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फेफ़ना पुलिस पर फिर सवाल, पत्रकार की ह’त्या के बाद एक और बुजुर्ग महिला ने बेटे की जान को बताया ख़तरा!
बलिया डेस्क : अभी जमीनी विवाद में बीते सोमवार की रात पत्रकार रतन सिंह की ह’त्या का मामला शांत नहीं हुआ कि शुक्रवार को फेफना थाना क्षेत्र के ही बघेजी गांव निवासी उषा देवी ने पुलिस अधीक्षक से मिलकर अपने बेटे की जानमाल की गुहार लगाई है। इस दौरान बुजुर्ग महिला ने फेफना पुलिस पर भी न्यायोचित कार्रवाई न करने का आरोप लगाया है। कहा कि मेरे द्वारा फेफना थाने में गुहार लगाने पर वहां की पुलिस मुझे डांट कर भगा देती है।
आरोपियों का हौसला बुलंद है और वे लोग बार-बार मेरे बेटे को जान से मारने की धमकी दे रहे हैं। ऐसे में कहना गलत नहीं होगा कि फेफना पुलिस शायद अपने क्षेत्र में और एक हत्या का इंतजार कर रही है। एसपी को दिए गए ज्ञापन में उषा देवी ने उल्लेख किया है कि बीते 13 जुलाई 2020 को शाम छह बजे गांव के ही कुछ लोग रास्ते के विवाद को लेकर पुरानी रंजिशवश मेरे घर में घुसकर मेरे पुत्रगण अविनाश सिंह व अभिषेक सिंह को लाठी, डंडे व लोहे के रॉड से बुरी तरह से मारपीट दिए थे।
जिससे मेरा छोटा बेटा अभिषेक सिंह गंभीर रूप से घायल हो गया था, अभिषेक को जब इलाज के लिए बलिया ले जाया गया तो वहां से वाराणसी रेफर कर दिया गया था। उस वक्त मेरा बड़ा बेटा अविनाश सिंह द्वारा थाने में आरोपियों के खिलाफ तहरीर दी गई थी, जिसमें घर में घुसकर लाठी डंडा व लोहे के रॉड से मार’पीट कर बुरी तरह से घा’यल करने का जिक्र किया गया था, लेकिन पुलिस आरोपी के साथ साठगांठ कर मेरे बेटे अविनाश सिंह से जबरिया एक दूसरी तहरीर लिखवाकर मामले में एनसीआर दर्ज कर छोड़ दिया।
जबकि आरोपियों के वार करने से मेरे बेटे अभिषेक को सिर में गंभीर चोटें आईं थी, लेकिन निलंबित एसओ शशिमौली पांडेय ने मामले में एनसीआर दर्ज कर लीपापोती कर दिया। जिसके कारण आरोपीगण एक बार फिर से मेरे बेटे को जान से मारने की धमकी देने लगे हैं।
गंभीर चोट के बावजूद सिर्फ दर्ज किया एनसीआर- गौरतलब हो कि मारपीट में आरोपियों द्वारा अभिषेक सिंह को बुरी तरह से मारपीट कर घायल कर दिया गया था, आनन-फानन में जब घर के परिजन उन्हें जिला चिकित्सालय पहुंचाए तो वहां से चिकित्सकों ने स्थिति नाजुक वाराणसी के लिए रेफर कर दिया था। उधर इस मामले में जब अविनाश सिंह थाने में तहरीर दिए तो पुलिस ने आरोपियों को बचाने के लिए एनसीआर दर्ज कर कोरम पूरा कर लिया था।
पत्रकार रतन सिंह मामले में भी पुलिस ने की थी यही गलती ! – ज्ञात हो कि पत्रकार रतन सिंह भी पुलिस के पास जानमाल की गुहार लगाई थी, लेकिन फेफना पुलिस ने इसे गंभीरता से नहीं लिया था। नतीजन बीते सोमवार की देरशाम उनकी हत्या कर दी गई। एक बार फिर वही गलती फेफना पुलिस फिर से कर रही है, जानमान की गुहार लगाने के बावजूद आरोपियों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं कर रहे हैं।
क्या बोले एसपी– बलिया पुलिस अधीक्षक देवेंद्र नाथ ने बताया कि महिला मेरे पास आई थी, मामला मेरे संज्ञान में है। न्यायोचित कार्रवाई की जाएगी।
रिपोर्ट- तिलक कुमार
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बलिया निवासी रिटायर्ड जवान ने बीटेक छात्र को मारी गोली, हुई मौत, हत्या के आरोपी पिता ,पुत्री गिरफ्तार
गाजियाबाद के क्रॉसिंग रिपब्लिक इलाके में दिल दहला देने वाला घटनाक्रम सामने आया है। यहां बलिया निवासी एक रिटायर्ड जवान ने बलिया के रहने वाला बीटेक के छात्र विपुल की गोली मारकर हत्या कर दी। इस घटना के बाद पूरे इलाके में हड़कंप मच गया। बताया जा रहा है कि मृतक छात्र आरोपी की बेटी का बॉयफ्रेंड था। फिलहाल पुलिस ने पूरे मामले की जांच शुरू कर दी है।
जानकारी के मुताबिक, मामला गाजियाबाद जिले के क्रॉसिंग रिपब्लिक इलाके का है। यहां एक इंजीनियरिंग छात्र की गोली मारकर हत्या कर दी गई। पुलिस ने बताया कि आरोपी और मृतक छात्र के बीच शनिवार रात को बहस हुई थी, जिसके बाद उसने बीटेक छात्र की हत्या कर दी।
इस मामले में पुलिस उपायुक्त विवेक चंद्र यादव ने कहा, बलिया निवासी 25 वर्षीय बीटेक छात्र विपुल की एक रिटायर्ड सुरक्षाकर्मी ने गोली मारकर हत्या कर दी। आरोपी राजेश कुमार सिंह भी बलिया के निवासी हैं और बीएसएफ से रिटायर्ड है, जो एक निजी सुरक्षा फर्म में कार्यरत है।
अधिकारी ने कहा, ‘विपुल कथित तौर पर आरोपी की बेटी के साथ रिश्ते में था। आरोपी रात में फ्लैट पर पहुंचा। विपुल के साथ उसकी बहस हुई, जिसके बाद उसने विपुल को पांच गोलियां मार दीं।’ पुलिस ने शव का पोस्टमार्टम करवाकर मामले की जांच शुरू कर दी है। वहीं हत्या करने के मामले में पुलिस ने दीप्ति व उसके पिता राजेश को गिरफ्तार कर लिया।
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बलिया में पराली जलाने की घटनाओं को लेकर प्रशासन सख्त, वसूला जाएगा जुर्माना
बलिया में आए दिन आगजनी की घटनाएं सामने आ रही है। इन घटनाओं में आर्थिक नुकसान के साथ साथ संसाधनों की क्षति हो रही है। ऐसे में अब जिला प्रशासन अलर्ट हो गया है। जिलाधिकारी रविन्द्र कुमार ने किसानों को पराली न जलाने की चेतावनी दी है। उन्होंने किसानों को बताया कि पर्यावरण प्रदूषण की रोकथाम हेतु पराली, फसल अपशिष्टों को जलाना एक दण्डनीय अपराध है। राजस्व विभाग द्वारा पर्यावरण को हो रहे क्षतिपूर्ति की वसूली के निर्देश दिया गया है।
जिलाधिकारी ने सभी अधिकारीयों को पराली जलाने पर सख्त कार्रवाई के निर्देश दिए हैं। जिलाधिकारी ने बताया है कि दो एकड़ से कम क्षेत्र के लिए 2500 रुपए, दो से पांच एकड़ क्षेत्र के लिए 5 हजार रुपए तथा पांच एकड़ से अधिक क्षेत्र के लिए 15 हजार रुपए तक पर्यावरण कम्पन्सेशन की वसूली के निर्देश दिया गया है।
पराली जलाने की घटना पर सम्बन्धित को दण्डित करने के सम्बन्ध में राजस्व विभाग द्वारा राष्ट्रीय हरित अधिकरण अधिनियम की धारा-24 के अन्तर्गत क्षतिपूर्ति की वसूली एवं धारा-26 के अन्तर्गत उल्लंघन की पुनरावृत्ति होने पर सम्बन्धित के विरूद्ध अर्थदण्ड इत्यादि की कार्रवाई के प्रावधान किया गया है।
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सलेमपुर लोकसभा: बसपा का वॉकओवर, सपा की मुश्किलें!
लोकसभा चुनाव चुनाव के लिए रवींद्र कुशवाहा को इस बार भी बीजेपी ने सलेमपुर सीट से टिकट दिया है. सपा ने यहां रमांशकर राजभर को मैदान में उतारा है. लेकिन इस सीट की लड़ाई दिलचस्प तब हो गई जब मायावती की बसपा ने भीम राजभर को ताल ठोकने भेज दिया.
सलेमपुर लोकसभा सीट पर क्या है समीकरण? बीजेपी प्रत्याशी के खिलाफ नाराजगी का कितना असर है? बसपा की ओर से भीम राजभर को टिकट दिए जाने के बाद क्या सपा के लिए ये लड़ाई मुश्किल हो गई है? और क्या बसपा ने बीजेपी को वॉक ओवर दे दिया है?
बसपा का वॉकओवर, सपा की मुश्किलें!
मायावती ने बसपा के पूर्व यूपी अध्यक्ष भीम राजभर को आजमगढ़ से टिकट दिया था. लेकिन फिर उनकी सीट बदल दी गई. अब भीम राजभर को सलेमपुर से चुनाव लड़ने के लिए भेजा गया है. सपा ने यहां से रमाशंकर राजभर को टिकट दिया है. ऐसे में ज़ाहिर है कि सपा की ओर जा सकने वाला राजभर वोट भीम राजभर की एंट्री से बंट जाएगा.
ओपी राजभर की पार्टी सुभासपा और बीजेपी का गठबंधन है. ऐसे में आजमगढ़ में बसपा का राजभर उम्मीदवार इस वर्ग के वोट के बंटवारे की वजह बनता. ऐसे में चर्चा है कि मायावती ने आजमगढ़ से अपने राजभर प्रत्याशी को कहीं और शिफ्ट करने का प्लान तैयार किया. ऐसे में सलेमपुर सीट सबसे मुफीद साबित हुई क्योंकि यहां सपा के उम्मीदवार रमाशंकर राजभर इसी समाज से आते हैं.
बीजेपी प्रत्याशी के खिलाफ गुस्सा!
2014 में बीजेपी पहली बार सलेमपुर सीट से चुनाव जीत पाई थी. तब पार्टी के उम्मीदवार रवींद्र कुशवाहा थे. कुशवाहा को पार्टी ने फिर 2019 में जीत दोहराने की उम्मीद से मैदान में उतारा और उन्होंने प्रदर्शन दोहरा भी दिया. अब 2024 में पार्टी ने इस सीट पर हैट्रिक लगाने के लिए अपने सीटिंग सांसद को मौका दिया है. लेकिन इस बार पेंच फंस गया है. क्षेत्र की जनता में रवींद्र कुशवाहा के खिलाफ नाराज़गी है. आरोप लगता है कि कुशवाहा कभी अपने क्षेत्र की जनता का हाल जानने नहीं पहुंचते हैं. कोविड जैसे क्रूर दौर में भी उन्होंने लोगों को अपने हाल पर छोड़ दिया. पिछले महीने ही बलिया के गांव भीमपु में सांसद रवींद्र कुशवाहा जनता-जनार्दन का हाल जानने पहुंचे. लेकिन हाथों में पोस्टर लिए गांव के लोगों ने गाड़ी रोक दी. और नारेबाज़ी की, “योगी-मोदी से बैर नहीं, रवींद्र तुम्हारी ख़ैर नहीं!”
सलेमपुर सीट का मूड:
सलेमपुर लोकसभा सीट के तहत कुल पांच विधानसभा सीटें हैं. इनमें देवरिया जिले की दो- भाटपार रानी और सलेमपुर विधानसभा सीटें हैं. जबकि बलिया में पड़ती हैं 3 विधानसभा सीटें- बेल्थरा रोड, सिकंदरपुर और बांसडीह. 2022 के यूपी विधानसभा चुनाव में सलेमपुर (सुरक्षित) विधानसभा सीट से बीजेपी की विजयलक्ष्मी गौतम, भाटपार रानी से बीजेपी के सभा कुंवर कुशवाहा और बलिया जिले की बांसडीह विधानसभा सीट पर बीजेपी की केतकी सिंह, बेल्थरा रोड (सुरक्षित) सीट से सुभासपा के हंसूराम और सिकंदरपुर से सपा के जियाउद्दीन रिजवी विधायक बने. विधानसभावार तरीके से देखें तो तीन सीटें बीजेपी के पास, एक उसकी साथी पार्टी के पास और एक सपा के पास है.
करीब 17 लाख वोटर्स वाले सलेमपुर सीट की जातिगत समीकरणों की बात करें तो एक अनुमान के मुताबिक पिछड़ी जाति खासकर कुर्मी जाति (कुशवाहा) के मतदाताओं की संख्या अधिक है. करीब 15 फीसदी ब्राह्मण, 18 फीसदी कुर्मी, मौर्य, कुशवाहा, 14 फीसदी राजभर, 15 फीसदी अनुसूचित जाति, 4 फीसदी क्षत्रिय, 13 फीसदी अल्पसंख्यक जाति के मतदाता है. जबकि लगभग 4 फीसदी वैश्य, 2 फीसदी यादव, 2 फीसदी कायस्थ, 2 फीसदी सैंथवार और 4 फीसदी निषाद और बाकी अन्य जाति के वोटर्स हैं.
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