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बलिया की इस सीट को जीतने वाली पार्टी यूपी में बना लेगी सरकार? समीकरण जानकर चौंक जाएंगे

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उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनाव बस कुछ ही महीने बाद होने वाले हैं। चुनावी मैदान में उतरने से पहले सभी राजनीतिक दल अपनी तैयारी में जुट गए हैं। सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी, मुख्य विपक्षी दल समाजवादी पार्टी, बहुजन समाज पार्टी, कांग्रेस से लेकर इस चुनाव के किंगमेकर साबित होने का दावा करने वाले छोटे-छोटे राजनीतिक दल सभी अपनी पीठ मजबूत करने में लगे हैं। हर सीट को लेकर सियासी समीकरण साधने की कवायद शुरू हो चुकी है। उत्तर प्रदेश के जिला बलिया का एक विधानसभा सीट है बेल्थरा रोड। इस सीट का चुनावी इतिहास बेहद दिलचस्प रहा है। माना जाता है कि जिस पार्टी का प्रत्याशी बेल्थरा रोड सीट से जीत हासिल करता है सूबे में उसी पार्टी की सरकार बनती है।यूं तो बलिया जिले को उत्तर प्रदेश का पिछड़ा जिला माना जाता है। विकास के मामले में बलिया फिसड्डी है। बिहार से सटे इस जिले को हर सरकार में उपेक्षित होना पड़ा है। ऐसा लगता है कि लखनऊ से दूर होने की वजह से सूबे के सत्ताधिशों की नजर बलिया पर नहीं पड़ती है। लेकिन बलिया के बेल्थरा रोड विधानसभा सीट की कहानी ऐसी है कि हर नेता और हर पार्टी चुनाव के दिनों में इस सीट पर नजर गड़ाए रहेगा। अब तक का इतिहास बताता है कि विधानसभा चुनावों में बेल्थरा रोड की सीट से जीतने वाली पार्टी प्रदेश में सरकार बनाती है। महज 1984 के चुनाव को छोड़ दें तो हर बार कहानी यही रही है।

घाघरा नदी के किनारे और दो जिलों की सीमा से सटे बेल्थरा रोड की सीट आरक्षित है। आजादी के बाद लगातार हुए तीन चुनावों यानी 1952, 1957 और 1962 में उत्तर प्रदेश में उसी पार्टी की सरकार बनी जिसके प्रत्याशी ने बिल्थरा रोड की सीट से चुनाव जीता। 1980 में बेल्थरा रोड से कांग्रेस के बब्बन सिंह ने बेल्थरा रोड से जीत हासिल की और प्रदेश में कांग्रेस की सरकार बन गई।हालांकि 1984 में कहानी थोड़ी बदल गई थी। क्योंकि 1984 का साल सामान्य नहीं था। सिख दंगों के बाद इंदिरा गांधी के आत्मरक्षकों ने ही दिल्ली में उनकी हत्या कर दी थी। इंदिरा गांधी की हत्या से देश भर में कांग्रेस के प्रति लोगों की सहानुभूति थी। कांग्रेस की लहर जबरदस्त थी। लेकिन बेल्थरा रोड से जमीनी नेता माने जाने वाले लोकदल के नेता शारदानंद अंचल ने जनता का समर्थन हासिल किया। बेल्थरा रोड से शारदानंद आंचल ने मैदान मार लिया। हालांकि इसके बावजूद उत्तर प्रदेश में कांग्रेस की सरकार बनी।

इसके बाद बेल्थरा रोड ने अपना जादू दिखाना शुरू कर दिया। 1991 में उत्तर प्रदेश में चुनाव हुए। बिल्थरा रोड से भाजपा के हरि नारायण राजभर ने चुनाव जीता और उत्तर प्रदेश में भाजपा की सरकार बनी। 1993 में समय से पहले चुनाव हुए। क्योंकि 1992 में अयोध्या में हुए बाबरी मस्जिद-राम मंदिर विवाद के बाद केंद्र सरकार ने उत्तर प्रदेश की भाजपा की सरकार को बर्खास्त कर दिया था। 1993 के चुनाव में शारदानंद अंचल ने फिर से एक बार चुनाव जीता। लेकिन इस बार शारदानंद अंचल लोकदल के नहीं बल्कि सपा के टिकट से चुनाव जीते थे। इसके साथ ही सूबे में सपा की सरकार भी बन गई।Picture Credit – Social Media

1993 के बाद अगला चुनाव हुआ 1996 में। 1996 में बेल्थरा रोड से भाजपा ने हरि नारायण राजभर को टिकट दिया। हरि नारायण ने बेल्थरा रोड से चुनाव जीत लिया। हरि नारायण राजभर के बेल्थरा रोड से जीतने के साथ ही भाजपा ने भी प्रदेश में अपना खूटा गाड़ दिया। सूबे में भाजपा की सरकार बन गई।

लगातार होते बदलावों के चलते पिछले दो चुनाव समय से पहले हो चुके थे। लेकिन 1996 के बाद का चुनाव अपने तय समय से हुआ। पांच साल बाद एक बार फिर चुनावी मंच तैयार था। बेल्थरा रोड की सीट अपना किस्सा दोहराने का इंतजार कर रही थी। 2002 के विधानसभा चुनाव में बेल्थरा रोड सीट से शारदानंद अंचल ने ही सपा की सीट से जीत हासिल की और लखनऊ में सपा की सत्ता आई। लेकिन ठीक पांच साल बाद 2007 में बेल्थरा रोड सीट से बसपा के केदारनाथ वर्मा ने मैदान फतह कर लिया। फिर वही हुआ जिसका अनुमान ज्यादातर सियासी जानकारों ने लगाया था। उत्तर प्रदेश में 2007 में बसपा की सरकार बन गई।साल आया 2012 और साथ आया देश के सबसे बड़ी आबादी वाले राज्य का चुनाव। 2012 के उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में सपा के टिकट पर गोरख पासवान ने बेल्थरा रोड से चुनाव लड़ा। चुनाव के नतीजे आए। गोरख पासवान बेल्थरा रोड के विधायक बने और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री बने अखिलेश यादव। यानी कि इस बार भी बेल्थरा रोड से सपा के जीतने के साथ ही राज्य में भी सपा को जीत मिली थी। पिछली बार जब 2017 में चुनाव हुए तब उत्तर प्रदेश में भाजपा की सरकार बनी। जैसी पूरी कहानी रही है ठीक उसी के मुताबिक 2017 में बेल्थरा रोड से भाजपा के टिकट पर धनंजय कन्नौजिया ने चुनाव जीता था।

बेल्थरा रोड के इस रिकार्ड पर बलिया खबर ने न्यूज एजेंसी पीटीआई के बलिया के ही वरिष्ठ पत्रकार अनूप हेमकर से बातचीत की। अनूप हेमकर ने कहा कि “1984 और उसके पहले भी एकाध बार ऐसा देखने को मिला है कि बेल्थरा रोड से किसी दूसरे पार्टी का प्रत्याशी जीता और प्रदेश में सरकार किसी अन्य पार्टी की बनी। लेकिन 1989 के बाद से हमेशा ये ट्रेंड रहा है कि बेल्थरा रोड से जीतने वाली पार्टी ही राज्य में सरकार बनाती है।”

2022 की सियासी समीकरण पर बात करते हुए अनूप हेमकर कहते हैं कि “बहुत कुछ निर्भर करेगा चेहरे पर कि आखिर कौन सी पार्टी किसे टिकट दे रही है। बेल्थरा रोड में सीधी लड़ाई भाजपा और सपा के ही बीच रहेगी। भाजपा अगर यहां फिर से धनंजय कन्नौजिया को टिकट देती है तो सपा का जीतना लगभग तय है क्योंकि धनंजय कन्नौजिया के खिलाफ बिल्थरा रोड के भाजपा कार्यकर्ता गुस्से में हैं। हालांकि मुझे नहीं लगता कि उन्हें टिकट मिलेगा। लेकिन सारा खेल चेहरे का है।”

देखने वाली बात होगी कि 2022 के उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में बेल्थरा रोड की सीट से कौन सी पार्टी बाजी मारती है? देखने वाली बात यह भी होगी कि क्या बेल्थरा रोड अपना चमत्कारिक रिकार्ड इस बार कायम रख पाता है या नहीं?

अंग्रेजी में लिखी इस स्टोरी का विस्तार और अनुवाद आकाश कुमार ने किया है. अंग्रेजी में इस स्टोरी को पढ़ने के लिए यहाँ क्लिक करें

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सलेमपुर लोकसभा: बसपा का वॉकओवर, सपा की मुश्किलें!

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लोकसभा चुनाव चुनाव के लिए रवींद्र कुशवाहा को इस बार भी बीजेपी ने सलेमपुर सीट से टिकट दिया है. सपा ने यहां रमांशकर राजभर को मैदान में उतारा है. लेकिन इस सीट की लड़ाई दिलचस्प तब हो गई जब मायावती की बसपा ने भीम राजभर को ताल ठोकने भेज दिया.

सलेमपुर लोकसभा सीट पर क्या है समीकरण? बीजेपी प्रत्याशी के खिलाफ नाराजगी का कितना असर है? बसपा की ओर से भीम राजभर को टिकट दिए जाने के बाद क्या सपा के लिए ये लड़ाई मुश्किल हो गई है? और क्या बसपा ने बीजेपी को वॉक ओवर दे दिया है?

बसपा का वॉकओवर, सपा की मुश्किलें!

मायावती ने बसपा के पूर्व यूपी अध्यक्ष भीम राजभर को आजमगढ़ से टिकट दिया था. लेकिन फिर उनकी सीट बदल दी गई. अब भीम राजभर को सलेमपुर से चुनाव लड़ने के लिए भेजा गया है. सपा ने यहां से रमाशंकर राजभर को टिकट दिया है. ऐसे में ज़ाहिर है कि सपा की ओर जा सकने वाला राजभर वोट भीम राजभर की एंट्री से बंट जाएगा.

ओपी राजभर की पार्टी सुभासपा और बीजेपी का गठबंधन है. ऐसे में आजमगढ़ में बसपा का राजभर उम्मीदवार इस वर्ग के वोट के बंटवारे की वजह बनता. ऐसे में चर्चा है कि मायावती ने आजमगढ़ से अपने राजभर प्रत्याशी को कहीं और शिफ्ट करने का प्लान तैयार किया. ऐसे में सलेमपुर सीट सबसे मुफीद साबित हुई क्योंकि यहां सपा के उम्मीदवार रमाशंकर राजभर इसी समाज से आते हैं.

बीजेपी प्रत्याशी के खिलाफ गुस्सा!

2014 में बीजेपी पहली बार सलेमपुर सीट से चुनाव जीत पाई थी. तब पार्टी के उम्मीदवार रवींद्र कुशवाहा थे. कुशवाहा को पार्टी ने फिर 2019 में जीत दोहराने की उम्मीद से मैदान में उतारा और उन्होंने प्रदर्शन दोहरा भी दिया. अब 2024 में पार्टी ने इस सीट पर हैट्रिक लगाने के लिए अपने सीटिंग सांसद को मौका दिया है. लेकिन इस बार पेंच फंस गया है. क्षेत्र की जनता में रवींद्र कुशवाहा के खिलाफ नाराज़गी है. आरोप लगता है कि कुशवाहा कभी अपने क्षेत्र की जनता का हाल जानने नहीं पहुंचते हैं. कोविड जैसे क्रूर दौर में भी उन्होंने लोगों को अपने हाल पर छोड़ दिया. पिछले महीने ही बलिया के गांव भीमपु में सांसद रवींद्र कुशवाहा जनता-जनार्दन का हाल जानने पहुंचे. लेकिन हाथों में पोस्टर लिए गांव के लोगों ने गाड़ी रोक दी. और नारेबाज़ी की, “योगी-मोदी से बैर नहीं, रवींद्र तुम्हारी ख़ैर नहीं!”

सलेमपुर सीट का मूड:

सलेमपुर लोकसभा सीट के तहत कुल पांच विधानसभा सीटें हैं. इनमें देवरिया जिले की दो- भाटपार रानी और सलेमपुर विधानसभा सीटें हैं. जबकि बलिया में पड़ती हैं 3 विधानसभा सीटें- बेल्थरा रोड, सिकंदरपुर और बांसडीह. 2022 के यूपी विधानसभा चुनाव में सलेमपुर (सुरक्षित) विधानसभा सीट से बीजेपी की विजयलक्ष्मी गौतम, भाटपार रानी से बीजेपी के सभा कुंवर कुशवाहा और बलिया जिले की बांसडीह विधानसभा सीट पर बीजेपी की केतकी सिंह, बेल्थरा रोड (सुरक्षित) सीट से सुभासपा के हंसूराम और सिकंदरपुर से सपा के जियाउद्दीन रिजवी विधायक बने. विधानसभावार तरीके से देखें तो तीन सीटें बीजेपी के पास, एक उसकी साथी पार्टी के पास और एक सपा के पास है.

करीब 17 लाख वोटर्स वाले सलेमपुर सीट की जातिगत समीकरणों की बात करें तो एक अनुमान के मुताबिक पिछड़ी जाति खासकर कुर्मी जाति (कुशवाहा) के मतदाताओं की संख्या अधिक है. करीब 15 फीसदी ब्राह्मण, 18 फीसदी कुर्मी, मौर्य, कुशवाहा, 14 फीसदी राजभर, 15 फीसदी अनुसूचित जाति, 4 फीसदी क्षत्रिय, 13 फीसदी अल्पसंख्यक जाति के मतदाता है. जबकि लगभग 4 फीसदी वैश्य, 2 फीसदी यादव, 2 फीसदी कायस्थ, 2 फीसदी सैंथवार और 4 फीसदी निषाद और बाकी अन्य जाति के वोटर्स हैं.

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बलिया में भयंकर सड़क हादसा, 4 की मौत 1 गंभीर रूप से घायल

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बलिया में भयंकर सड़क हादसा सामने आया है जहां 4 लोगों की मौत की खबरें सामने आ रही है। वहीं एक गंभीर रूप से घायल बताया जा रहा है। जानकारी के मुताबिक ये हादसा फेफना थाना क्षेत्र के राजू ढाबा के पास बुधवार की रात करीब 10:30 बजे हुआ। खबर के मुताबिक असंतुलित होकर बलिया से चितबड़ागांव की ओर जा रही सफारी कार पलट गई। जिसमें चार लोगों की मौत हो गई। जबकि एक गंभीर रूप से घायल हो गया।

सूचना मिलने पर पर पहुंची पुलिस ने चारों शव को कब्जे में लेकर पोस्टमार्टम के लिए जिला अस्पताल भेज दिया। जबकि गंभीर रूप से घायल को ट्रामा सेंटर में भर्ती कराया। मृतकों की शिनाख्त क्रमशः रितेश गोंड 32 वर्ष निवासी तीखा थाना फेफना, सत्येंद्र यादव 40 वर्ष निवासी जिला गाज़ीपुर, कमलेश यादव 36 वर्ष  थाना चितबड़ागांव, राजू यादव 30 वर्ष थाना चितबड़ागांव बलिया के रूप में की गई। जबकि घायल छोटू यादव 32 वर्ष निवासी बढ़वलिया थाना चितबड़ागांव जनपद बलिया का इलाज जिला अस्पताल स्थित ट्रामा सेंटर में चल रहा है।

बताया जा रहा है कि सफारी  में सवार होकर पांचो लोग बलिया से चितबड़ागांव की ओर जा रहे थे, जैसे ही पिकअप राजू ढाबे के पास पहुँचा कि सड़क हादसा हो गया।

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बलिया में दूल्हे पर एसिड अटैक, पूर्व प्रेमिका ने दिया वारदात को अंजाम

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बलिया के बांसडीह थाना क्षेत्र में एक हैरान कर देने वाले घटना सामने आई हैं। यहां शादी की रस्मों के दौरान एक युवती ने दूल्हे पर तेजाब फेंक दिया, इससे दूल्हा गंभीर रूप से झुलस गया। मौके पर मौजूद महिलाओं ने युवती को पकड़ कर पुलिस के हवाले कर दिया। फिलहाल पुलिस बारीकी से पूरे मामले की जांच कर रही है।

बताया जा रहा है की घटना को अंजाम देने वाली युवती दूल्हे की पूर्व प्रेमिका है। उसका थाना क्षेत्र के गांव डुमरी निवासी राकेश बिंद के साथ बीते कई वर्ष से प्रेम प्रसंग चल रहा था। युवती ने युवक से शादी करने का कई बार दबाव बनाया, लेकिन युवक ने शादी करने से इन्कार कर दिया। इस मामले में कई बार थाना और गांव में पंचायत भी हुई, लेकिन मामला सुलझा नहीं।

इसी बीच राकेश की शादी कहीं ओर तय हो गई। मंगलवार की शाम राकेश की बारात बेल्थरारोड क्षेत्र के एक गांव में जा रही थी। महिलाएं मंगल गीत गाते हुए दूल्हे के साथ परिछावन करने के लिए गांव के शिव मंदिर पर पहुंचीं। तभी घूंघट में एक युवती पहुंची और दूल्हे पर तेजाब फेंक दिया। इस घटना से दूल्हे के पास में खड़ा 14 वर्षीय राज बिंद भी घायल हो गया। दूल्हे के चीखने चिल्लाने से मौके पर हड़कंप मच गया। आनन फानन में दूल्हे को अस्पताल ले जाया गया, जहां उसका इलाज किया जा रहा है।

मौके पर पहुंची पुलिस युवती को थाने ले गई और दूल्हे को जिला अस्पताल भेज दिया। थानाध्यक्ष अखिलेश चंद्र पांडेय ने कहा कि तहरीर मिलने पर कार्रवाई की जाएगी।

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