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बलिया के शहीद बृजेंद्र बहादुर सिंह के नाम पर चार साल बाद भी क्यों नहीं लगा बाग?

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बलिया के बृजेंद्र बहादुर सिंह की पुण्यतिथि पर सलामी देता सेना का एक जवान।

बलिया के नारायणपुर गांव में 15 सितंबर को शहीद बृजेंद्र बहादुर सिंह की पुण्यतिथि मनाई गई। गांव के लोगों ने बड़ी संख्या में इकट्ठा होकर बृजेंद्र बहादुर सिंह की शहादत को याद किया। इस मौके पर बृजेंद्र बहादुर सिंह के माता-पिता और पत्नी ने भी उनके स्मारक पर श्रद्धांजलि अर्पित किया। बीएसएफ के जवान बृजेंद्र बहादुर सिंह 2017 में जम्मु-कश्मीर के अनारिया सेक्टर में तैनात थे। 15 सितंबर, 2017 को अनारिया सेक्टर में सीजफायर का उल्लंघन हुआ था। इसी दौरान बृजेंद्र बहादुर सिंह शहीद हो गए थे।

16 सितंबर, 2017 को बृजेंद्र बहादुर सिंह को अंतिम विदाई दी गई थी। उनकी इस शहादत की याद में उत्तर प्रदेश सरकार के ऊर्जा मंत्री श्रीकांत शर्मा ने एक स्मारक बनाने की बात कही थी। इसके अलावा बृजेंद्र बहादुर सिंह के परिवार को आर्थिक सहायता देने की बात भी कही गई थी। उनके नाम पर गांव का मुख्य द्वार भी बनाने की घोषणा की गई थी।

बृजेंद्र बहादुर सिंह के चौथे पुण्यतिथि पर उनके पिता अशोक सिंह ने बलिया खबर से बातचीत में कहा कि,सरकार की ओर से जो भी ऐलान किया गया था वह हमें मिल गया है। बस एक शिकायत है। 2017 में बलिया वन विभाग के एक अधिकारी ने हमसे कहा था कि बृजेंद्र बहादुर सिंह के नाम पर एक बाग लगाया जाना है। चार साल बीत गए लेकिन आज तक कोई बाग नहीं लगाया गया है।

क्या कहा वन विभाग के अधिकारियों ने: अशोक सिंह द्वारा बताए गए बाग की जानकारी लेने के लिए हमने बलिया वन विभाग से संपर्क किया। बलिया वन विभाग के जिलाधिकारी इस बारे में कोई जानकारी नहीं दे सकीं। तब उन्होंने हमारी बातचीत एक अन्य अधिकारी से कराई। विभाग के ही अधिकारी राजीव ने कहा कि “हमें इस तरह के किसी बाग लगाने की जानकारी नहीं है। हम लोग तब यहां नहीं थे। और मेरे कार्यकाल में इस तरह का कोई कार्य या आश्वासन नहीं दिया गया है। हमारे संज्ञान में इस तरह की कोई बात नहीं है।”

शहीद बृजेंद्र बहादुर सिंह के पिता अशोक सिंह ने बताया कि “2017 में जिस अधिकारी ने हमें बाग लगाने की बात बताई उनका नाम सूर्यमोहन सिंह है। लेकिन अब उनका कहीं ट्रांसफर हो चुका है।” इस बारे में हमने सूर्यमोहन सिंह से बातचीत की। सूर्यमोहन सिंह ने बताया कि अब वो रसड़ा ब्लाक में काम कर रहे हैं। शहीद बृजेंद्र बहादुर सिंह के नाम पर बाग लगाने की बात पर उन्होंने कहा कि,मनरेगा के तहत एक स्कीम थी। जिसमें उनके घर के नजदीक के एक स्कूल में पौधारोपण का प्लान था। लेकिन पौधा लगा नहीं तब तक हमारा ट्रांसफर हो गया। मैंने पूरा प्रस्ताव बनाकर दे दिया था। लेकिन मेरे ट्रांसफर हो गया तब क्या हुआ पता नहीं?

वन विभाग द्वारा बृजेंद्र बहादुर सिंह के नाम पर बाग लगाने से जुड़ी कोई आधिकारिक जानकारी नहीं होने की बात पर सूर्यमोहन सिंह ने कहा कि “हो सकता है कि उन लोगों ने बाद में जगह बदल दिया हो। क्योंकि जब इसे लेकर प्लान तैयार किया जा रहा था तब जमीन को लेकर भी दिक्कत सामने आई थी।”

शहीद बृजेंद्र बहादुर सिंह के पिता अशोक सिंह ने बताया कि उत्तर प्रदेश सरकार की ओर से 25 लाख रुपए का चेक हमें उसी समय मिल गया था। शहीद बृजेंद्र बहादुर सिंह की पत्नी सुष्मिता अब बलिया कृषि विभाग में काम करती हैं। बृजेंद्र बहादुर सिंह के शहीद होने के बाद ही उन्हें यह सरकारी नौकरी मिली थी। उनके दो बेटे हैं- भूपेंद्र बहादुर सिंह और संतराज सिंह। भूपेंद्र कक्षा पांच में पढ़ाई करते हैं जबकि संतराज कक्षा एक में पढ़ते हैं। अशोक सिंह ने कहा कि “न जाने क्यों अब तक बाग नहीं लगा जबकि सब कुछ प्लान तैयार हो गया था। क्या पता कि वन विभाग के अधिकारी पैसा खा गए या क्या किया?”

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बलिया में भयंकर सड़क हादसा, 4 की मौत 1 गंभीर रूप से घायल

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बलिया में भयंकर सड़क हादसा सामने आया है जहां 4 लोगों की मौत की खबरें सामने आ रही है। वहीं एक गंभीर रूप से घायल बताया जा रहा है। जानकारी के मुताबिक ये हादसा फेफना थाना क्षेत्र के राजू ढाबा के पास बुधवार की रात करीब 10:30 बजे हुआ। खबर के मुताबिक असंतुलित होकर बलिया से चितबड़ागांव की ओर जा रही सफारी कार पलट गई। जिसमें चार लोगों की मौत हो गई। जबकि एक गंभीर रूप से घायल हो गया।

सूचना मिलने पर पर पहुंची पुलिस ने चारों शव को कब्जे में लेकर पोस्टमार्टम के लिए जिला अस्पताल भेज दिया। जबकि गंभीर रूप से घायल को ट्रामा सेंटर में भर्ती कराया। मृतकों की शिनाख्त क्रमशः रितेश गोंड 32 वर्ष निवासी तीखा थाना फेफना, सत्येंद्र यादव 40 वर्ष निवासी जिला गाज़ीपुर, कमलेश यादव 36 वर्ष  थाना चितबड़ागांव, राजू यादव 30 वर्ष थाना चितबड़ागांव बलिया के रूप में की गई। जबकि घायल छोटू यादव 32 वर्ष निवासी बढ़वलिया थाना चितबड़ागांव जनपद बलिया का इलाज जिला अस्पताल स्थित ट्रामा सेंटर में चल रहा है।

बताया जा रहा है कि सफारी  में सवार होकर पांचो लोग बलिया से चितबड़ागांव की ओर जा रहे थे, जैसे ही पिकअप राजू ढाबे के पास पहुँचा कि सड़क हादसा हो गया।

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बलिया में दूल्हे पर एसिड अटैक, पूर्व प्रेमिका ने दिया वारदात को अंजाम

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बलिया के बांसडीह थाना क्षेत्र में एक हैरान कर देने वाले घटना सामने आई हैं। यहां शादी की रस्मों के दौरान एक युवती ने दूल्हे पर तेजाब फेंक दिया, इससे दूल्हा गंभीर रूप से झुलस गया। मौके पर मौजूद महिलाओं ने युवती को पकड़ कर पुलिस के हवाले कर दिया। फिलहाल पुलिस बारीकी से पूरे मामले की जांच कर रही है।

बताया जा रहा है की घटना को अंजाम देने वाली युवती दूल्हे की पूर्व प्रेमिका है। उसका थाना क्षेत्र के गांव डुमरी निवासी राकेश बिंद के साथ बीते कई वर्ष से प्रेम प्रसंग चल रहा था। युवती ने युवक से शादी करने का कई बार दबाव बनाया, लेकिन युवक ने शादी करने से इन्कार कर दिया। इस मामले में कई बार थाना और गांव में पंचायत भी हुई, लेकिन मामला सुलझा नहीं।

इसी बीच राकेश की शादी कहीं ओर तय हो गई। मंगलवार की शाम राकेश की बारात बेल्थरारोड क्षेत्र के एक गांव में जा रही थी। महिलाएं मंगल गीत गाते हुए दूल्हे के साथ परिछावन करने के लिए गांव के शिव मंदिर पर पहुंचीं। तभी घूंघट में एक युवती पहुंची और दूल्हे पर तेजाब फेंक दिया। इस घटना से दूल्हे के पास में खड़ा 14 वर्षीय राज बिंद भी घायल हो गया। दूल्हे के चीखने चिल्लाने से मौके पर हड़कंप मच गया। आनन फानन में दूल्हे को अस्पताल ले जाया गया, जहां उसका इलाज किया जा रहा है।

मौके पर पहुंची पुलिस युवती को थाने ले गई और दूल्हे को जिला अस्पताल भेज दिया। थानाध्यक्ष अखिलेश चंद्र पांडेय ने कहा कि तहरीर मिलने पर कार्रवाई की जाएगी।

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कौन थे ‘शेर-ए-पूर्वांचल’ जिन्हें आज उनकी पुण्यतिथि पर बलिया के लोग कर रहे याद !

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‘शेर-ए-पूर्वांचल’ के नाम से मश्हूर दिग्गज कांग्रेस नेता बच्चा पाठक की आज 7 वी पुण्यतिथि हैं. उनकी पुण्यतिथि पर जिले के सभी पक्ष-विपक्ष समेत तमाम बड़े नेताओं और इलाके के लोग नम आंखों से उन्हें श्रद्धांजलि दे रहे हैं.  1977 में जनता पार्टी की लहर के बावजूद बच्चा पाठक ने जीत दर्ज की जिसके बाद से ही वो ‘शेर-ए-बलिया’ के नाम से जाने जाने लगे. प्रदेश सरकार के पूर्व मंत्री बच्चा पाठक लगभग 50 सालों तक पूर्वांचल की राजनीति के केन्द्र में रहे.
रेवती ब्लाक के खानपुर गांव के रहने वाले बच्चा पाठक ने राजनीति की शुरूआत डुमरिया न्याय पंचायत के संरपच के रूप में साल 1956 में की. 1962 में वे रेवती के ब्लाक प्रमुख चुने गये और 1967 में बच्चा पाठक ने बांसडीह विधानसभा से पहली बार विधायक का चुनाव लड़ा लेकिन उन्हें बैजनाथ सिंह से हार का सामना करना पड़ा. दो साल बाद 1969 में फिर चुनाव हुआ और कांग्रेस प्रत्याशी के रूप में बच्चा पाठक ने विजय बहादुर सिंह को हराकर विधानसभा का रुख़ किया. यहां से बच्चा पाठक ने जो राजनीतिक जीवन की शुरुआत की तो फिर कभी पलटकर नहीं देखा.
बच्चा पाठक की राजनीतिक पैठ 1974 के बाद बनी जब उन्होंने जिले के कद्दावर नेता ठाकुर शिवमंगल सिंह को शिकस्त दी. यही नहीं जब 1977 में कांग्रेस के खिलाफ पूरे देश में लहर थी तब भी बच्चा पाठक ने पूरे पूर्वांचल में एकमात्र अपनी सीट जीतकर सबको अपनी लोकप्रियता का लोहा मनवा दिया था. तब उन्हें ‘शेर-ए-पूर्वांचल का खिताब उनके चाहने वालों ने दे दिया.  1980 में बच्चा पाठक चुनाव जीतने के बाद पहली बार मंत्री बने. कुछ दिनों तक पीडब्लूडी मंत्री और फिर सहकारिता मंत्री बनाये गये.
बच्चा पाठक ने राजनीतिक जीवन में हार का सामना भी किया लेकिन उन्होंने कभी जनता से मुंह नहीं मोड़ा. वो सबके दुख सुख में हमेशा शामिल रहे. क्षेत्र के विकास कार्यों के प्रति हमेशा समर्पित रहने वाले बच्चा पाठक  कार्यकर्ताओं या कमजोरों के उत्पीड़न पर अपने बागी तेवर के लिए मशहूर थे. इलाके में उनकी लोकप्रियता और पैठ का अंदाज़ा इसी बात से लगाया जा सकता है कि वे सात बार बांसडीह विधानसभा से विधायक व दो बार प्रदेश सरकार में मंत्री बने. साल 1985 व 1989 में चुनाव हारने के बावजूद उन्होंने अपना राजनीतिक कार्य जारी रखा. जिसके बाद वो  1991, 1993, 1996 में फिर विधायक चुनकर आये. 1996 में वे पर्यावरण व वैकल्पिक उर्जा मंत्री बनाये गये.
राजनीति के साथ बच्चा पाठक शिक्षा के क्षेत्र में सक्रिय रहे. इलाके की शिक्षा व्यवस्था सुधारने के लिए बच्चा पाठक ने लगातार कोशिश की. उन्होंने कई विद्यालयों की स्थापना के साथ ही उनके प्रबंधक रहकर काम भी किया.
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