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15 साल की सरकारी नौकरी के बाद कैसे बदल गई श्याम बाबू की जाति?

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बलिया डेस्क : बलिया ज़िले का एक ऐसा शख़्स जो जिसने अपनी ज़िन्दगी के 15 साल यूपी पुलिस में गुज़ार दिये.. उसने जी जान से मेहनत की पीसीएस की परीक्षा पास की और बन गया डिप्टी कलेक्टर बन गया, लेकिन अर्श से फर्श पर परचम लहराने वाले उस शख़्स को एसडीएम की कुर्सी गंवानी पड़ी. वजह बनी उसकी जाति.

क्या है मामला- बलिया के बैरिया इलाके इब्राहिमाबाद उपरवार के रहने वाले श्याम बाबू  का जिन्होंने 15 साल पुलिस में सर्विस की और फिर अपनी मेहनत और लगन से एसडीएम बन गए लेकिन 2019 के एसडीएम श्याम बाबू को 2020 में अयोग्य ठहरा दिया गया वो भी सिर्फ उनकी जाति की वजह से.. आप सोचेंगे की उनकी जाति पर ऐसा कौन सा सवाल खड़ा हो गया कि श्याम बाबू को अपनी कुर्सी ही गंवानी पड़ी?

सरकारी पक्ष – अमर उजाला की रिपोर्ट की मुताबिक श्याम बाबू ने अनुसूचित जनजाति का प्रमाण पत्र के आधार पर गोंड नायक जाति होने का दावा किया था. लेकिन बाद में जांच में पाया गया कि उनका जाति प्रमाण पत्र फेक है. लेकिन अमर उजाला की ख़बर को बारिकी देखा जाए ये बात खुलकर सामने आती है कि श्याम बाबू का जाति प्रमाण पत्र असली है लेकिन उस प्रमाण पत्र को जिन दस्तावेज़ात के आधार पर जारी किया गया था उन सपोर्टिंग दस्तावेज पर विवाद के चलते उस प्रमाण पत्र को गलत ठहराया गया.

चूंकि जिस डाक्यूमेंट का कोई रिकार्ड नहीं होता उसे फर्जी माना जाता है लेकिन श्याम बाबू के मामले जाति प्रमाण पत्र का रिकार्ड मौजूद है क्यों कि जिन अधिकारियों ने इसे जारी किया है मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक उन अधिकारियों के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई की बात भी कही जा रही है. यानी तकनिकी लिहाज से श्याम बाबू के जाति प्रमाण पत्र को फर्जी नहीं कहा जा सकता है. ऐसा हम सिर्फ मीडिया में छपी ख़बरों के एनालिसिस के आधार पर कह रहे हैं.

अमर उजाला और हिन्दुस्तान में भी इसी ख़बर को छापा है. दोनों की वेबसाईट पर छपि ख़बर में बैरिया के तहसीलदार का ज़िक्र किया गया है. जिसमें ये बताया गया है कि बांसडीह के तहसीलदार ने अपनी आख्या में श्याम बाबू को शेड्यूल ट्राइब नहीं माना है. यह भी बताया कि उच्च न्यायालय में दायर याचिका के जवाब में बलिया के डीएम व बांसडीह तहसीलदार की ओर से पत्र दाखिल करके बताया गया है कि बलिया में ये जनजाति नहीं पाई जाती है.

ख़बर में आगे ये भी बताया गया है कि, बलिया के डीएम के निर्देश पर बैरिया के तहसीलदार ने श्याम बाबू की ओर से पेश किए गए गोंड जाति के अनुसूचित जनजाति प्रमाणपत्र की जांच की फर्जी पाया गया. इस मामले में तहसीलदार ने श्याम बाबू को नोटिस भेजकर जवाब भी मांगा था जिसपर श्याम बाबू ने जवाब दिया था कि उनके पूर्वजों के पास जमीन नहीं थी. इसलिए उन्होंने अपने गोन्हियाछपरा निवासी परमानंद शाह की 1359 फसली की खतौनी लगा दी.

तहसीलदार की ओर से डीएम को दी गई जांच रिपोर्ट में कहा गया कि उच्च न्यायालय एवं उच्चतम न्यायालय द्वारा कई मामलों में यह विधि व्यवस्था प्रतिपादित की गई है कि किसी व्यक्ति की जाति का निर्धारण उसके पिता से होता है, रिश्तेदारों की जाति से नहीं. इसके अलावा श्याम बाबू ने अपनी जाति गोंड के संबंध में जो प्रमाणपत्र प्रस्तुत किए हैं, वे शासनादेश के आधारों को पूर्ण नहीं करते हैं. ऐसे में जाति प्रमाणपत्र शासनादेश के अनुसार वैध नहीं है.

क्या कहते हैं श्याम बाबू–  जिस व्यक्ति को लेकर ये सारा विवाद खड़ा हो गया उस शख्स यानि श्याम बाबू का इस मामले में क्या कहना ज़रा गौर करें. श्याम बाबू कहते हैं, 15 साल इसी वर्ग में पुलिस की नौकरी करने के बाद मेरी जाति कैसे बदल सकती है. जाति व्यवसाय को देखकर निर्धारित नही की जा सकती. जाति अभिलेख से निर्धारित की जाती है.

श्याम बाबू आगे कहते हैं, साल 2016 की पीसीएस परीक्षा का रिजल्ट 2019 में आया और मुझे उपजिलाधिकारी के रूप में चयनित किया गया। तत्कालीन जिलाधिकारी के द्वारा जांच कराकर तैनाती भी मिली। कुछ लोगों को मेरी कामयाबी रास नही आई और मेरी जाति को लेकर प्रश्न खड़ा किया जाने लगा। तत्कालीन तहसीलदार ने मेरे परिवार के काम के आधार पर रिपोर्ट लगा दिया कि ये अनुसूचित जाति से संबंध नहीं रखते।

उन्होंने बताया कि तत्कालीन जिलाधिकारी ने पांच सदस्यीय टीम गठित कर जांच कराई जो मेरे पक्ष में रही। इसके बाद भी विपक्षी नहीं माने और महाराजगंज जिले के विजय बहादुर के नाम व्यक्ति से कमिश्नरी में मुकदमा दर्ज कराया गया। कमिश्नरी में बिना मुझे सुने और मेरे अभिलेखों का संज्ञान लिए मेरी जाति बदल दी गई और मुझे नौकरी छोड़नी पड़ी। मैंने इसके लिए राज्य स्क्रूटनी कमेटी में अपील की है। नियुक्ति विभाग में सूचना दी गई है और उच्च न्यायालय में मुकदमा दायर किया है। मुझे विश्वास है कि कोर्ट से मेरे पक्ष में ही आदेश आएगा।

बलिया ख़बर ने भी श्याम बाबू से बातचीत करने का प्रयास किया और सवाल किया कि, आप अपनी जाति गोंड होने का दावा कर रहे हैं. बलिया में कोई भी जनजाति निवास नहीं करती है. जैसा कि बैरिया के तहसीलदार ने अपनी रिपोर्ट में कहा है, इस पर श्याम बाबू ने बलिया पंचायत चुनाव 2015 में अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित पद का हवाला दिया जिसमें अधिकतर पद पर गोंड (अनुसूचित जनजाति) का व्यक्ति निर्वाचित है।

जिला पंचायत सदस्य 02, ब्लाक प्रमुख 01, क्षेत्र पंचायत सदस्य 50, ग्राम प्रधान 53, इसके साथ ही श्याम बाबू ने पंचायत चुनाव का भी ज़िक्र करते हुए एक लिस्ट जारी की. श्याम बाबू ने ये भी कहा कि मामला न्यायालय में विचाराधीन है और उन्हें न्याय की पूरी उम्मीद है.

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सलेमपुर लोकसभा: बसपा का वॉकओवर, सपा की मुश्किलें!

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लोकसभा चुनाव चुनाव के लिए रवींद्र कुशवाहा को इस बार भी बीजेपी ने सलेमपुर सीट से टिकट दिया है. सपा ने यहां रमांशकर राजभर को मैदान में उतारा है. लेकिन इस सीट की लड़ाई दिलचस्प तब हो गई जब मायावती की बसपा ने भीम राजभर को ताल ठोकने भेज दिया.

सलेमपुर लोकसभा सीट पर क्या है समीकरण? बीजेपी प्रत्याशी के खिलाफ नाराजगी का कितना असर है? बसपा की ओर से भीम राजभर को टिकट दिए जाने के बाद क्या सपा के लिए ये लड़ाई मुश्किल हो गई है? और क्या बसपा ने बीजेपी को वॉक ओवर दे दिया है?

बसपा का वॉकओवर, सपा की मुश्किलें!

मायावती ने बसपा के पूर्व यूपी अध्यक्ष भीम राजभर को आजमगढ़ से टिकट दिया था. लेकिन फिर उनकी सीट बदल दी गई. अब भीम राजभर को सलेमपुर से चुनाव लड़ने के लिए भेजा गया है. सपा ने यहां से रमाशंकर राजभर को टिकट दिया है. ऐसे में ज़ाहिर है कि सपा की ओर जा सकने वाला राजभर वोट भीम राजभर की एंट्री से बंट जाएगा.

ओपी राजभर की पार्टी सुभासपा और बीजेपी का गठबंधन है. ऐसे में आजमगढ़ में बसपा का राजभर उम्मीदवार इस वर्ग के वोट के बंटवारे की वजह बनता. ऐसे में चर्चा है कि मायावती ने आजमगढ़ से अपने राजभर प्रत्याशी को कहीं और शिफ्ट करने का प्लान तैयार किया. ऐसे में सलेमपुर सीट सबसे मुफीद साबित हुई क्योंकि यहां सपा के उम्मीदवार रमाशंकर राजभर इसी समाज से आते हैं.

बीजेपी प्रत्याशी के खिलाफ गुस्सा!

2014 में बीजेपी पहली बार सलेमपुर सीट से चुनाव जीत पाई थी. तब पार्टी के उम्मीदवार रवींद्र कुशवाहा थे. कुशवाहा को पार्टी ने फिर 2019 में जीत दोहराने की उम्मीद से मैदान में उतारा और उन्होंने प्रदर्शन दोहरा भी दिया. अब 2024 में पार्टी ने इस सीट पर हैट्रिक लगाने के लिए अपने सीटिंग सांसद को मौका दिया है. लेकिन इस बार पेंच फंस गया है. क्षेत्र की जनता में रवींद्र कुशवाहा के खिलाफ नाराज़गी है. आरोप लगता है कि कुशवाहा कभी अपने क्षेत्र की जनता का हाल जानने नहीं पहुंचते हैं. कोविड जैसे क्रूर दौर में भी उन्होंने लोगों को अपने हाल पर छोड़ दिया. पिछले महीने ही बलिया के गांव भीमपु में सांसद रवींद्र कुशवाहा जनता-जनार्दन का हाल जानने पहुंचे. लेकिन हाथों में पोस्टर लिए गांव के लोगों ने गाड़ी रोक दी. और नारेबाज़ी की, “योगी-मोदी से बैर नहीं, रवींद्र तुम्हारी ख़ैर नहीं!”

सलेमपुर सीट का मूड:

सलेमपुर लोकसभा सीट के तहत कुल पांच विधानसभा सीटें हैं. इनमें देवरिया जिले की दो- भाटपार रानी और सलेमपुर विधानसभा सीटें हैं. जबकि बलिया में पड़ती हैं 3 विधानसभा सीटें- बेल्थरा रोड, सिकंदरपुर और बांसडीह. 2022 के यूपी विधानसभा चुनाव में सलेमपुर (सुरक्षित) विधानसभा सीट से बीजेपी की विजयलक्ष्मी गौतम, भाटपार रानी से बीजेपी के सभा कुंवर कुशवाहा और बलिया जिले की बांसडीह विधानसभा सीट पर बीजेपी की केतकी सिंह, बेल्थरा रोड (सुरक्षित) सीट से सुभासपा के हंसूराम और सिकंदरपुर से सपा के जियाउद्दीन रिजवी विधायक बने. विधानसभावार तरीके से देखें तो तीन सीटें बीजेपी के पास, एक उसकी साथी पार्टी के पास और एक सपा के पास है.

करीब 17 लाख वोटर्स वाले सलेमपुर सीट की जातिगत समीकरणों की बात करें तो एक अनुमान के मुताबिक पिछड़ी जाति खासकर कुर्मी जाति (कुशवाहा) के मतदाताओं की संख्या अधिक है. करीब 15 फीसदी ब्राह्मण, 18 फीसदी कुर्मी, मौर्य, कुशवाहा, 14 फीसदी राजभर, 15 फीसदी अनुसूचित जाति, 4 फीसदी क्षत्रिय, 13 फीसदी अल्पसंख्यक जाति के मतदाता है. जबकि लगभग 4 फीसदी वैश्य, 2 फीसदी यादव, 2 फीसदी कायस्थ, 2 फीसदी सैंथवार और 4 फीसदी निषाद और बाकी अन्य जाति के वोटर्स हैं.

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बलिया में भयंकर सड़क हादसा, 4 की मौत 1 गंभीर रूप से घायल

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बलिया में भयंकर सड़क हादसा सामने आया है जहां 4 लोगों की मौत की खबरें सामने आ रही है। वहीं एक गंभीर रूप से घायल बताया जा रहा है। जानकारी के मुताबिक ये हादसा फेफना थाना क्षेत्र के राजू ढाबा के पास बुधवार की रात करीब 10:30 बजे हुआ। खबर के मुताबिक असंतुलित होकर बलिया से चितबड़ागांव की ओर जा रही सफारी कार पलट गई। जिसमें चार लोगों की मौत हो गई। जबकि एक गंभीर रूप से घायल हो गया।

सूचना मिलने पर पर पहुंची पुलिस ने चारों शव को कब्जे में लेकर पोस्टमार्टम के लिए जिला अस्पताल भेज दिया। जबकि गंभीर रूप से घायल को ट्रामा सेंटर में भर्ती कराया। मृतकों की शिनाख्त क्रमशः रितेश गोंड 32 वर्ष निवासी तीखा थाना फेफना, सत्येंद्र यादव 40 वर्ष निवासी जिला गाज़ीपुर, कमलेश यादव 36 वर्ष  थाना चितबड़ागांव, राजू यादव 30 वर्ष थाना चितबड़ागांव बलिया के रूप में की गई। जबकि घायल छोटू यादव 32 वर्ष निवासी बढ़वलिया थाना चितबड़ागांव जनपद बलिया का इलाज जिला अस्पताल स्थित ट्रामा सेंटर में चल रहा है।

बताया जा रहा है कि सफारी  में सवार होकर पांचो लोग बलिया से चितबड़ागांव की ओर जा रहे थे, जैसे ही पिकअप राजू ढाबे के पास पहुँचा कि सड़क हादसा हो गया।

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बलिया में दूल्हे पर एसिड अटैक, पूर्व प्रेमिका ने दिया वारदात को अंजाम

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बलिया के बांसडीह थाना क्षेत्र में एक हैरान कर देने वाले घटना सामने आई हैं। यहां शादी की रस्मों के दौरान एक युवती ने दूल्हे पर तेजाब फेंक दिया, इससे दूल्हा गंभीर रूप से झुलस गया। मौके पर मौजूद महिलाओं ने युवती को पकड़ कर पुलिस के हवाले कर दिया। फिलहाल पुलिस बारीकी से पूरे मामले की जांच कर रही है।

बताया जा रहा है की घटना को अंजाम देने वाली युवती दूल्हे की पूर्व प्रेमिका है। उसका थाना क्षेत्र के गांव डुमरी निवासी राकेश बिंद के साथ बीते कई वर्ष से प्रेम प्रसंग चल रहा था। युवती ने युवक से शादी करने का कई बार दबाव बनाया, लेकिन युवक ने शादी करने से इन्कार कर दिया। इस मामले में कई बार थाना और गांव में पंचायत भी हुई, लेकिन मामला सुलझा नहीं।

इसी बीच राकेश की शादी कहीं ओर तय हो गई। मंगलवार की शाम राकेश की बारात बेल्थरारोड क्षेत्र के एक गांव में जा रही थी। महिलाएं मंगल गीत गाते हुए दूल्हे के साथ परिछावन करने के लिए गांव के शिव मंदिर पर पहुंचीं। तभी घूंघट में एक युवती पहुंची और दूल्हे पर तेजाब फेंक दिया। इस घटना से दूल्हे के पास में खड़ा 14 वर्षीय राज बिंद भी घायल हो गया। दूल्हे के चीखने चिल्लाने से मौके पर हड़कंप मच गया। आनन फानन में दूल्हे को अस्पताल ले जाया गया, जहां उसका इलाज किया जा रहा है।

मौके पर पहुंची पुलिस युवती को थाने ले गई और दूल्हे को जिला अस्पताल भेज दिया। थानाध्यक्ष अखिलेश चंद्र पांडेय ने कहा कि तहरीर मिलने पर कार्रवाई की जाएगी।

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