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बलिया के सुभाष 13 साल तक रहे कटरीना के मेकअपमैन, जानिए कैसे बने इंडस्ट्री के चहेते आर्टिस्ट

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छोटी उम्र में पिता को खोया, छोटी उम्र में काम करना शुरु किया, राह में कई मुसीबतें आई लेकिन हार नहीं मानी और अपनी लगन व मेहनत के दम पर बन गए इंडस्ट्री के दिग्गज मेकअपमैन। ये कहानी बलिया के किररिरापुर ब्लॉक के गांव उधरन के रहने वाले सुभाष सिंह की है। जिन्होंने साबित कर दिखाया कि अगर जज्बा हो तो हर मुकाम हासिल किया जा सकता है।

बलिया के रहने वाले सुभाष की कहानी संघर्षों के धागे से बुनी है। जब चार साल के थे, तो पिता की मौत हो गई। पूरी परिवार बिखर गया लेकिन मां ने हिम्मत नहीं हारी। गांव में जमीन थी, लेकिन पिता के भाईयों ने सुभाष व उसके परिवार को इतना परेशान किया, कि सभी जमीन बेचकर गांव से चले गए।

सुभाष बताते हैं कि बलिया से हम मुंबई आ गए। बांद्रा के भारत नगर में रहने लगे। पिता की मौत के बाद परिवार की आर्थिक स्थिति खराब होती चली गई तो सुभाष ने पढ़ाई के साथ दूसरों के घरों में जाकर कपड़े और बर्तन साफ करने का शुरु कर दिया। शआम को वह बांद्रा के लिंकिग रोड पर जूते चप्पल की दुकान पर काम करता था। इसी बीच सुभाष की बहन चंदा ने दिलीप कुमार और सायरा बोने के पर्सन असिस्टेंट कम ड्राइवर अहमद से शादी कर ली।

सुभाष बताते हैं कि लिंकिंग रोड से अभिनेता दिलीप कुमार का पाली हिल बंगला नजदीक था तो मैं कभी कभी वहां खाना खाने चला जाया करता था। बड़े आदमियों का बड़प्पन कैसा होता है, ये मैंने पहली बार दिलीप कुमार में ही देखा।’ अहमद भाई का साला होने के चलते दिलीप साहब सुभाष को दुलार करते, सुभाष भी स्कूल न जाकर दिलीप साब के बंगले में जाते तो कभी उनकी गाड़ी में बैठकर शूटिंग देखने चले जाते।इसी बीच सुभाष के साथ ऐसा कुछ हुआ, कि उन्होंने अपने जीवन का लक्ष्य तय कर लिया। बात है फिल्म कर्मा की शूटिंग की। जब दिलीप साहब ने सुभाष को पंढरी कहकर बुलाया। सुभाष को जब अंदाजा हुआ कि ये नाम इंडस्ट्री के सबसे दिग्गज मेकअपमैन का है तो बस उन्होंने इस नाम को ही सार्थक करने का मन बना लिया। लेकिन मां ने इसका विरोध किया। दीदी के समझाने पर मां मान गई। फिर सुभाष ने 5400 रुपए उधार लेकर मेकअप आर्टिस्ट का यूनियन कार्ड बनवाया और अगले दिन ही उन्हें काम मिल गया। वह लखनऊ गए, जहां फिल्म शूटिंग से उन्हें 50 दिन के 2 हजार मिले।

लखनऊ से लौटने के बाद सुभाष को पंढरी दादा के सहायक के रूप में धारावाहिक ‘चुनौती’ में काम करने का मौका मिला। पंढरी दादा ऐसे मेकअप आर्टिस्ट रहे जिन्होंने अपनी कला किसी को कभी नहीं सिखाई। सुभाष ने उनका ‘एकलव्य’ बनने की ठान ली। घर पर मम्मी और दीदी का मेकअप करना शुरू किया। सुभाष बताते हैं कि मेरे दिमाग में हमेशा पंढरी दादा का काम रहता। पूरी अलमारी पर मैंने श्रीदेवी और रेखा की फोटो में से उनके होंठ और आंखें काटकर चिपका ली। बस उन्हीं को देख देखकर मैं मेकअप सीख गया।

सुभाष को सबसे पहले उपासना सिंह के पर्सनल मेकअप मैन का काम मिला। फिर डिंपल कपाड़िया ने उन्हें 40 हजार महीने के वेतन पर अपने पास रख लिया। इस दौरान उन्होंने ट्विंकल, रिंकी और सनी देओल का भी मेकअप किया। इसके बाद निर्देशक राव कंवर ने उन्हें अपनी फिल्म में आने वाली हर हिरोइन के मेकअप करने का काम दे दिया। वहीं से सुभाष ने जूही चावला, प्रियंका चोपड़ा, लारा दत्ता, दिया मिर्जा, जैकलीन फर्नाडिस जैसी एक्ट्रेस के मेकअप किए।

बाद में वह 13 साल तक कैटरीना कैफ के पर्सनल मेकअप आर्टिस्ट के तौर पर काम किया। सुभाष अपने संघर्ष भरे दिन को याद करते हुए कहते हैं कि पहले मुझे 50 दिन के 2 हजार मिलते थे, लेकिन आखिर तक मैंने 12 से 15 लाख महीने कमाना शुरु कर दिया। सुभाष ने अब मेकअप आर्टिस्ट के काम से रिटायरमेंट ले लिया है। वह अब फिल्में बना रहे हैं। उन्होंने एक पंजाबी फिल्म ‘इक जिंद इक जान’ बतौर सह निर्माता बनाई। फिर जूही चावला और शबाना आजमी की फिल्म ‘चॉक एन डस्टर’ में भी सह निर्माता रहे। अब वह बतौर निर्माता मेरी तीन फिल्मों ‘एलिस इन तालिबान’, ‘ट्रेन यूक्रेन’ और ‘मवान’ पर काम कर रहे हैं।

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बलिया में भयंकर सड़क हादसा, 4 की मौत 1 गंभीर रूप से घायल

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बलिया में भयंकर सड़क हादसा सामने आया है जहां 4 लोगों की मौत की खबरें सामने आ रही है। वहीं एक गंभीर रूप से घायल बताया जा रहा है। जानकारी के मुताबिक ये हादसा फेफना थाना क्षेत्र के राजू ढाबा के पास बुधवार की रात करीब 10:30 बजे हुआ। खबर के मुताबिक असंतुलित होकर बलिया से चितबड़ागांव की ओर जा रही सफारी कार पलट गई। जिसमें चार लोगों की मौत हो गई। जबकि एक गंभीर रूप से घायल हो गया।

सूचना मिलने पर पर पहुंची पुलिस ने चारों शव को कब्जे में लेकर पोस्टमार्टम के लिए जिला अस्पताल भेज दिया। जबकि गंभीर रूप से घायल को ट्रामा सेंटर में भर्ती कराया। मृतकों की शिनाख्त क्रमशः रितेश गोंड 32 वर्ष निवासी तीखा थाना फेफना, सत्येंद्र यादव 40 वर्ष निवासी जिला गाज़ीपुर, कमलेश यादव 36 वर्ष  थाना चितबड़ागांव, राजू यादव 30 वर्ष थाना चितबड़ागांव बलिया के रूप में की गई। जबकि घायल छोटू यादव 32 वर्ष निवासी बढ़वलिया थाना चितबड़ागांव जनपद बलिया का इलाज जिला अस्पताल स्थित ट्रामा सेंटर में चल रहा है।

बताया जा रहा है कि सफारी  में सवार होकर पांचो लोग बलिया से चितबड़ागांव की ओर जा रहे थे, जैसे ही पिकअप राजू ढाबे के पास पहुँचा कि सड़क हादसा हो गया।

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बलिया में दूल्हे पर एसिड अटैक, पूर्व प्रेमिका ने दिया वारदात को अंजाम

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बलिया के बांसडीह थाना क्षेत्र में एक हैरान कर देने वाले घटना सामने आई हैं। यहां शादी की रस्मों के दौरान एक युवती ने दूल्हे पर तेजाब फेंक दिया, इससे दूल्हा गंभीर रूप से झुलस गया। मौके पर मौजूद महिलाओं ने युवती को पकड़ कर पुलिस के हवाले कर दिया। फिलहाल पुलिस बारीकी से पूरे मामले की जांच कर रही है।

बताया जा रहा है की घटना को अंजाम देने वाली युवती दूल्हे की पूर्व प्रेमिका है। उसका थाना क्षेत्र के गांव डुमरी निवासी राकेश बिंद के साथ बीते कई वर्ष से प्रेम प्रसंग चल रहा था। युवती ने युवक से शादी करने का कई बार दबाव बनाया, लेकिन युवक ने शादी करने से इन्कार कर दिया। इस मामले में कई बार थाना और गांव में पंचायत भी हुई, लेकिन मामला सुलझा नहीं।

इसी बीच राकेश की शादी कहीं ओर तय हो गई। मंगलवार की शाम राकेश की बारात बेल्थरारोड क्षेत्र के एक गांव में जा रही थी। महिलाएं मंगल गीत गाते हुए दूल्हे के साथ परिछावन करने के लिए गांव के शिव मंदिर पर पहुंचीं। तभी घूंघट में एक युवती पहुंची और दूल्हे पर तेजाब फेंक दिया। इस घटना से दूल्हे के पास में खड़ा 14 वर्षीय राज बिंद भी घायल हो गया। दूल्हे के चीखने चिल्लाने से मौके पर हड़कंप मच गया। आनन फानन में दूल्हे को अस्पताल ले जाया गया, जहां उसका इलाज किया जा रहा है।

मौके पर पहुंची पुलिस युवती को थाने ले गई और दूल्हे को जिला अस्पताल भेज दिया। थानाध्यक्ष अखिलेश चंद्र पांडेय ने कहा कि तहरीर मिलने पर कार्रवाई की जाएगी।

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कौन थे ‘शेर-ए-पूर्वांचल’ जिन्हें आज उनकी पुण्यतिथि पर बलिया के लोग कर रहे याद !

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‘शेर-ए-पूर्वांचल’ के नाम से मश्हूर दिग्गज कांग्रेस नेता बच्चा पाठक की आज 7 वी पुण्यतिथि हैं. उनकी पुण्यतिथि पर जिले के सभी पक्ष-विपक्ष समेत तमाम बड़े नेताओं और इलाके के लोग नम आंखों से उन्हें श्रद्धांजलि दे रहे हैं.  1977 में जनता पार्टी की लहर के बावजूद बच्चा पाठक ने जीत दर्ज की जिसके बाद से ही वो ‘शेर-ए-बलिया’ के नाम से जाने जाने लगे. प्रदेश सरकार के पूर्व मंत्री बच्चा पाठक लगभग 50 सालों तक पूर्वांचल की राजनीति के केन्द्र में रहे.
रेवती ब्लाक के खानपुर गांव के रहने वाले बच्चा पाठक ने राजनीति की शुरूआत डुमरिया न्याय पंचायत के संरपच के रूप में साल 1956 में की. 1962 में वे रेवती के ब्लाक प्रमुख चुने गये और 1967 में बच्चा पाठक ने बांसडीह विधानसभा से पहली बार विधायक का चुनाव लड़ा लेकिन उन्हें बैजनाथ सिंह से हार का सामना करना पड़ा. दो साल बाद 1969 में फिर चुनाव हुआ और कांग्रेस प्रत्याशी के रूप में बच्चा पाठक ने विजय बहादुर सिंह को हराकर विधानसभा का रुख़ किया. यहां से बच्चा पाठक ने जो राजनीतिक जीवन की शुरुआत की तो फिर कभी पलटकर नहीं देखा.
बच्चा पाठक की राजनीतिक पैठ 1974 के बाद बनी जब उन्होंने जिले के कद्दावर नेता ठाकुर शिवमंगल सिंह को शिकस्त दी. यही नहीं जब 1977 में कांग्रेस के खिलाफ पूरे देश में लहर थी तब भी बच्चा पाठक ने पूरे पूर्वांचल में एकमात्र अपनी सीट जीतकर सबको अपनी लोकप्रियता का लोहा मनवा दिया था. तब उन्हें ‘शेर-ए-पूर्वांचल का खिताब उनके चाहने वालों ने दे दिया.  1980 में बच्चा पाठक चुनाव जीतने के बाद पहली बार मंत्री बने. कुछ दिनों तक पीडब्लूडी मंत्री और फिर सहकारिता मंत्री बनाये गये.
बच्चा पाठक ने राजनीतिक जीवन में हार का सामना भी किया लेकिन उन्होंने कभी जनता से मुंह नहीं मोड़ा. वो सबके दुख सुख में हमेशा शामिल रहे. क्षेत्र के विकास कार्यों के प्रति हमेशा समर्पित रहने वाले बच्चा पाठक  कार्यकर्ताओं या कमजोरों के उत्पीड़न पर अपने बागी तेवर के लिए मशहूर थे. इलाके में उनकी लोकप्रियता और पैठ का अंदाज़ा इसी बात से लगाया जा सकता है कि वे सात बार बांसडीह विधानसभा से विधायक व दो बार प्रदेश सरकार में मंत्री बने. साल 1985 व 1989 में चुनाव हारने के बावजूद उन्होंने अपना राजनीतिक कार्य जारी रखा. जिसके बाद वो  1991, 1993, 1996 में फिर विधायक चुनकर आये. 1996 में वे पर्यावरण व वैकल्पिक उर्जा मंत्री बनाये गये.
राजनीति के साथ बच्चा पाठक शिक्षा के क्षेत्र में सक्रिय रहे. इलाके की शिक्षा व्यवस्था सुधारने के लिए बच्चा पाठक ने लगातार कोशिश की. उन्होंने कई विद्यालयों की स्थापना के साथ ही उनके प्रबंधक रहकर काम भी किया.
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