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ग्राउंड रिपोर्ट – बलिया में बाढ़ से हालात बिगड़े, इधर प्रशासन के आंकड़ों से ही गायब है गांव

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बलिया। तीन तरफ से नदी से घिरे जिले में फिलहाल बाढ़ ने कहर दिखाना शुरू कर दिया है। जिले में एक तरफ गंगा का पानी किनारे के दर्जनों गांवों के भीतर जा चुका है। स्थानीयों की मानें तो बैरिया के नौरंगा, बहुआरा आदि गांवों के अंतर्गत आने वाली दर्जनों ग्रामसभाओं में कटान जारी है। लोगों को भय है कि खेत के बाद अब घर भी कटान के भेंट न चढ़ जाएं। बलिया में गंगा के उच्चतम बाढ़ स्तर की ओर बढ़ने के साथ टोंस और मगई नदी भी उफनाने लगी हैं। प्रशासन की तरफ से 12 अगस्त की सुबह तक गंगा का जल स्तर 59.950 मीटर था गंगा का खतरा बिंदू 57.615 है। वहीं घाघरा अपने खतरे के निशान के आस पास पहुंच चुकी हैं। 64.01 मीटर पर खतरा बिंदू वाली घाघरा में 12 अगस्त की सुबह तक 63.830मीटर तक पानी बह रहा था।इधर गंगा की सहायक नदी टोंस का जलस्तर भी खतरा बिंदु को पार कर गया है। गंगा के पानी से गजरी ,डेरा शिवपुर दियर, शाहपुर, बभनौली आदि गांवों के आस पास उपजाऊ जमीन नदी में विलीन हो रही है। नदियों का पानी किसानों के खेतों में घुसने लगा है। किसान जहां तहां अपना सामान और मवेशियों को समेटने लगे हैं। मंगई नदी मिल्की गांव में कटान कर रही है। तीनों नदियों का पानी खेतों में घुसने लगा है। तटवर्ती इलाकों के लोग बाढ़ की आशंका से भयभीत हैं। शाहपुर, बभनौली गांव के ग्रामीणों ने अपना सामान समेटना शुरू कर दिया है। गंगा का पानी उमरपुर दियारे में पहुंच गया है। यह सबकुछ तैयारियों की पोल खोलता नज़र आ रहा है।

क्या है सरकारी तैयारी-  जिला प्रशासन अपनी तैयारीयों को लेकर काफी आश्वस्त है। बैरिया विधायक सुरेंद्र सिंह प्रशसान के काम से संतुष्टि जाहिर कर चुके हैं। लेकिन वस्तु स्थिति कुछ और ही है। लापरवाही का आलम ये है कि जिला प्रशासन की तरफ से बाढ़ प्रभावित गांवों की जारी लिस्ट में कई गांवों का नाम ही नहीं है। जवहीं के रहने वाले शैलेश का कहना है कि उनके गांव के भीतर पानी घुस चुका है लेकिन प्रशासन की लिस्ट में नाम ही नहीं हैं। शैलेश ने बलिया खबर से बातचीत में कहा, ‘अभी तक कोई नेता या प्रशासन के लोग नहीं आए हैं। हमारे विधायक तो मंत्री हैं लेकिन फिर भी कोई नहीं आया।हम लोग कैसे भी डेंगी(छोटी नांव) से आना जाना कर रहे हैं। कोई बीमार पड़ गया तो सीधे जान ही जाएगी’ इस मार्फत जब हमने एडीएम राम आसरे से बात की तो उन्होंने गांव के नाम के ना होने को पहले तो भूल बताया फिर हम पर ही बिफर पड़े। बलिया खबर से बातचीत में उन्होंने कहा, ‘तुम हमारे जांच अधिकारी नहीं हो, पानी कब पहुंचा है जा कर पता करो’ इतना कह कर उन्होंने फोन काट दिया। हमने इसके बाद भी उनसे लगातार संपर्क करने की कोशिश की मगर बात नहीं हो सकी।’ बाढ़ प्रभावित इलाकों में बैरिया के नौरंगा, बहुआरा, भूसौला, जगदीशपुर, भुआलछपरा, बलवंतछपरा, उदईछपरा समेत कई गांव हैं।

ये इलाके नदी के उस पार हैं और यहां अब एप्रोच रोड भी पानी में डूब चूकी है। इन इलाकों में बिजली नहीं है, पीने के पानी की गंभीर समस्या है। इधर जिला प्रशासन की तरफ से जारी प्रेस विज्ञप्ति में कहा गया है कि मंगलवार को बैरिया तहसील क्षेत्र के गोपालपुर व दयाछपरा गांव में 1200 फूड पैकेट और 540 तिरपाल का वितरण बाढ़ पीड़ितों के बीच किया गया।गंगा ने इस बार डरा दिया है- जिला मुख्यालय के दूसरी तरफ भी गंगा और टोंस नदी की बाढ़ ने अपना रौद्र रूप लेना शुरू कर दिया है, जिससे जनता के लिए बाढ़ परेशानी का कारण बनती जा रही है। जिले के जो गांव गंगा और टोंस दोनों नदी के तट पर है, उनकी परेशानी दोगुनी है। तटवर्ती गांव थमह्नपुरा, हसनपुरा, इंदरपुर, नई बस्ती इंदरपुर, अंजोरपुर, मंझरिया और कोट ग्राम के ग्रामीणों को एक तरफ से गंगा और दूसरी तरफ से टोंस नदी की बाढ़ का सामना करना पड़ रहा है। स्थानीयों ने हमसे बताया कि सोमवार को ही थमह्नपुरा का रामजानकी मंदिर, पंचायत भवन, जूनियर हाईस्कूल और पशु अस्पताल बाढ़ के पानी से डूब गए।

वहीं गांव में बाहर जाने वाला संपर्क मार्ग भी पूरी तरह से डूब गया। हसनपुरा, अंजोरपुर और नई बस्ती इंदरपुर के प्राथमिक विद्यालय भी जलमग्न हो गए हैं। गंगहरा से चेरुइयां तक जाने वाली पगडंडी हसनपुर जाने वाला मार्ग सहित अन्य कई गांवों के संपर्क मार्ग जलमग्न हो गए हैं।फिलहाल नदी का पानी बढ़ता जा रहा है। इस बार तेज़ धार के साथ कटान करती गंगा ने सबको डरा दिया है। प्रशासनिक अधिकारी कहते हैं कि बाढ़ आने के बाद हम राहत ही पहुंचा सकते हैं। बाढ़ का पानी रोक नहीं सकते। लेकिन हाल ये है कि स्थानीयों को बाढ़ में छोटी नाव और मूलभूत चीज़ों के लिए गुहार लगानी पड़ रही है। जबकि प्रशासनिक अधिकारी प्रतिदिन जिम्मेदारी से प्रेस विज्ञप्ति जारी करके अपने किए को प्रसारित करा देते हैं।

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बलिया में भयंकर सड़क हादसा, 4 की मौत 1 गंभीर रूप से घायल

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बलिया में भयंकर सड़क हादसा सामने आया है जहां 4 लोगों की मौत की खबरें सामने आ रही है। वहीं एक गंभीर रूप से घायल बताया जा रहा है। जानकारी के मुताबिक ये हादसा फेफना थाना क्षेत्र के राजू ढाबा के पास बुधवार की रात करीब 10:30 बजे हुआ। खबर के मुताबिक असंतुलित होकर बलिया से चितबड़ागांव की ओर जा रही सफारी कार पलट गई। जिसमें चार लोगों की मौत हो गई। जबकि एक गंभीर रूप से घायल हो गया।

सूचना मिलने पर पर पहुंची पुलिस ने चारों शव को कब्जे में लेकर पोस्टमार्टम के लिए जिला अस्पताल भेज दिया। जबकि गंभीर रूप से घायल को ट्रामा सेंटर में भर्ती कराया। मृतकों की शिनाख्त क्रमशः रितेश गोंड 32 वर्ष निवासी तीखा थाना फेफना, सत्येंद्र यादव 40 वर्ष निवासी जिला गाज़ीपुर, कमलेश यादव 36 वर्ष  थाना चितबड़ागांव, राजू यादव 30 वर्ष थाना चितबड़ागांव बलिया के रूप में की गई। जबकि घायल छोटू यादव 32 वर्ष निवासी बढ़वलिया थाना चितबड़ागांव जनपद बलिया का इलाज जिला अस्पताल स्थित ट्रामा सेंटर में चल रहा है।

बताया जा रहा है कि सफारी  में सवार होकर पांचो लोग बलिया से चितबड़ागांव की ओर जा रहे थे, जैसे ही पिकअप राजू ढाबे के पास पहुँचा कि सड़क हादसा हो गया।

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बलिया में दूल्हे पर एसिड अटैक, पूर्व प्रेमिका ने दिया वारदात को अंजाम

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बलिया के बांसडीह थाना क्षेत्र में एक हैरान कर देने वाले घटना सामने आई हैं। यहां शादी की रस्मों के दौरान एक युवती ने दूल्हे पर तेजाब फेंक दिया, इससे दूल्हा गंभीर रूप से झुलस गया। मौके पर मौजूद महिलाओं ने युवती को पकड़ कर पुलिस के हवाले कर दिया। फिलहाल पुलिस बारीकी से पूरे मामले की जांच कर रही है।

बताया जा रहा है की घटना को अंजाम देने वाली युवती दूल्हे की पूर्व प्रेमिका है। उसका थाना क्षेत्र के गांव डुमरी निवासी राकेश बिंद के साथ बीते कई वर्ष से प्रेम प्रसंग चल रहा था। युवती ने युवक से शादी करने का कई बार दबाव बनाया, लेकिन युवक ने शादी करने से इन्कार कर दिया। इस मामले में कई बार थाना और गांव में पंचायत भी हुई, लेकिन मामला सुलझा नहीं।

इसी बीच राकेश की शादी कहीं ओर तय हो गई। मंगलवार की शाम राकेश की बारात बेल्थरारोड क्षेत्र के एक गांव में जा रही थी। महिलाएं मंगल गीत गाते हुए दूल्हे के साथ परिछावन करने के लिए गांव के शिव मंदिर पर पहुंचीं। तभी घूंघट में एक युवती पहुंची और दूल्हे पर तेजाब फेंक दिया। इस घटना से दूल्हे के पास में खड़ा 14 वर्षीय राज बिंद भी घायल हो गया। दूल्हे के चीखने चिल्लाने से मौके पर हड़कंप मच गया। आनन फानन में दूल्हे को अस्पताल ले जाया गया, जहां उसका इलाज किया जा रहा है।

मौके पर पहुंची पुलिस युवती को थाने ले गई और दूल्हे को जिला अस्पताल भेज दिया। थानाध्यक्ष अखिलेश चंद्र पांडेय ने कहा कि तहरीर मिलने पर कार्रवाई की जाएगी।

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कौन थे ‘शेर-ए-पूर्वांचल’ जिन्हें आज उनकी पुण्यतिथि पर बलिया के लोग कर रहे याद !

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‘शेर-ए-पूर्वांचल’ के नाम से मश्हूर दिग्गज कांग्रेस नेता बच्चा पाठक की आज 7 वी पुण्यतिथि हैं. उनकी पुण्यतिथि पर जिले के सभी पक्ष-विपक्ष समेत तमाम बड़े नेताओं और इलाके के लोग नम आंखों से उन्हें श्रद्धांजलि दे रहे हैं.  1977 में जनता पार्टी की लहर के बावजूद बच्चा पाठक ने जीत दर्ज की जिसके बाद से ही वो ‘शेर-ए-बलिया’ के नाम से जाने जाने लगे. प्रदेश सरकार के पूर्व मंत्री बच्चा पाठक लगभग 50 सालों तक पूर्वांचल की राजनीति के केन्द्र में रहे.
रेवती ब्लाक के खानपुर गांव के रहने वाले बच्चा पाठक ने राजनीति की शुरूआत डुमरिया न्याय पंचायत के संरपच के रूप में साल 1956 में की. 1962 में वे रेवती के ब्लाक प्रमुख चुने गये और 1967 में बच्चा पाठक ने बांसडीह विधानसभा से पहली बार विधायक का चुनाव लड़ा लेकिन उन्हें बैजनाथ सिंह से हार का सामना करना पड़ा. दो साल बाद 1969 में फिर चुनाव हुआ और कांग्रेस प्रत्याशी के रूप में बच्चा पाठक ने विजय बहादुर सिंह को हराकर विधानसभा का रुख़ किया. यहां से बच्चा पाठक ने जो राजनीतिक जीवन की शुरुआत की तो फिर कभी पलटकर नहीं देखा.
बच्चा पाठक की राजनीतिक पैठ 1974 के बाद बनी जब उन्होंने जिले के कद्दावर नेता ठाकुर शिवमंगल सिंह को शिकस्त दी. यही नहीं जब 1977 में कांग्रेस के खिलाफ पूरे देश में लहर थी तब भी बच्चा पाठक ने पूरे पूर्वांचल में एकमात्र अपनी सीट जीतकर सबको अपनी लोकप्रियता का लोहा मनवा दिया था. तब उन्हें ‘शेर-ए-पूर्वांचल का खिताब उनके चाहने वालों ने दे दिया.  1980 में बच्चा पाठक चुनाव जीतने के बाद पहली बार मंत्री बने. कुछ दिनों तक पीडब्लूडी मंत्री और फिर सहकारिता मंत्री बनाये गये.
बच्चा पाठक ने राजनीतिक जीवन में हार का सामना भी किया लेकिन उन्होंने कभी जनता से मुंह नहीं मोड़ा. वो सबके दुख सुख में हमेशा शामिल रहे. क्षेत्र के विकास कार्यों के प्रति हमेशा समर्पित रहने वाले बच्चा पाठक  कार्यकर्ताओं या कमजोरों के उत्पीड़न पर अपने बागी तेवर के लिए मशहूर थे. इलाके में उनकी लोकप्रियता और पैठ का अंदाज़ा इसी बात से लगाया जा सकता है कि वे सात बार बांसडीह विधानसभा से विधायक व दो बार प्रदेश सरकार में मंत्री बने. साल 1985 व 1989 में चुनाव हारने के बावजूद उन्होंने अपना राजनीतिक कार्य जारी रखा. जिसके बाद वो  1991, 1993, 1996 में फिर विधायक चुनकर आये. 1996 में वे पर्यावरण व वैकल्पिक उर्जा मंत्री बनाये गये.
राजनीति के साथ बच्चा पाठक शिक्षा के क्षेत्र में सक्रिय रहे. इलाके की शिक्षा व्यवस्था सुधारने के लिए बच्चा पाठक ने लगातार कोशिश की. उन्होंने कई विद्यालयों की स्थापना के साथ ही उनके प्रबंधक रहकर काम भी किया.
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