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लाइब्रेरी की कहानी : पीले पर्चे ने बदल दी बलिया के इस लड़के की ज़िंदगी, पहले प्रयास में मिला JRF

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‘ये साल 2015 की बात है। मैंने एक दिन सुबह अखबार उठाया तो उसमें से  एक पीला पर्चा जमीन पर गिर पड़ा। उसे पढ़ने पर पता चला कि मेरे घर से मात्र 3 किलोमीटर दूर एक लाइब्रेरी खुल रही है जो पढ़ने की जगह, किताबें, और मासिक परीक्षा, नि: शुल्क मुहैया कराती है।  मैं वहां जाने लगा और करेंट अफेयर पढ़ने की आदत लगी जिससे बीएचयू में एडमिशन हो सका। और आज इसी आदत की वजह से मैं पहले प्रयास में ही जूनियर रिसर्च फेलोशिप(जेआरएफ) के योग्य बन सका हूं’

साहित्य सदन पुस्तकालय'

साहित्य सदन पुस्तकालय’

ये कहना है मनियर के पास के एक गांव मानिकपुर के रहने वाले शिवशक्ति का। शिवशक्ति ने बीते सप्ताह ही जेआरएफ की परीक्षा उत्तीर्ण की है और लगभग 35 हजार मासिक की फेलोशिप के हकदार हो गए हैं। आइये शिवशक्ति की इस उपलब्धि के बहाने मनियर के उस पुस्तकालय के बारे में जानते हैं जो पिछले 10 साल से लगातार और चुपचाप अपनी जिम्मेदारी निभा रहा है।

मठों-मंदिरों के देश में किताब को सरस्वती मां का दर्जा देकर हमने धर्मिक स्थलों की शृंखला गढ़ दी। इसी सब के बीच काश! हमने किताबों के पढ़े जाने के लिए अलग से कुछ प्रबंध किया होता तो विद्वानों की एक फौज खड़ी हो सकती थी। लेकिन उम्मीद बरकरार है। जिले के मनियर में समाजसेवी और भाजपा नेता गोपाल जी ने 2015 में ‘साहित्य सदन पुस्तकालय’ की नींव रखी तो सिर्फ एक कमरा था। लेकिन उन्हें किताबों की कीमत पता थी, बच्चों के आदत का अंदाजा था। आज बमुश्किल सात साल के भीतर साहित्य सदन पुस्तकालय से हरेक साल दर्जन भर छात्र बड़े विश्विविद्यालयों में एडमिशन पाते हैं। गौरव की बात तो ये है कि 12वीं तक मनियर इटंर कॉलेज में पढ़े और पुस्तकालय के सक्रीय छात्र शिव शक्ति कुमार ने इस साल नेट- जेआरएफ की परीक्षा पास कर ली है। शिव शक्ति अब पीएचडी करेंगे और उन्हें भारत सरकार द्वारा मासिक तौर पर अध्येतावृति मिलेगी।

गोपाल जी के पुस्तकालय में फिलहाल 758 किताबें हैं। ये किताबें देश भर के पुस्तकमेला में घूम कर और अन्य माध्यमों से मंगाईं गई हैं। उनके सहयोगी और वो स्वयं लेखकों- प्रकाशकों से मिलकर किताबे खरीदते हैं। इसके अलावा बच्चों के कहने पर किताबें ऑनलाइन भी मंगाई जाती हैं। हालांकि इन बातों को कहते वक्त गोपाल जी वरिष्ठ पत्रकार हेमंतर शर्मा का जिक्र अलग से करते हैं। गोपाल जी बताते हैं कि हेमंत शर्मा ने अपने पिता और कमाल के रचनाकार मनु शर्मा की प्रभात प्रकाशन से छपी सभी किताबें लाइब्रेरी को उपलब्ध कराई हैं।

लगभग 20 हजार रुपयों के मूल्य की किताबों के साथ हेमंत शर्मा के सहयोग पर बात करते वक्त गोपाल जी कहते हैं, ’हम लोग पैसा रुपया के लिए सोच ही रहे थे लेकिन मनु शर्मा जी की किताबें लेनी ही थीं। हेमंत जी ने हमारी बात सुनी और बिना कुछ कहे सभी किताबें भेज दीं। इसके अलावा पुस्कालय में प्रतियोगिता दर्पण, बालहंस, इंडिया टूडे सरीखी लगभग एक दर्जन पत्रिकाओं का सालाना सब्सक्रिप्शन है। इन्होंने इसके लिए मनियर के ही लोगों को चुना है। हरेक व्यक्ति के नाम एक पत्रिका है, उसका सालाना खर्च वो शख्स उठाता है।’

हरेक माह के अंत में होती है प्रतियोगिता

पुस्तकालय परिसर में महीने के अंत में कई तरह की गतिविधियों का आयोजन किया जाता है। कभी निबंध प्रतियोगिता, कभी पेंटिंग तो कभी सामान्य ज्ञान के सवालों की श्रृंखला की प्रतियोगिता। शुरू में ही ये बता दिया जाता है कि इस महीने प्रतियोगिता में क्या होने वाला है। खास बात ये है किअधिकतर प्रतियोगिताएं ओएमआर शीट पर होती हैं। पुस्तकालय के लिए काम करने वाले आशुतोष तोमर बताते हैं, ‘बच्चों को प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए ओएमआर शीट ही मिलती है, हमारा उद्देश्य रहता है कि उन्हें पहले से ये सबकुछ पता हो।’  

यूनिवर्सिटी के एंट्रेंस के लिए मुफ्त ऑनलाइन कोचिंग शुरू कराने का प्लान

राजनीतिक गतिविधियों में सक्रिय रहने वाले गोपाल जी फिलहाल शिव शक्ति के सेलेक्शन से बहुत खुश हैं। पुस्तकालय के लिए ये पहला मौका है जब वहां के सक्रिय छात्र को ऐसी उपलब्धि हासिल हुई है। गोपाल जी कहते हैं,  ‘हम चाहते हैं कि शिव शक्ति जैसे और भी विद्यार्थी हों। सभी को मौका मिलें। अब हमारे टीम की कोशिश है कि जल्द ही सेंट्रल यूनिवर्सिटीज़ की तैयारी के लिए ऑनलाइन कोचिंग की व्यवस्था भी शुरू की जाए।’

अभी तक नहीं मिला कोई सरकारी सहयोग

साहित्य सदन पुस्तकालय को खुले सात साल हो गए हैं। कई बार सांस्कृतिक कार्यक्रमों और शैक्षणिक गतिविधियों के चलते पुस्तकालय चर्चा में भी रहा है लेकिन यहां अब तक किसी भी तरह का सरकारी सहयोग नहीं उपलब्ध हो सका है। पुस्तकालय की देखरेख और किताबों का जिम्मा उठाने वाले मदन यादव कहते हैं,’हमारी तकरीबन 10 लोगों की टीम है। हमने कई बार कोशिश की। लेकिन शासन सत्ता से वैसा सहयोग नहीं मिला जैसी उम्मीद थी। हमलोग समय नहीं गवांते हैं, हमारे बच्चे अच्छा कर रहे हैं, यही हमारा उद्देश्य भी है’

ऑनलाइन कोचिंग में लगने वाली तकनीकी चीजों के लिए गोपाल जी सक्रिय और चिंतित दोनों हैं। सरकारी मदद के सवाल पर वो कहते हैं, ‘हमने अपनी इच्छाशक्ति और टीम के मनोबल से यह सबकुछ किया है। हमारा उद्देश्य इलाके के बच्चों को शिक्षित और चुनौतियों के लिए तैयार करना है, वो हम कर रहे हैं। सरकार का सहयोग मिले तो और भी अच्छी बात है’ फिलहाल पुस्तकलाय में खुशी का माहौल है। यहां आने वाले बच्चे खुश हैं, कार्यरत लोग खुश हैं। इन्हें उम्मीद है कि चीजें और बेहतर होंगी।

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बलिया में भयंकर सड़क हादसा, 4 की मौत 1 गंभीर रूप से घायल

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बलिया में भयंकर सड़क हादसा सामने आया है जहां 4 लोगों की मौत की खबरें सामने आ रही है। वहीं एक गंभीर रूप से घायल बताया जा रहा है। जानकारी के मुताबिक ये हादसा फेफना थाना क्षेत्र के राजू ढाबा के पास बुधवार की रात करीब 10:30 बजे हुआ। खबर के मुताबिक असंतुलित होकर बलिया से चितबड़ागांव की ओर जा रही सफारी कार पलट गई। जिसमें चार लोगों की मौत हो गई। जबकि एक गंभीर रूप से घायल हो गया।

सूचना मिलने पर पर पहुंची पुलिस ने चारों शव को कब्जे में लेकर पोस्टमार्टम के लिए जिला अस्पताल भेज दिया। जबकि गंभीर रूप से घायल को ट्रामा सेंटर में भर्ती कराया। मृतकों की शिनाख्त क्रमशः रितेश गोंड 32 वर्ष निवासी तीखा थाना फेफना, सत्येंद्र यादव 40 वर्ष निवासी जिला गाज़ीपुर, कमलेश यादव 36 वर्ष  थाना चितबड़ागांव, राजू यादव 30 वर्ष थाना चितबड़ागांव बलिया के रूप में की गई। जबकि घायल छोटू यादव 32 वर्ष निवासी बढ़वलिया थाना चितबड़ागांव जनपद बलिया का इलाज जिला अस्पताल स्थित ट्रामा सेंटर में चल रहा है।

बताया जा रहा है कि सफारी  में सवार होकर पांचो लोग बलिया से चितबड़ागांव की ओर जा रहे थे, जैसे ही पिकअप राजू ढाबे के पास पहुँचा कि सड़क हादसा हो गया।

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बलिया में दूल्हे पर एसिड अटैक, पूर्व प्रेमिका ने दिया वारदात को अंजाम

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बलिया के बांसडीह थाना क्षेत्र में एक हैरान कर देने वाले घटना सामने आई हैं। यहां शादी की रस्मों के दौरान एक युवती ने दूल्हे पर तेजाब फेंक दिया, इससे दूल्हा गंभीर रूप से झुलस गया। मौके पर मौजूद महिलाओं ने युवती को पकड़ कर पुलिस के हवाले कर दिया। फिलहाल पुलिस बारीकी से पूरे मामले की जांच कर रही है।

बताया जा रहा है की घटना को अंजाम देने वाली युवती दूल्हे की पूर्व प्रेमिका है। उसका थाना क्षेत्र के गांव डुमरी निवासी राकेश बिंद के साथ बीते कई वर्ष से प्रेम प्रसंग चल रहा था। युवती ने युवक से शादी करने का कई बार दबाव बनाया, लेकिन युवक ने शादी करने से इन्कार कर दिया। इस मामले में कई बार थाना और गांव में पंचायत भी हुई, लेकिन मामला सुलझा नहीं।

इसी बीच राकेश की शादी कहीं ओर तय हो गई। मंगलवार की शाम राकेश की बारात बेल्थरारोड क्षेत्र के एक गांव में जा रही थी। महिलाएं मंगल गीत गाते हुए दूल्हे के साथ परिछावन करने के लिए गांव के शिव मंदिर पर पहुंचीं। तभी घूंघट में एक युवती पहुंची और दूल्हे पर तेजाब फेंक दिया। इस घटना से दूल्हे के पास में खड़ा 14 वर्षीय राज बिंद भी घायल हो गया। दूल्हे के चीखने चिल्लाने से मौके पर हड़कंप मच गया। आनन फानन में दूल्हे को अस्पताल ले जाया गया, जहां उसका इलाज किया जा रहा है।

मौके पर पहुंची पुलिस युवती को थाने ले गई और दूल्हे को जिला अस्पताल भेज दिया। थानाध्यक्ष अखिलेश चंद्र पांडेय ने कहा कि तहरीर मिलने पर कार्रवाई की जाएगी।

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कौन थे ‘शेर-ए-पूर्वांचल’ जिन्हें आज उनकी पुण्यतिथि पर बलिया के लोग कर रहे याद !

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‘शेर-ए-पूर्वांचल’ के नाम से मश्हूर दिग्गज कांग्रेस नेता बच्चा पाठक की आज 7 वी पुण्यतिथि हैं. उनकी पुण्यतिथि पर जिले के सभी पक्ष-विपक्ष समेत तमाम बड़े नेताओं और इलाके के लोग नम आंखों से उन्हें श्रद्धांजलि दे रहे हैं.  1977 में जनता पार्टी की लहर के बावजूद बच्चा पाठक ने जीत दर्ज की जिसके बाद से ही वो ‘शेर-ए-बलिया’ के नाम से जाने जाने लगे. प्रदेश सरकार के पूर्व मंत्री बच्चा पाठक लगभग 50 सालों तक पूर्वांचल की राजनीति के केन्द्र में रहे.
रेवती ब्लाक के खानपुर गांव के रहने वाले बच्चा पाठक ने राजनीति की शुरूआत डुमरिया न्याय पंचायत के संरपच के रूप में साल 1956 में की. 1962 में वे रेवती के ब्लाक प्रमुख चुने गये और 1967 में बच्चा पाठक ने बांसडीह विधानसभा से पहली बार विधायक का चुनाव लड़ा लेकिन उन्हें बैजनाथ सिंह से हार का सामना करना पड़ा. दो साल बाद 1969 में फिर चुनाव हुआ और कांग्रेस प्रत्याशी के रूप में बच्चा पाठक ने विजय बहादुर सिंह को हराकर विधानसभा का रुख़ किया. यहां से बच्चा पाठक ने जो राजनीतिक जीवन की शुरुआत की तो फिर कभी पलटकर नहीं देखा.
बच्चा पाठक की राजनीतिक पैठ 1974 के बाद बनी जब उन्होंने जिले के कद्दावर नेता ठाकुर शिवमंगल सिंह को शिकस्त दी. यही नहीं जब 1977 में कांग्रेस के खिलाफ पूरे देश में लहर थी तब भी बच्चा पाठक ने पूरे पूर्वांचल में एकमात्र अपनी सीट जीतकर सबको अपनी लोकप्रियता का लोहा मनवा दिया था. तब उन्हें ‘शेर-ए-पूर्वांचल का खिताब उनके चाहने वालों ने दे दिया.  1980 में बच्चा पाठक चुनाव जीतने के बाद पहली बार मंत्री बने. कुछ दिनों तक पीडब्लूडी मंत्री और फिर सहकारिता मंत्री बनाये गये.
बच्चा पाठक ने राजनीतिक जीवन में हार का सामना भी किया लेकिन उन्होंने कभी जनता से मुंह नहीं मोड़ा. वो सबके दुख सुख में हमेशा शामिल रहे. क्षेत्र के विकास कार्यों के प्रति हमेशा समर्पित रहने वाले बच्चा पाठक  कार्यकर्ताओं या कमजोरों के उत्पीड़न पर अपने बागी तेवर के लिए मशहूर थे. इलाके में उनकी लोकप्रियता और पैठ का अंदाज़ा इसी बात से लगाया जा सकता है कि वे सात बार बांसडीह विधानसभा से विधायक व दो बार प्रदेश सरकार में मंत्री बने. साल 1985 व 1989 में चुनाव हारने के बावजूद उन्होंने अपना राजनीतिक कार्य जारी रखा. जिसके बाद वो  1991, 1993, 1996 में फिर विधायक चुनकर आये. 1996 में वे पर्यावरण व वैकल्पिक उर्जा मंत्री बनाये गये.
राजनीति के साथ बच्चा पाठक शिक्षा के क्षेत्र में सक्रिय रहे. इलाके की शिक्षा व्यवस्था सुधारने के लिए बच्चा पाठक ने लगातार कोशिश की. उन्होंने कई विद्यालयों की स्थापना के साथ ही उनके प्रबंधक रहकर काम भी किया.
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