पूर्वांचल
Ballia News- गोरखपुर में तैनात बलिया के सिपाही ने किया सुसाइड

बलिया। गोरखपुर जिले में बलिया के रहने वाले सिपाही आसिफ असलम ने आत्महत्या कर ली। उन्होंने फांसी लगाकर अपनी जान दी। वह गोरखपुर के रामगढ़ ताल थाने में तैनात थे। आत्महत्या का कारण अब तक पता नहीं चल पाया है। सिपाही का शव कमरे में फंदे से लटका मिला था। घटना की सूचना मिलने पर पहुंची पुलिस ने शव को कब्जे में ले लिया है। साथ ही मामले की जांच शुरू कर दी है। परिजनों को घटना की सूचना भी दी गई। जिसके बाद परिजन गोरखपुर के लिए रवाना हुए।
गोरखपुर के रामगढ़ ताल थाने में तैनात सिपाही आसिफ असलम बलिया के गड़वार थाना क्षेत्र के हजौली गांव के निवासी थे। वह साल 2018 में सिपाही के पद पर भर्ती हुए थे। भर्ती के बाद उन्हें रामगढ़ ताल थाने में तैनात किया गया था। और उन्होंने रामगढ़ ताल थाने के सामने सिद्धार्थ नगर मोहल्ले में कमरा किराए पर लिया था। वहीं रविवार की सुबह 10 बजे तक जब कमरे का दरवाजा नहीं खुला तो पड़ोसी ने आवाज लगाई। अंदर से कोई जवाब नहीं मिलने पर लोगों ने रोशनदान से देखा तो पंखे में बंधे बेडशीट के सहारे आसिफ का शव लटक रहा था।
घटना की जानकारी मकान मालिक ने डायल 112 के साथ ही रामगढ़ ताल थाने पर दी। सूचना मिलते ही मुकामी पुलिस और फॉरेंसिक टीम मौके पर पहुंची। और शव को फंदे से उतारने के बाद जिला अस्पताल ले गई। जहां चिकित्सकों ने सिपाही को मृत घोषित कर दिया। तत्काल पुलिस ने मृतक के परिजनों को घटना की सूचना दी। फिलहाल आत्महत्या का कारण पता नहीं चल पाया है। पुलिस मामले की जांच में जुट गई है।
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बलिया- पूर्वांचल के यात्रियों के लिए सुविधा, गर्मियों के लिए चलाईं 2 स्पेशल ट्रेन, देखें रूट और शेड्यूल

बलिया। यात्रियों की सुविधा को ध्यान में रखते हुए भारतील रेलवे मुंबई के लिए दो ग्रीष्मकालीन स्पेशल ट्रेनों का संचालन कर रहा है। जिनका ठहराव वाराणसी में भी है। गर्मियों में पूर्वांचल के यात्रियों की होने वाली अतिरिक्त भीड़ को ध्यान में रखते हुए और मांग के मद्देनजर बलिया-लोकमान्य तिलक टर्मिनस विशेष ट्रेन 3 अप्रैल से जबकि गोरखपुर-लोकमान्य तिलक टर्मिनस विशेष ट्रेन 4 अप्रैल से शुरू हो गई है।
ट्रेन संख्या 01026 बलिया-लोकमान्य तिलक टर्मिनस स्पेशल ट्रेन 3 अप्रैल से एक जुलाई तक हर बुधवार, शुक्रवार और रविवार को बलिया से चलेगी। और ट्रेन संख्या 01025 लोकमान्य तिलक टर्मिनस-बलिया स्पेशल ट्रेन एक अप्रैल से 29 जून तक हर सोमवार, बुधवार और शुक्रवार को लोकमान्य तिलक टर्मिनस से चलाई जा रही है। जिनका रसड़ा, मऊ, औड़िहार, वाराणसी, भुसावल, नासिक रोड होते हुए कल्याण स्टेशनों पर ठहराव किया गया है।
जबकि ट्रेन संख्या 01028 गोरखपुर-लोकमान्य तिलक टर्मिनस विशेष ट्रेन 4 अप्रैल से 2 जुलाई तक हर सोमवार, मंगलवार, बृहस्पतिवार और रविवार को गोरखपुर से चलेगी। ट्रेन संख्या 01027 लोकमान्य तिलक टर्मिनस-गोरखपुर विशेष ट्रेन 2 अप्रैल से 30 जून तक हर मंगलवार, बृहस्पतिवार, शनिवार और रविवार को लोकमान्य तिलक टर्मिनस से चलाई जा रही है। इस ट्रेन के यात्रा मार्ग में देवरिया सदर, भटनी, बेल्थरा रोड, मऊ, औंड़िहार, वाराणसी, ज्ञानपुर रोड, प्रयागराज जं., इटारसी, हरदा, भुसावल, नासिक रोड और कल्याण स्टेशन पड़ेंगे। जहां पर ट्रेन का ठहराव है।
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बलिया: एंबुलेंस ना होने की वजह से मौत का ये पहला मामला नहीं, इससे पहले हुआ था ये मामला

एक साथ कितने इत्तेफाक हो सकते हैं? सवाल ज़रा दार्शनिक सा है लेकिन बलिया ज़िले में हुई एक घटना और उसकी टाइमिंग ने ये प्रश्न खड़ा कर दिया है। दो साल यही अप्रैल का महीना था। जब एक शख्स को कुछ लोग ठेले पर लादकर ले गए और अंत में उसकी मौत हो गई।
साल बाद फिर वही अप्रैल का महीना है। एक अधेड़ अपनी बीमार पत्नी को लेकर ठेले पर दौड़ता रहा लेकिन उसे बचा नहीं सका।
हाल ही में सोशल मीडिया पर एक वीडियो और तस्वीर जमकर वायरल हुई। तस्वीर में एक बुजुर्ग अपनी बीमार पत्नी को चिलचिलाती धूप में ठेले पर ले जाता दिख रहा है। ठेले पर इसलिए ले जाता देख रहा है क्योंकि बलिया में उसे सरकारी एंबुलेंस तक नहीं मिल पाई। प्राइवेट एंबुलेंस की लूट उसकी जद से बाहर की चीज थी।
क्या है मामला: बलिया ज़िले के चिल्कहर ब्लॉक में अंदौर नाम का एक गांव है। अंदौर में ही 60 साल के सुकुल प्रजापति और उनकी पत्नी जोगिनी रहते हैं। उम्र का तकाजा है तो जोगिनी की तबियत एक दिन अचानक बिगड़ गई। आनन-फानन में सुकुल प्रजापति अपनी पत्नी को ठेले पर लादकर ही चिल्कहर के पीएचसी लेकर पहुंचे।
सुकुल प्रजापति के अनुसार पीएचसी में जोगिनी को एक इंजेक्शन दिया गया। उसके बाद बगैर किसी रेफर पेपर के ही ज़िला अस्पताल जाने को कह दिया गया। कायदे से पीएची पर अगर जोगिनी की तबियत इतनी ख़राब थी कि उन्हें ज़िला अस्पताल भेजना पड़ा तो एंबुलेंस की व्यवस्था की जानी चाहिए थी। लेकिन बगैर एंबुलेंस के ही सुकुल प्रजापति को कह दिया गया कि वो अपनी पत्नी को लेकर ज़िला अस्पताल चले जाएं।
पीएचसी से सुकुल प्रजापति अपनी पत्नी को फिर ठेले पर लादकर घर पहुंचे। पैसे का इंतजाम किया और फिर एक किराए के ऑटो से अपनी पत्नी को लेकर ज़िला अस्पताल पहुंचे। सुकुल प्रजापति ने ज़िला अस्पताल पर आरोप लगाया है कि अस्पताल में जांच के नाम पर उनसे 350 रुपए लिए गए। इसके बाद इलाज के दौरान ही सुकुल प्रजापति की पत्नी जोगिनी की मौत हो गई।
एक अदद एंबुलेंस के ना होने की वजह से जोगिनी की इलाज में देरी हुई और उनकी मौत हो गई। उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ की सरकार प्रदेश भर में घूम-घूमकर अपनी पीठ थपथपाती रहती है कि स्वास्थ्य के क्षेत्र में बहुत विकास हुआ है। सरकार दावा करती है कि स्वास्थ्य सुविधाओं को बेहतर बनाने के लिए सरकार ने अभूतपूर्व कार्य किए हैं। लेकिन जब बलिया में पिछले 2 की घटनाओं पर ही नजर डालते हैं तो दिखता है कि इस क्षेत्र का हाल पहले जितनी बुरी थी अब भी उतनी ही बुरी बनी हुई है।
2 साल पहले क्या हुआ था: 2 साल पहले यानी 2020 की बात है। अप्रैल का महीना था। तब भी एंबुलेंस ना होने की वजह से बलिया के स्वास्थ्य सेवाओं और ज़िला अस्पताल की पोल पट्टी खुल गई थी। मामला ये था कि एक शख्स को लेकर कुछ लोग इलाज के लिए ज़िला अस्पताल पहुंचे। पहले तो ज़िला अस्पताल में उचित इलाज ना मिलने की वजह से शख्स की मौत हो गई। उसके बाद शव को ले जाने तक के लिए अस्पताल की ओर सरकारी एंबुलेंस की व्यवस्था नहीं की गई।

ठेले पर लादकर शव ले जाते लोग, 2020 का मामला
प्राइवेट एंबुलेंस की सेवा की लूट से हर कोई परिचित है। नतीजा ये हुआ कि अप्रैल की चिलचिलाती धूप में 3-4 लोग ठेले पर ही शव लेकर गांव के लिए निकल पड़े। ठेले पर शव ले जाते लोगों का वीडियो वायरल हुआ तो चारों ओर हंगामा कट गया। हर तरफ इसे लेकर बहस छिड़ गई। अंत में तात्कालिक जिलाधिकारी हरि प्रताप सिंह ने मामले की जांच के आदेश दिए। संयुक्त मजिस्ट्रेट और मुख्य चिकित्सा अधिकारी को जांच का जिम्मा सौंपा गया था। हालांकि जांच का नतीजा क्या हुआ ये किसी को नहीं पता।
स्वास्थ्य मंत्री ने दिए जांच के आदेश: दो साल बाद जब एक बार फिर जब करीब एक ही तरह की घटना का दोहराव हुआ है तो सभी की भौंहे फिर खड़ी हो गई हैं। सोशल मीडिया पर चर्चाओं का बाजार गर्म है। उत्तर प्रदेश के नए-नवेले डिप्टी सीएम और स्वास्थ्य मंत्री ब्रजेश ने इस मामले में जांच के आदेश दिए हैं। देखना होगा कि इस मामले की जांच में क्या कुछ निकल कर सामने आता है। सवाल ये भी कि क्या जांच पूरी होगी और इस मामले में कोई कार्रवाई भी होगी? या महज खानापूर्ति के लिए के जांच के आदेश दिए गए हैं।
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बलिया ने ‘आप’ को नकारा, प्रत्याशियों को नोटा से भी कम वोट मिले

यूपी विधानसभा चुनाव का परिणाम आ चुका है। भाजपा ने बहुमत हासिल किया है। हालांकि इस चुनाव में भाजपा को पिछले चुनाव की तुलना में सीटों का घाटा ज़रूर हुआ है। बलिया की बात करें तो यहां की 4 सीटों पर साइकिल दौड़ी, 2 पर कमल खिला और एक सीट पर बसपा का दबदबा रहा।
वहीं इस बार के चुनाव में मतदाताओं ने नोटा का भी खूब इस्तेमाल किया। इस बार करीब 9 हजार 380 मतदाताओं ने नोटा के विकल्प को चुना है। कई जगह तो नोटा को उम्मीदवारों से भी अधिक वोट मिला है। ज़िले की सातों सीटों पर 50 उम्मीदवार ऐसे हैं, जिनको वहां पड़े नोटा के वोट से भी कम मत मिले हैं। सबसे ज्यादा नोटा का बटन बांसडीह के लोगों ने दबाया। यहां 2004 लोगों ने ‘इनमें से कोई नहीं’ का विकल्प चुना है। जबकि सबसे कम बलिया नगर में 1,054 ने मतदान के लिए नोटा के विकल्प को चुना है।
पिछले कुछ सालों में नोटा का प्रयोग करने वाले वोटरों की संख्या में भी खासा बढ़ोतरी हो रही है। आंकड़ों पर नज़र डालें तो बलिया नगर में 1054, बांसडीह में 2004, बैरिया में 1958, बिल्थरारोड में 1,219 लोगों ने नोटा का बटन दबाया है। इसी प्रकार फेफना में 1,117 और सिकंदरपुर में 1,089 मतदाताओं ने ‘इनमें से कोई नहीं’ को विकल्प के तौर पर चुना है। रसड़ा में 1,339 ने नोटा का प्रयोग किया है।
वहीं बलिया की जनता ने आम आदमी पार्टी को भी पूरी तरह से नकार दिया है। जिले की 7 सीटों में से 4 पर आम आदमी पार्टी ने अपने उम्मीदवार उतारे थे। लेकिन किसी भी सीट पर आप प्रत्याशी नोटा से भी अधिक वोट नहीं पा सके हैं। बलिया नगर में नोटा को 1,054 मत मिले हैं, जबकि आप उम्मीदवार को महज 512 वोट मिले हैं। इसी प्रकार बांसडीह में नोटा को 2004 व आप को 660, बैरिया में नोटा को 1958 व आप को 787 और सिकंदरपुर में नोटा को 1,089 व आम आदमी पार्टी को महज 231 मत मिले हैं। यानी कि चुनाव में आप का बुरा हाल हुआ।
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