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उमाशंकर सिंह को BSP से सस्पेंड किए जाने की फर्जी ख़बर की कहानी कहाँ से शुरू हुई जान लीजिए

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बलिया। उमा शंकर सिंह  बलिया की रसड़ा विधानसभा सीट से बहुजन समाज पार्टी के विधायक उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव-2022 में बसपा की ओर से जीत दर्ज करने वाले इकलौते विधायक। जो पार्टी कभी उत्तर प्रदेश में सरकार चलाती थी। जिस पार्टी का कभी सूबे में धौंस हुआ करता था उस पार्टी के एकमात्र विधायक है उमा शंकर सिंह। चुनाव नतीजे आने के ठीक अगले दिन उमा शंकर सिंह को लेकर एक ख़बर चली कि उन्हें बसपा से सस्पेंड कर दिया गया है। वजह बताई गई कि उमा शंकर सिंह भारतीय जनता पार्टी के संपर्क में हैं और पार्टी विरोधी गतिविधियों में शामिल हैं। जाहिर है ये ख़बर फर्जी निकली।

10 मार्च को चुनाव के नतीजे आए। रसड़ा से सपा गठबंधन के उम्मीदवार महेंद्र चौहान और उमा शंकर सिंह के बीच जोरदार टक्कर देखने को मिली। अंत में उमा शंकर सिंह जैसे-तैसे चुनाव जीतने में कामयाब हुए। लेकिन अगले ही दिन यानी 11 मार्च को सोशल मीडिया पर और बलिया के सियासी गलियारे में उन्हें लेकर चर्चा तेज हो गई। चर्चा की वजह उनकी जीत नहीं बल्कि बसपा छोड़कर भाजपा में शामिल होने की ख़बर थी।

10-11 मार्च की रात ट्विटर पर भगत राम नाम के एक अकाउंट से एक सटायर पोस्ट किया गया। ट्वीट करते हुए भगत राम अकाउंट से लिखा गया कि “बीएसपी के एकमात्र विजयी उम्मीदवार उमा शंकर सिंह पार्टी विरोधी गतिविधियों के आरोप में सस्पेंड। पार्टी लाइन से हटकर चुनाव जीत गए थे उमा शंकर सिंह।” इस ट्वीट के अंतिम लाइन को दोबारा पढ़िए “पार्टी लाइन से हटकर चुनाव जीत गए थे उमा शंकर सिंह।” बसपा से सिर्फ उमा शंकर सिंह ही चुनाव जीतने में कामयाब हुए हैं। बाकी सभी उम्मीदवारों को करारी शिकस्त झेलनी पड़ी है। जिसे लेकर ये व्यंग किया गया था।

इस व्यंग वाले पोस्ट को बहुत कम ही लोग समझ पाए। जिसके चलते व्यंग ने खबर का रूप ले लिया। जिसके बाद कई पोर्टल ने इसको खबर का रूप दे दिया फिर फेसबुक पर बलिया हब नाम के एक अकाउंट से भी पोस्ट किया गया कि “उमा शंकर सिंह भाजपा में शामिल हो सकते हैं और मंत्रिमंडल में भी उन्हें जगह मिल सकती है। साथ ही यह भी दावा किया गया कि उन्हें बसपा से निलंबित कर दिया गया है।” इसी तरह के दावे करते हुए ट्विटर और फेसबुक पर कई पोस्ट किए गए।

उमा शंकर सिंह ने भाजपा में शामिल होने की ख़बर को खारिज कर दिया। बसपा से सस्पेंड किए जाने की ख़बर को भी उन्होंने सिरे से खारिज कर दिया। लेकिन उमा शंकर सिंह यहीं नहीं रुके। उन्होंने बलिया हब नाम के फेसबुक अकाउंट के संचालक के खिलाफ बलिया पुलिस अधीक्षक को शिकायती पत्र लिख दिया। उमा शंकर सिंह ने बलिया हब के संचालक के खिलाफ कार्रवाई करने और अकाउंट ब्लॉक करने की मांग की।

उमा शंकर सिंह के पत्र को लेकर बलिया हब ने भी जवाब दिया। फेसबुक पर इसी अकाउंट से पोस्ट किया गया। बलिया हब ने लिखा कि “माननीय विधायक उमा शंकर सिंह जी एवं अधीक्षक महोदय जी, सुबह एक इलेक्ट्रॉनिक मीडिया Z Public News ने उमा शंकर सिंह के बारे में एक भ्रामक खबर चलाया। उसके साथ-साथ यह खबर द भारत टाइम्स में भी चलाई गई। जिसे हमारे पेज के किसी सदस्य ने पोस्ट किया है। जो कि कुछ घंटो में डिलीट भी कर दी गई है। हालांकि इस शिकायत पत्र में दिया गया सिर्फ प्वाइंट-1 ही हमारे पेज से पोस्ट किया गया था। प्वाइंट-2 हमारे पेज से पब्लिश नहीं किया गया है।”

बता दें कि उमा शंकर सिंह ने बलिया पुलिस अधीक्षक को जो शिकायती पत्र लिखा था उसमें दो पोस्ट का जिक्र किया गया था। दूसरा पोस्ट भी उनके भाजपा में जाने और बसपा से निलंबित किए जाने के बारे में ही था। उमा शंकर सिंह ने मीडिया से इस मामले में कहा है कि “ये ख़बर पूरी तरह झूठी है। कुछ पोर्टल वालों ने ये ख़बर छाप दी है। अब वही पोर्टल वाले माफी मांग रहे हैं।”

बसपा से पूरे उत्तर प्रदेश में एकमात्र उमा शंकर सिंह चुनाव जीत पाए हैं। रसड़ा में उमा शंकर सिंह की जीत को बसपा की जीत नहीं मानी जा रही है। राजनीति के जानकारों का मानना है कि उमा शंकर सिंह अपने नाम के बूते ये चुनाव जीत सके हैं। आलम ये था कि बसपा ये सीट भी गंवा देती। लेकिन उमा शंकर सिंह की सक्रियता ने बसपा को उत्तर प्रदेश में ज़ीरो होने से बचा लिया है। अब एकमात्र विधायक होने के चलते उनके भाजपा में शामिल होने की ख़बर चलाई गई। लेकिन इस ख़बर का कोई आधिकारिक सोर्स नहीं था। एक फेसबुक पोस्ट से शुरू हुआ मामला मुकदमेबाजी तक पहुंच चुकी है। देखना होगा कि ये विवाद कहां जाकर रुकती है।

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बलिया में भयंकर सड़क हादसा, 4 की मौत 1 गंभीर रूप से घायल

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बलिया में भयंकर सड़क हादसा सामने आया है जहां 4 लोगों की मौत की खबरें सामने आ रही है। वहीं एक गंभीर रूप से घायल बताया जा रहा है। जानकारी के मुताबिक ये हादसा फेफना थाना क्षेत्र के राजू ढाबा के पास बुधवार की रात करीब 10:30 बजे हुआ। खबर के मुताबिक असंतुलित होकर बलिया से चितबड़ागांव की ओर जा रही सफारी कार पलट गई। जिसमें चार लोगों की मौत हो गई। जबकि एक गंभीर रूप से घायल हो गया।

सूचना मिलने पर पर पहुंची पुलिस ने चारों शव को कब्जे में लेकर पोस्टमार्टम के लिए जिला अस्पताल भेज दिया। जबकि गंभीर रूप से घायल को ट्रामा सेंटर में भर्ती कराया। मृतकों की शिनाख्त क्रमशः रितेश गोंड 32 वर्ष निवासी तीखा थाना फेफना, सत्येंद्र यादव 40 वर्ष निवासी जिला गाज़ीपुर, कमलेश यादव 36 वर्ष  थाना चितबड़ागांव, राजू यादव 30 वर्ष थाना चितबड़ागांव बलिया के रूप में की गई। जबकि घायल छोटू यादव 32 वर्ष निवासी बढ़वलिया थाना चितबड़ागांव जनपद बलिया का इलाज जिला अस्पताल स्थित ट्रामा सेंटर में चल रहा है।

बताया जा रहा है कि सफारी  में सवार होकर पांचो लोग बलिया से चितबड़ागांव की ओर जा रहे थे, जैसे ही पिकअप राजू ढाबे के पास पहुँचा कि सड़क हादसा हो गया।

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बलिया में दूल्हे पर एसिड अटैक, पूर्व प्रेमिका ने दिया वारदात को अंजाम

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बलिया के बांसडीह थाना क्षेत्र में एक हैरान कर देने वाले घटना सामने आई हैं। यहां शादी की रस्मों के दौरान एक युवती ने दूल्हे पर तेजाब फेंक दिया, इससे दूल्हा गंभीर रूप से झुलस गया। मौके पर मौजूद महिलाओं ने युवती को पकड़ कर पुलिस के हवाले कर दिया। फिलहाल पुलिस बारीकी से पूरे मामले की जांच कर रही है।

बताया जा रहा है की घटना को अंजाम देने वाली युवती दूल्हे की पूर्व प्रेमिका है। उसका थाना क्षेत्र के गांव डुमरी निवासी राकेश बिंद के साथ बीते कई वर्ष से प्रेम प्रसंग चल रहा था। युवती ने युवक से शादी करने का कई बार दबाव बनाया, लेकिन युवक ने शादी करने से इन्कार कर दिया। इस मामले में कई बार थाना और गांव में पंचायत भी हुई, लेकिन मामला सुलझा नहीं।

इसी बीच राकेश की शादी कहीं ओर तय हो गई। मंगलवार की शाम राकेश की बारात बेल्थरारोड क्षेत्र के एक गांव में जा रही थी। महिलाएं मंगल गीत गाते हुए दूल्हे के साथ परिछावन करने के लिए गांव के शिव मंदिर पर पहुंचीं। तभी घूंघट में एक युवती पहुंची और दूल्हे पर तेजाब फेंक दिया। इस घटना से दूल्हे के पास में खड़ा 14 वर्षीय राज बिंद भी घायल हो गया। दूल्हे के चीखने चिल्लाने से मौके पर हड़कंप मच गया। आनन फानन में दूल्हे को अस्पताल ले जाया गया, जहां उसका इलाज किया जा रहा है।

मौके पर पहुंची पुलिस युवती को थाने ले गई और दूल्हे को जिला अस्पताल भेज दिया। थानाध्यक्ष अखिलेश चंद्र पांडेय ने कहा कि तहरीर मिलने पर कार्रवाई की जाएगी।

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कौन थे ‘शेर-ए-पूर्वांचल’ जिन्हें आज उनकी पुण्यतिथि पर बलिया के लोग कर रहे याद !

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‘शेर-ए-पूर्वांचल’ के नाम से मश्हूर दिग्गज कांग्रेस नेता बच्चा पाठक की आज 7 वी पुण्यतिथि हैं. उनकी पुण्यतिथि पर जिले के सभी पक्ष-विपक्ष समेत तमाम बड़े नेताओं और इलाके के लोग नम आंखों से उन्हें श्रद्धांजलि दे रहे हैं.  1977 में जनता पार्टी की लहर के बावजूद बच्चा पाठक ने जीत दर्ज की जिसके बाद से ही वो ‘शेर-ए-बलिया’ के नाम से जाने जाने लगे. प्रदेश सरकार के पूर्व मंत्री बच्चा पाठक लगभग 50 सालों तक पूर्वांचल की राजनीति के केन्द्र में रहे.
रेवती ब्लाक के खानपुर गांव के रहने वाले बच्चा पाठक ने राजनीति की शुरूआत डुमरिया न्याय पंचायत के संरपच के रूप में साल 1956 में की. 1962 में वे रेवती के ब्लाक प्रमुख चुने गये और 1967 में बच्चा पाठक ने बांसडीह विधानसभा से पहली बार विधायक का चुनाव लड़ा लेकिन उन्हें बैजनाथ सिंह से हार का सामना करना पड़ा. दो साल बाद 1969 में फिर चुनाव हुआ और कांग्रेस प्रत्याशी के रूप में बच्चा पाठक ने विजय बहादुर सिंह को हराकर विधानसभा का रुख़ किया. यहां से बच्चा पाठक ने जो राजनीतिक जीवन की शुरुआत की तो फिर कभी पलटकर नहीं देखा.
बच्चा पाठक की राजनीतिक पैठ 1974 के बाद बनी जब उन्होंने जिले के कद्दावर नेता ठाकुर शिवमंगल सिंह को शिकस्त दी. यही नहीं जब 1977 में कांग्रेस के खिलाफ पूरे देश में लहर थी तब भी बच्चा पाठक ने पूरे पूर्वांचल में एकमात्र अपनी सीट जीतकर सबको अपनी लोकप्रियता का लोहा मनवा दिया था. तब उन्हें ‘शेर-ए-पूर्वांचल का खिताब उनके चाहने वालों ने दे दिया.  1980 में बच्चा पाठक चुनाव जीतने के बाद पहली बार मंत्री बने. कुछ दिनों तक पीडब्लूडी मंत्री और फिर सहकारिता मंत्री बनाये गये.
बच्चा पाठक ने राजनीतिक जीवन में हार का सामना भी किया लेकिन उन्होंने कभी जनता से मुंह नहीं मोड़ा. वो सबके दुख सुख में हमेशा शामिल रहे. क्षेत्र के विकास कार्यों के प्रति हमेशा समर्पित रहने वाले बच्चा पाठक  कार्यकर्ताओं या कमजोरों के उत्पीड़न पर अपने बागी तेवर के लिए मशहूर थे. इलाके में उनकी लोकप्रियता और पैठ का अंदाज़ा इसी बात से लगाया जा सकता है कि वे सात बार बांसडीह विधानसभा से विधायक व दो बार प्रदेश सरकार में मंत्री बने. साल 1985 व 1989 में चुनाव हारने के बावजूद उन्होंने अपना राजनीतिक कार्य जारी रखा. जिसके बाद वो  1991, 1993, 1996 में फिर विधायक चुनकर आये. 1996 में वे पर्यावरण व वैकल्पिक उर्जा मंत्री बनाये गये.
राजनीति के साथ बच्चा पाठक शिक्षा के क्षेत्र में सक्रिय रहे. इलाके की शिक्षा व्यवस्था सुधारने के लिए बच्चा पाठक ने लगातार कोशिश की. उन्होंने कई विद्यालयों की स्थापना के साथ ही उनके प्रबंधक रहकर काम भी किया.
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