से राज्यसभा के लिए चुने जाने से हुआ. इसके बाद 1984 से 1989 तक की पांच सालों की अवधि छोड़कर वे अपनी आखिरी सांस तक लोकसभा के सदस्य रहे.

1989 के लोकसभा चुनाव में वे अपने गृहक्षेत्र बलिया के अलावा बिहार के महाराजगंज लोकसभा क्षेत्र से भी चुने गए थे. अलबत्ता, बाद में उन्होंने महाराजगंज सीट से इस्तीफा दे दिया था. 1967 में कांग्रेस संसदीय दल के महासचिव बनने के बाद उन्होंने तेज सामाजिक बदलाव लाने वाली नीतियों पर जोर दिया और सामंत के बढ़ते एकाधिकार के खिलाफ आवाज उठाई. फिर तो उन्हें ऐसे ‘युवा तुर्क’ की संज्ञा दी जाने लगी, जिसने दृढ़ता, साहस एवं ईमानदारी के साथ निहित स्वार्थों के खिलाफ लड़ाई लड़ी. संसद से लेकर सड़क तक उनकी आवाज गूंजती थी.

‘युवा तुर्क’ के ही रूप में चंद्रशेखर ने 1971 में तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के विरोध के बावजूद कांग्रेस की राष्ट्रीय कार्यसमिति का चुनाव लड़ा और जीते. 1974 में भी उन्होंने इंदिरा गांधी की ‘अधीनता’ अस्वीकार करके लोकनायक जयप्रकाश नारायण के आंदोलन का समर्थन किया. 1975 में कांग्रेस में रहते हुए उन्होंने इमरजेंसी के विरोध में आवाज उठाई और अनेक उत्पीड़न सहे. 1977 के लोकसभा चुनाव में हुए जनता पार्टी के प्रयोग की विफलता के बाद इंदिरा गांधी फिर से सत्ता में लौटीं और उन्होंने स्वर्ण मंदिर पर सैनिक कार्रवाई की तो चंद्रशेखर उन गिने-चुने नेताओं में से एक थे,

जिन्होंने उसका पुरजोर विरोध किया. 1990 में विश्वनाथ प्रताप सिंह की जनता दल सरकार के पतन के बाद अत्यंत विषम राजनीतिक परिस्थितियों में वे कांग्रेस के समर्थन से प्रधानमंत्री बने थे. पिछड़े गांव की पगडंडी से होते हुए देश के प्रधानमंत्री की कुर्सी तक पहुंचने वाले चंद्रशेखर के बारे में कहा जाता है कि प्रधानमंत्री रहते हुए भी दिल्ली के प्रधानमंत्री आवास यानी 7 रेस कोर्स में कभी रुके ही नहीं. वह रात तक सब काम निपटाकर भोड़सी आश्रम चले जाते थे या फिर 3 साउथ एवेन्यू में ठहरते थे. उनके कुछ सहयोगियों ने कई बार उनसे इस बारे में जिक्र किया तो उनका जवाब था कि

सरकार कब चली जाएगी, कोई ठिकाना नहीं है. वह कहते थे कि 7 रेसकोर्स में रुकने का क्या मतलब है? प्रधानमंत्री के रूप में उन्हें बहुत कम समय मिला, क्योंकि कांग्रेस ने उनका कम से कम एक साल तक समर्थन करने का राष्ट्रपति को दिया अपना वचन नहीं निभाया और अकस्मात, लगभग अकारण, समर्थन वापस ले लिया. चंद्रशेखर ने एक बार इस्तीफा दे देने के बाद राजीव गांधी से उसे वापस लेने का अनौपचारिक आग्रह स्वीकार करना ठीक नहीं समझा. इस तरह से उन्होंने पीएम बनने के तकरीबन 8 महीने के बाद ही इस्तीफा देकर पीएम की कुर्सी छोड़ दी.

(लेखक इंडिया टुडे ग्रुप के पत्रकार हैं)

Continue Reading

TRENDING STORIES

error: Content is protected !!