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‘आजादी का अमृत महोत्सव’ का विशेष आयोजन, डीएम, बोलीं- बलिया के लिए गर्व की बात

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बलिया डेस्क : आजादी की 75वीं वर्षगांठ के मौके पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज ‘आजादी का अमृत महोत्सव’ कार्यक्रम का शुभारंभ किया। स्वतंत्रता संग्राम से जुड़े प्रदेश के 4 स्थानों लखनऊ के काकोरी शहीद स्मारक, मेरठ के स्वतंत्रता संग्राम संग्रहालय, बलिया के शहीद स्मारक तथा झांसी के किले में आजादी के स्मरणोत्सव के रूप में अमृत महोत्सव का विशेष आयोजन किया गया। बलिया में इस अवसर पर विविध कार्यक्रम हुए, जिसमें आजादी की वीरगाथा पर आधारित समारोह व देशभक्ति सांस्कृतिक कार्यक्रम शामिल रहा।

कलेक्ट्रेट परिसर स्थिति बहुउद्देश्यीय सभागार में आयोजित समारोह का शुभारंभ बतौर मुख्य अतिथि कृषि मंत्री सूर्य प्रताप शाही, विशिष्ट अतिथि राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) उपेंद्र तिवारी व आनंद स्वरूप शुक्ल ने किया।

समारोह को सम्बोधित करते हुए कृषि मंत्री श्री शाही ने सबसे पहले क्रांति की शुरुआत करने वाले महापुरुषों की धरती बलिया को प्रणाम किया। कहा, आज उन महापुरुषों की वजह से हम सब आजाद हैं। उन्होंने कहा कि इस महोत्सव के लिए देश के चंद जिलों में बलिया का चुना जाना अपने आप में गौरव की बात है। प्रथम स्वतंत्रता संग्राम 1857 का आगाज़ बलिया के अमर शहीद मंगल पांडे ने किया था। उसके बाद लगातार आजादी की लहर बलिया में चलती रही।

नतीजन 1942 में ही बलिया को सबसे पहले आजादी मिली। महात्मा गांधी के ‘करो या मरो’ आंदोलन में भी बलिया की अहम भूमिका रही। उन्होंने बलिया के आज़ाद होने के तमाम किस्से सुनाते हुए उसमें अपना अहम योगदान देने वाले और शहीद होने वाले महापुरुषों के प्रति श्रद्धाजंलि दी। श्री शाही ने बताया कि 12 मार्च 1930 को गांधी जी की दांडी यात्रा की सविनय अवज्ञा आंदोलन के रूप में पहला आंदोलन था। आज उसकी 91वीं वर्षगांठ पर अमृत महोत्सव की शुरुआत हुई है। उन्होंने जिला प्रशासन से आवाह्न किया कि कि इस महोत्सव के अन्तर्गत समय-समय पर कविता पाठ, निबन्ध लेखन, कला आदि जैसी प्रतियोगिता कराई जाती रहे, ताकि सभी लोग जान सकें कि आजादी कितनी संघर्ष के बाद मिली है।

बलिया का रहा है अपना इतिहास

राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) उपेंद्र तिवारी ने कहा कि देश में सबसे पहले आजाद होने का गौरव बलिया को मिला। बलिया के ही अमर शहीद मंगल पांडेय ने मेरठ से क्रांति की शुरुआत की। चित्तू पांडेय, लोकनायक जयप्रकाश नारायण, युवा तुर्क चंद्रशेखर, जनेश्वर मिश्र सहित तमाम महापुरुषों का नाम लेते हुए कहा कि बलिया का अपना इतिहास रहा है। यहां ‘आजादी का अमृत उत्सव’ बनाने के निर्णय पर केंद्र व प्रदेश सरकार के प्रति आभार जताया।

भारत को सशक्त बनाने का लें संकल्प

समारोह में राज्यमंत्री आनंद स्वरूप शुक्ल ने कहा कि आजादी के संघर्षों की याद दिलाने वाला यह क्षण अत्यंत ही गौरान्वित पल है। इस अवसर पर हम सब उसकी महत्ता को समझें और यह संकल्प लें कि दुनिया के हर क्षेत्र में भारत को सशक्त बनाने के लिए अपना बेहतर योगदान देने का प्रयास करेंगे। कार्यक्रम में बिरहा गायक रमेश राजभर व लोकगीत गायक हरिंदर सिंह ने देशभक्ति गीत की प्रस्तुति दी।

पीएम के सम्बोधन का हुआ लाइव, लघु फ़िल्म में दिखी आजादी की वीरगाथा

आजादी की 75 वीं वर्षगांठ पर आयोजित ‘आजादी का अमृत महोत्सव’ के अवसर पर कार्यक्रम स्थल के बाहर सूचना विभाग द्वारा एलईडी वैन तथा बहुउद्देश्यीय सभागार के अंदर एलईडी स्क्रीन के माध्यम से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी के लाइव सम्बोधन को सुनाया गया। इसके साथ-साथ ‘आजादी का अमृत महोत्सव’ लघु फिल्म सबको दिखाई गई। फिल्म में आजादी की लड़ाई के तमाम किस्से और महापुरुषों की वीरगाथाओं की झलकियां थी। साबरमती आश्रम अहमदाबाद में हो रहे देशभक्ति पर आधारित विभिन्न सांस्कृतिक कार्यक्रम का भी सीधा प्रसारण हुआ, जिसको देखने के प्रति लोग काफी उत्साहित दिखे। प्रधानमंत्री के संबोधन के दौरान बहुउद्देशीय सभागार में वन्देमातरम, भारत माता की जय और जय हिंद का उद्घोष लगातार होता रहा।

अपने इतिहास के बारे में जानें व सीख लें

जिलाधिकारी अदिति सिंह ने सभी अतिथियों के प्रति आभार जताते हुए कहा, प्रधानमंत्री जी ने जिस तरह हमारे स्वतंत्रता संग्राम की महत्वपूर्ण कड़ियों को बताया, उसे हमें भूलना नहीं चाहिए। बलिया के लिए गर्व की बात है कि ‘आजादी का अमृत महोत्सव’ के लिए चयनित किया गया। हमारा सौभाग्य है कि स्वतंत्र भारत मे पैदा हुए। यह सौभाग्य पूर्वजों को प्राप्त नहीं था। उन्होंने इसी आजादी के लिए खूब संघर्ष किया। अपने इतिहास के बारे में सबको जानने और उससे सीख लेने की जरूरत है।

जिलाधिकारी ने कहा कि बेहतर राष्ट्र के निर्माण और आने वाली पीढ़ी को बेहतर रास्ते पर ले जाने के लिए क्या बेहतर किया जा सकता है, इसके लिए संकल्पित होकर लगातार परिश्रम करना होगा। वही स्वतंत्रता आंदोलन के वीरों के प्रति सच्ची श्रद्धांजलि होगी। कार्यक्रम के सफल आयोजन पर उन्होंने डिप्टी कलेक्टर सीमा पांडेय व उनकी पूरी टीम की सराहना की।

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बलिया में भयंकर सड़क हादसा, 4 की मौत 1 गंभीर रूप से घायल

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बलिया में भयंकर सड़क हादसा सामने आया है जहां 4 लोगों की मौत की खबरें सामने आ रही है। वहीं एक गंभीर रूप से घायल बताया जा रहा है। जानकारी के मुताबिक ये हादसा फेफना थाना क्षेत्र के राजू ढाबा के पास बुधवार की रात करीब 10:30 बजे हुआ। खबर के मुताबिक असंतुलित होकर बलिया से चितबड़ागांव की ओर जा रही सफारी कार पलट गई। जिसमें चार लोगों की मौत हो गई। जबकि एक गंभीर रूप से घायल हो गया।

सूचना मिलने पर पर पहुंची पुलिस ने चारों शव को कब्जे में लेकर पोस्टमार्टम के लिए जिला अस्पताल भेज दिया। जबकि गंभीर रूप से घायल को ट्रामा सेंटर में भर्ती कराया। मृतकों की शिनाख्त क्रमशः रितेश गोंड 32 वर्ष निवासी तीखा थाना फेफना, सत्येंद्र यादव 40 वर्ष निवासी जिला गाज़ीपुर, कमलेश यादव 36 वर्ष  थाना चितबड़ागांव, राजू यादव 30 वर्ष थाना चितबड़ागांव बलिया के रूप में की गई। जबकि घायल छोटू यादव 32 वर्ष निवासी बढ़वलिया थाना चितबड़ागांव जनपद बलिया का इलाज जिला अस्पताल स्थित ट्रामा सेंटर में चल रहा है।

बताया जा रहा है कि सफारी  में सवार होकर पांचो लोग बलिया से चितबड़ागांव की ओर जा रहे थे, जैसे ही पिकअप राजू ढाबे के पास पहुँचा कि सड़क हादसा हो गया।

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बलिया में दूल्हे पर एसिड अटैक, पूर्व प्रेमिका ने दिया वारदात को अंजाम

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बलिया के बांसडीह थाना क्षेत्र में एक हैरान कर देने वाले घटना सामने आई हैं। यहां शादी की रस्मों के दौरान एक युवती ने दूल्हे पर तेजाब फेंक दिया, इससे दूल्हा गंभीर रूप से झुलस गया। मौके पर मौजूद महिलाओं ने युवती को पकड़ कर पुलिस के हवाले कर दिया। फिलहाल पुलिस बारीकी से पूरे मामले की जांच कर रही है।

बताया जा रहा है की घटना को अंजाम देने वाली युवती दूल्हे की पूर्व प्रेमिका है। उसका थाना क्षेत्र के गांव डुमरी निवासी राकेश बिंद के साथ बीते कई वर्ष से प्रेम प्रसंग चल रहा था। युवती ने युवक से शादी करने का कई बार दबाव बनाया, लेकिन युवक ने शादी करने से इन्कार कर दिया। इस मामले में कई बार थाना और गांव में पंचायत भी हुई, लेकिन मामला सुलझा नहीं।

इसी बीच राकेश की शादी कहीं ओर तय हो गई। मंगलवार की शाम राकेश की बारात बेल्थरारोड क्षेत्र के एक गांव में जा रही थी। महिलाएं मंगल गीत गाते हुए दूल्हे के साथ परिछावन करने के लिए गांव के शिव मंदिर पर पहुंचीं। तभी घूंघट में एक युवती पहुंची और दूल्हे पर तेजाब फेंक दिया। इस घटना से दूल्हे के पास में खड़ा 14 वर्षीय राज बिंद भी घायल हो गया। दूल्हे के चीखने चिल्लाने से मौके पर हड़कंप मच गया। आनन फानन में दूल्हे को अस्पताल ले जाया गया, जहां उसका इलाज किया जा रहा है।

मौके पर पहुंची पुलिस युवती को थाने ले गई और दूल्हे को जिला अस्पताल भेज दिया। थानाध्यक्ष अखिलेश चंद्र पांडेय ने कहा कि तहरीर मिलने पर कार्रवाई की जाएगी।

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कौन थे ‘शेर-ए-पूर्वांचल’ जिन्हें आज उनकी पुण्यतिथि पर बलिया के लोग कर रहे याद !

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‘शेर-ए-पूर्वांचल’ के नाम से मश्हूर दिग्गज कांग्रेस नेता बच्चा पाठक की आज 7 वी पुण्यतिथि हैं. उनकी पुण्यतिथि पर जिले के सभी पक्ष-विपक्ष समेत तमाम बड़े नेताओं और इलाके के लोग नम आंखों से उन्हें श्रद्धांजलि दे रहे हैं.  1977 में जनता पार्टी की लहर के बावजूद बच्चा पाठक ने जीत दर्ज की जिसके बाद से ही वो ‘शेर-ए-बलिया’ के नाम से जाने जाने लगे. प्रदेश सरकार के पूर्व मंत्री बच्चा पाठक लगभग 50 सालों तक पूर्वांचल की राजनीति के केन्द्र में रहे.
रेवती ब्लाक के खानपुर गांव के रहने वाले बच्चा पाठक ने राजनीति की शुरूआत डुमरिया न्याय पंचायत के संरपच के रूप में साल 1956 में की. 1962 में वे रेवती के ब्लाक प्रमुख चुने गये और 1967 में बच्चा पाठक ने बांसडीह विधानसभा से पहली बार विधायक का चुनाव लड़ा लेकिन उन्हें बैजनाथ सिंह से हार का सामना करना पड़ा. दो साल बाद 1969 में फिर चुनाव हुआ और कांग्रेस प्रत्याशी के रूप में बच्चा पाठक ने विजय बहादुर सिंह को हराकर विधानसभा का रुख़ किया. यहां से बच्चा पाठक ने जो राजनीतिक जीवन की शुरुआत की तो फिर कभी पलटकर नहीं देखा.
बच्चा पाठक की राजनीतिक पैठ 1974 के बाद बनी जब उन्होंने जिले के कद्दावर नेता ठाकुर शिवमंगल सिंह को शिकस्त दी. यही नहीं जब 1977 में कांग्रेस के खिलाफ पूरे देश में लहर थी तब भी बच्चा पाठक ने पूरे पूर्वांचल में एकमात्र अपनी सीट जीतकर सबको अपनी लोकप्रियता का लोहा मनवा दिया था. तब उन्हें ‘शेर-ए-पूर्वांचल का खिताब उनके चाहने वालों ने दे दिया.  1980 में बच्चा पाठक चुनाव जीतने के बाद पहली बार मंत्री बने. कुछ दिनों तक पीडब्लूडी मंत्री और फिर सहकारिता मंत्री बनाये गये.
बच्चा पाठक ने राजनीतिक जीवन में हार का सामना भी किया लेकिन उन्होंने कभी जनता से मुंह नहीं मोड़ा. वो सबके दुख सुख में हमेशा शामिल रहे. क्षेत्र के विकास कार्यों के प्रति हमेशा समर्पित रहने वाले बच्चा पाठक  कार्यकर्ताओं या कमजोरों के उत्पीड़न पर अपने बागी तेवर के लिए मशहूर थे. इलाके में उनकी लोकप्रियता और पैठ का अंदाज़ा इसी बात से लगाया जा सकता है कि वे सात बार बांसडीह विधानसभा से विधायक व दो बार प्रदेश सरकार में मंत्री बने. साल 1985 व 1989 में चुनाव हारने के बावजूद उन्होंने अपना राजनीतिक कार्य जारी रखा. जिसके बाद वो  1991, 1993, 1996 में फिर विधायक चुनकर आये. 1996 में वे पर्यावरण व वैकल्पिक उर्जा मंत्री बनाये गये.
राजनीति के साथ बच्चा पाठक शिक्षा के क्षेत्र में सक्रिय रहे. इलाके की शिक्षा व्यवस्था सुधारने के लिए बच्चा पाठक ने लगातार कोशिश की. उन्होंने कई विद्यालयों की स्थापना के साथ ही उनके प्रबंधक रहकर काम भी किया.
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